खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
46 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं का संचालन
134 स्वीकृत परियोजनाओं को 2026.32 करोड़ रुपए निजी निवेश की उम्मीद
134 परियोजनाओं से 77,330 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा
सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता के लिए पीएमएफएमई योजना की शुरुआत
पीएमएफएमई योजना के तहत 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 554 ओडीओपी (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) की मंजूरी
ऑपरेशन ग्रीन योजना में टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) के अतिरिक्त 41 अधिसूचित बागवानी फसलों को शामिल किया गया
व्यापार सुगमता के लिए शिकायत सेल और टास्क फोर्स का गठन
किसान रेल स्कीम के तहत परिवहन सब्सिडी को बढ़ाना
ट्राईफूड उत्पादों के मार्केटिंग के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए
निवेश को बढ़ाने के लिए प्रोजेक्ट डेवलपमेंट सेल का गठन
Posted On:
31 DEC 2020 6:41PM by PIB Delhi
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। कुछ प्रमुख उपलब्धियां और कदम निम्नानुसार हैं:
1. इन्फ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं का निर्माण
कुल 46 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को पूरा / परिचालन किया गया। मेगा फूड पार्क- 3, कोल्ड चेन- 15, यूनिट- 21, खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं- 7
- कुल 46 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं के पूरे होने से कृषि उपज की अतिरिक्त प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता बढ़कर 31.52 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष हो गई। 15 कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं से अतिरिक्त दूध प्रसंस्करण और भंडारण क्षमता 56.99 (लाख लीटर/प्रति दिन) हो गया। वहीं, फलों और सब्जियों के आईक्यूएफ (इंस्टेंट क्विक फ्रीजिंग) 11.80 मीट्रिक टन / घंटे का हो गया।
- 46 पूर्ण परियोजनाओं को 771.79 करोड़ रु. निजी निवेश का लाभ मिला और इससे 24,567 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला।
2. नई मूलभूत सुविधाओं को मंजूरी
कुल 134 खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को मंजूरी; एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर- 21, कोल्ड चेन- 47, यूनिट- 43, बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज- 8, ऑपरेशन ग्रीन्स- 3 और फूड टेस्टिंग लेबोरेटरीज- 12
- 134 नई खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला परियोजनाएं प्रतिवर्ष 38.3 लाख मीट्रिक टन कृषि उपज के अतिरिक्त प्रसंस्करण और संरक्षण क्षमता बनाएंगी। 47 कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं फलों और सब्जियों के 13.10 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) और 34.20 मीट्रिक टन /आईक्यूएफ (इंस्टेंट क्विक फ्रीजिंग) के अतिरिक्त दूध प्रसंस्करण और भंडारण क्षमता बनाएंगी।
- नई 134 स्वीकृत परियोजनाओं से 2026.32 करोड़ रुपये के निजी निवेश से लाभ मिलने की उम्मीद है और इससे 77,330 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
3. कोविड-19 पहल और शिकायत निवारण
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निरंतर विकास को बनाए रखने के लिए कई पहल कर रहा है। लॉकडाउन के दौरान कई क्षेत्रों की भांति खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को भी कई अड़चनें झेलनी पड़ी। इससे प्लांट के बंद होने, लॉजिस्टिक्स में गड़बड़ी और कामगारों की आवाजाही में दिक्कत, प्रोसेसिंग और मैन्युफैक्चरिंग साइट्स पर श्रमिकों की अनुपलब्धता के साथ-साथ डिमांड में भारी गिरावट, लिक्विडिटी क्रंच ने इस सेक्टर को खासा प्रभावित किया।
