पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय

फ्लैश फ्लड गाइडेंस सर्विसेज का शुभारंभ जो भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए अपनी तरह की पहली सेवा है


देश में मौसम विज्ञान अवलोकन संबंधी नेटवर्क में वृद्धि हुई

वर्ष 2020 में 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट के अलावा 102 नई जिलास्‍तरीय एग्रोमेट फील्ड यूनिट स्थापित हुईं

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा उष्णकटिबंधीय चक्रवात अम्फान, निसर्ग और निवार की सटीक और समय पर भविष्यवाणी

सुनामी की तैयारी के लिए इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन (आईओसी) - यूनेस्‍को द्वारा मान्यता का प्रमाण पत्र एवं प्रशंसा का प्रमाण पत्र, यह हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी तरह का पहला प्रमाणन है

दिल्ली में वायु प्रदूषण की चरम स्थिति की भविष्यवाणी करने और उचित कदम उठाने के लिए समय पर चेतावनी जारी करने के लिए एक हाई-रिजॉल्‍यूशन (400 मीटर) वायु गुणवत्ता भविष्यवाणी प्रणाली विकसित

भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के आकलन पर जून 2020 में एक नई पुस्तक प्रकाशित हुई

Posted On: 01 JAN 2021 6:06PM by PIB Delhi

पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली के पांच घटकों - वायुमंडल, जलमंडल, हिममंडल, थलमंडल एवं जीवमंडल और उनके जटिल पारस्‍परिक क्रियाओं से संबंधित है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) मौसम, जलवायु, महासागर, तटीय स्थिति, जलीय एवं भूकंपीय सेवाएं प्रदान करने के लिए पृथ्वी प्रणाली विज्ञान से संबंधित सभी पहलुओं पर समग्र रूप से ध्‍यान केंद्रित करता है। सेवाओं में विभिन्न चक्रवातों, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, तूफानी लहर, बाढ़, लू, आंधी तूफान, भूकम्प आदि विभिन्‍न प्राकृतिक आपदाओं का पता लगाना, पूर्वानुमान, चेतावनी जारी करना शामिल हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के कार्यों में महासागर का सर्वेक्षण करना, सजीव एवं निर्जीव संसाधनों का पता लगाना और तीनों ध्रुवों (आर्कटिक, अंटार्कटिक और हिमालय) के बारे में जानकारी हासिल करना शामिल है। मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का उपयोग विभिन्न एजेंसियों और राज्य सरकारों द्वारा मानव जीवन को बचाने और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान को कम करने के लिए किया जाता है।

पांच प्रमुख योजनाओं के तहत वर्ष 2020 की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

1. वायुमंडलीय एवं जलवायु अनुसंधान: अवलोकन प्रणाली एवं सेवाओं की मॉडलिंग (एसीआरओएसएस)

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने उष्णकटिबंधीय चक्रवात अम्फान, निसर्ग और निवार की सटीक और समय पर भविष्यवाणी की। इससे आपदा प्रबंधन एजेंसियों के फील्डवर्क के साथ हजारों अनमोल जीवन को बचाने में मदद मिली। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के ट्रैक और उनकी तीव्रता के पूर्वानुमान में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 2006 और 2020 के बीच ट्रैक एवं भूस्‍खलन के 24 घंटे के पूर्वानुमान में त्रुटियां क्रमश: 141 किलोमीटर से घटकर 73 किलोमीटर और 99 किलोमीटर से 18 किलोमीटर तक रह गई हैं।

 

