विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीएसआईआर-सीएमईआरआई का पहला सम्मेलन
Posted On:
25 FEB 2021 9:24PM by PIB Delhi
सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने 25 फरवरी 2021 को पहले किसान सम्मेलन का आयोजन किया। सीएसआईआर के महानिदेशक और डीएसआईआर, भारत सरकार के सचिव डॉ. शेखर सी मांडे और सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर हरीश हिरानी ने मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार, टीएमडी, सामाजिक-आर्थिक उद्योग इंटरफेस, सीएसआईआर की प्रमुख डॉ. विभा मल्होत्रा साहनी, पश्चिम बंगाल सरकार में कृषि विभाग के उप निदेशक श्री सागर बंदोपाध्याय, नाबार्ड, बर्धमान के डीजीएम श्री पार्था मंडल, केवीके, बर्धमान के प्रमुख डॉ. अजीज़ुर रहमान और बिधान चंद्र कृषि विश्ववद्यालय, मोहनपुर के प्रोफेसर सुब्रत कर्माकर सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
पहले सीएसआईआर-सीएमईआरआई किसान सम्मेलन के दौरान डॉ. शेखर सी मांडे ने प्रोफेसर हरीश हिरानी की उपस्थिति में फार्म मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण केन्द्र, कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर और सीएसआईआर-सीएमईआरआई फुटबॉल परिसर का उद्घाटन किया। सम्मेलन में भाग लेने वाले किसानों के लिए कार्यक्रम के दौरान ई-ट्रैक्टर, फार्म पावर और फार्म मशीनरी, कृषि उपयोग के लिए अपशिष्ट जल उपचार, स्मार्ट लाइटिंग और स्मार्ट पार्किंग, दुनिया का सबसे बड़ा सौर पेड़ (सोलर ट्री) और अपशिष्ट बायो-मास से बायो-चार का उत्पादन आदि का प्रदर्शन किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन और पत्रकारों से बातचीत के दौरान डॉ. मांडे ने कहा कि सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के द्वारा किए जाने वाले सभी कार्यों का उद्देश्य समाज के लिए कुछ बेहतर करना होता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के द्वारा विकसित की जाने वाली प्रौद्योगिकी भारत को आत्मनिर्भरकृषि का निर्माण करने और किसानों की आय को दोगुनी करने के हमारे माननीय प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने की दिशा में फार्म मशीनीकरण को गति प्रदान कर सकती है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई द्वारा विकसित सोलर पावर इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर, प्रौद्योगिकी आधारित एक ऐसा ट्रैक्टर है, जो कृषि मशीनीकरण के क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा का विकल्प और समाधान प्रदान कर सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल के सभी 23 कृषि विज्ञान केन्द्रों से सीएसआईआर-सीएमईआरआई के साथ सहभागिता करने का आग्रह किया ताकि सीएसआईआर-सीएमईआरआई की फार्म मशीनीकरण प्रौद्योगिकी को लक्षित किसानों तक पहुंचाने के लिए लक्ष्य को सुनिश्चित किया जा सके।
सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर हरीश हिरानी ने किसानों और पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए पहले किसान सम्मेलन में भाग लेने वाले किसानों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने अपने प्रौद्योगिकी नवाचारों के माध्यम से शुष्क और बंजर इलाकों को कृषि के लिए उपयुक्त भूमि के रूप में बदलने में मदद की है। अब इसे ऑर्गेनिक तरीके से बढ़ावा दिया जा रहा है। खेतों में उगने वाले खरपतवार को भी मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाने के लिए कार्बन में परिवर्तित किया जा रहा है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने स्वराज, सोनालिका, कृषि-शक्ति जैसे ट्रैक्टर दिए हैं, और अब यह धीरे-धीरे ई-ट्रैक्टर, कॉम्पैक्ट ट्रैक्टर और ई-पावर टिलर्स के रूप में एक नए दौर में शामिल हो रहा है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई का लक्ष्य ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग करके इलेक्ट्रिक फार्म मशीनीकरण के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में डीजल मुक्त भारत का निर्माण करना है।
सीएसआईआर-आईएपबीटी, पालमपुर के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने इस अवसर पर कहा कि यह किसान सम्मेलन वैज्ञानिकों को किसानों की समस्याएं और चुनौतियों को समझने और उनका स्थायी एवं प्रभावशाली तरीके से तकनीकी स्तर पर समाधान निकालने का अवसर प्रदान करता है।
पश्चिम बंगाल सरकार में कृषि विभाग के उप निदेशक श्री सागर बंदोपाध्याय ने कहा कि हमारे समाज में किसान सबसे बड़े वैज्ञानिक होते हैं, क्योंकि अपने प्रयासों के माध्यम से वे खेती-किसानी के तौर तरीकों में लगातार सुधार करते रहते हैं।
टीएमडी, सामाजि-आर्थिक उद्योग इंटरफेस, सीएसआईआर की प्रमुख डॉ. विभा मल्होत्रा साहनी ने कहा कि सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने कई गुणा ताकत वाले विभिन्न ट्रैक्टरों को किसानों तक पहुंचाकर समाज में सकारात्मक योगदान दिया है।
केवीके, बर्धमान के प्रमुख डॉ. अजीज़ुर रहमान ने कहा कि पश्चिम बंगाल देशभर में कृषि-अर्थव्यवस्था के मामले में सबसे ज्यादा वंचित राज्य है। पश्चिम बंगाल में मशीनीकरण के अधिकतम उपयोग के बिना यहाँ कृषि के क्षेत्र में प्रगति संभव नहीं है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने भी इसी बात पर बल दिया है।
नाबार्ड, बर्धमान के डीजीएम श्री पार्था मंडल ने कहा, चूंकि पश्चिम बंगाल के 96 फीसदी किसान छोटे अथवा वंचित हैं। ऐसे में सीएसआईआर-सीएमईआरआई के विकेन्द्रित और नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित फार्म मशीनीकरण के प्रयास इन छोटे और वंचित किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं की दिशा में बेहतरीन समाधान हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि तुलनात्मक रूप से ये समाधान काफी सस्ते और सुगम हैं।
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