पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय

अब अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से एलपीजी का परिवहन किया जा सकेगा


आईडब्ल्यूएआई का विश्व की सबसे बड़ी गैस वाहक कंपनी एमओएल (एशिया ओशिनिया) पीटीई. लिमिटेड के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

Posted On: 25 FEB 2021 6:48PM by PIB Delhi

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री मनसुख मांडविया की उपस्थिति में राष्ट्रीय जलमार्ग-1 और राष्ट्रीय जलमार्ग-2 पर जहाजों के माध्यम से एलपीजी (तरल प्राकृतिक गैस) के परिवहन के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और एमओएल (एशिया ओशिनिया) पीटीई. लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया।   

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भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण इसके लिए सहायता प्रदान करेगा:

    • पर्याप्त जहाज के रास्ते सहित सुविधा प्रदान करना।
    • अधिसूचित प्रावधानों और एमओएल के अनुरोध के अनुसार हल्दिया, साहिबगंज और वाराणसी में आईडब्ल्यूएआई टर्मिनलों/मल्टीमॉडल टर्मिनलों पर एलपीजी कार्गो की जिम्मेदारी संभालना।
    • पाक्षिक/मासिक आधार पर लीज अवैलबल डेप्थ (एलएडी) जानकारी प्रदान करना।

एमओएल समूह विश्व की सबसे बड़ी गैस वाहक कंपनी है और भारत सरकार की मेक-इन-इंडिया पहल के तहत समर्पित एलपीजी जहाजों के निर्माण और संचालन के लिए निवेश करेगी। वहीं, एजिस समूह ने भंडारण टर्मिनलों, टर्मिनल के लिए घाटों के बीच समर्पित पाइपलाइन और घाटों पर जहाजों से उत्पादों की निकासी के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे को लेकर निवेश का प्रस्ताव रखा है।

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वर्तमान में कुल एलपीजी का 60 फीसदी हिस्सा सड़क मार्ग से विभिन्न स्थानों पर पहुंचाया जाता है। इस पर 5 से 6 रुपये प्रति मीट्रिक टन प्रति किलोमीटर लागत आता है, जिसे तेल कंपनियां कम करना चाहती हैं। इसके अलावा ट्रांसपोर्टरों द्वारा कई बार हड़ताल, सड़क जाम जैसे मुद्दे भी होते हैं, जिनकी वजह से परिवहन में देरी होती है। इस दृष्टि से मौजूदा परिवहन साधन की तुलना में बतौर सस्ता विकल्प जलमार्ग का उपयोग कंपनियों की रूचि का मुख्य क्षेत्र है। वहीं, यह परिवहन का स्वच्छ और हरित साधन भी है। इसके अलावा भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में जहां रेल/सड़क माध्यम से पहुंचना मुश्किल है। इन इलाकों को आईडब्ल्यूटी क्षेत्र उपयोगी समाधान प्रदान कर सकते हैं। पार्सल के आकार के अलावा रोड ट्रक जो 17 मीट्रिक टन एलपीजी ले जा सकते हैं, कि तुलना में जहाजें बड़े आकार वाले होगे। यह पैमाने की आर्थिकी के लिए अग्रणी जहाज पर निर्भर करता है।        

अन्य वस्तुओं की तुलना में एलपीजी की मुख्य विशेषताओं के अलावा, एलपीजी शून्य रिसाव के साथ एक स्वच्छ माल है और उत्पादों को पूरी तरह से बंद लूप में पाइपलाइनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वहीं, इसके लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) एवं पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) द्वारा अत्यधिक सुरक्षा सावधानी रखी जाती है।  

एलपीजी कार्गो को अन्य किसी थोक कार्गो की तुलना में कम बर्थिंग समय की जरूरत होती है। इसके अलावा बर्थ/घाटों पर स्थापित वाहकों आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

अंतर्देशीय जलमार्ग द्वारा एलपीजी परिवहन से कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने, कुल रसद लागत में कमी, जो वैश्विक औसत 8 फीसदी की तुलना में भारत के लिए जीडीपी का 13 से 14 फीसदी है और एलपीजी आपूर्ति के लिए “उज्ज्वला” जैसी सरकारी सामाजिक योजनाओं में योगदान करने में मदद मिलेगी।

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