  • इस साल फ्लैश फ्लड गाइडेंस सर्विसेज को लॉन्च किया गया जो भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों के लिए अपनी तरह की पहली सेवा है।
  • देश में मौसम संबंधी अवलोकन नेटवर्क का विस्‍तार: भारतीय मौसम विभाग ने मौसम संबंधी अवलोकन का नेटवर्क बढ़ाने के लिए चार महत्वपूर्ण पहल की गईं जो इस प्रकार हैं:
    • लेह के मौसम विज्ञान वेधशाला को पूर्ण मौसम केंद्र के रूप में अपग्रेड किया गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्री द्वारा इसका उद्घाटन 29 दिसंबर, 2020 को किया गया।
    • विशाखापत्तनम, मछलीपट्टनम, चेन्नई, गोवा, कुड्डलोर, भुवनेश्वर, काकीनाडा, पुरी, ओंगोले, दीघा, कवाली, हल्दिया, पंबन, गोपालपुर, कन्याकुमारी, वेरावल और भुज में 17 उच्च पवन गति के रिकार्डर लगाए गए।
    • पृथ्वी एवं वायुमंडलीय अध्ययन के लिए 25 ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) स्टेशनों का एक देशव्यापी नेटवर्क स्‍थापित किया गया। इन स्‍टेशनों को एकीकृत वेगवान जल वाष्प प्राप्त करने के लिए चालू किया गया है।
    • नई दिल्‍ली के आईजीआई हवाई अड्डे और हिसार में नवंबर 2020 से मार्च 2021 तक विंटर फॉग एक्सपेरिमेंट (डब्‍ल्‍यूआईएफईएक्‍स) के चरण का आयोजन किया जा रहा है।
  • वर्ष 2020 के दौरान 102 नई जिलास्‍तरीय एग्रोमेट फील्ड यूनिट की स्थापना की गईं। ये 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट के अतिरिक्त हैं। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रत्येक मंगलवार और शुक्रवार को 1,200 ब्लॉक के लिए प्रायोगिक ब्लॉक स्तरीय एग्रोमेट सलाहकार बुलेटिन शुरू किए गए।
  • माननीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री द्वारा 27 जुलाई, 2020 को मोबाइल ऐप्लिकेशन 'मौसम' को लॉन्च किया गया।
  • एक वायुमंडलीय अनुसंधान परीक्षण (एआरटी) बेड स्थापित करने की दिशा में काम किया गया: पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के सिहोर जिले के सिलखेड़ा गांव में एक एआरटी स्थापित करने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सरकार से 100 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। एआरटी कार्यक्रम कहीं अधिक केंद्रित अवलोकन एवं विश्लेषणात्मक अनुसंधान प्रयास है जो अवलोकन पद्धति और मॉनसून की भविष्यवाणी के मॉडल में सुधार लाने के लिए मॉडल गणनाओं के साथ अवलोकन की तुलना करेगा।
  • 01 जुलाई, 2020 से इंटरनेशनल ग्रैंड ग्लोबल एनसेंबल (टीआईजीजीई) वैश्विक लेखागार के लिए दस दिनों तक 21 सदस्यों का ग्‍लोबल एनसेंबल फोरकास्‍ट सिस्‍टम (जीईएफएस) प्रदान किया गया।
  • भारत में विस्तारित रेंज टाइम स्केल (2-3 सप्ताह पहले) में बीमारी संबंधी संभावित पूर्वानुमान के लिए एक विधि विकसित की है। यह एक अप्रकाशित पैटर्न मान्यता तकनीक पर आधारित है जो मौसम संबंधी मापदंडों का उपयोग इनपुट के रूप में करता है जिसे भारत के किसी भी भौगोलिक स्थान पर लागू किया जा सकता है। इसी प्रणाली के आधार पर 2021 में मॉनसून सीजन से पूर्वानुमान तैयार किए जाएंगे।
