विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
प्रधानमंत्री ने 107 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का उद्घाटन किया
भारत दुनिया में विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रकाशनों की संख्या में तीसरे स्थान पर पहुंचा: डॉ. हर्षवर्धन
जर्मनी और इज़राइल के नोबेल पुरस्कार विजेता व्याख्यान देंगे
भारत और विदेश के कई वैज्ञानिक विभिन्न वैज्ञानिक मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करेंगे
Posted On:
03 JAN 2020 4:45PM by PIB Delhi
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बंगलुरु में 107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस (आईएससी) का उद्घाटन किया।
अपने उद्घाटन संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत की विकास गाथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की उपलब्धियों पर निर्भर है। भारतीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष के परिदृश्य में क्रान्तिकारी बदलाव की आवश्यकता है।’
उन्होंने कहा, ‘युवा वैज्ञानिक देश की पूंजी हैं और उनके लिए मेरा संदेश है- नवोन्मेष, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि।’ इन चारों कदमों से भारत का तेजी से विकास होगा। उन्होंने कहा कि ‘लोगों के लिए और लोगों द्वारा नवोन्मेष हमारे नवीन भारत की नीति है।’
श्री मोदी ने कहा, ‘नवीन भारत को प्रौद्योगिकी और तार्किक मनोदशा की जरूरत है ताकि हम अपने सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों को एक नई दिशा प्रदान कर सकें।’ उन्होंने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ऐसी स्थिति का निर्माण करते हैं, जहां सभी के लिए अवसर उपलब्ध होते हैं और यह समाज को एकता के सूत्र में पिरोने की भूमिका भी निभाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से सस्ते स्मार्ट फोन और डाटा उपलब्ध हैं। सभी लोग इस सुविधा का लाभ उठा रहे हैं, जबकि कुछ वर्षों पहले तक यह सुविधा गिने-चुने लोगों तक ही सीमित थी। आम आदमी अब यह भरोसा करने लगा है कि वह सरकार से अलग नहीं है। वह सरकार से सीधे रूप से जुड़ सकता है और अपनी आवाज सरकार तक पहुंचा सकता है।’
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने युवा वैज्ञानिकों को प्रेरित करते हुए कहा कि उन्हें ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य करना चाहिए, जहां किफायती और बेहतर नवोन्मेष के लिए अनेक अवसर मौजूद हैं।
107वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस की थीम - ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : ग्रामीण विकास’ के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के कारण ही सरकार के कार्यक्रम जरूरतमंद लोगों तक पहुंचे हैं।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रेखांकित किया कि विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा किए गए विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रकाशन की संख्या के आधार पर भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। ‘मुझे जानकारी दी गई है कि विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा किए गए विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रकाशनों के संदर्भ में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इस मामले में देश 10 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है, जबकि वैश्विक औसत 4 प्रतिशत का है।’
उन्होंने कहा कि नवोन्मेष सूचकांक में भी भारत की स्थिति बेहतर हुई है और देश 52वें स्थान पर है। सरकारी कार्यक्रमों के द्वारा पिछले पांच वर्षों के दौरान जितने इन्क्यूबेटर निर्माण किए गए हैं, उतना पिछले 50 वर्षों में नहीं हुआ था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। कल हमारी सरकार ने 6 करोड़ लाभार्थियों को पीएम-किसान कार्यक्रम के तहत किस्त जारी किए। यह केवल आधार सक्षम तकनीक के कारण संभव हुआ। इसी तरह शौचालय निर्माण और गरीबों को बिजली आपूर्ति में प्रौद्योगिकी ने सहायता प्रदान की। जियो टैगिंग और डाटा साइंस की तकनीक के कारण ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की कई परियोजनाएं समय पर पूरी हुईं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम विज्ञान कार्यों की सुगमता सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं और लालफीताशाही को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रभावी तरीके से उपयोग कर रहे हैं।’
