विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीबीटी-बीआईआरएसी भारत में पहली बार आर-वीएसवी वैक्सीन निर्माण प्लेटफार्म स्थापित कर कोविड-19 वैक्सीन बनाने में सहयोग कर रहा है


सरकार एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो अपने समाज के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक मसलों को हल करने के लिए नए उत्पाद नवाचार को पोषण और प्रोत्साहित करता है”—डीबीटी की सचिव और बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप

Posted On: 15 SEP 2020 7:10PM by PIB Delhi

भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा स्थापित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत भारत में पहली बार आर-वीएसवी वैक्सीन निर्माण प्लेटफॉर्म स्थापित कर कोविड-19 वैक्सीन बनाने में सहयोग कर रहा है।

आर-वीएसवी वैक्सीन निर्माण प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए यह सहयोग अरबिंदो फार्मा लिमिटेड को दिया जा रहा है, जो एसएआरएस सीओवी-2 (कोविड-19) के लिए एक वैक्सीन विकसित कर रहा है। यह एसएआरएस सीओवी-2 वैक्सीन कंपनी के स्वामित्व प्रतिकृति-सक्षम, वायरस को कमतर करने में सक्षम, रेकॉम्बीनैंट, वेसिकुलर स्टॉमाटाइटिस (VSV, VesiculoVax ™) वैक्सीन डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर आधारित है।

अरबिंदो वायरल वैक्सीन के लिए अत्याधुनिक विनिर्माण फैसलिटी स्थापित करने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है जिसका प्रयोग कोविड-19 वैक्सीन और अन्य वायरल वैक्सीन के निर्माण में किया जाएगा। यह प्लांट पूरी तरह से वैश्विक मानकों का पालन करेगा।

डीबीटी की सचिव और बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने अरबिंदो के साथ सहयोग की शुरुआत किए जाने पर कहा, अरबिंदो के साथ साझेदारी इस महामारी से लड़ने के लिए देश में एक वैक्सीन की जरूरत को पूरा करने के लिए है। सरकार एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो अपने समाज के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक मसलों को हल करने के लिए नए उत्पाद नवाचार को पोषण और प्रोत्साहित करता है।

क्या है बीआईआरएसी

धारा 8, अनुसूचि बी के तहत गठित जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) एक गैर लाभकारी सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है जिसे भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी)  द्वारा स्थापित किया गया है। इसकी स्थापना राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक उत्पाद विकास की आवश्यकताओं को रेखांकित करने, रणनीतिक अनुसंधान और नवाचार, उभरते बायोटेक उद्यम को मजबूत और सशक्त बनाने की एक एजेंसी के तौर पर की गई है।

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के बारे में

यह जैव प्रौद्योगिकी के प्रारंभिक विकास को लेकर खोज अनुसंधान में तेजी लाने के लिए भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) का उद्योग-अकादमिक सहयोगी मिशन है। इसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इसकी लागत कुल अमेरिकी डॉलर 250 मिलियन है। इसमें 50 प्रतिशत का फंड विश्व बैंक ने दिया है। इसे जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) में कार्यान्वित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारतीय नागरिकों के स्वास्थ्य मानकों में सुधार करने के उद्देश्य से देश में किफायती उत्पादों को वितरित करने के लिए समर्पित है। देश में क्लीनिकल ट्रायल क्षमता और प्रौद्योगिकी ट्रांसफर क्षमताओं को मजबूत करने के अलावा वैक्सीन, चिकित्सा उपकरण, डायग्नोस्टिक्स और बायोथेरेप्यूटिक्स इसके सबसे अहम एजेंडे में शामिल हैं।

 

अन्य जानकारी के लिए डीबीटी/बीआईआरएसी के कॉन्टैक्ट कम्युनिकेशन सेल में संपर्क किया जा सकता है

  • @DBTIndia@BIRAC_2012

www.dbtindia.gov.inwww.birac.nic.in

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एमजी/एएम/वीएस(डीबीटी रिलीज)


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