  • दिल्ली में अत्यधिक वायु प्रदूषण की स्थिति की भविष्यवाणी करने और भारत सरकार के नवनिर्मित ग्रेडेड रिस्पॉन्‍स एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत आवश्यक कदम उठाने के लिए समय पर चेतावनी जारी करने के लिए एक हाई-रिजॉल्यूशन (400 मीटर) परिचालन वायु गुणवत्ता भविष्यवाणी प्रणाली विकसित की गई है। इस प्रणाली को पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय और अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (एनसीएआर) के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के आकलन पर जून 2020 में एक खुली पुस्तिका प्रकाशित की गई। यह भारतीय जलवायु क्षेत्र के लिए पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की पहली जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट है। इसमें हिंद महासागर के समीप भारतीय उपमहाद्वीप में हिमालय और क्षेत्रीय मॉनसून पर मानव-प्रेरित वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की गई है।
  • मैसर्स एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से इनसैट-3डी, इनसैट-3डीआर, और इनसैट-3डीएस उपग्रहों के लिए एमएमडीआरपीएस (विभिन्‍न मिशन के लिए मौसम संबंधी डेटा जुटाने एवं उसके प्रॉसेसिंग की प्रणाली) की स्थापना की गई है। एमएमडीआरपीएस परियोजना के तहत समर्पित नए पृथ्वी स्टेशन स्‍थापित किए गए हैं जिसमें इनसैट-3डी, इनसैट-3डीआर, और आगामी इनसैट-3डीएस उपग्रहों से डेटा प्राप्त करने की क्षमता है। भारतीय मौसम विभाग ने उपग्रह से प्राप्‍त डेटा के विजुएलाइजेशन और वास्‍तविक समय के आधार पर विश्लेषण टूल रियल-टाइम एनालिसिस प्रोडक्‍ट एंड इंफॉर्मेशन डिसेमिनेशन (आरएपीआईडी) की मेजबानी की है।
  • इस अवधि के दौरान नोएडा के नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्टिंग (एनसीएमआरडब्‍ल्‍यूएफ) में अपने वैश्विक एवं क्षेत्रीय वायुमंडलीय डेटा सम्मिलन प्रणाली में कई नए अवलोकन को प्राप्‍त करना और उनका उपयोग करना शुरू किया। कॉम्‍पसैट-5, कॉस्मिक-2, मेटॉप-सी, पीएजेड, एफवाई-3सी और एफवाई-3डी आदि प्लेटफार्मों से ग्लोबल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम- रेडियो ऑक्युलेशन (जीएनएसएस-आरओ) डेटा, यूरोप के लिए विंड प्रोफाइलर अवलोकन जैसे नए वैश्विक डेटा सेट हैं जिन्हें वैश्विक डेटा सम्मिलन प्रणाली में परिचालन के तौर पर सम्मिलित किया जा रहा है।
  • वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रगति को शामिल करने के लिए वैश्विक एवं क्षेत्रीय डेटा सम्मिलन (डीए) प्रणाली का उन्‍नयन किया गया। नई डीए प्रणाली में बादल से प्रभावित उपग्रह माइक्रोवेब अवलोकनों में से कुछ को आत्मसात करने की क्षमता है। एनसीएमआरडब्‍ल्‍यूएफ द्वारा दो हाई रिजॉल्यूशन रीएनालिसिस डेटा सेट तैयार किए गए थे। पहला डेटासेट में एनसीयूएम मॉडल का उपयोग किया गया है। यह भारतीय क्षेत्र में 12 किमी क्षैतिज रिजॉल्‍यूशन पर 40 वर्षों (1979-2018) के लिए क्षेत्रीय डेटासेट है। दूसरा डेटासेट 20 साल (1999-2018) के लिए वैश्विक डेटासेट है जिसमें एनजीएफएस प्रणाली का उपयोग किया गया है और यह 25 किमी रिजॉल्‍यूशन पर है।

