पर्यटन मंत्रालय

पर्यटन मंत्रालय ने देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला के तहत 32वें वेबिनार ‘हिमालय में ट्रेकिंग-जादुई अनुभव’ का आयोजन किया


अगला वेबिनार 19 जून 2020 को ‘योग एवं तंदुरुस्ती- चुनौती भरे समय में एक सुझाव’ शीर्षक से आयोजित  किया जाएगा

Posted On: 15 JUN 2020 8:11PM by PIB Delhi

पर्यटन मंत्रालय के देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला के तहत 13 जून 2020 को हिमालय में ट्रेकिंग- जादुई अनुभव शीर्षक से श्रृंखला के 32वें सत्र में भारतीय हिमालय पर्वत श्रेणी में पर्यटन की क्षमता को उजागर किया गया, जो अद्वितीय और जादुई अनुभव प्रदान करता है। भारतीय हिमालय क्षेत्र में कोई भी प्राचीन प्रकृति, बर्फ से ढके घने देवदार के जंगल और वहां छिपे उन रहस्यों को अनुभव कर सकता है, जो दुनिया भर के और सभी आयु समूहों के साथ-साथ तंदुरुस्ती के हर स्तर के ट्रेकर्स को रोमांचित और मंत्रमुग्ध कर देता है। जंगल में असंख्य पगडंडियों की खोज करना, मैत्रीपूर्ण भाव से भरे स्थानीय ग्रामीणों के साथ जुड़ना और झीलों, नदियों, मैदानी क्षेत्रों का अचरज भरा नज़ारा इस बात की गारंटी हैं कि लोग यहां से जीवन भर का आनंद लेकर जाते हैं और फिर से एक नई यात्रा की योजना भी बनाते हैं। देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला एक भारत, श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत भारत की समृद्ध विविधता को दिखाने की पर्यटन मंत्रालय की कोशिश है।

            13 जून, 2020 को देखो अपना देश वेबिनार श्रृंखला के सत्र का संचालन पर्यटन मंत्रालय के अपर महानिदेशक रूपिंदर बरार ने किया। वेबिनार श्रृंखला के इस सत्र को शेयर्डरीच के सह-संस्थापक और निदेशक अनुपम सिंह और द बकेट लिस्ट ट्रैवल कंपनी के संस्थापक और साझेदार पराग गुप्ता ने प्रस्तुत किया। दोनों प्रस्तुतकर्ताओं ने आसान, मध्यम और कठिन अलग-अलग ट्रेकों के लिए एक मंत्रमुग्ध करने वाली यात्रा को आभासी रूप दिया जो वास्तव में जादुई और असाधारण रहा।

     

      बिल ऐटकेन का प्रसिद्ध उद्धरण - "इच्छा का अपरिहार्य तर्क पहाड़ के पर्यटक को कोई विकल्प नहीं देता, इसके सिवाय कि वह अपने अगले अभियान की योजना उसी ऊंचाई पर पहुंचने की बनाए जिसे वह शोरगुल में अस्वीकार कर चुका है" इस प्रस्तुति का लहजा बना।

 

      श्री अनुपम सिंह ने हर चट्टान, शिखर, प्राचीन प्राकृतिक सौंदर्य, अद्भुत शानदार सूर्यास्त, पतझड़ और वसंत के विभिन्न रंगों के बारे में कई कहानियां साझा कीं। अनुपम सिंह ने ट्रेकिंग के लिए महत्वपूर्ण ट्रेकों और कुछ सुझावों को उत्साहपूर्वक साझा किया जो निम्नलिखित हैं:-

 

  • ट्रेकिंग पर जाने से पहले क्या जानें – मौसम की जानकारी लें, सही ट्रेक, ट्रेक ऑपरेटर/ गाइड का चयन करें।
  • ट्रेकिंग पर जाने से पहले की तैयारी - तंदुरुस्ती, कपड़े, गियर/उपकरण पास रखें।
  • किसी भी अप्रत्याशित घटना के लिए तैयार रहें।
  • पगडंडियों पर केवल पैरों के निशान छोड़ दें।
  • वहां की वनस्पतियों, जीवों, रास्ते में मिले बड़े, छोटे और सूक्ष्म चीजों और बर्फ के बारे में बताने के लिए स्वयं को सुरक्षित और जीवित रखें।
  • तीव्र पहाड़ी बीमारी या ऊंचाई की बीमारी हो तो जाने से बचें।
  • गाइड की सलाह मानें और ट्रेकिंग के दौरान शॉर्टकट लेने की जरूरत नहीं।
  • परिवार के साथ ट्रेकिंग मजेदार और दिलचस्प होता है।

 

प्रस्तुतकर्ताओं ने प्रसिद्ध ट्रेक का अनुसरण किया जिसे उन्होंने "जीवन भर के अनुभव" कहा।

