जल शक्ति मंत्रालय

‘हर काम देश के नाम’: कॉरपोरेट बड़े पैमाने पर गंगा कायाकल्प प्रयास में शामिल हुए


गंगोत्री और बद्रीनाथ में घाटों के विकास के लिए एनएमसीजी, उत्तराखंड सरकार और इंडोरामा ट्रस्ट के बीच त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कॉरपोरेट से नमामि गंगा मिशन से जुड़ने का अनुरोध किया

Posted On: 24 FEB 2020 7:16PM by PIB Delhi

उत्तराखंड में बद्रीनाथ और गंगोत्री स्थित घाटों और श्मशानों का कुल 26 करोड़ 64 लाख रुपये की लागत से मिलकर कायाकल्प/विकास करने के लिए आज राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी), स्टेट प्रोग्राम मैनेजमेंट ग्रुप-उत्तराखंड (एसपीएमजी-यूके) और इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट (आईसीटी) के मध्य एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

इस समझौता ज्ञापन पर जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग में सचिव श्री यू.पी. सिंह, एनएमसीजी के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा, कार्यकारी निदेशक (वित्त) रोजी अग्रवाल और मंत्रालय तथा एनएमसीजी के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए।

 

इस समझौता ज्ञापन पर एनएमसीजी के कार्यकारी निदेशक श्री अशोक कुमार सिंह, इंडोरामा इंडस्ट्रीज, दिल्ली के निदेशक तथा इंडोरामा चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य श्री राजीव क्षेत्रपाल, एसपीएमजी, उत्तराखंड सरकार के परियोजना निदेशक श्री उदय राज सिंह ने हस्ताक्षर किए।

भारत में नदियों को हमेशा से ही पवित्र माना गया है। विशेष रूप से गंगा भारत की पहचान और जीवनरेखा है। नदी के किनारे तीर्थ स्थल और शहरी केन्द्र विकसित हुए हैं। इन केन्द्रों ने नदियों से ही जीवनयापन किया है। घाट और श्मशान लोगों की जीवनशैली का एक हिस्सा हैं और पवित्र गंगा नदी को देखने के लिए तीर्थ यात्राएं जनता और नदी संबंध को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। गंगोत्री और बद्रीनाथ चार धाम यात्रा का हिस्सा होने के कारण विशेष रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय मिशन पवित्र नदी गंगा के संरक्षण में योगदान करेगा। भागीदारी की बुनियादी भावना से निजी कॉरपोरेट द्वारा जिम्मेदारी लेने से इन पवित्र स्थलों में सुविधाओं और स्वच्छता में सुधार लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा है।

इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि यह परियोजना सरकार की हर काम देश के नाम पहल के तहत किया जा रहा है। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कार्यभार संभालने के बाद स्वच्छ गंगा अभियान को मिशन मोड में लिया गया है। यद्यपि यह मिशन लगभग शत प्रतिशत पूरा होने वाला है फिर भी नमामि गंगा मिशन कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है। उन्होंने इस परियोजना के वित्त पोषण के लिए इंडोरामा ग्रुप की सराहना करते हुए यह उम्मीद जाहिर की कि इससे अन्य उद्यमियों को कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) पहल के रूप में प्रेरणा मिलेगी। पहली बार एक नवीन परिचालन एवं रखरखाव क्लोज जोड़ी गई है, जो एक निश्चित अवधि के बीच परियोजना की देखरेख का ध्यान रखेगी। स्वच्छ गंगा मिशन तभी सफल हो सकता है जब यह जनता की पहल बन जाएगा।

भारत सरकार के उद्यम मैसर्स वैपकोस द्वारा विकसित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं-

·         स्नान घाटों और श्मशान का निर्माण

·         मौजूदा घाटों और श्मशान की मरम्मत और आधुनिकीकरण

·         घाटों पर जन-सुविधायें उपलब्ध कराना

·         तट कटाव संरक्षण कार्य

·         पांच वर्ष की अवधि के लिए संचालन और रखरखाव (ओएंडएम)

यह कार्य मार्च, 2020 में शुरू होने और 15 महीनों में पूरा होने की संभावना है। यह समझौता ज्ञापन 7 वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी है।

परियोजना विवरण

बद्रीनाथ स्नान घाट अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। स्थानीय परामर्श से घाट के स्थलों की पहचान की गई है। परियोजना की कुल लागत 10 करोड़ 31 लाख है। घाट का संचालन और रखरखाव पांच साल के लिए होगा।

गंगोत्री घाट, गंगोत्री में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है। यहां एक स्नान घाट और एक श्मशान घाट का विकास किया जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत 16 करोड़ 2 लाख रुपये होगी।

लाभ

·         नदी के साथ-साथ निर्मित घाट जनता-नदी संबंध सुधारेंगे और स्थानीय इतिहास, संस्कृति दर्शाने वाले स्थल बन जाएंगे।

·         इस परियोजना से इस क्षेत्र के सौंदर्य में महत्वपूर्ण सुधार होगा।

·         गंगा संरक्षण के लिए इस क्षेत्र के सौंदर्य में सुधार लाना भी एक महत्वपूर्ण पहलू है।

·         बिना उपचार किए गए सीवेज और ठोस अपशिष्ट के निपटान में कमी लाकर नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार लाना।

·         पर्यटन में बढ़ोतरी से स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

·         बिना जले/आंशिक रूप से जले शवों के नदी में विसर्जन को रोकना और दाह संस्कार की प्रक्रिया (आईसीडब्ल्यू प्रति दाह संस्कार 200 किलोग्राम लकड़ी की और प्रति 3 दाह संस्कार एक पेड़ की बचत करता है) से प्रदूषण में कमी लाना।

परियोजना डिजाइन

गंगोत्री स्नान घाट स्थल

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गंगोत्री स्नान घाट डिजाइन दृश्य

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बद्रीनाथ स्नान घाट स्थल

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बद्रीनाथ स्नान घाट डिजाइन दृश्य

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एस.शुक्‍ला/एएम/आईपीएस/डीके- 5935    

 



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