- लॉकडाउन की घोषणा के तुरंत बाद ही, मंत्रालय ने अपने समर्पित कार्य बल के माध्यम से एक्टिव एप्रोच को अपनाया। खाद्य और इससे जुड़े उद्योंगों की समस्याओं का तत्काल निवारण किया गया।
- इस दौरान इस मंत्रालय की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि इसने पूरे देश में खाद्यान्न की निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला और उसकी उपलब्धता बनाए रखा।
- मंत्रालय ने एक शिकायत प्रकोष्ठ और एक टास्क फोर्स का गठन किया। अपने कार्यों को फिर से शुरू करने में सैकड़ों इकाइयों की इसने काफी मदद की।
- लॉकडाउन की अवधि के दौरान 585 मुद्दों को हल किया गया।
- सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में 363 प्रमुख प्रोसेसिंग कंपनियों की क्षमता का समुचित उपयोग और उत्पादन में तेजी लाने के लिए मदद पहुंचाई गई।
- उद्योग संघों, प्रमुख कंपनियों, निर्यातकों, एफपीओ, खुदरा विक्रेताओं और अन्य हितधारकों के साथ जमीनी स्तर पर स्थिति का आकलन करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 7 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें लॉकडाउन के बाद उद्योंगों की आवश्यकताओं पर भी चर्चा की गई। ताकि आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत इस क्षेत्र को अधिक से अधिक लाभ मिल सके।
4. आत्मानिर्भर भारत अभियान
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमियों को वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर पीएम फॉर्मालाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड इंटरप्राइजेज (पीएमएफएमई) योजना शुरू की। इस योजना को 10,000 करोड़ रुपये की मदद से 2020-21 से 2024-25 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए लागू किया जाना है।
- इस योजना को 20 मई, 2020 को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित किया गया था और 19 जून, 2020 को दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। इस योजना को 29 जून, 2020 को केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री और एफपीआई द्वारा शुरू किया गया था।
- माननीय केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री और एफपीआई द्वारा 19 नवंबर, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत के जीआईएस ओडीओपी डिजिटल मानचित्र को लॉन्च किया गया। नक्शा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ओडीओपी उत्पादों का विवरण प्रदान करता है। डिजिटल मैप में ट्राइबल, एससी, एसटी और आकांक्षी जिलों के संकेतक भी हैं। यह मैप हितधारकों को मूल्य श्रृंखला विकास के लिए मदद करता है।
- 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 554 ओडीओपी को आज तक मंजूरी प्रदान गई है।
क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण
- केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्यमंत्री और एफपीआई ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फल और सब्जी प्रसंस्करण और ईडीपी के लिए मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण शुरू किया।
- खाद्य प्रसंस्करण पर एनआईएफटीईएम और आईआईएफपीटी द्वारा 22 डीपीआर, 99 ऑडियो वीडियो ट्यूटोरियल और पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया गया और उसे अपलोड किया गया है।
समझौता ज्ञापन और संयुक्त पत्र अनुबंध