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि डिजिटलीकरण, ई-कॉमर्स, इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग सेवाएं ग्रामीण लोगों को प्रभावी ढंग से सहायता प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के कई पहलों, विशेषकर किफायती कृषि एवं खेत से उपभोक्ता तक आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि उन्हें पराली को जलाना, भू-जल स्तर को बनाए रखना, संचारी रोग की रोकथाम, पर्यावरण अनुकूल परिवहन आदि के लिए प्रौद्योगिकी समाधान ढूंढ़ने चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस अवसर पर भारतीय वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग फेसेलिटि मैप (आई-एसटीईएम) पोर्टल का भी शुभारंभ किया।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हाल ही में राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (यूएसए) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत पहले ही विज्ञान और इंजीनियरिंग प्रकाशनों की संख्या में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है और बंगलूरु में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) ने नेचर इंडेक्स द्वारा अनुसंधान की गुणवत्ता में 7वां स्थान हासिल किया है।
डॉ. हर्षवर्धन ने इस बात पर भी जोर दिया कि शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने, युवा महिलाओं के छात्रों और वैज्ञानिकों को सशक्त बनाने, प्रौद्योगिकी विकास, एंड-टू-एंड स्टार्टअप इकोसिस्टम का सृजन करने, भारत में सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विज्ञान को लाने, शैक्षणिक-अनुसंधान प्रयोगशालाओं-उद्योग-समाज को जोड़ने, वैज्ञानिक संसाधनों और विज्ञान संचार को साझा करने के लिए कई योजनाओं पर काम किया गया है, ।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में हमारा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र पिछले पचास वर्षों से दोगुना हो गया है और ज्ञान, मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के साथ एस एंड टी के व्यापक हितधारकों तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व नीति तैयार की गई है।
डॉ. हर्षवर्धन ने विस्तारपूर्वक बताया कि मिशनों में साइबर-फिजिकल सिस्टम, गहरे समुद्र में अन्वेषण; क्वांटम सिस्टम, ऊर्जा भंडारण और जीन संपादन जैसी विघटनकारी तकनीकों में मिशन शुरू किए गए हैं जो हमारे युवा और गतिशील वैज्ञानिकों के लिए भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा कर रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य और कल्याण, जल संरक्षण, पर्यावरण प्रबंधन और स्थानीय आजीविका के स्रोतों जैसे क्षेत्रों में पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को मजबूत किया गया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे वैज्ञानिक 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए एक तेज समावेशी और सतत सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु इस दशक को विज्ञान से विकास का दशक बनाएंगे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी.एस. येदियुरप्पा ने ग्रामीण विकास में कृषि प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला।
विज्ञान कांग्रेस 07 जनवरी, 2020 तक जारी रहेगी, इसमें खाद्य सुरक्षा से जलवायु स्मार्ट कृषि, खाद्य एवं एएमपी की दिशा में फसल सुधारः पोषण सुरक्षा, ग्रामीण विकास के लिए मैटिरियल साइंस एवं टेक्नोलॉजी, कैंसर ड्रग डिस्कवरी में चुनौतियां एवं अवसर, कृत्रिम आसूचना एवं चिकित्सा प्रौद्योगिकी, मूलभूत चिकित्सा एवं नैदानिक अंतः संपर्कों में उन्नति, ग्रामीण जनसंख्या में गैर संक्रमणीय रोग एवं कैंसर अनुसंधान- उपचारात्मक अनुप्रयोग से निर्मित 28 पूर्ण सत्र शामिल हैं।
इस भारतीय विज्ञान कांग्रेस में जो नोबेल पुरस्कार विजेता भाग ले रहे हैं, उनमें जर्मनी के भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर स्टीफन हेल, जो जर्मनी के गोटिंगेन में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर बायोफिज़िकल केमिस्ट्री के निदेशक है और इज़राइल के प्रोफेसर अदा ई ईओनाथ शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, वैज्ञानिक मुद्दों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही स्तरों पर भारत और विदेशों के कई वरिष्ठ वैज्ञानिक और कई सरकारी अधिकारी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
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आरके मीणा/आरएन मीणा/एएम/एसकेजे/डीसी-5129
(Release ID: 1598475)
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