उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने भारतीय विश्वविद्यालयों में शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार का आह्वान किया


शिक्षा सिर्फ रोजगार के लिए नहीं, यह ज्ञान और सशक्तिकरण के लिए है- उपराष्ट्रपति

शिक्षा में निवेश जीडीपी के 4.6 फीसदी से बढ़ाकर नीति आयोग द्वारा अनुसंशित 6 फीसदी करने का आह्वान

निजी क्षेत्र से अनुसंधान और विकास पर अधिक खर्च करने की अपील

नेल्लोर में विक्रम सिम्हापुरी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

शिक्षा नीति में भारत की संस्कृति, विरासत और समृद्ध इतिहास को पढ़ाने पर जोर देना होगा: उपराष्ट्रपति

हर विश्वविद्यालय को पर्यावरण संरक्षण के अभियानों में छात्रों को शामिल करना चाहिए

Posted On: 21 JAN 2020 5:57PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज शिक्षा व्यवस्था के पुनर्गठन और उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में आज विक्रम सिम्हापुरी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि दुनिया के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों की टाइम्स रैंकिंग में हमारा कोई भी विश्वविद्यालय में शामिल नहीं है। छात्रों को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत कभी विश्वगुरु के रूप में जाना जाता था और नालंदा तथा तक्षशिला जैसे प्रसिद्ध शिक्षा केंद्रों में दुनिया भर से ज्ञान हासिल करने के इच्छुक लोग आते थे और अध्ययन करते थे। उन्होंने कहा कि हमारे छात्रों को शानदार भविष्य बनाने के लिए अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा लेनी चाहिए।

भारत के जनसांख्यिकी लाभांश की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्र के आर्थिक विकास में तेजी लाने के लिए युवाओं के ज्ञान और कौशल का विकास करना महत्वपूर्ण रणनीति होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि आने वाले वर्षों में 50 खरब डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य हासिल करने में प्रशिक्षित और शिक्षित मानव पूंजी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

श्री नायडू ने शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के मौजूदा 4.6 प्रतिशत के निवेश को बढ़ाकर नीति आयोग द्वारा अनुशंसित जीडीपी का 6 प्रतिशत करने पर जोर दिया।

हमारे विश्वविद्यालयों को अनुसंधान, ऊष्मायन और नवाचार के केंद्र के रूप में उभारने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने सहयोगात्मक, अंतर-अनुशासनात्मक और बहु-आयामी अनुसंधान पहलों के माध्यम से एक मजबूत अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और विकास पर भारत का खर्च लगभग स्थिर हो गया है और इसका एक कारण अनुसंधान और विकास में निजी क्षेत्र द्वारा कम निवेश करना है। उन्होंने निजी क्षेत्र से अनुसंधान और विकास पर उचित खर्च करने और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कॉर्पोरेट क्षेत्र से उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों में अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अलग से राशि इकट्टा करने को कहा।

उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों को भी उद्योग के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखते हुए शोध के लिए सही पारिस्थितिकी तंत्र बनाने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि हर वैज्ञानिक परिणाम आखिर में समाज को ही लाभ पहुंचाता है।

श्री नायडू ने कहा कि निजी विश्वविद्यालय शिक्षा को एक मिशन और देश के भविष्य में एक निवेश के रूप में लें और इसे केवल एक व्यापार के अवसर के रूप में नहीं देखें। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों को समावेशिता सुनिश्चित करने और समाज के वंचित वर्गों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए अधिक संसाधनों को तैनात करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने समग्र शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों को उत्कृष्ट चरित्र और मजबूत नैतिकता प्रदान करे। उन्होंने कहा कि छात्रों को कम भाग्यशाली लोगों के लिए दया और सहानुभूति भाव के साथ सामाजिक रूप से कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनना चाहिए।

श्री नायडू ने यह भी कहा कि हमारी शिक्षा नीति को भारत की संस्कृति, विरासत और इस महान राष्ट्र को आकार देने वाले महान पुरुषों और महिलाओं की जीवन गाथाओं के साथ समृद्ध इतिहास को पढ़ाने पर केंद्रित होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा केवल रोजगार के लिए नहीं, बल्कि यह ज्ञान और सशक्तीकरण के लिए है। उन्होंने छात्रों को जीवन भर सीखने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस देश की वृद्धि और विकास इस बात पर निर्भर करता है कि यहां के युवा कितने शिक्षित, परिश्रमी और उद्यमी हैं। उन्होंने छात्रों से कहा कि जिस तेजी के साथ आप व्यक्तिगत प्रगति करते हैं वह सामूहित रुप से देश के विकास की गति निर्धारित करती है।

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को सामाजिक दायित्वों के लिए भी समय देने को कहा है। उन्होंने इस संबंध में विक्रम सिम्हापुरी विश्वविद्यालय की ‘कॉलेज टू विलेज’ की अवधारणा की सराहना की।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर चिंता व्यक्त करते हुए श्री नायडू ने हर विश्वविद्यालय से आह्वान किया कि वे पर्यावरण सुरक्षा के अभियानों में छात्रों को शामिल करें।

इस अवसर पर उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा आंध्र प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वासभूषण हरिचंदन और विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. सुदर्शन राव भी मौजूद थे।

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