विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

भूजल ने हिमालयी स्लिप और जलवायु को प्रभावित किया

Posted On: 13 MAR 2020 4:02PM by PIB Delhi

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान, भारतीय भू-चुम्बकत्व संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमैग्नेटिज़्म) (आईआईजी) के शोधकर्ताओं ने भूजल में मौसमी बदलावों के आधार पर शक्तिशाली हिमालय को घटते हुए पाया। चूंकि हिमालय भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु को प्रभावित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित अध्ययन से यह समझने में मदद मिलेगी कि जल-विज्ञान किस प्रकार जलवायु को प्रभावित करता है।

हिमालय की तलहटी और भारत-गंगा का मैदानी भाग डूब रहा है, क्योंकि इसके समीपवर्ती क्षेत्र भूस्खलन या महाद्वीपीय बहाव से जुड़ी गतिविधि के कारण बढ़ रहे हैं। जर्नल ऑफ जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित नए अध्ययन से पता चलता है कि सामान्य कारणों के अलावा, भूजल में मौसमी बदलाव के साथ उत्थान पाया जाता है। पानी एक चिकनाई एजेंट के रूप में कार्य करता है, और इसलिए जब शुष्क मौसम में पानी होता है, तो इस क्षेत्र में फिसलन की दर कम हो जाती है।

अब तक किसी ने भी जल-विज्ञान संबंधी दृष्टिकोण से बढ़ते हिमालय को नहीं देखा है। प्रो सुनील सुकुमारन के दिशा-निर्देश में अपनी पीएचडी के लिए कार्यरत अजीत साजी इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। उन्होंने इस अभिनव प्रिज्म के माध्यम से इस गतिविधि को देखा। पानी के भंडारण और सतह भार में भिन्नताएं पाई जाती हैं, जिसके कारण मौजूदा वैश्विक मॉडलों के इस्तेमाल से इन्हें निर्धारित करने के लिए काफी मुश्किल हैं।

हिमालय में, ग्लेशियरों से मौसमी पानी के साथ-साथ मानसून की वर्षा, क्रस्ट की विकृति और इससे जुड़ी भूकंपीयता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भू-जल में कमी की दर भूजल की खपत के साथ जुड़ी हुई है।

शोधकर्ताओं ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरिमेंट (ग्रेस) डेटा का एक साथ उपयोग किया है, जिससे उनके लिए हाइड्रोलॉजिकल द्रव्यमान की विविधताओं को निर्धारित करना संभव हो गया है। 2002 में अमेरिका द्वारा लॉन्च किए गए ग्रेस के उपग्रह, महाद्वीपों पर पानी और बर्फ के भंडार में बदलाव की निगरानी करते हैं। इससे आईआईजी टीम के लिए स्थलीय जल-विज्ञान का अध्ययन करना संभव हो पाया।

https://www.natureasia.com/en/nindia/figures/1461

एक जीपीएस और ग्रेस उपग्रह के परिदृश्य में अध्ययन क्षेत्र का एक योजनाबद्ध चित्रण

 

 

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, संयुक्त जीपीएस और ग्रेस डेटा उप-सतह में 12 प्रतिशत की कमी होने का संकेत देता है। यह स्लिप बताता है कि फूट तथा हैंगिंग वाल के सापेक्ष कितनी तेजी से खिसकता है। यह स्लिप मुख्य हिमालयी दबाव (मेन हिमालयन थ्रस्ट) (एमएचटी) में होती है, जो हाइड्रोलॉजिकल विविधताओं और मानवीय गतिविधियों के कारण होती है।

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एएम/एसकेएस/सीएस-6265



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