विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

कैसे खुद से इकट्ठे कण जीवित कोशिकाओं की गतिशीलता को समझने के लिए रास्ता दिखा सकते हैं, इस बारे में नया संकेत मिला

Posted On: 31 MAR 2021 4:24PM by PIB Delhi

क्या ऐसे कण जो एक-दूसरे के साथ संघनित अवस्थाओं के रूप में संपर्क करने से इनकार करते हैं, जैसे ठोस और तरल पदार्थ एक साथ लाए जा सकते हैं? जब उन्हें छोड़ दिया जाता है तो बिना किसी आकर्षण के ये कण कैसे इन संरचनाओं को बनाते हैं? वैज्ञानिकों को अब यह निर्धारित करने के लिए एक सुराग मिल गया है कि कणों के एक अनोखे वर्ग का उपयोग करके खुद से इकट्ठे संरचनाओं को कैसे बनाया जा सकता है, जो एक-दूसरे से संपर्क नहीं करते एवं जिनमें नॉन-सुपर इम्पोजेबल मिरर फोटो (काइरल) होती हैं।   

कणों की निर्माण इकाइयों की स्थैतिक संरचना में आणविक किरेलिटी कूटबद्ध होते हैं। सभी को इसकी जानकारी है कि इसके परिणामस्वरूप जो संपर्क होता है, वे त्रिविम-विशिष्ट होते हैं। हालांकि, कई तंत्रों में कण कैसे चलते हैं, इसके साथ किरेलिटी जोड़ा जा सकता है।      

इस तरह की काइरल गतिविधि कणों के बीच त्रिविम-विशिष्ट अंत:क्रियाओं का परिचय दे सकती हैं, जो अभी भी वैज्ञानिकों के लिए अज्ञात है। काइरल गतिविधि की भूमिका की जांच करके, वैज्ञानिकों के समूह ने पहली बार दिखाया है कि वस्तुएं खुद को तब भी पहचान सकती हैं, जब उनका आकार काइरल न हो। इसके अलावा वे दो तरह के डाइमर्स- मूवर्सएवं स्पिनर्स में सहज धुंधलापन की रिपोर्ट करते हैं।   

प्रकृति में काइरल सक्रिय पदार्थ सर्वव्यापी हैं और कई जैविक प्रणालियों में कुछ हद तक काइरल गतिविधि होती है। इस प्रकार मौजूदा अध्ययन जीवित कोशिकाओं और उनकी असेंबली में गतिशीलता को समझने का रास्ता दिखा सकता है। हालांकि, जैविक प्रणालियों में सही ढंग से ट्यूनिंग काइरल गतिविधि बहुत मुश्किल है और यह आकस्मिक गतिकी को निश्चित रूप से कितना प्रभावित करता है, यह साफ नहीं है।   

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्था जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र, बेंगलुरू और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के वैज्ञानिकों 3डी प्रिंटिग की सहायता से मिलीमीटर आकार वाले चावल के अनाज की काइरल गतिविधि की प्रकृति को मिलाया।

जब वस्तुएं आकार में काइरल नहीं हैं, तो अकेले किरेलिटी निष्क्रियता संपर्क के कणों के बीच चयनात्मकता और पहचान ला सकती हैं, इस चीज को सामने लाने वाला यह पहला प्रायोगिक अध्ययन है। हाल में जर्नलसाइंस एडवांसेजमें प्रकाशित यह कार्य काइरल गतिविधि के साथ संघटकों को प्रदान करके खुद से इकट्ठे पदार्थ के बारे में नए रास्ते खोलता है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि वे काइरल सक्रिय पदार्थ को डिजाइन करने के लिए 3डी प्रिटिंग का इस्तेमाल कर व्यवस्थित रूप से काइरल गतिविधि के विभिन्न अंशों को सांकेतिक रूप से बदल सकते हैं और उभरते हुए गतिशील व्यवहार पर इसके परिणामों का पता लगा सकते हैं।

असंयमित उत्प्रेरक, सुपरमॉलिक्यूलर पॉलिमराइजेशन, औषधीय दवा डिजाइनिंग और अलगाव जहां अणुओं की आत्म-मान्यता, छंटाई और भेद की जरूरत होती है, वहां किरेलिटी मध्यस्थता वाले चयनात्मक संपर्क का अत्यधिक महत्व है।  

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चित्र 1: ए. बायां: छह अलग-अलग बाएं-दाएं द्रव्यमान विषमताओं के लिए 3डी प्रिंटेड काइरल सक्रिय गतिविधि दीर्घवृत्ताकार के स्नैपशॉट्स। लाल धराशायी रेखाएं कण के खोखले बाहर वाले हिस्से को दिखाती हैं। दायां: उर्ध्वाधर आलोड़न के तहत दीर्घवृतों द्वारा खोजे गए लगभग गोलाकार रास्ते को दर्शाने वाला सुपर इंपोज्ड स्नैपशॉट। t = 0 एस पर दीर्घवृत्त का स्नैपशॉट सफेद रंग में दिखाया गया है। नीले रंग के तीर कक्षा की गंभीरता का संकेत देते हैं।     क्रमश: एक प्रतिनिधि सक्रिय स्पिनर्स एवं मूवर्स के सुपर इंपोज्ड किए गए स्नैपशॉट्स स्केल बार, 3 मिलीमीटर (बी एवं सी) स्पिनर दो क्लॉकवाइज (+) मोनोमर्स से बना होता है, जबकि मूवर्स एक क्लॉकवाइज (+)और एंटीक्लॉकवाइज (-) मोनोमर (सी में बायीं ओर से शीर्ष) से। वहीं स्पिनर्स दो (+) मोनोमर्स (बी) से बना होता है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि स्पिनर में एक नेट क्लॉकवाइज (+) गति (नीला धाराशायी तीर) होता है, जो इसके घटकों के समान होता है और यह फैलाव में स्थानीयकृत होता है।    

 

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चित्र 2. नेट किरेलिटी के कार्य के रूप में कण विस्थापन के मानचित्र। लाल रंग एक बड़े कण और नीला रंग एक छोटे कण के विस्थापन को दर्शाता है।

 

अधिक जानकारी के लिए श्रीमती प्रज्ञा अरोड़ा (pragya@jncasr.ac.in, फोन: 97416 15955) और प्रोफेसर राजेश गणपथि (rajeshg@jncasr.ac.in फोन: 98806 71639) से संपर्क किया जा सकता है।

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