विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर और मोनोमर से लैस नई इलेक्ट्रॉनिक नाक सीवरों में हाइड्रोजन सल्फाइड का पता लगा सकती है

Posted On: 14 APR 2021 6:32PM by PIB Delhi

वैज्ञानिकों ने बायोडिग्रेडेबल बहुलक (पॉलीमर) और एकलक (मोनोमर)से लैस एक इलेक्ट्रॉनिक नाक विकसित की है, जो दलदलीक्षेत्रों और सीवरों में उत्पन्न होने वाली एक जहरीली, संक्षारक और ज्वलनशील गैस- हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S)- का पता लगा सकता है।

 

हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S), ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों के माइक्रोबियल ब्रेकडाउन की वजह से उत्पन्न होने वाला एक प्राथमिक गैस हैऔर सीवर एवं दलदलीक्षेत्रों में इसके उत्सर्जन को आसानी से पहचानेजाने की जरूरतहै।

 

इस चुनौती को स्वीकार करते हुए, सऊदी अरब के अपने समकक्षों के सहयोग से सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस), बेंगलुरु,जोकि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान है, के वैज्ञानिकों नेहवा के अणुओं या ओलफैक्ट्री रिसेप्टर न्यूरॉन (ओआरएन) की पहचान के लिए जिम्मेदार न्यूरॉन का प्रतिरूपण करके एक असाधारण रूप से संवेदनशीलऔर चयनात्मक H2S गैस आधारित सेंसर विकसित कियाहै।

 

ओआरएन का प्रतिरूपणसीईएनएस के ​​डॉ. चन्नबसवेश्वर येलामगाडऔर प्रोफेसर खालिद एन. सलामा, सेंसर लैब, एडवांस्ड मेम्ब्रेन्सएंड पोरस मटीरियल्स सेंटर, किंग अब्दुल्ला यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (केएयूएसटी), सऊदी अरब के मार्गदर्शन में बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर और मोनोमर से लैस एक आर्गेनिक इलेक्ट्रानिक उपकरण की मदद से किया गया है। उनके इस  शोध को हाल ही में 'मैटेरियल्स होराइजन'और 'एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक मैटेरियल्स'नाम की पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है।

 

इस निर्मित सेंसर में दो परतों वाला एक हेटरोस्ट्रक्चर होता है - शीर्ष परत एक मोनोमर होता है और एक नवीन रासायनिक ट्रिस (कीटो-हाइड्राज़ोन), जोकि छिद्रयुक्त होता है और जिसमेंH2S के विशिष्ट कार्यात्मक समूह होते हैं, के साथ महसूस किया जाता हैऔर निचला परत सक्रिय चैनल होता है, जोकिचार्ज वाहकों की धारा और गतिशीलता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

 

इस प्रकार, यह सहक्रियात्मक संयोजन H2S के अणुओं को पूर्व-केंद्रित करने में मदद करता है, एक अम्ल–क्षार की रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू करता हैजिसके कारणउपकरण में चैनल क्षेत्र के व्यापक वाहकों (छेद) में बदलाव होता है। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इस कैपेसिटेंस सेंसर (एक सेंसर जोकि सेंसर द्वारा बनाए गए विद्युत क्षेत्र पर होने वाले प्रभाव के माध्यम से आस-पास की वस्तुओं का पता लगाता है) ने H2S गैस का पता लगाने में एक उत्कृष्ट संवेदनशीलता दिखाई है, जिसके तहत प्रति बिलियन लगभग 25 भागों का पता लगाया गया। इस सेंसर में संवेदन संबंधी प्रदर्शन से समझौता किए बिना लगभग 8 महीने की उच्च परिवेश स्थिरता की क्षमता भी है।

 

 

 

प्रकाशन लिंक:

1. https://doi.org/10.1039/D0MH01420F

2.एस. युवराज, बी. एन. वीरभद्रस्वामी, एस. ए. भट, टी. विजजापु, संदीप जी. सूर्या, मणि, सी. वी. येलामगाड, के. एन. सलामा. ट्रिस (केटो-हाइड्राज़ोन):ए फुल्लीइंटीग्रेटेड हाइली स्टेबल एंड एक्सेप्शनली सेंसिटिव H2S कैपेसिटिव सेंसर एड. इलेक्ट्रॉन. मेटर, 2021 (प्रेस में)

 

विस्तृत विवरण के लिए  ​​डॉ. चन्नबसवेश्वर येलामगाड(yelamaggad[at]gmail[dot]com) से संपर्क करें.

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