- 20 नवंबर, 2020 को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत योग्य स्वयं सहायता समूहों (एसएचजीएस) की पहचान और डेटा संग्रह, लाभार्थियों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, डीएवाई-एनआरएलएम की क्षमता का लाभ उठाने, लाभार्थियों को बीज और पूंजीगत सब्सिडी का लाभ उठाने तथा उनके उत्पादन का विपणन और ब्रांडिंग शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ संयुक्त पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें पीएमएफएमई योजना के तहत ट्राईफूड उत्पादों को मार्केटिंग सपोर्ट और चिह्नित किए गए लाभार्थियों को अपने राज्य, जिला और क्षेत्रीय स्तर पर उनके उत्पादों का क्षमता निर्माण करना शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ)/एसएचजी/सहकारी समूहों द्वारा उत्पादित कृषि खाद्य उत्पादों को एक नए ब्रांड ‘नेफेड फूड’ के तौर पर मार्केटिंग और विकास करना शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत आईसीएमआर के विभिन्न संस्थानों द्वारा विकसित खाद्य प्रसंस्करण तकनीक, पैकेजिंग और मशीनरी की सुविधा के बारे में विस्तृत जानकारी देना शामिल है। जो कि सूक्ष्म उद्यमों, एफपीओ, एसएचजी और सहकारी समितियों के लिए अतिमहत्वपूर्ण है।
- 18 दिसंबर, 2020 को राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें पीएमएफएमई योजना के तहत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों में लगे सहकारी समितियों को मदद पहुंचाना शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें पीएमएफएमई योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण में शामिल अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के स्वामित्व वाले व्यक्तिगत उद्यमों / एसएचजी / एफपीओ, के लिए क्षमता निर्माण, अनुसंधान, प्रशिक्षण और विकास सहायता पहुंचाना शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को आदिवासी सहकारी विपणन विकास संघ के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इसमें पीएमएफएमई योजना के तहत आदिवासियों द्वारा उत्पादित उत्पादों के लिए एक नए ब्रांड ‘ट्राईफूड’ के विकास, विपणन, उचित पैकेजिंग, उत्पादों का विकास करना शामिल है।
- 18 दिसंबर, 2020 को नोडल बैंक के रूप में यूनियन बैंक के साथ एक करारनामे पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत ऋणदाता बैंकों से लेन-देन, आवेदनों के लक्षित अनुमोदन के लिए ऋण और लाभार्थियों को सब्सिडी का समय पर वितरण शामिल है।
परियोजना कार्यान्वयन योजना
- 7 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की परियोजना कार्यान्वयन योजनाओं को स्वीकृत कर दिया गया है।
राज्य स्तर के तकनीकी संस्थान
- 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य स्तरीय तकनीकी संस्थानों को स्वीकृत कर दिया गया है।
वित्तीय सहायता
- 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 93.83 करोड़ रुपये जारी किए गए।
- एनआईएफटीईएम और आईआईएफपीटी को 10 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।
ऑपरेशन ग्रीन स्कीम- इसके तहत टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) के अतिरिक्त 41 अधिसूचित बागवानी फसलों के परिवहन और भंडारण के सब्सिडी को छह माह के लिए बढ़ा दिया।
- इस योजना को 11.06.2020 को अधिसूचित किया गया और 24.07.2020 और 12.10.2020 को संशोधित किया गया।
- योजना के तहत सब्सिडी प्राप्त करने के लिए 21 फल और 20 सब्जी फसलों को अधिसूचित किया गया है। फसलों की सूची, अधिशेष उत्पादन समूह और संबंधित मूल्य मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
- सब्सिडी की मांग के लिए ऑनलाइन पोर्टल सेटअप किया गया।
- पोर्टल पर 24 दिसंबर तक 30 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से 3,195 आवेदकों ने पंजीकरण कराया है।
- इनमें से 5,268 मीट्रिक टन प्याज और 545 मीट्रिक टन केला के परिवहन और 1,225 मीट्रिक टन गाजर के भंडारण के लिए 94.14 लाख रुपये के 12 दावों को मंजूरी दी गई।
