जल शक्ति मंत्रालय

सचिव, जल शक्ति मंत्रालय ने मीडिया को बजटीय आवंटन, नई पहल, प्रगति, भविष्य के लक्ष्यों, उपलब्धियों के लिए रणनीति की जानकारी दी 


जल जीवन मिशन: 2 अक्टूबर को शुरू हुए 100 दिवसीय राष्ट्रव्यापी अभियान को शानदार प्रतिक्रिया मिली, 5.14 लाख से ज्यादा स्कूलों और 4.62 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों को नलों से पीने योग्य पानी की आपूर्ति।

वित्त वर्ष 2021-22 में जेजेएम के लिए बजटीय आवंटन उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 50,011 करोड़ रुपये, साथ ही पंचायती राज संस्थानों को 15वें वित्त आयोग से 36,022 करोड़ रुपये का बंध-अनुदान

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के लिए बजट खर्च बढ़कर 9,022 करोड़ रुपये

Posted On: 08 FEB 2021 8:17PM by PIB Delhi

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (डीओडब्लूआर,आरडी एवम् जीआर) और पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्लूएस), जल शक्ति मंत्रालय के माननीय सचिव श्री पंकज कुमार ने आज प्रेस वार्ता की अध्यक्षता की। जल जीवन मिशन (जेजेएम) के प्रभारी, अतिरिक्त सचिव (एएस), श्री भरत लाल, एसबीएम-जी के प्रभारी एएस श्री अरुण बरोक और एएस, डीओडब्ल्यूआर, आरडी एवम जीआर श्रीमती देबाश्री मुखर्जी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी ब्रीफिंग में शामिल हुए।

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जल शक्ति मंत्रालय के सचिव ने अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय बजट 2021-22 में किए गए बजट आवंटन पर चर्चा की और दो विभागों यानी डीओडब्लूआर, आरडी, एवम जीआर और डीडीडब्लूएस के अंतर्गत जारी परियोजनाओं की प्रगति, उपलब्धियों और नई पहल के बारे में जानकारियां साझा की। साथ ही भविष्य की उपलब्धियों के लिए योजना भी दी। इसके बाद, अतिरिक्त सचिवों ने अपनी जिम्मेदारियों के आधार पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया।

जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण और नमामि गंगे विभाग:

1. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विभाग का बजट खर्च वित्त वर्ष 2020-21 के 7,262 करोड़ रुपये (आरई) से बढ़ाकर 9,022 करोड़ रुपये किया गया है। इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं के लिए ईबीआर रूट के जरिए 5,130 करोड़ रुपये दिए जाने हैं।

2. अटल भूजल योजना (अटल जल) दिसंबर 2019 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा सहभागिता से भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने और स्थायी भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए सामाजिक स्तर पर सोच में बदलाव लाने के प्रमुख उद्देश्य के साथ शुरू की गई। वित्त वर्ष 2021-22 में 330 करोड़ रुपए की राशि रखी गई है।

3. विभाग की दो प्रमुख योजनाओं, नमामि गंगे और पीएमकेएसवाई (प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना), ने पिछले 5 वर्षों के दौरान सार्थक प्रगति दिखाई है:

i) नमामि गंगे: नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के लिए मुख्य प्राधिकरण है। एनएमसीजी ने एक शहर-एक ऑपरेटर, हाइब्रिड एन्युटी पीपीपी मोड (एचएएम) और अविरल गंगा योजना जैसी कुछ मॉडल योजनाओं को लागू करके गंगा के कायाकल्प की रणनीति को बदल दिया है जिससे स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित हो और प्रदूषण में कमी सुनिश्चित की जा सके।  एनएमसीजी ने गंगा नदी के अधिकांश हिस्सों में पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार किया है।

ii) प्रधानमंत्री कृषि सिचाई योजना (पीएमकेएसवाई): त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) - 7 चरणों में प्राथमिकता वाली 99 परियोजनाओं के जरिए अतिरिक्त 34.63 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की क्षमता (सतह पर स्थित पानी का उपयोग करके)। इसकी मुख्य विशेषताओं में केंद्र की सहायता (सीए) और नाबार्ड के जरिए लॉन्ग टर्म इरिगेशन फंड (एलटीआईएफ) के अंतर्गत राज्यों की हिस्सेदारी शामिल हैं।

हर खेत को पानी (एचकेकेपी) योजना कमांड एरिया डेवलपमेंट (सीएडी), जल स्रोतों की मरम्मत, पुनरुद्धार और जीर्णोद्धार (आरआरआर), भूतल लघु सिंचाई (एसएमआई) योजनाओं और भूजल विकास पर केंद्रित है।

पेयजल और स्वच्छता विभाग:

