इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आईटी हार्डवेयर उत्पादों- लैपटॉप, टैबलेट, आल इन वन पर्सनल कम्प्यूटर (पीसी) और सर्वर के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को स्वीकृति दी


भारत में इन उत्पादों के विनिर्माण के लिए चार साल के लिए 7,350 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन उपलब्ध कराए जाएंगे

चार साल में 3.26 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 2.45 लाख करोड़ रुपये का निर्यात होने का अनुमान है

इससे चार साल में 2,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आएगा, 15,760 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राजस्व अर्जित होगा और 1.80 लाख रोजगार पैदा होंगे

Posted On: 24 FEB 2021 3:34PM by PIB Delhi

मोबाइल फोन (हैंडसेट और उपकरणों) विनिर्माण में निवेश लुभाने में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की सफलता के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आईटी हार्डवेयर उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को स्वीकृति दे दी है। प्रस्तावित योजना के अंतर्गत लक्षित आईटी हार्डवेयर खंड में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल इन वन पर्सनल कम्प्यूटर (पीसी) और सर्वर शामिल हैं।

इस योजना में इन आईटी हार्डवेयर उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और बड़े निवेश लुभाने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन का प्रस्ताव किया गया है।

मोबाइल फोन और उल्लिखित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए पीएलआई योजना भारत को एक हब के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से बीते साल महामारी के दौरान पेश की गई थी। वैश्विक के साथ ही घरेलू मोबाइल विनिर्माता कंपनियों द्वारा दिलचस्पी दिखाने के लिहाज से यह योजना खासी सफल रही है। पीएलआई योजना के पहले चरण के अंतर्गत 16 कंपनियों को व्यापक स्तर पर मोबाइल फोन और उल्लिखित इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी।

इस योजना का ऐलान अप्रैल, 2020 में किया गया था; आवेदन की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2020 थी और योजना 01 अगस्त, 2020 को शुरू हो गई। यह सब कोविड-19 के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर में हुआ था, जब अर्थव्यवस्था और विनिर्माण क्षेत्र गंभीर संकट में था। योजना के संचालन के पिछले 5 महीनों में, चुनौतीपूर्ण दौर के बावजूद शीर्ष वैश्विक मोबाइल फोन कंपनियों सहित आवेदक कंपनियों ने 35,000 करोड़ रुपये लागत के सामान का उत्पादन किया और योजना के अंतर्गत 1,300 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस अवधि के दौरान लगभग 22,000 अतिरिक्त रोजगार पैदा हुए। इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए एसपीईसीएस नाम की एक अन्य योजना को 13,500 करोड़ रुपये के निवेश से संबंधित 22 आवेदन हासिल हुए, जो एक्टिव, पैसिव और इलेक्ट्रोमेकैनिकल उपकरणों; मोबाइल फोन के लिए डिसप्ले और मेकैनिक्स के क्षेत्रों से संबंधित थे।

मोबाइल फोन और उल्लिखित इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के लिए पीएलआई योजना की शुरुआती सफलता के आधार पर, नीति आयोग ने पीएलआई योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विकास की अच्छी संभावनाओं वाले 10 लक्षित क्षेत्रों के साथ ही उल्लिखित उत्पाद लाइनों की पहचान की है। आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना इस दिशा में एक और कदम है। दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को देखते हुए यह कदम उठाया गया है, जिसे पिछले सप्ताह केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।

आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना की कुल लागत 4 साल के लिए लगभग 7,350 करोड़ रुपये (सात हजार तीन सौ पचास करोड़ रुपये सिर्फ) की है।

इस योजना में भारत में विनिर्मित और लक्षित खंड में आने वाले सामानों की बिक्री में सकल बढ़ोतरी (आधार वर्ष 2019-20) पर पात्र कंपनियों को चार (4) वर्ष की अवधि के लिए 4 प्रतिशत से 1 प्रतिशत के बीच प्रोत्साहन दिया जाएगा।

इस प्रस्तावित योजना से लैपटॉप, टैबलेट, ऑल इन वन पीसी और सर्वर जैसे आईटी हार्डवेयर उत्पादों की बड़ी वैश्विक के साथ ही घरेलू विनिर्माता कंपनियों को फायदा होने का अनुमान है। विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए यह एक अहम खंड है, क्योंकि वर्तमान में इन सामानों के लिए हम व्यापक रूप से आयात पर निर्भर हैं।