 

2. सर्विसेज, मॉडलिंग, एप्लिेकशन, रिसोर्सेज एंड टेक्‍नोलॉजी (-स्‍मार्ट)

 

  • जनवरी से नवंबर 2020 तक लगातार मछली पकड़ने के संभावित क्षेत्र बारे में एडवाइजरी जारी की गई। एडवाइजरी स्मार्ट-मैप और विभिन्‍न भाषाओं में जारी की गईं जो उपग्रह डेटा की उपलब्‍धता, मछली पकड़ने संबंधी प्रतिबंध और समुद्र की प्रतिकूल स्थिति पर आधारित थीं।
  • भारत के समुद्र तटीय क्षेत्र में मछली पकड़ने वाले छोटे-छोटे जहाजों को समुद्र की स्थिति के बारे में सूचना प्रदान करने के लिए स्‍मॉल वेस्‍सेल एडवाइजरी एंड फोरकास्‍ट सर्विसेज सिस्‍टम (एसवीएएस) का शुभारंभ किया गया।
  • इंटरगवर्नमेंटल ओशनोग्राफिक कमीशन (आईओसी) - यूनेस्‍को से सुनामी की तैयारी के लिए मान्यता प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया। यह 07 अगस्त, 2020 को एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से ओडिशा के वेंकटराईपुर एवं नोलियासाही गांव के समुदायों और ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) के अधिकारियों को प्रदान किया गया। यह हिंद महासागर क्षेत्र में अपने प्रकार का पहला प्रमाणन है।
  • महासागरीय डेटा के प्रबंधन के लिए एक अभिनव वेब-एप्लिकेशन परियोजना- डिजिटल ओशन का शुभारंभ किया गया। पृथ्वी विज्ञान मंत्री द्वारा 29 दिसंबर, 2020 को इसका उद्घाटन किया गया। यह उन्नत दृश्य (3डी एवं 4डी एनिमेशन सहित) और विश्लेषण टूल के साथ विषम महासागर डेटा को कुशलतापूर्वक एकीकृत और प्रबंधित करने के लिए एक डायनेमिक ढांचा प्रदान करता है।
  • अगस्त 2020 में आयोजित क्रूज से आंकड़ों के आधार पर आंध्र प्रदेश तट के लिए एक तटीय जल गुणवत्ता सूचकांक मानचित्र तैयार किया।
  • भारतीय उपग्रह चित्रों और क्षेत्र मापों का उपयोग करते हुए पूरे भारतीय तट के लिए तटरेखा परिवर्तन दर का विश्लेषण किया गया। मानक प्रोटोकॉल और 1990 से 2018 के ग्यारह डेटा सेट का उपयोग करते हुए 526 तटरेखा परिवर्तन मानचित्र (स्केल 1: 25000) तैयार किए गए।
  • बृहन्मुंबई महानगरपालिका (एमसीजीएम) के आपदा प्रबंधन विभाग के सहयोग से मुंबई के लिए एक एकीकृत बाढ़ चेतावनी प्रणाली (आईफ्लोज- मुंबई) विकसित की गई। इसे 12 जून, 2020 को माननीय कृषि विज्ञान मंत्री और महाराष्ट्र के माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया।
  • सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी के लिए इस्तेमाल होने के लिए इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद और भारतीय मौसम विभाग को रियल टाइम महासागरीय डेटा प्रदान करने के लिए गहरे समुद्र में छह तरेरी स्‍थापित की गई ताकि समय रहते सुनामी संबंधी चेतावनी जारी करने में मदद मिल सके।
  • जनवरी 2020 में लक्षद्वीप के कल्‍पेनी में कम तापमान वाले थर्मल डिसेलिनेशन संयंत्र को चालू किया गया।
  • समुद्री माइक्रोएल्‍गी से ल्यूट के उत्पादन के लिए एफ/2 के साथ 2-टन रेसवे में समुद्री स्पिरुलिना के बड़े पैमाने पर प्रायोगिक कल्‍चर को विकसित किया गया। ल्‍यूट औषधीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह तकनीक राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास निगम (एनआरडीसी) के माध्यम से हैदराबाद के मेसर्स वेक्ट्रोजन बायोलॉजिकल प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई।
  • भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (इनसैट) संचार के साथ तैरती तरेगी के स्वदेशीकरण को पूरा किया गया। व्यावसायीकरण के लिए एनआरडीसी के तहत दो भारतीय उद्योगों के साथ प्रौद्योगिकी लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

 

3. ध्रुवीय एवं हिममंडल अनुसंधान (पीएसीईआर)

 