- किसान रेल स्कीम के तहत परिवहन सब्सिडी को बढ़ाया गया। भारतीय रेलवे किसान रेल स्कीम के तहत कितनी भी क्षमता के माल के परिवहन पर 50% शुल्क वसूलकर आवेदक को सीधे सब्सिडी प्रदान कर रहा है। रेलवे बाकी का 50% शुल्क खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा जमा राशि से हासिल करेगा। 23.10.2020 को मंत्रालय ने रेलवे को 10 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। हाल ही में, मंत्रालय ने भारतीय रेलवे द्वारा किसी भी खाद्य उत्पादों के परिवहन के लिए सब्सिडी की अनुमति दी है।
- पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र के राज्यों से हवाई मार्ग द्वारा लाए जा रहे सभी अधिसूचित खाद्य उत्पादों को परिवहन सब्सिडी प्रदान करने के लिए योजना में संशोधन किया गया है। एयरलाइंस कंपनियां सभी फलों और सब्जियों के लिए किसानों से 50% भाड़ा वसूल करेगी।
- जम्मू-कश्मीर से सेब के भंडारण और परिवहन के लिए पात्र संस्थाओं को 50% सब्सिडी प्रदान करने के लिए योजना में संशोधन किया गया है। इसके लिए नैफेड को 10 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
5. विज्ञापन गतिविधियां
- 21-23 फरवरी 2020 को महिला केंद्रित तीन दिवसीय ऑर्गेनिक फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य महिला उद्यमियों के क्षमता निर्माण और आर्थिक सशक्तिकरण का अवसर देना था। इसके अलावा, इस फूड फेस्टिवल के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के लूलू ग्रुप के साथ बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) सत्र का आयोजन किया गया।
- भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर ‘यूनाइटेड बाय फूड’ नामक एक मासिक जागरूकता अभियान शुरू किया। इसमें देश के विभिन्न हिस्सों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रसिद्ध व्यंजनों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बारे में बताया गया।
- सितंबर में, मंत्रालय ने महिला और बाल कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर पोषण माह अभियान ‘प्रोसेस्ड यानिपौष्टिक’ नामक अभियान शुरू किया।
- अक्टूबर में, मंत्रालय ने ‘अन्न देवो भव’ नामक एक सोशल मीडिया अभियान शुरू किया जिसका उद्देश्य लोगों को पारंपरिक भोजन के साथ-साथ प्रसंस्कृत भोजन के बारे में जानकारी प्रदान करना था। इस अभियान में, मंत्रालय द्वारा 1,10,000 रुपये के पुरस्कारों की ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी।
- मंत्रालय ने लोगों के बीच कोविड-19 के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपने सोशल मीडिया पर त्योहारी सीजन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर कई पोस्ट डाले। कोरोना की सावधानियों से संबंधित कई पोस्टर और बैनर कार्यालय के विभिन्न स्थानों पर लगाए गए थे।
6. निवेश प्रोत्साहन
निवेश को बढ़ावा देने के लिए 17 जून, 2020 को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय में एक परियोजना विकास प्रकोष्ठ का गठन किया गया। इसका उद्देश्य निम्न हैं :
- संभावित निवेश योग्य परियोजनाओं के विकास संबंधी मुद्दे, कंपनी संबंधी मुद्दे और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के लाभ पर जागरुकता फैलाने आदि को लेकर राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ बातचीत करना।
- कृषि-खाद्य कंपनियों के साथ निवेश हितों या अन्य मुद्दों को सुविधाजनक बनाने के लिए चर्चा करना।
- केंद्र शासित प्रदेशों में कृषि-प्रसंस्करण क्लस्टर (एपीसी) की स्थापना के साथ लद्दाख सरकार को भी सुविधा प्रदान करना
7. संस्थान
- एनआईएफटीईएम (निफ्टेम)
- एनआईएफटीईएम टेक्नोलॉजी इनोवेशन एंड बिजनेस इन्क्यूबेशन फाउंडेशन (एनटीआईबीआईएफ) और कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना फूड टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम में स्टार्टअप्स की देखभाल और इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ सहयोगात्मक रिसर्च के लिए की गई है।