पीएलआई योजना की कल्पना कुछ इस तरह की गई है, जिसमें सरकार द्वारा सिर्फ निवेश होने, रोजगार सृजन होने और बिक्री लक्ष्य हासिल होने पर ही प्रोत्साहन दिए जाते हैं।

 

लाभ :

योजना से देश में इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के विकास को गति मिलेगी। वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकरण होने से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए एक वैश्विक हब के रूप में स्थापित होगा, जिससे आईटी हार्डवेयर निर्यात के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में उभरेगा।

  • अगले 4 साल में, इन 5 वैश्विक चैंपियंस और 10 राष्ट्रीय चैंपियंस द्वारा 3,26,000 करोड़ रुपये (3.26 लाख करोड़ रुपये) तक का कुल उत्पादन होने का अनुमान है।
  • यह समान रूप से ध्यान देने योग्य बात है कि योजना से निर्यात को भी खासा प्रोत्साहन मिलने का अनुमान है। अगले 4 साल में होने वाले कुल उत्पादन में से, 75 प्रतिशत से ज्यादा यानी 2,45,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर पूरे करने के लिए निर्यात होने का अनुमान है।
  • योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में लगभग 2,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश आएगा।
  • इस योजना के अंतर्गत अगले 4 साल के दौरान उत्पादन से 15,760 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष राजस्व मिलने का अनुमान है।
  • योजना के चलते मिलने वाले प्रोत्साहन से आईटी हार्डवेयर के लिए घरेलू मूल्य संवर्धन 2025 तक बढ़कर 20-25 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो वर्तमान में 5-10 प्रतिशत है। घरेलू विनिर्माण और घरेलू मूल्य संवर्धन दोनों में बढ़ोतरी से देश से विदेशी मुद्रा की निकासी में खासी कमी लाने में मदद मिलेगी, अन्यथा इसका बोझ भारत को उठाना होगा।
  • ऐसा अनुमान है कि योजना से देश में बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण होगा और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। योजना में 4 साल के दौरान 1,80,000 से ज्यादा रोजगार पैदा करने की संभावनाएं हैं।
  • योजना से आईटी हार्डवेयर उत्पादों के बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा और यह 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था और 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी तैयार करने के लक्ष्य में प्रमुख अंशदान होगा।

 

पृष्ठभूमि  :

चिपसेट सहित मुख्य उपकरणों के विकास और वैश्विक स्तर पर उद्योग को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए देश में प्रोत्साहन और क्षमताओं के विकास के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण (ईएसडीएम) के लिए वैश्विक हब के रूप में भारत को स्थापित करने के लिए 25.02.2019 को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति, 2019 के विजन को अधिसूचित किया गया था।

वर्तमान में, भारत में लैपटॉप और टैबलेट की मांग क्रमशः 29,470 करोड़ रुपये (4.21 अरब डॉलर) और 2,870 करोड़ रुपये (0.41 अरब डॉलर) के आयात से पूरी होती है। आईटी हार्डवेयर के बाजार में वैश्विक स्तर पर 6-7 कंपनियों का वर्चस्व है, जिनकी वैश्विक बाजार में लगभग 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ये कंपनियां वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा के सहारे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के दोहन में सक्षम हैं। इन कंपनियों के लिए भारत में अपने परिचालन का विस्तार और इसे आईटी हार्डवेयर के विनिर्माण के लिए एक प्रमुख स्थल के रूप में तैयार करना उचित है।

मौजूदा वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए, विनिर्माण क्षेत्र व्यापक बदलाव से गुजर रहा है। दुनिया की विनिर्माण कंपनियां अपने विनिर्माण स्थलों को विविधता लाने पर विचार कर रहा है, जिससे किसी एक बाजार पर निर्भरता से जुड़े जोखिम कम किए जा सकें।

पीएलआई योजनाओं से भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी स्थान बनाने और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए घरेलू चैंपियन तैयार करने में मदद मिलेगी।

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एमजी/एएम/एमपी



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