  • 39वें भारतीय अंटार्कटिक अभियान के सभी वैज्ञानिक परियोजनाओं और लॉजिस्टिक कार्यों को पूरा कर लिया गया। स्टेशनों को भोजन, ईंधन, पुर्जों आदि की दोबारा आपूर्ति की गई और उसके बाद अभियान वेसेल एमवी वासिली गोलोवनिन 26 मार्च, 2020 को वापसी के लिए रवाना हुआ।
  • सितंबर से अक्टूबर 2020 के दौरान हिमालय में चंद्र धाटी के लिए एक अभियान का संचालन किया गया। उस दौरान विभिन्न क्षेत्र गतिविधियां आयोजित की गईं जैसे स्टेक नेटवर्किंग, हिमपात एवं बर्फ संचय के लिए बर्फ के गड्ढे की माप एवं अपक्षरण, डिस्चार्ज साइट की रखरखाव, जल स्तर संबंधी डेटा संग्रह, स्वचालित मौसम स्टेशन की रखरखाव एवं डेटा संग्रह, ग्लेशियर की सतह के पिघलने पर मलबे के आवरण के प्रभाव और मुख की निगरानी एवं ग्लेशियर के बर्फ के वेग के लिए जीएनएसएस सर्वेक्षण।
  • 23 सितंबर, 2020 को समुद्र और ध्रुवीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ब्रिक्स कार्य समूह की तीसरी बैठक आयोजित की गई। ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) के लगभग 50 प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए और 21 वैज्ञानिक प्रस्तुतियां दी गईं। प्रतिभागियों ने समुद्री एवं ध्रुवीय विज्ञान के क्षेत्र में ब्रिक्स देशों के बीच द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग की पहल करने, कार्य समूह के लिए एक रूपरेखा तैयार करने, अगले ब्रिक (विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) एसटीआई वार्ता में अनुसंधान के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों एवं विषयों को तैयार करने, ब्रिक्स संयुक्त क्रूज, पारस्‍परिक सहयोग एवं क्षमता निर्माण की योजना, कार्य क्षेत्र और सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र के डिकेड ऑफ ओशन साइंसेज में भागीदारी जैसे मुद्दों पर अपने विचार व्‍यक्‍त किए।

 

4. भूकंप विज्ञान एवं भूगर्भ विज्ञान अनुसंधान (एसएजीई)

 

  • जनवरी से नवंबर 2020 के दौरान भारत और आसपास के क्षेत्रों 1,527 भूकंप आए जिनमें से 65 भूकंप 5.0 तीव्रता वाले थे जबकि 277 भूकंप हल्‍के एवं मामूली तीव्रता वाले थे। चार शहरों यानी भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयम्बटूर और मैंगलूरु के भूकंपीय सूक्ष्‍मक्षेत्रीय कार्य 2018 में शुरू हुए जो पूरे होने उन्नत चरण में हैं।
  • 3 जनवरी से 6 फरवरी, 2020 के दौरान सुदूर दक्षिणी प्रशांत महासागर में आयोजित एकीकृत महासागर ड्रिलिंग कार्यक्रम (आईओडीपी)- 378 अभियान में भाग लिया। इस अभियान का उद्देश्य ड्रिलिंग के माध्यम से सेनोजोइक जलवायु और समुद्र विज्ञान के रिकॉर्ड की जांच करना था।
  • केरल के नेशनल सेंटर फॉर अर्थ सिस्टम साइंस (एनसीईएसएस) में आइसोटोप जियोकेमिस्ट्री फैसिलिटी (आईजीएफ) की स्थापना की गई। यह एक 213 नैनोमीटर डोपेड युट्रियम एल्यूमीनियम गार्नेट (एनडी-वाईएजी) लेजर एब्लेशन माइक्रोप्रोब को होस्ट कर सकता है जिसे एक चौगुनी प्रेरणात्मक रूप से युग्मित प्लाज्मा मास स्पेक्ट्रोमेट्री (आईसीपी-एमएस) और एक बहु-संग्रह आईसीपी-एमएस के साथ जोड़ा जा सकता है। यह हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग तकनीकों जैसे स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप और इलेक्ट्रॉन जांच माइक्रो-एनालाइजर का उपयोग करते हुए विभिन्न सहायक खनिजों जैसे जिरकॉन, मोनजाइट, रूटाइल आदि की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने में मदद कर सकता है। इन विधियों के शक्तिशाली संयोजन का उपयोग अब भारतीय परत के बारे में कई पेचीदा भूवैज्ञानिक प्रश्नों को हल करने के लिए एनसीईएसएस-आईजीएफ में नियमित रूप से उपयोग किया जाता है। यह दक्षिण भारत में दक्षिणी ग्रैनुलाइट टेनेन की तरह प्रीकैम्ब्रियन भू-भाग के विकास को समझने में भी मदद करेगा।
  • वैज्ञानिक गहरी ड्रिलिंग परियोजना के तहत एकीकृत दबाव एवं टूटफूट के डेटासेट से महाराष्ट्र के कोयना इंट्राप्लेट भूकंपीय क्षेत्र के लिए एक नई अंतर्दृष्टि पैदा पैदा हुई है।

