विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर साइंस कम्यूनिकेटर और महिला वैज्ञानिकों को पुरस्कार प्रदान किया


वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिससे देश में एसएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर संसाधनों को प्रोत्साहन मिलेगा: डॉ. हर्षवर्धन

“फंडामेंटल एंड ट्रांसलेशनल रिसर्च को लोगों के लिए केंद्रित करना होगा इसलिए इस राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर, प्रत्येक वैज्ञानिक भारत में लोगों के जीवन में प्रत्यक्ष बदलाव लाने के लिए कुछ नया करने का सपना देखें": डॉ. हर्षवर्धन

डॉ. हर्षवर्धन ने भारत में एसएंडटी अवार्ड्स और भारतीय मूल के शिक्षाविदों के विदेश में पहले राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस को भी जारी किया

इसके अलावा राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस डेवलपर्स को पुरस्कार प्रदान किया

Posted On: 28 FEB 2021 7:10PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन ने आज इस बात पर प्रकाश डाला कि इस माहामारी के बाद की दुनिया को विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) कैसे हमारे भविष्य के शिक्षा, कौशल और कामकाज को प्रभावित करेगा। वह इम्फाल, मणिपुर से वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर साइंस कम्यूनिकेटर और महिला वैज्ञानिकों को पुरस्कार भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा प्रदान किए गए, जो हर साल इस दिन रमन प्रभाव की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एनएसडी समारोह राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित किया गया था।

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डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बजट में 30 प्रतिशत की वृद्धि की गई है जो देश में एसएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर संसाधनों को प्रोत्साहन प्रदान करेगी"। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल आई चुनौतियों के मद्देनजर, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2021 का विषय, एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कौशल और कार्य पर प्रभाव और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।

“विश्व ने देखा है कि कैसे भारतीय एसएंडटी सिस्टम इस अभूतपूर्व महामारी के कारण पैदा हुए संकट में भी बढ़ा है। वैज्ञानिक जागरूकता और स्वास्थ्य की तैयारी काविड-19 के बाद और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।

कोविड-19 पर फोकस करते हुए एक व्यापक राष्ट्रीय कार्यक्रम पहले ही स्वास्थ्य और जोखिम संचार पर शुरू किया जा चुका है जिसका नाम विज्ञान और स्वास्थ्य (वाईएएसएच) जागरूकता वर्ष दिया गया है। डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि हमने कोविड-19, कोविड कथा पर जन जागरूकता के लिए एक ऑनलाइन इंटरैक्टिव मल्टीमीडिया द्विभाषी संसाधन लेकर आए हैं।

“आज लॉन्च किए गए डेटा पोर्टल गेम चेंजर साबित होंगे। मंत्री ने बताया कि हमें लगता है कि भारत से विरासत वाले वैज्ञानिकों को एक मंच पर होना चाहिए और भारत की विकास की कहानी में योगदान करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व के बारे में बात कर रहे हैं, जिसके लिए मौलिक और अनुवाद संबंधी रिसर्च लोग केंद्रित करने होंगे। डॉ. हर्षवर्धन ने आग्रह किया, "इस राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर, प्रत्येक वैज्ञानिक भारत में लोगों के जीवन में प्रत्यक्ष बदलाव लाने के लिए कुछ नया करने का सपना देखें"। उन्होंने 2050 तक सतत और समावेशी विकास के लिए 1.5 अरब (+) लोगों की अनुमानित जनसंख्या के लिए वैज्ञानिक स्वभाव और नवोन्मेषी मानसिकता को उभारना, पोषित करना और उन्मुक्त करना और निरंतर प्रयासों के महत्व को भी रेखांकित किया।

डॉ. हर्षवर्धन ने नेशनल एसएंडटी कम्युनिकेशन अवार्ड्स, ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (एडव्ल्यूएसएआर) अवार्ड्स, और एसईआरबी वुमन एक्सीलेंस अवार्ड्स प्रदान किए और राजेंद्र प्रभु मेमोरियल एप्रिसिएशन शील्ड को विज्ञान मीडिया और पत्रकारिता में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया।

