नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने उद्योग संघों,ऊर्जा औरनवीकरणीय ऊर्जा (आरई)के निर्माणकर्ताओं और विकासकों के साथ ‘आत्मानिर्भर


भारतअभियान’और ‘मेक इनइंडिया’ पहलकी सफलता को सुनिश्चित करने के तरीकों और साधनों पर विचार-विमर्श किया

पीएफसी, आरईसीऔरआईआरईडीएघरेलू रूप से निर्मित उपकरणों का उपयोग करने वालेविकासकोंको कम ब्याज दरों पर वित्त प्रदान करेंगे

ऊर्जा मंत्री ने सौर मॉड्यूल, सौर सैल और सौर इनवर्टर पर अगस्त, 2020 से आरंभ होने वालेबेसिक सीमा शुल्क(बीसीडी) लागूकरने के प्रस्ताव कीजानकारी दी

Posted On: 23 JUN 2020 8:31PM by PIB Delhi

केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और कौशल विकास एवं उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार) मंत्रीश्री आर.के. सिंहने आजऊर्जाऔरनवीकरणीय ऊर्जाक्षेत्र में निर्माण और पारेषण विकासकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्तालाप किया। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने भारत में वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण को बढ़ावा देने और रोजगार सृजित करने के लिएआत्मानिभर भारतअभियान के महत्व पर जोर दिया।

 

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि डीजीसीआई (वाणिज्यिक खुफिया विभाग के महानिदेशालय) द्वारा ऊर्जाक्षेत्र मेंदिये गए आयात के मद-वार मात्राब्यौरे से, यह देखा गया है कि ट्रांसमिशन लाइन टॉवर, कंडक्टर, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, कैपेसिटर, ट्रांसफार्मर, केबल, इन्सुलेटर और फिटिंग आदि जैसे कई उपकरण जिनके संबंध में घरेलू विनिर्माण क्षमता मौजूद है,उनकाअभी भी आयात किया जा रहा है। इस बात पर जोर दिया गया कि मेक इन इंडिया को प्रोत्साहनदेने और आयात निर्भरता को कम करने के लिए, यह आवश्यक है कि पारेषण, तापीय, हाइड्रो, वितरण, नवीकरणीयकेविकासक'आत्मनिर्भर भारत' के राष्ट्रीय अभियान में शामिल रहे और पूर्णसहयोगके साथ भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' नीतिको अपनाएं।

श्री आर.के. सिंह ने कहा कि ऊर्जा एक संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है,क्योंकि हमारे सभी संचार, विनिर्माण, डेटा प्रबंधन और सभी आवश्यक सेवाएंऊर्जा की आपूर्ति पर निर्भर करते हैं और कोई भी मैलवेयर
इस व्यवस्था कोनुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए
, 'आत्मानिर्भर भारत' में ऊर्जाक्षेत्र का बहुत अधिक महत्व है। तदनुसार, उन्होंने सभी विकासकों से निम्नलिखित प्रतिज्ञा लेने का आग्रह किया:-