 

5. पहुंच में विस्‍तार

 

  • पृथ्वी विज्ञान अनुप्रयोगों में विशेष प्रस्तावों को शामिल किया गया: पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने पृथ्वी विज्ञान में कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता/ मशीन लर्निंग के अनुप्रयोगों के तहत अनुसंधान प्रस्तावों के लिए एक विशेष आमंत्रण की घोषणा की है। इसके लिए लगभग 200 प्रस्तुतियां प्राप्त हुईं जिनका फिलहाल आकलन किया जा रहा है।
  • पृथ्वी विज्ञान में कुशल वैश्विक कार्यबल में वृद्धि के लिए प्रशिक्षण: आईटीसीओओशन (इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर ऑपरेशनल ओशनोग्राफी) ने अपने परिचालन को जारी रखा और इसे तीन साल (2020 से 2023) के लिए यूनेस्को- ओशन टीचर ग्‍लोबल एकेडमी 2 के तहत एक क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र के रूप में मान्यता दी गई। इसने जनवरी से नवंबर 2020 के दौरान 1,731 प्रतिभागियों के साथ तीन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए। इन में 1,150 भारतीय प्रतिभागी  और 581 दुनिया के 73 देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल हुए। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के प्रतिभागियों में स्‍त्री-पुरुष का अनुपात 987: 744 पर उत्साहजनक था।
  • विज्ञान संचार, प्रसार एवं सहभागिता: पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने मई 2020 से 'अर्थ साइंसेज पॉपुलर लेक्चर्स' नामक लाइव वार्ता के वेबिनार का सफलतापूर्वक संचालन किया। विभिन्न विषयों पर लगभग 38 लाइव वार्ता आयोजित की गईं और उसे यूट्यूब पर उपलब्ध कराया गया।
  • लोगों तक व्यापक पहुंच के लिए सम्‍मेलन एवं कार्यशालाएं: पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने डीईएसके (पृथ्वी प्रणाली विज्ञान में कुशल कार्यबल का विकास) कार्यक्रम के तहत तीन सहयोगी अंतरराष्ट्रीय कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन किया। मंत्रालय ने विश्व जल दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओजोन दिवस और राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार भी आयोजित किए।
  • भारत के कृषक वर्ग को पचास गुना लाभ: पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने मौसम एवं समुद्र की स्थिति के बारे में मंत्रालय की ओर से जारी पूर्वानुमानों पर अमल करने से भारतीय किसानों, पशुपालकों एवं मछुआरों की आय में वृद्धि के आकलन के साथ मॉनसून मिशन (एमएम) और उच्च प्रदर्शन वाली कम्प्यूटिंग सुविधाओं (एचपीसी) के आर्थिक लाभों का अध्ययन करने की जिम्‍मेदारी दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) को दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसून मिशन (एमएम) और उच्च प्रदर्शन वाली कम्प्यूटिंग (एचपीसी) कार्यक्रमों में भारत के लगभग 1,000 करोड़ रुपये के निवेश से देश में गरीबी रेखा (बीपीएल) से नीचे जीवन यापन करने वाले 1.07 करोड परिवारों को अगले पांच साल में 50 हजार करोड़ रुपये का लाभ होगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 26.6 फीसदी आर्थिक लाभ देश के महिला कर्मचारियों हो होगा।
  • नॉलेज रिसोर्सेज सेंटर नेटवर्क (केआरसी नेट) को लॉन्च किया: यह पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय  की एक अनूठी पहल है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन द्वारा इसका उद्घाटन 27 जुलाई, 2020 को किया गया। इसका उद्देश्य पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय एवं इसके संस्‍थानों के सभी ज्ञान एवं बौद्धिक संपदाओं को एकल, डायनेमिक वेब पोर्टल पर एकीकृत करना है। भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के तहत यह पोर्टल पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय एवं इसके संस्थानों के दुनिया भर से ज्ञान उत्पादों को 24X7 एकत्रित करने, सूचीबद्ध करने एवं संग्रहित करने के लिए अपनी तरह की अनोखी डिजिटल प्रणाली है।