(अ)   कुआरी घाटी (उत्तराखंड)- (3800 मीटर/12500 फीट) को एक आसान मध्यम श्रेणी के ट्रेक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से मध्य जून और सितंबर से मध्य नवंबर तक है। यह ट्रेक ढाक में 6,900 फीट से शुरू होता है और पास क्रॉसिंग डे पर औसत समुद्र तल से 12,516 फीट की अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचता है। कुआरी पास ट्रेक पर आप हर दिन औसतन 4-5 घंटे ट्रेकिंग करेंगे, लेकिन पास क्रॉसिंग डे पर 8 घंटे लंबी ट्रेकिंग होती है।

      वहां जाने के लिए दिल्ली से हरिद्वार तक रेल या सड़क से जाना होता है। हरिद्वार से- जोशीमठ- गुल्लिंग टॉप- ताली जंगल शिविर - कुआरी घाटी और वापस खुल्लारा टॉप के रास्ते आना होता है। ताली जंगर शिविर- जोशीमठ वाया गुरसोन बुग्याल और औली फिर जोशीमठ- हरिद्वार से वापसी होती है।

      हाथीघोड़ी पर्वत, द्रोणागिरि और नंदा देवी की चोटियों का शानदार और जादुई अनुभव का आनंद लिया जा सकता है। रास्ते में सुंदर अल्पाइन झील देखने को मिलती हैबर्फ से ढके पहाड़, सुनहरी घास के मैदान और इनके साथ एक अलौकिक अनुभव भी मिलता है।

 

()   ब्रह्मा ताल (3855 मी/12650 फुट) एक पौराणिक कथा से जुड़ा है जहां जमी हुई अल्पाइन झील है। कहा जाता है कि यहीं पर भगवान ब्रह्मा ने ध्यान लगाया था। यह आसान से मध्यम स्तर का ट्रेक है। काठगोदाम से इस ट्रेक को पूरा करने में 6-7 दिन लग जाते हैं। इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक है। यहां दिल्ली से आसानी से पहुंचा जा सकता है, जिसके लिए सबसे पहले काठगोदाम आना होता है और फिर काठगोदाम से लोहाजंग की ओर जाना होता है। ब्रह्मा ताल के लिए चढ़ाई बेकल ताल से शुरू होती है, जहां एक जमी हुई अल्पाइन झील है और वहां बर्फ पर शिविर लगे हैं। जंगल में पगडंडियों के सहारे जाना पड़ता है और जब आप तेलिन्दी की चोटी पर पहुचते हैं तो वहां शक्तिशाली हिमालय के मनोरम दृश्य देखने को मिलते है। वहां की प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है। अगले दिन ब्रह्मा ताल के लिए लोग निकल पड़ते हैं। बर्फ पर एक रात गुजारने के बाद अगली सुबह शानदार दृश्यों का आनंद लेने के लिए ब्रह्म ताल के लिए निकलना पड़ता है। ब्रह्म ताल का आनंद लेने के बाद अगले दिन सीधे लोहाजंग वापस उतरते हैं और यहीं ट्रेक समाप्त कर काठगोदाम के लिए प्रस्थान करना होता है।

 

()   उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में देवताओं की घाटी में हरकीदून घाटी (3,566 मी/11,700 फीट) स्थित है। यह मध्यम स्तर का ट्रेक है और इसके लिए देहरादून से लगभग 6 दिनों की आवश्यकता होती है। इस ट्रेक के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून और सितंबर से दिसंबर है। यहां पहुंचने के लिए पहले देहरादून से सांकरी तक, फिर मसूरी होते हुए तालुका तक जाना होता है। असल में तालुका से ही ट्रेक शुरू होता है और सीमा गांव तक जाता है, फिर सीमा गांव में रात भर रुकने के साथ हरकीदून तक चढ़ाई की जाती है। रास्ते में स्वर्गारोहिणी-I (6,525 मीटर/20,512 फीट) देखने को मिलता है जिसे स्वर्ग का द्वार माना जाता है और यह महाभारत की पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। अगले दिन सीधे ओसला स्थित झूलते गांव होते हुए सीमा पर वापस आना होता है। इस गांव में एक ऐतिहासिक मंदिर है जहां दुर्योधन की पूजा होती है।

 