- एक मजबूत स्वचालित परीक्षा प्रणाली स्थापित की गई है, जिसमें छात्रों का पंजीकरण, प्रश्न पत्रों का निर्माण, ऑनलाइन मूल्यांकन, सेमेस्टर वार परिणाम घोषणा और फाइनल ग्रेड रिपोर्ट बनाने तक शामिल है।
- एनआईएफटीईएम फूड टेस्टिंग लैब (सीएफआरए) को 2200 से अधिक गुणवत्ता मानकों के विश्लेषण के लिए एकीकृत मान्यता प्रणाली से सम्मानित किया गया है।
II. आईआईएफपीटी
ए. भारतीय खादय प्रसंस्करण टेक्नोलॉजी संस्थान (आईआईएफटीपी)
द्वारा तकनीक और स्वदेशी उपकरण का विकास:
- स्वदेशी फूड 3डी प्रिंटर। फूड 3डी प्रिंटिंग तकनीक खाद्य उत्पादों में पोषण की मौजूदगी के साथ-साथ उसके बेहतर प्रसंस्करण की भी सुविधा देता है।
- नारियल पानी के लिए एकीकृत संग्रह और छानने की इकाई। इसका उपयोग मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों में किया जा सकता है। इससे पानी को साफ तरीके से एकत्र किया जा सकता है।
- नन-थर्मल (कोल्ड) प्लाज्मा ट्रीटमेंट इकाई विकसित किया गया है। इससे दूध का परिशोधन और परीक्षण किया जाता है।
- नारियल तेल के थर्मल ऑक्सीकरण के परीक्षण के लिए मल्टी-एंजाइम बेस्ड एम्परोमेट्रिक बायोसेंसर विकसित किया गया। इसका उपयोग तेलों के क्वालिटी टेस्टिंग के लिए किया जा सकता है।
अनुसंधान, प्रशिक्षण और परामर्श सेवाओं के लिए बनाई गई नई सुविधाएं :
- भारत का पहला खाद्य ग्लाइसेमिक सूचकांक और खाद्य विघटन कायनेटिक्स टेस्टिंग फैसिलिटी। इस सेंटर में एशिया के पहले मानवनिर्मित ह्यूमन डाइजेस्टिव सिस्टम का प्रयोग होता है। यह सुविधा नए खाद्य उत्पादों के विकास के लिए व्यावसायिक महत्व रखती है।
- पायलट-स्केल आइसक्रीम प्लांट (100 ली/ बैच की क्षमता)
- फ्रूट जूस (कार्बोनेटेड और नन-कार्बोनेटेड) प्रसंस्करण पायलट संयंत्र (100 लीटर /घंटे की क्षमता) (एमएसएमई वित्त पोषित)
- पायलट स्केल स्प्रे ड्रायर (3 किलो/घंटे की क्षमता के साथ)
- नारियल तेल संयंत्र (1000 नट्स/ दिन की क्षमता) (नारियल विकास बोर्ड वित्त पोषित)
छात्र एवं अकादमिक प्रदर्शन
नेस्ले, आईटीसी, एमटीआर, कैविंकरे, ब्रिटानिया, आची आदि प्रमुख खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में 100% छात्रों का प्लेसमेंट।
पीएमएफएमई योजना के तहत क्षमता निर्माण
- आईआईएफपीटी, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के तहत केंद्र प्रायोजित पीएमएफएमई योजना के क्षमता निर्माण और इन्क्यूबेशन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का तकनीकी नोडल संस्थान है।
- आईआईएफपीटी ने जिला स्तर पर मास्टर ट्रेनर्स (टीओएमटी), प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) और लाभार्थियों के प्रशिक्षण के लिए विभिन्न स्तरों पर पाठ्यक्रम तैयार किया है।
- आईआईएफपीटी ने विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के तकनीकी संस्थानों के साथ समन्वय किया है और पीएमएफएमई योजना के तहत कॉमन इन्क्यूबेशन फैसिलिटी की स्थापना के लिए दिशानिर्देश पुस्तिका का संकलन भी किया है।
कोविड-19 से राहत की गतिविधियां
- आईआईएफपीटी ने तंजावुर मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन को संस्थान के फूड प्रोसेसिंग बिजनेस इन्क्यूबेशन सेंटर में तैयार स्वास्थवर्द्धक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराया, ताकि कोविड-19 से लड़ने में मदद मिले। यह पहल 21 अप्रैल, 2020 को शुरू हुई और अगस्त 2020 तक चली।
- पुलिस विभाग और कोरोना योद्धाओं के लिए हैंड सैनिटाइजर तैयार किए गए और इसकी लगातार आपूर्ति की गई।
- तंजावुर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल को अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक कोरोना टेस्ट के लिए आरटी-पीसीआर उपकरण दिया गया। 2 लाख से अधिक नमूनों का परीक्षण किया गया।
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