स्वच्छ भारत मिशन- ग्रामीण (एसबीएम-जी) पहले चरण के बाद जिसमें 2019 के दौरान भारत को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने में सफलता मिली थी, एसबीएम (जी) के दूसरे चरण को 2020 के प्रारंभ में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य ओडीएफ प्लस है और इसलिए देश को ओडीएफ बनाए रखने और ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) से गांवों में व्यापक स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। एसएलडब्लूएम में कुछ खास पहलों जैसे संग्रह से प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, आगे की प्रोसेसिंग के लिए मैटीरियल रिकवरी फैसिलिटी में भंडारण, जैविक कचरे को खाद और बायोगैस जैसे संसाधनों में बदलने के लिए गोबरधन योजना, ग्रे वाटर मैनेजमेंट और मल कीचड़ प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित है।

मौजूदा वित्त वर्ष में एसबीएमजी के लिए बजटीय आवंटन 9994.10 करोड़ रुपये है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों की स्वच्छता के लिए 13,470 करोड़ रुपये का अनुदान दिया है।

डीडीडब्ल्यूएस के एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम जल जीवन मिशन (जेजेएम) का लक्ष्य साल 2024 तक हर ग्रामीण घर में पानी के नल का कनेक्शन देना है। जेजेएम के अंतर्गत हर घर में पीने योग्य पानी की सुरक्षित पहुंच ग्रामीण लोगों की जिंदगी बेहतर बनाएगी, खासतौर पर महिलाओं और लड़कियों की मुश्किलें खत्म होंगी। 15 अगस्त, 2019 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया जेजएम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 3.41 करोड़ से अधिक परिवारों तक उनके घरों में नल के कनेक्शन के साथ पहुँच गया है, जिससे ग्रामीण घरों में पानी के नल के कनेक्शन का विस्तार, योजना को शुरू किए जाने वाले वर्ष के 17% से बढ़कर फिलहाल एक तिहाई (34.63%) अर्थात 6.64 करोड़ ग्रामीण परिवार तक हो गया है, जिससे उनकी जिंदगी और बेहतर हुई है और उनके 'जीवन जीने में आसानी' बढ़ रही है।

जेजेएम ने प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र, आवासीय आदिवासी स्कूल (आश्रमशाला) और स्कूलों में नल से पानी की आपूर्ति को सुनश्चित कर पानी से बच्चों को होने वाली बीमारियों और जारी कोविड-19 महामारी का असर कम करने के लक्ष्य के साथ 2 अक्टूबर, 2020 को 100 दिन का राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया। इस अभियान को शानदार प्रतिक्रिया मिली है और अब तक 5.14 लाख से अधिक स्कूलों और 4.62 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से पीने योग्य पानी की आपूर्ति शुरू हो गई है। अब तक हुई प्रगति की सराहना करते हुए, इस अभियान को 31 मार्च 2021 तक बढ़ा दिया गया है। इसके अलावा, सभी गांवों में जहां पानी की गुणवत्ता प्रभावित है, विशेष रूप से आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बस्तियों में जेजेएम के तहत सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में जेजेएम के लिए बजटीय आवंटन उल्लेखनीय रूप से बढ़कर लगभग 50,011 करोड़ रुपये हो गया है, इसके साथ 'पानी और स्वच्छता' के लिए पीआरआई को 15 वें वित्त आयोग से 36,022 करोड़ रुपये का बंध- अनुदान उपलब्ध है।

जेजेएम को बनाए रखने के लिए, गांव की जल आपूर्ति प्रणाली की योजना, डिजाइन, कार्यान्वयन और संचालन एवम रखरखाव के लिए ग्राम जल स्वच्छता समिति/पानी समिति का गठन किया जा रहा है। पानी की आपूर्ति प्रणालियों के नियमित रखरखाव और संचालन के लिए, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) के जरिए पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए और पब्लिक हेल्थ इंजीनियर और गांव स्तर के अधिकारियों का ध्यान जन उपयोगी सेवाओं की तरफ करने के लिए मुख्य संसाधन केंद्र (केआरसी) का गठन स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने में किया जाएगा।

 गाँवों में पानी की आपूर्ति को मापने और निगरानी करने के लिए सेंसर आधारित आईओटी समाधान विकसित किए जा रहे हैं/ विकसित किए जाएंगे। नल के पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए, नाममात्र दरों पर पानी के नमूनों की जांच के लिए प्रयोगशालाएं एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होंगी। वाणिज्य और उद्योग की मदद से ग्रामीण स्तर यहां तक कि घरों में पानी के परीक्षण के लिए स्मार्ट पोर्टेबल डिवाइस को विकसित किया जा रहा है।

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