वित्‍त मंत्रालय

राष्ट्रीय आय 2020-21 का दूसरा अग्रिम अनुमान और तीसरी तिमाही का अनुमान


2020-21 की तीसरी तिमाही में 0.4 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि; अर्थव्यवस्था फिर से महामारी-पूर्व के सकारात्मक विकास दर पर पहुँची

2020-21 की दूसरी तिमाही में शुरू हुई वी- आकार की रिकवरी के और मजबूत होने के संकेत

Posted On: 26 FEB 2021 7:07PM by PIB Delhi

2020-21 की तीसरी तिमाही में 0.4 प्रतिशत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि से अर्थव्यवस्था फिर से महामारी-पूर्व के सकारात्मक विकास दर पर पहुँच गयी है। यह 2020-21 की दूसरी तिमाही में शुरू हुई वी- आकार की रिकवरी के और मजबूत होने का संकेत है, जबकि अन्य देशों की तुलना में सरकार द्वारा सख्त लॉकडाउन लगाने के कारण पहली तिमाही में जीडीपी में संकुचन दर्ज किया गया था। दूसरे अग्रिम अनुमान में 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद का संकुचन 8.0 प्रतिशत है।

महामारी का मुकाबला करने के दौरान सरकार ने स्वास्थ्य और आर्थिक मोर्चों पर "आजीविका से ज्यादा जरूरी जीवन सुरक्षा” की प्रारंभिक नीति के बाद "जीवन के साथ-साथ आजीविका भी" नीति को अपनाया। इसके अब सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं, जो वी-आकार की रिकवरी के साथ सरकार के दृष्टि को भी रेखांकित करते हैं। वी-आकार की रिकवरी को निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) और सकल स्थायी पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ);दोनों से मजबूती मिली। लॉकडाउन का समझदारी से संचालन और वित्तीय प्रोत्साहन के  संयोजन से अर्थव्यवस्था में तेज गतिविधि शुरू हुई। जीएफसीएफ के पहली तिमाही में46.4 प्रतिशत संकुचन के बाद तीसरी तिमाही में 2.6 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि के साथ सुधार हुआ है, जबकि पीएफसीईपहली तिमाही के 26.2 प्रतिशत के संकुचन से उबरकर तीसरी तिमाही में 2.4 प्रतिशत के मामूली संकुचन स्तर पर है। 

अर्थव्यवस्था में समग्र वृद्धि के अलावा, तीसरी तिमाही में जीएफसीएफको केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय से भी मजबूती मिली, जो साल-दर-साल आधार पर अक्टूबर में बढ़कर 129 प्रतिशत, नवंबर में 249 प्रतिशत और दिसंबर,2020 में 62 प्रतिशत हो गया। पूंजीगत व्यय से जुड़े वित्तीय गुणक, सरकारी अंतिम उपभोग व्यय (जीएफसीई) से कम से कम 3-4 गुना ज्यादा होते हैं, क्योंकि पूंजीगत व्ययसामान्य आय हस्तांतरण की तुलना में खपत-खर्च को बहुत अधिक प्रेरित करता है। हालांकि, जीएफसीई ने अप्रैल, 2020 से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि जीवन और आजीविका का समर्थन करने के अलावा इसने अर्थव्यवस्था को प्रारंभिक प्रोत्साहन प्रदान किया।

विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण वृद्धि से वित्त वर्ष 2021-22 में विकास को गति मिलने की उम्मीद है। पहली तिमाही में विनिर्माण में वास्तविक जीवीए 35.9 प्रतिशत के संकुचन से उबर गया है और इसमें तीसरी तिमाही में 1.6 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है, जबकि निर्माण की रिकवरी में, पहली तिमाही 49.4 प्रतिशत के संकुचन के बाद 6.2 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि हुई है। 2021-22 में 11 प्रतिशत या इससेअधिक की वृद्धि हासिल करने के क्रम में अर्थव्यवस्था के लिए ये क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये चक्रीय रोधी राजकोषीय नीति से सबसे अधिक प्रभावित होंगे, जो राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 6.8 प्रतिशत के स्तर पर रखता है।

सेवा क्षेत्र में वास्तविक जीवीए भी 2020-21 की पहली तिमाही में 21.4 प्रतिशत के संकुचन स्तर से तीसरी तिमाही में 1.0 प्रतिशत के मामूली संकुचन स्तर पर पहुँच गया है। सेवा क्षेत्र में जीवीए का मामूली संकुचन स्वागत-योग्य है, क्योंकि महामारी के प्रकोप में कमी से संपर्क-आधारित सेवाओं में गतिविधि के स्तर में वृद्धि हुई है। महामारी के प्रकोप में निरंतर गिरावट और टीकाकरण अभियान में तेजी,संपर्क-आधारित सेवाओं को वापस पटरी पर लाने का समर्थन करेगा। देश में कुल जीवीए में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से अधिक है और यह अर्थव्यवस्था में खपत बढ़ाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। कृषि में वास्तविक जीवीए पहली तिमाही में3.3 प्रतिशत से बढ़कर तीसरी तिमाही में 3.9 हो गया है और इस प्रकार कृषि क्षेत्र, अर्थव्यवस्था में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

भारत अभी तक महामारी के खतरे से बाहर नहीं है। महामारी का मुकाबला करने के लिए एक-दूसरे से दूरी बनाये रखना अभी भी सबसे प्रभावी उपाय है।देश में तेजी से चल रहे टीकाकरण अभियान से अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।

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एमजी / एएम / जेके / डीसी



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