    • ऐसे किसी भी उपकरण/सामग्री/सामान का आयात नहीं किया जाए जिसके लिएपर्याप्त घरेलू क्षमता उपलब्ध हो।
    • घरेलू क्षमता उपलब्ध न होने वालीवस्तुओं और सेवाओं के संबंध में अगर आयात अनिवार्य है, तो इसे केवल 2-3 वर्षों की निश्चित समयावधि के लिए अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि इस दौरान इन वस्तुओं के स्वदेशी विनिर्माण के लिए कर प्रोत्साहन/स्टार्ट-अप्स/विक्रेता विकास/अनुसंधान और विकास को सहायता प्रदान करने के माध्यम सेएक नीतिको सक्षम बनाते हुए अगले 2-3वर्षों में इन सभी मदों का घरेलू स्तर पर विनिर्माण किया जा सके। इस अवधि के दौरान, आयातित सामानों की भारतीय मानकों के अनुरूप भारतीय प्रयोगशालाओं में जांचकी जाएगी और इसमें त्रुटि की उपस्थिति की भी जांच की जाएगी।
    • आयात के लिए आवश्यक उपकरणों/वस्तुओं के संबंध में,पूर्व संदर्भित देशों से ऐसे उपकरणों/वस्तुओं का आयात सिर्फ विद्युत मंत्रालय/नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की पूर्व स्वीकृति प्राप्त होने के बाद ही किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि ऊर्जा हमारे देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा है। संचार, डेटा सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं, लौजिस्टिक्स, रक्षा और विनिर्माण आदि सहित सब कुछ ऊर्जा क्षेत्र पर निर्भर करता है। इसलिएहमारे देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए ऊर्जा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता को कम करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने बैठक के दौरान सौर मॉड्यूल, सौर सेल और सौर इनवर्टर पर अगस्त 2020 से प्रारंभ होने वाले बेसिक सीमा शुल्क (बीसीडी) को लागू करने के मंत्रालय के प्रस्ताव की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बीसीडी के संबंध में एक स्पष्ट घोषणा की जाएगी ताकि सरकारी की नीति के विषय में कोई अनिश्चितता न हो। इसके अतिरिक्त, नवीकरणीय ऊर्जा के संबंध में मॉडल और निर्माताओं की अनुमोदित सूची को पूर्व घोषणा के अनुसार 1 अक्टूबर, 2020 सेप्रभावी बनाया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी सौर ऊर्जा परियोजनाएं के लिए सौर सैल्स और सौर मॉड्यूल एवं अन्य उपकरणों की खरीद, जिसके लिए मानक बोली दिशानिर्देशों के अनुसार बोली लगाई जाती हैं, उन्हेंअनुमोदित सूची में आने वाले निर्माताओं से क्रय किया जाएगा। इसके अतिरिक्त,पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पेएफसी), रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) और इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए) के माध्यम सेवित्त पोषण को इस तरह से तय किया जाएगा कि घरेलू स्तर पर निर्मित उपकरणों का उपयोग करने वालेविकासकोंसेकम ब्याजदर वसूल की जाए।

 

उन्होंने हाल ही में विद्युतएवंनवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालयों में एक एफडीआई सैल और एक परियोजना विकास प्रकोष्ठ केगठन का भी उल्लेख किया। एफडीआई सेल भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों के निवेश प्रस्तावों की जाँच करेगा। परियोजना विकासप्रकोष्ठनिवेश योग्य परियोजनाओं को तैयारी रखेगाताकि निवेश की प्रक्रिया शीघ्र हो सके। उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जाक्षेत्र में कुछ वस्तुओं के आयात के लिए रियायती सीमा प्रमाण पत्र जारी करने की व्यवस्था को भी बंद किया जाएगा जिसके विषय में अलग से निर्देशजारी किएजाएंगे।

 

केंद्रीय मंत्री के साथ वार्तालाल के दौरान, विकासकों ने भारत में ऊर्जा क्षेत्र की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए, जिसमें नीति की निश्चितता, पूंजीगत वस्तुओं के आयात की सुविधा के लिए उपयुक्त शासन औरनिर्माताओं को ऊर्जा उपकरणों के विनिर्माण के लिए प्रतिस्पर्धी दरों पर वित्त और ऊर्जा की उपलब्धता की आवश्यकता शामिल है। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को प्रोत्साहन और अनुबंधों की शुचिता बनाए रखते हुएनए और पुराने निवेशों में स्पष्टता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। कुछ विकासकों ने इस बात पर भी जोर दिया कि मौजूदा परियोजनाओं के रखरखाव और पूर्ण देखभाल के लिए घरेलू विनिर्माण क्षमता विकसित और लागू होने तकआवश्यक महत्वपूर्ण उपकरणों के आयात की अनुमति दी जानी चाहिए।

 

सीआईआई, फिक्की, पीएचडी चैंबर, सौर और पवन जैसे उद्योग संघों के साथ-साथ निर्माण और पारेषण क्षेत्र के विकासकोंने आयात की निर्भरता को कम करने के लिए 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की परिकल्पना को परिपुष्ट करने हेतू पूर्ण उत्साह और एक मतसे घरेलू विनिर्माण में योगदान देने कीकेंद्रीय मंत्री की संकल्पित प्रतिज्ञा का पूरी तरह से पालन करने की प्रतिबद्धता जताई।

 

केंद्रीय मंत्री ने उद्योग प्रतिभागियों को आश्वासन दिया कि मौजूदा परियोजनाओं,आसान ऋण की उपलब्धताआदि के संबंध में उनके द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों कीध्यानपूर्वक समीक्षा की जाएगी। उन्होंने ऊर्जाऔर नवीन एवं नवीकरणीयऊर्जासचिव को उद्योग जगत के प्रतिभागियों की इस क्षेत्र से जुड़े सभी चिंताओं की जानकारी लेते हुए इन पर सकारात्मक कदम उठाने केभी निर्देशदिए।

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एजी/एएम/एसएस


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