इस्‍पात मंत्रालय

श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ‘पूर्वोदय’ को लॉन्च करेंगे  


एकीकृत इस्‍पात केन्‍द्र के जरिये पूर्वोत्‍तर भारत का तेज विकास

Posted On: 10 JAN 2020 2:42PM by PIB Delhi

पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के विकास के संबंध में प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप इस्‍पात मंत्रालय पूर्वोदय की शुरूआत करेगा। इसके लिए इस्‍पात मंत्रालय सीआईआई और जेपीसी के साथ भागीदारी कर रहा है। समेकित इस्‍पात केन्‍द्र के जरिये पूर्वोदयके तहत देश के पूर्वी इलाकों को तेज विकास किया जाएगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान 11 जनवरी, 2020 को कोलकाता के दी ओबरॉय ग्रैंड में पूर्वोदयकी शुरूआत करेंगे। उल्‍लेखनीय है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के विशेष विकास की आवश्‍यकता पर बल दिया है, ताकि इस क्षेत्र की संभावनाओं का उपयोग हो सके और क्षेत्र का विकास सुनिश्चित हो सके।

विश्‍वस्‍तरीय इस्‍पात केन्‍द्र बन जाने से पूर्वोदयको बल मिलेगा और पूर्वी क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी आएगी। इस केन्‍द्र में अतिरिक्‍त इस्‍पात क्षमता के लिए 70 अरब डॉलर का पूंजी निवेश करना होगा, जिससे केवल इस्‍पात उत्‍पादन के जरिेये लगभग 35 अरब डॉलर का जीएसडीपी प्राप्‍त होगा। ऐसे केन्‍द्र को स्‍थपित करने से रोजगार सृजन होगा, जिसके तहत इस क्षेत्र में 2.5 मिलियन से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इसके अलावा शहरों, स्‍कूलों, अस्‍पतालों, कौशल विकास केन्‍द्रों आदि का भी विकास होगा। इन राज्‍यों के सर्वाधिक अविकसित क्षेत्रों में होने वाले विकास के जरिये पूर्वी भारत की सामाजिक-आर्थिक प्रगति संभव होगी। इस प्रकार पूर्व और देश के अन्‍य क्षेत्रों के बीच असमानता कम होगी।

पृष्‍ठभूमि

      भारत के पूर्वी क्षेत्र में समृद्ध संसाधन मौजूद हैं, लेकिन विकास के संदर्भ में वह अन्‍य राज्‍यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। ओडिशा, झारखंड, छत्‍तीसगढ, पश्चिम बंगाल और उत्‍तरी आंध्र प्रदेश जैसे देश के पूर्वी राज्‍यों में लौह अयस्‍क लगभग 80 प्रतिशत, कोकिंग कोल 100 प्रतिशत और पर्याप्‍त मात्रा में क्रोमाइट, बॉक्‍साइट और डोलोमाइट जैसे खनिज पाये जाते हैं। इस क्षेत्र में पारादीप, हल्दिया, विज़ाग और कोलकाता जैसे बड़े बंदरगाह भी मौजूद हैं। इसके अलावा तीन प्रमुख राष्‍ट्रीय जलमार्ग, सड़क मार्ग और रेल मार्ग इस क्षेत्र को देश के कई इलाकों से जोड़ते हैं। इन सुविधाओं के बावजूद ये राज्‍य आर्थिक विकास के मद्देनजर भारत के अन्‍य राज्‍यों से बहुत पीछे हैं।

