विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

हंटिंगटिन बीमारी में एक प्रमुख कोशिकीय ढ़ांचे का खुलासा


हंटिंगटिन रोग (एचडी) मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला एक प्रगतिशील आनुवंशिक विकार है  

Posted On: 20 MAR 2020 2:29PM by PIB Delhi

हंटिंगटन रोग (एचडी) मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला एक प्रगतिशील आनुवंशिक विकार है जिसके कारण अनियंत्रित गतिविधियां, संतुलन एवं गतिविधियों समन्वय न होना, संज्ञानात्मक क्षमताओं में गिरावट, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और स्मृति ह्रास, मनोभाव में बदलाव और व्यक्तित्व परिवर्तन जैसी समस्‍याएं पैदा होती हैं।

एचटीटी नामक जीन में उत्परिवर्तन के कारण यह बीमारी होती है। एचटीटी जीन हंटिंगटिन नामक प्रोटीन के उत्पादन में शामिल होते हैं। वे प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देते हैं। जब जीन उत्परिवर्तित होते हैं तो वे असामान्य हंटिंगटिन प्रोटीन के उत्पादन के लिए असामान्‍य निर्देश देते हैं और इससे क्‍लंप्‍स यानी गुच्‍छ बन जाते हैं। ये क्‍लंप्‍स मस्तिष्क की कोशिकाओं के सामान्य कामकाज को बाधित करते हैं। इससे अंततः मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की मृत्यु हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप हंटिंगटन रोग होता है।

हालांकि यह ज्ञात है कि असामान्य हंटिंगटिन प्रोटीन द्वारा तैयार क्‍लंप्‍स कई कोशिकीय प्रक्रियाओं को बाधित करते हैं लेकिन अभी यह ज्ञात नहीं है कि क्या वे कोशिका में अन्य प्रोटीन के निर्माण की महत्वपूर्ण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

डॉ. अमिताभ मजूमदार के नेतृत्व में पुणे में नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस) के वैज्ञानिकों की एक टीम फलों पर लगने वाली मक्खियों में एचटीटी जीन का अध्ययन करके इस संबंध में जानकारी हासिल करने में लगी है। उन्होंने देखा कि रोगजनक हंटिंगिन प्रोटीन कोशिकाओं में समग्र प्रोटीन उत्पादन में कमी का कारण बनता है। हंटिंगटिन क्लंप्‍स ओआरबी2 नामक एक अन्य प्रोटीन के एक साथ अणुओं को इकट्ठा (सिक्‍वेस्टर) करते हैं जो प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया में शामिल है।

Description: Amitabha_Majumdar

 

उन्होंने अनुमान लगाया कि हंटिंगटिन क्लंप्‍स संभवतः ओआरबी2 अणुओं का निर्माण करते हैं और वे प्रोटीन बनाने से जुड़े अपने सामान्य कार्य को पूरा करने के लिए अनुपलब्ध थे। इससे कोशिका में प्रोटीन में कमी देखी गई। इसे स्‍पष्‍ट करने के लिए उन्होंने कोशिकाओं को अधिक मात्रा में ओआरबी2 उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया और पाया कि इससे वास्तव में दोषपूर्ण हंटिंगटिन प्रोटीन के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया गया। इस प्रकार यह उनके अनुमानों के मुताबिक रहा।

मनुष्यों में सीपीईबी नामक प्रोटीन का परिवार फल मक्खियों में ओआरबी2 प्रोटीन जैसा ही होता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन को आगे बढ़ाया और पाया कि सीपीईबी प्रोटीन भी ओआरबी2 प्रोटीन अणुओं के समान रोगजनक हंटिंगटिन क्‍लंप्‍स द्वारा अलग किया जाता है। इससे पता चलता है कि फल मक्खियों में इस समूह द्वारा किए गए अध्ययन से मिली जानकारी मानव में एचडी को समझने के लिए प्रासंगिक और मूल्यवान हैं।

·         ओआरबी2 प्रोटीन फल मक्खियों में स्मृति के रखरखाव के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए हंटिंगटिन क्‍लंप्‍स द्वारा ओआरबी2 का प्रच्‍छादन एचडी से संबंधित स्मृति रोगों के लिए प्रासंगिक हो सकता है। डॉ. मजूमदार के इन खुलासों से उम्मीद की जा रही है कि इस बीमारी को बेहतर ढंग से समझने के लिए आगे की खोज का मार्ग प्रशस्त होगा।

इस अनुसंधान टीम ने सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर लाइफ साइंसेज में अपने काम पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस टीम में एनसीसीएस से हिरण्‍मय जोयाग, विघ्‍नेश घाटपांडे, मेघल देसाई, मैथली सरकार एवं अंशु रैना और एसपी पुणे विश्‍वविद्यालय से मृणालिनी शिंदे, रुता चिताले, अंकिता देव एवं तानिया बोस शामिल हैं।

 

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एएम/एसकेसी (डीएसटी- विज्ञान समाचार)

 



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