सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
नितिन गडकरी ने 18 राज्यों में 50 स्फूर्ति समूहों का उद्घाटन किया, इनसे पारंपरिक शिल्प में 42,000 से अधिक कारीगरों को सहायता मिलेगी
श्री गडकरी ने कहा- ग्रामीण उत्पादों को राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान की सहायता से
बेहतर रूप से डिज़ाइन किए जाने और उच्च बिक्री हासिल करने के
लिए बेहतर तरीके से विपणन किये जाने की आवश्यकता
Posted On:
22 FEB 2021 8:29PM by PIB Delhi
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज शाम 18 राज्यों में विस्तृत 50 शिल्पियों पर आधारित एसएफयूआरटीआई समूहों का उद्घाटन किया। आज उद्घाटन किए गए इन 50 समूहों में, 42000 से अधिक शिल्पियों को मलमल, खादी, कॉयर, हस्तकला, हथकरघा, काठ शिल्प, चमड़े, मिट्टी के बर्तन, कालीन बुनाई, बांस, कृषि प्रसंस्करण, चाय, आदि के पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग दिया गया है। भारत सरकार के सुक्ष्म, लघु और उद्यम मंत्रालय ने इन 50 समूहों के विकास के लिए लगभग 85 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की है। एमएसएमई मंत्रालय पारंपरिक उद्योगों और शिल्पियों को समूहों में संगठित करने, उनकी आय बढ़ाने और पारंपरिक उद्योगों को पुनर्स्थापित करने के लिए फंड ऑफ रिजेनरेशन ऑफ ट्रेडिशनल इंडस्ट्रीज (एसएफयूआरटीआई) को कार्यान्वित कर रहा है।
समूहों का उद्घाटन करते हुए, श्री गडकरी ने कहा कि उपभोक्ताओं को किस प्रकार के ग्रामीण उत्पादों की आवश्यकता है और इन उत्पादों को अधिक आकर्षक रूप से रूपांतरित करके बाजार में लाने के लिए और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि पारंपरिक उत्पादों के रूपांतर और आकर्षण में सुधार के लिए राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद से संपर्क किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और विदेश दोनों में इन उत्पादों को प्रभावी ढंग से बाजार में लाने के लिए अमेज़ॉन या अलीबाबा जैसे वेब पोर्टल की भी आवश्यकता है।
मंत्री महोदय ने इस तरह के समूहों के गठन की गति को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, क्योंकि घोषित किए गए 371 में से केवल 82 ही सही मामले में कार्यात्मक हैं। उन्होंने कहा कि अगर दफ्तशाही को कम किया जाए तो 5000 समूहों के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
समूहों का उद्घाटन एमएसएमई राज्य मंत्री, श्री प्रताप चंद्र सारंगी, एमएसएमई सचिव, श्री बी.बी. स्वैन, सांसद, स्थानीय विधायक और एमएसएमई मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
एमएसएमई राज्य मंत्री श्री सारंगी ने कहा कि समूहों के गठन से पारंपरिक शिल्पियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और यह सरकार की आर्थिक नीति में ग्राम को मूल रूप में बनाए रखने की सरकार की रणनीति का हिस्सा है।
इन समूहों का उद्घाटन आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में किया गया है।
पृष्ठभूमि
अद्यतन, 371 समूहों को मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, जिसमें 888 करोड़ की कुल सरकारी सहायता के साथ 2.18 लाख शिल्पियों को सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के तहत 708 करोड़ रुपये से अधिक का बजटीय आवंटन किया गया है, जिसमें से 567 करोड़ रुपये से अधिक अब तक योजना के कार्यान्वयन के लिए जारी किए जा चुके हैं। ये समूह 248 जिलों को कवर करते हुए पूरे देश में फैले हुए हैं। मंत्रालय का लक्ष्य आने वाले समय में प्रत्येक जिले में कम से कम 1 समूह को सहायता प्रदान करना है।
वर्तमान में इस योजना के अंतर्गत आने वाले विभिन्न क्षेत्रों और समूहों की संख्या इस प्रकार है:
मुख्य क्षेत्र
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हस्तकला
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कॉयर
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बांस
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शहद
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खाद्य प्रसंस्करण
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खादी
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अन्य
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कुल
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स्वीकृत समूह
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145
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41
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33
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25
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59
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10
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58
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371
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एसएफयूआरटीआई समूह दो प्रकार के होते हैं अर्थात, सामान्य समूह (500 कारीगर) जिनकी सरकारी सहायता 2.5 करोड़ रूपये और मुख्य समूह (500 से अधिक कारीगर) हैं जिनकी सरकारी सहायता 5 करोड़ तक है। कारीगरों को एसपीवी में संगठित किया जाता है, और यह (i) सोसायटी (पंजीकरण) अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक संस्था, (ii) एक उपयुक्त सांविधि के तहत एक सहकारी समिति, (iii) कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 465 (1) के तहत एक निर्माता कंपनी (iv) कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) के अंतर्गत एक सैक्शन 8 कंपनी अथवा (v) एक ट्रस्ट हो सकती है।
इस योजना के तहत, मंत्रालय विभिन्न सुविधा केंद्रों (सीएफसी) के माध्यम से बुनियादी ढांचे की स्थापना, नई मशीनरी की खरीद, कच्चे माल के स्टोर बनाने, डिजाइन हस्तक्षेप, बेहतर पैकेजिंग, विपणन में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे, बेहतर कौशल और प्रशिक्षण के लिए क्षमता विकास के साथ-साथ सहित विभिन्न हस्तक्षेपों जैसी सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, योजना हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ समूह शासन प्रणालियों को मजबूत करने पर केंद्रित है, ताकि वे उभरती चुनौतियों और अवसरों का आकलन करने में सक्षम हों और नवीन और पारंपरिक कौशल, बेहतर प्रौद्योगिकियों, उन्नत प्रक्रियाओं और बाजारों एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के नए मॉडल के निर्माण के माध्यम से उनका समाधीन कर सकें ताकि धीरे-धीरे समूह-आधारित पारंपरिक उद्योगों के समान मॉडल को दोहराया जा सके।
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(Release ID: 1700131)
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