 

6. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

 

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने ट्रांस-नेशनल संयुक्त परियोजनाओं और विकासात्मक कार्यों के माध्यम से पृथ्वी विज्ञान के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान को व्यापक बनाने के लिए कई वैज्ञानिक अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग किया है। महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय सहयोग नीचे दिए गए हैं:

  • पृथ्‍वी विज्ञान एवं अवलोकन पर अमेरिका के नेशनल ओशन एंड एटमॉस्‍फेरिक एडमिनिस्‍ट्रेशन (एनओएए) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एक राजनयिक नोट के आदान-प्रदान के बाद 2010 में यह प्रभावी हुआ। यह समझौता दस साल के लिए वैध था जिसे एक वर्चुअल कार्यक्रम के जरिये 23 अक्टूबर, 2020 को नवीनीकृत किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत श्री तरनजीत सिंह संधू ने पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय की ओर से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • भूकंपीय विज्ञान में सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए 1 नवंबर, 2018 को यूनाइटेड स्‍टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के लिए भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने के लिए एक पायलट परियोजना पर काम चल रहा है। इसी उद्देश्‍य से 1 सितंबर, 2020 को एक वर्चुअल बैठक आयोजित की गई जिसमें यूएसजीएस एवं दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधियों के अलावा नई दिल्‍ली के नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के निदेशक और पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
  • पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय और ब्रिटेन के नैचुरल एन्‍वार्यनमेंट काउंसिल (एनईआरसी) द्वारा संयुक्‍त रूप से वित्त पोषित तीन परियोजनाओं को पूरा किया गया। ये परियोजनाएं भारत में खाद्य, ऊर्जा एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए सतत जल संसाधन (एसडब्ल्यूआर) कार्यक्रम के तहत हैं।
  • एकीकृत महासागर प्रबंधन एवं अनुसंधान पहल की दिशा में 18 फरवरी, 2020 को नार्वे के जलवायु एवं पर्यावरण मंत्रालय और नॉर्वे के विदेश मामलों के मंत्रालय के साथ एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। यह जनवरी 2019 में भारत और नॉर्वे के बीच नीली अर्थव्‍यवस्‍था के सतत विकास के लिए हस्‍ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के तहत गठित संयुक्त कार्य बल का अनुवर्ती था।
  • 13 फरवरी, 2020 को एनसीएमआरडब्‍ल्‍यूएफ द्वारा बिम्‍सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) सेंटर फॉर वेदर एंड क्लाइमेट (बीसीडब्‍ल्‍यूसी) में बिम्‍सटेक के महासचिव की मेजबानी की गई। आपदा प्रबंधन पर बिम्‍सटेक अंतर सरकारी विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा 14 फरवरी, 2020 को ओडिशा के पुरी में किया गया।
  • पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता वाली एक अंतरराष्ट्रीय और अंतर-सरकारी संस्था आरआईएमईएस (रीजनल इंटीग्रेटेड मल्‍टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्‍टम) अपने सदस्‍यों एवं सहयोगी देशों को निर्बाध सेवाएं प्रदान कर रही है।
  • 23 नवंबर, 2020 को वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग के लिए संयुक्त अरब अमीरात के मिनिस्‍ट्री ऑफ प्रेसिडेंशियल के अंतर्गत नेशनल सेंटर ऑफ मेट्रोलॉजी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

 

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