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मंत्री ने भारत में एसएंडटी अवार्ड्स और विदेश में भारतीय मूल के शिक्षाविदों पर पहली बार राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस जारी किया। भारत में एसएंडटी अवार्ड्स पर डेटाबेस भारत में आरएंडडी पेशेवरों को प्रस्तुत एसएंडटी अवार्ड्स के बारे में जानकारी का एक उत्कृष्ट स्रोत है। भारतीय मूल के शिक्षाविदों का डेटाबेस देश में विकसित एक अनूठा डेटाबेस है और इसमें लगभग 23,472 भारतीय शिक्षाविदों और विभिन्न देशों में काम करने वाले रिसर्च स्कॉलर का एक बड़ा सूचना आधार है। इसके अलावा डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस डेवलपर्स को पुरस्कार प्रदान किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा एसटीआई को देश के विकास के लिए एक उपकरण के रूप में चलाने के प्रयासों पर बोलते हुए, सचिव डीएसटी प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी की 'आत्मनिर्भर भारत' बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, जो भविष्य के लिए तैयार है। “एसटीआई का भविष्य हमें जीवन के हर पहलू पर प्रभावित करने वाला है। हमारे गौरवशाली अतीत को याद करते हुए हमें भविष्य में ले जाने का प्रकाश दिखाएगा। स्थायी विकास, जलवायु परिवर्तन, स्वच्छ ऊर्जा, इंटेलिजेंट मशीनों का विकास, आदि जैसी बड़ी चुनौतियां हैं। भविष्य बहु-विषयक है, और समस्याओं को हल करने के लिए, उन्हें एक अंतःविषय तरीके से संपर्क करना होगा। उन्होंने ध्यान दिलाया कि वैज्ञानिकों का काम देश के हर कोने तक विज्ञान को पहुंचाने में मदद करना है।

डॉ. शेखर सी मांडे, सचिव, डीएसआईआर और डीजी, सीएसआईआर ने कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "महामारी ने दिखाया है कि भारतीय एसएंडटी समुदाय हाल की महामारी और भविष्य में आने वाली सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है।"

डॉ. गार्गी बी दासगुप्ता, निदेशक, आईबीएम रिसर्च इंडिया, और सीटीओ, आईबीएम इंडिया और दक्षिण एशिया, बैंगलोर, भारत ने इस विषय पर विशेष व्याख्यान दिया और कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति नए स्किल सेटों की मांग पैदा कर रही है और साथ ही मौजूदा नौकरियों को भी विस्थापित कर रही है। साथ ही नए अवसर भी पैदा कर रही हैं। उन्होंने नौकरियों के भविष्य और विज्ञान की महत्व के बारे में बात की, नए उभरते रोजगार समूहों और कल की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक कौशल पर विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) द्वारा हाल के अध्ययन पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर सचिव, एसईआरबी प्रोफेसर संदीप वर्मा और प्रमुख, एनसीएसटीसी डॉ. प्रवीण अरोड़ा भी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल 28 फरवरी को रमन प्रभाव की खोज और  स्मरण में मनाया जाता है जिसके लिए उन्हें 1930 में नोबेल पुस्कार से सम्मानित किया गया था। भारत सरकार ने 1986 में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (एनएसडी) के रूप में मनाने की घोषणा किया। तब से, इस अवसर पर पूरे देश में थीम आधारित विज्ञान संचार गतिविधियां की जाती हैं।

राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एनसीएसटीसी), डीएसटी वैज्ञानिक संस्थानों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं, और स्वायत्त वैज्ञानिक संस्थानों के साथ पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उत्सव का समर्थन करने, प्रेरित करने और समन्वय करने के लिए एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है। एनसीएसटीसी ने कई गतिविधियों, जैसे व्याख्यान, क्विज, ओपन हाउस इत्यादि के संगठन के लिए स्टेट एसएंडटी काउंसिल और विभागों के माध्यम से देशव्यापी विभिन्न कार्यक्रमों का समर्थन किया है। डीएसटी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रयासों को प्रोत्साहित करने, पहचानने और प्रोत्साहित करने के साथ-साथ जनता के बीच वैज्ञानिक के प्रति रूचि को बढ़ाने के लिए 1987 में विज्ञान लोकप्रियकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की स्थापना की। ये पुरस्कार हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर प्रदान किए जाते हैं। पुरस्कारों में एक स्मृति चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार राशि शामिल हैं।

 

पुरस्कार विजेताओं की सूची:

 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार पुरस्कार विजेता

 

पुस्तक और पत्रिकाओं सहित प्रिंट मीडिया के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार : डॉ. एस अनिल कुमार, केरल

बच्चों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी लोकप्रियता में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार: (1) भारतीय संसाधन और विकास संघ, हरियाणा (2) : डॉ. मिहिर कुमार पांडा, ओडिशा

नवीन और पारंपरिक तरीकों के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार: (1) डॉ. शेफाली गुलाटी, दिल्ली (2) श्री राकेश खत्री, दिल्ली

इलेक्ट्रॉनिक माध्यम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार में उत्कृष्ट प्रयासों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार: डॉ. कृष्णा कुमारी चल्ला, तेलंगाना

राजेंद्र प्रभु मेमोरियल अप्रिशीएशन शील्ड फॉर आउटस्टैंडिंग वर्क इन साइंस मीडिया एंड जर्नलिज्म: डॉ एस अनिल कुमार, केरल

 

राष्ट्रीय एसएंडटी डेटाबेस के लिए अप्रीशीएशन शील्ड

एस एंड टी अवार्ड्स इन इंडिया: डॉ. ललित मोहन, सोसाइटी फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट (एसईडी), दिल्ली

 

भारतीय मूल के शिक्षाविद विदेश: डॉ. राजेश भाटिया एंड टीम, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी), चंडीगढ़

 

एडव्ल्यूएसएआर पुरस्कार विजेता

 

उत्कृष्ट कहानी (पीडीएफ श्रेणी)

डॉ. संगीता दत्ता, बेंगलुरु, कर्नाटक

 

एडव्ल्यूएसएआर अवार्ड: प्रथम पुरस्कार (पीएच.डी श्रेणी)

सुश्री पूजा मौर्य, लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

एडव्ल्यूएसएआर अवार्ड: दूसरा पुरस्कार (पीएच.डी श्रेणी)

सुश्री इंदु जोशी, नई दिल्ली, दिल्ली

 

एडव्ल्यूएसएआर अवार्ड: तीसरा पुरस्कार (पीएच.डी श्रेणी)

सुश्री श्रुति सोनी, बैंगलोर, कर्नाटक

 

एसईआरबी महिला उत्कृष्टता पुरस्कार विजेता

 

डॉ. शोभना कपूर

सहायक प्रोफेसर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे

मुंबई, महाराष्ट्र

 

डॉ. अंतरा बनर्जी

वैज्ञानिक बी

नेशनल इंस्ट्रीट्यट ऑफ रिसर्च इन रिप्रोडक्टिव हेल्थ

मुंबई, महाराष्ट्र

 

 डॉ. सोनू गांधी

वैज्ञानिक डी

राष्ट्रीय पशु जैव प्रौद्योगिकी संस्थान

हैदराबाद, तेलंगाना

 

डॉ. रितु गुप्ता

सहायक प्रोफेसर

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर

जोधपुर, राजस्थान

 

(कृपया नीचे दिए गए विवरणों के लिए यहां क्लिक करें)

1.... एडब्ल्यूएएसएआर

2....एनसीएसटीसी

एनएसडी विवरणिका देखने के लिए यहां क्लिक करें)

 

 

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