()    फोटोक्सर (4,100 मीटर/16,000 फीट) लद्दाख में एक सुरम्य गांव है। यह लिंगशेड- पदुम ट्रेक (जिसे द ग्रेट ज़ांस्कर ट्रेक के रूप में भी जाना जाता है) का हिस्सा है। यहां भारी बर्फबारी और हिमस्खलन के कारण हर साल लगभग 6 महीने नहीं पहुंचा जा सकता है। यह मध्यम स्तर का ट्रेक है और इसके लिए दिल्ली से 9-10 दिन लग जाते हैं। यहां घूमने का सबसे अच्छा समय जून से अक्टूबर तक है। यहां होमस्टे (किसी के घर ठहरना) के लिए विकल्प हैं जिससे पर्यटकों को स्थानीय अनुभव प्राप्त करने में मदद मिलती है और इस तरह वहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। यहां पहुंचने के लिए दिल्ली से लेह (3,500 मीटर/11,500 फीट) हवाई मार्ग के जरिए आना होता है। यहां एक्यूट माउंटेन सिकनेस (एएमएस) से बचने के लिए शरीर को पर्यावरण के अनुकूल करने की सलाह दी जाती है। दिल्ली से लेह, फिर लेह से लामायुरू-करगिल सड़क होते हुए वानला गांव जाना होता है। गांव में रात भर रुकने के बाद अगले दिन यापोला नदी की ओर जाते हैं और 4,890 मीटर/16,000 फीट की दूरी पर सिसिर ला दर्रे पर चढ़ने से पहले हनुपत गांव में रात बिताते हैं। अगले दिन फ़ोटोक्सर गांव के लिए कठिन रास्ते से नीचे उतरना पड़ता है।

 

()    उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में रूपकुंड (4,785 मी/15,700 फीट) एक और लोकप्रिय ट्रेक है। इसके कठिनाई का स्तर मध्यम से कठिन है और काठगोदाम से रूपकुंड ट्रेक तक जाने में लगभग 6 दिन लग जाते हैं। इस ट्रेक पर जाने के लिए सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक है। काठगोदाम से लोहाजंग तक जाना होता है। लोहाजंग दर्रे से होते हुए ट्रेकिंग के लिए बेदनी नदी को पार करना होता है और फिर रात में दीदाना गांव में ठहरना होता है। अगले दिन एशिया में घास के सबसे बड़ा मैदान अली बुग्याल (12,500 फीट) के लिए सीधी चढ़ाई करनी पड़ती है। रात में बेदनी बुग्याल में आराम करने के बाद अगले दिन ग्लेशियर भगुवासा (14,100 फीट) के बगल में एक अद्भुत शिविर स्थल की ओर जाना होता है। अगले दिन सुबह जल्दी ही रूपकुंड झील के लिए चल पड़ते हैं। इसके बाद झील के किनारे जाकर वहां का नजारा लेते हैं और फिर दोपहर के भोजन के समय तक शिविर में वापस जाते हैं। अगले दिन लोहाजंग के लिए वापस प्रस्थान करते हैं। रूपकुंड ट्रेक में पड़े कंकालों का रहस्य यह है कि ये लगभग 500 लोगों के कंकाल हैं जो 820 ईस्वी के आसपास रूपकुंड को पार करते समय घातक ओलावृष्टि के शिकार हो गए थे। इस तथ्य की पुष्टि वैज्ञानिकों ने हड्डियों के निरीक्षण और उनकी कार्बन डेटिंग के बाद की है।

      एडीजी पर्यटन रूपिंदर बरार ने कहा कि हिमालय की ट्रेकिंग और उसे नजदीक से अनुभव करना सभी आयु वर्ग और सभी तंदुरूस्ती स्तर के कई लोगों की योजना में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए जैसे ही कोविड-19 पर काबू पा लिया जाता है, आप हिमालय पर्वत क्षेत्र में ट्रेकिंग का अनुभव हासिल करने और विराट हिमालय का सीधा अनुभव लेने की योजना बना सकता है और इस प्रकार रोमांच, अद्भुत वनस्पतियों और जीवों के साथ ही बर्फ में छिपे रहस्यों को भी जानने का प्रयास कर सकते हैं।

      इसमें बताया गया कि ट्रेकर्स अपनी पसंद के ट्रैक की पहचान कर सकते हैं। अधिकांश गंतव्यों के लिए स्थानीय मार्गदर्शक हैं और उन टूर ऑपरेटरों से भी संपर्क किया जा सकता है जो एटीओएआई यानी एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य हैं।

 

      एक जिम्मेदार ट्रेकर के रूप में हमें कुछ बुनियादी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा:

  • कहीं गंदगी ना फैलाएं। आपके पैरों के निशान के अलावा और कुछ भी नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
  • ट्रेक को साफ रखें।
  • पशु-पक्षियों को परेशान न करें
  • कहीं किसी तरह का शोर न करें
  • स्थानीय लोगों की गोपनीयता का सम्मान किया जाना चाहिए।
  • स्थानीय रीति-रिवाजों और उनके स्थान का सम्मान करें।

 

      देखो अपना देश वेबिनारों का संचालन इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई)  द्वारा निर्मित राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (एनईजीडी) के सहयोग से होता है।

 

वेबिनार के सत्र अब https://www.youtube.com/channel/UCbzIbBmMvtvH7d6Zo_ZEHDA/featured पर और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सभी सोशल मीडिया हैंडल पर भी उपलब्ध हैं।

 

वेबिनार की अगली कड़ी, 19 जून, 2020 को सुबह 11.00 बजे आयोजित होगी जिसका शीर्षक योग एवं तंदुरुस्ती- चुनौती भरे समय में एक सुझाव है।

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एसजी/एएम/एके/एसएस

 



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