      भारत 5 ट्रिलियन अर्थव्‍यवस्‍था बनने की दिशा में अग्रसर है और इस लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए 5 पूर्वी राज्‍य महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उल्‍लेखनीय है कि राष्‍ट्रीय इस्‍पात नीति में इस्‍पात उत्‍पादन बढ़ाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत 75 प्रतिशत से अधिक की क्षमता इस क्षेत्र में मौजूद है। आशा की जाती है कि 2030-31 तक 300 मीट्रिक टन क्षमता में से 200 मीट्रिक टन क्षमता इस क्षेत्र में मौजूद है। सरकार ने फैसला किया है कि अगले 5 वर्षों के दौरान 100 लाख करोड़ रुपये अवसंरचना में निवेश किया जाएगा। इसके मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास योजना, जलजीवन मिशन, सागरमाला, भारतमाला जैसी विभिन्‍न योजनाओं के जरिये निर्माण तथा अवसंरचना विकास में तेजी आएगी।

एकीकृत इस्‍पात केन्‍द्र

      ओडिशा, झारखंड, छत्‍तीसगढ, पश्चिम बंगाल और उत्‍तरी आंध्र प्रदेश में स्‍थापित होने वाले प्रस्‍तावित एकीकृत इस्‍पात केन्‍द्र के जरिये पूर्वी भारत के सामाजिक-आर्थिक को नई दिशा मिलेगी। इस्‍पात क्षमता को बढ़ाने के अलावा इस केन्‍द्र से मूल्‍य संवर्धन क्षमता में भी  इजाफा होगा। समेकित इस्‍पात केन्‍द्र के 3 प्रमुख तत्‍व हैं, जिनमें ग्रीनफील्‍ड इस्‍पात संयंत्रों की स्‍थापना के जरिये क्षमता संवर्धन, एकीकृत इस्‍पात संयंत्रों के निकट इस्‍पात उप केन्‍द्रों का विकास और उपयोगी अवसंरचना के जरिये पूर्व में सामाजिक-आर्थिक परिदृश्‍य को बदलना शामिल है।

इस्‍पात मंत्रालय द्वारा की गई पहलें

      इस केन्‍द्र को वास्‍तविकता में बदलने के लिए मंत्रालय ने कई पहलें की हैं। केन्‍द्र सरकार के मंत्रालय, राज्‍य सरकारें और निजी क्षेत्र पूर्वोदयसे जुड़े हैं। इस्‍पात मंत्रालय ने विभिन्‍न हितधारकों के साथ इस दिशा में कई पहलें की हैं-

  1. केन्‍द्र सरकार के मंत्रालयों, राज्‍य सरकारों और उद्योग के साथ परामर्श करने के बाद इस्‍पात उप केन्‍द्रों के निर्माण और उन्‍नयन के लिए नीति बनाई गई है। इस्‍पात उप केन्‍द्रों के लिए कलिंग नगर और बोकारो को प्रायोगिक स्‍थानों के रूप में चिह्नि‍त किया गया है। संबंधित राज्‍यों सरकार के सहयोग से कार्यबलों और कार्य समूहों का गठन किया गया है। इन उप केन्‍द्रों के संचालन के लिए विस्‍तृत योजना तैयार की जा रही है।
  2. ग्रीनफील्‍ड मार्ग के जरिये क्षमता संवर्धन को आसान बनाने के प्रयास के तहत एक नीति तैयार की जा रही है, ताकि भूमि अधिग्रहण, कच्‍चे माल की उपलब्‍धता जैसी चुनौतियों का समाधान किया जा सके। इसके लिए केन्‍द्र सरकार के मंत्रालयों, राज्‍य सरकारों और उद्योग के हितधारकों के साथ परामर्श किया जा रहा है।
  3. 12 प्रमुख इस्‍पात जोनों के लिए अवसंरचना परियोजनाओं और महत्‍वपूर्ण लॉजिस्‍टक परियोजनाओं को चिह्नित किया गया है। ये 12 प्रमुख इस्‍पात जोन कलिंगनगर, अंगुल, राउरकेला, झारसुगुड़ा, नगरनार, भिलाई, रायपुर, जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर, कोलकाता, विज़ाग में स्थित हैं।

***

आर.के.मीणा/आरएनएम/एकेपी/आरएन – 5213   

 


(Release ID: 1599027) Visitor Counter : 793


Read this release in: English , Urdu , Bengali