विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

चेन्नई के डीएसटी इन्सपायर से जुड़े प्राध्यापक  ट्रांसजेनिक जेब्राफिश का उपयोग कर वैकल्पिक कैंसर - रोधी चिकित्सा पर काम कर रहे हैं

Posted On: 20 JAN 2021 1:52PM by PIB Delhi

हमारे वैज्ञानिक एक ऐसी वैकल्पिक कैंसर-रोधी चिकित्सा की संभावना तलाशने में जुटे हैंजिसमें ट्यूमर जनित नई रक्त वाहिकाओं की संरचना, जो शरीर के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाताहै और जिसेतकनीकी रूप से एंजियोजेनेसिस कहा जाता है, को लक्ष्य करना शामिल है।

कैंसर की वृद्धि में एंजियोजेनेसिस की अहम भूमिका होती है क्योंकि ट्यूमर को आकार में बड़ा होने के लिए रक्त की आपूर्ति की जरूरत होती है। ट्यूमर दरअसल एंजियोजेनेसिस को उत्तेजित करने वाले रासायनिक संकेतों को बंद करके रक्त कोशिकाओं के विकास को गति प्रदान करते हैं। ट्यूमर के आकार में वृद्धि और उसके गंभीर होने का मुख्य कारण एंजियोजेनेसिस के विनियमन में कमी आना है।

कीमोथेरेपी के बाद ट्यूमर एंजियोजेनेसिस को रोकना कैंसर रोधी चिकित्सा की एक लोकप्रिय रणनीति बन गई है।हालांकिनैदानिक ​​रूप से स्वीकृत एंजियोजेनिक - रोधीदवाएं अणुओं के  प्रवाहका समावेश करने वाले विभिन्न प्रतिपूरक प्रक्रियाओं,जो ट्यूमर एंजियोजेनेसिस को सहायता प्रदान करती हैं, के समानांतर रूप से सक्रिय होने के कारण प्रभावहीन साबित होती हैंऔर एंजियोजेनिक - रोधीचिकित्सा को विकसित करने के लिए इन प्रक्रियाओं की जांच जरूरी है।

चेन्नई स्थित अन्ना विश्वविद्यालयके सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजीसे जुड़े डॉ. विमलराज सेल्वराज, जिन्हें भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा स्थापित इन्सपायर फैकल्टी फैलोशिप प्राप्त है, कैंसर चिकित्सा के प्रमुख लक्ष्य के रूप में प्रतिपूरक एंजियोजेनेसिस का संकेत देने वाले संकेतकों की भूमिका के बारे में खोज कर रहे हैं।

उन्होंने इस तथ्य का पहले ही पता लगा लिया है कि ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट के तहत नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ) एंजियोजेनेसिस को बंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और मेलाटोनिन हार्मोन ट्यूमर एंजियोजेनेसिस को दबा देता है।माइक्रोवास्कुलर रिसर्च, लाइफ साइंसेज और नाइट्रिक ऑक्साइड जैसी शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित शोधने यह बताया है कि प्रतिपूरक प्रक्रियाएं कैंसर - रोधी कारगर उपचार के विकास में एक संभावित चिकित्सीय लक्ष्य हो सकती हैं।

इन्सपायर फैकल्टी प्रोग्राम की सहायता से डॉ. विमलराज और उनकी शोध टीम ट्यूमरमाइक्रोएन्वायरमेंट में प्रतिपूरक एंजियोजेनेसिस प्रक्रियाओं का आगे अध्ययन करने के लिए सीआरआईएसपीआर / सीएएस 9 जीन-एडिटिंग टूल का उपयोग करके ट्रांसजेनिक ज़ेब्राफिश (जिनके जीनोम में एक्सोजेनस जीन को जोड़ा गया है) को विकसित करने के लिए आगे काम कर रही है।दो प्रकार के एंजियोजेनेसिस (स्प्राउटिंग एंजियोजेनेसिस और इंट्यूससेप्टिव एंजियोजेनेसिस) और उनके आण्विकप्रक्रियाओंके बीच बायोमोलेक्यूल्स की विभेदक अभिव्यक्ति का विश्लेषण ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट में ट्रांसजेनिक जेब्राफिश मॉडल का उपयोग करके किया जाएगा।

इस परियोजना के अगले चरण में ट्रांसजेनिक या सीआरआईएसपीआर / सीएएस 9 एडिटेडजेब्राफिश प्लेटफार्म (टीजेडपी) का उपयोग एंटी या प्रो-एंजियोजेनेसिस के रूप में किसी दवा की प्रभावशीलता का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है।

ट्रांसजेनिक ज़ेब्राफिश मॉडल को इसके तेज विकास, दृष्टिगत रूप से पारदर्शी होने, वंशजों में उच्च उपज, और फॉरवर्डएवं रिवर्स जीन मैनीपुलेशन के लिए आसान तकनीकों के कारण इंट्यूससेप्टिव एंजियोजेनेसिस अध्ययन के लिए चुना गया है।इस परियोजना के अगले चरण में एंटी या प्रो-एंजियोजेनेसिस के रूप में किसी दवा की प्रभावशीलताका अध्ययन करने के लिए सीआरआईएसपीआर / सीएएस 9 एडिटेडजेब्राफिश प्लेटफार्म का भी उपयोग किया जाएगा।

 

विमलराज सेल्वराज, डीएसटी - इन्सपायर से संबद्ध प्राध्यापक

 

विस्तृत विवरण के लिए डॉ. विमलराज सेल्वरा(vimalr50@yahoo.com, vimalr50@annauniv.edu) से संपर्क करें।

 

 

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