पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने खुला रकबा लाइसेंसिंग कार्यक्रम (ओएएलपी) बोली के दौर – IV के तहत ठेके पर दिए गए 7 ब्लॉकों के लिए अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए
नव वर्ष 2020 के दौरान देश की ऊर्जा अवसंरचना में पहले के मुकाबले अधिक निवेश होगा : श्री धर्मेन्द्र प्रधान
Posted On:
02 JAN 2020 5:35PM by PIB Delhi
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में खुला रकबा लाइसेंसिंग कार्यक्रम (ओएएलपी) बोली के दौर –IV के तहत ठेके पर दिए गए 7 ब्लॉकों के लिए अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। सरकार ने 27 अगस्त, 2019 को ओएएलपी बोली के दौर–IV का शुभारंभ किया था। अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली (आईसीबी) प्रक्रिया के तहत बोली के दौर–IV के अंतर्गत 7 ब्लॉकों की पेशकश की गई थी। बोली का यह दौर 31 अक्टूबर, 2019 को समाप्त हो गया था। आकलन के बाद सभी 7 ब्लॉकों को ओएनजीसी को ठेके पर देने की मंजूरी दी गई थी, जिसके लिए राजस्व हिस्सेदारी अनुबंधों पर आज हस्ताक्षर किए गए हैं। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान की मौजूदगी में इन पर हस्ताक्षर किए गए। भूमि पर अवस्थित इन सातों ब्लॉकों के लिए जितना क्षेत्र आज ठेके पर दिया गया, वह कुल मिलाकर 18,510 वर्ग किलोमीटर है। ये ब्लॉक तीन तलछटी बेसिनों में अवस्थित हैं।
इस अवसर पर श्री प्रधान ने वर्ष 2016 में शुरू की गई हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) के दायरे में आने वाले ओएएलपी बोली के विभिन्न दौर की सफलता पर प्रकाश डाला। इस नीति की खास बात राजस्व हिस्सेदारी व्यवस्था है। इस नीति ने नई उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (नेल्प) का स्थान लिया है, जिसमें उत्पादन हिस्सेदारी व्यवस्था थी। श्री प्रधान ने कहा, ‘पिछले ढाई वर्षों में सरकार ने उत्खनन एवं उत्पादन हेतु लगभग 1.4 लाख वर्ग किलोमीटर के लिए बोलियां सफलतापूर्वक आमंत्रित की थीं। ओएएलपी-IV के तहत आज ओएनजीसी को ठेके पर दिए गए 7 ब्लॉकों में लगभग 33 अरब बैरल तेल और तेल समतुल्य गैस का विशाल संसाधन उपलब्ध है।’
हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में लागू किए गए सुधारों का उल्लेख करते हुए श्री प्रधान ने कहा, ‘हमने अपना फोकस राजस्व से हटाकर उत्पादन को अधिकतम स्तर पर पहुंचाने पर कर दिया है और इसके साथ ही हमने निरंतर सुधार का मार्ग अपनाया है।’ उन्होंने कहा, ‘उत्खनन एवं उत्पादन (ईएंडपी) से जुडे कार्यकलापों में उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने की गति हाल के महीनों में काफी तेज कर दी गई है। हमारी तेल एवं गैस कंपनियां उत्पादन के साथ-साथ विकास की भी गति तेज करने के लिए डिजिटलीकरण और नई प्रौद्योगिकियों को अपना रही हैं।’ ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘ आने वाले वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में भारी-भरकम निवेश होगा। सरकार ने हाल ही में वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2025 तक के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर गठित कार्य दल की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 102 लाख करोड़ रुपये के निवेश का खाका पेश किया गया है। अवसंरचना में अनुमानित पूंजीगत खर्च का लगभग 24 प्रतिशत अकेले ऊर्जा क्षेत्र के खाते में जाएगा।’
अब तक ओएएलपी बोली के चार दौर सफलतापूर्वक पूरे हो चुके हैं, जिनके तहत कुल मिलाकर 1,36,790 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के कुल 94 ब्लॉकों के ठेके अग्रणी उत्खनन एवं उत्पादन कंपनियों को दिए गए हैं। उस समय से लेकर अब तक इन ब्लॉकों के ऑपरेटरों ने या तो पेट्रोलियम खनन के कार्य शुरू कर दिए हैं अथवा वे पेट्रोलियम उत्खनन लाइसेंस (पीईएल) प्राप्त करने के अंतिम चरण में हैं।
राजस्व हिस्सेदारी के अनुबंध मॉडल को अपनाने वाली हाइड्रोकार्बन उत्खनन एवं लाइसेंसिंग नीति (हेल्प) दरअसल देश के उत्खनन एवं उत्पादन सेक्टर में ‘कारोबार में सुगमता’ बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसमें आकर्षक एवं उदार शर्तों का उल्लेख किया गया है, जिनमें रॉयल्टी की दरें घटाना, तेल पर कोई उपकर (सेस) नहीं, विपणन एवं मूल्य निर्धारण में आजादी, पूरे साल बोलियां आमंत्रित करना, निवेशकों को अपनी रुचि वाले ब्लॉकों को अलग करने की आजादी देना, परम्परागत एवं गैर-परम्परागत दोनों ही तरह के हाइड्रोकार्बन संसाधनों को कवर करने के लिए एकल लाइसेंस, अनुबंध की पूरी अवधि के दौरान उत्खनन की अनुमति देना और बोली लगाने एवं ठेके देने की प्रक्रिया को आसान, त्वरित तथा पारदर्शी बनाना शामिल हैं। यह और भी अधिक उदार बनाई गई नीतिगत शर्तों के तहत बोली लगाने का पहला दौर था, जिसके तहत उत्पादन को अधिकतम स्तर पर पहुंचाने पर फोकस किया गया और इसके साथ ही श्रेणी-I में आने वाले बेसिन के अंतर्गत मानदंडों के आकलन के एक भाग के रूप में कार्यकलाप कार्यक्रम को अपेक्षाकृत अधिक वेटेज दिया गया तथा श्रेणी-II एव श्रेणी-III में आने वाले बेसिनों से जुड़े बोली संबंधी मानदंडों के एक भाग के रूप में राजस्व में हिस्सेदारी करने की कोई भी प्रतिबद्धता व्यक्त करना आवश्यक नहीं था।
विश्वस्तरीय राष्ट्रीय डेटा भंडार (एनडीआर) पर आधारित हेल्प/ओएएलपी व्यवस्था को सफलतापूर्वक शुरू करके सरकार ने भारत में कुल उत्खनन रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित कर ली है। ओएएलपी के चार दौर के बाद उत्खनन रकबा या क्षेत्र अब बढ़कर लगभग 2,15,000 वर्ग किलोमीटर हो गया है, जो इससे पिछली व्यवस्थाओं के अंतर्गत वर्ष 2019 में लगभग 80,000 वर्ग किलोमीटर ही था। ओएएलपी के चार दौर के बाद प्रतिबद्धता वाले कुल उत्खनन कार्यों में 29,270 एलकेएम का 2डी भूकंपीय सर्वेक्षण; 43,272 वर्ग किलोमीटर का 3डी भूकंपीय सर्वेक्षण; 369 उत्खनन कुएं और शेल संसाधनों की पुष्टि करने से जुड़े 290 प्रमुख विश्लेषण शामिल हैं। इससे अकेले उत्खनन से जुड़े कार्यों में अगले 3-4 वर्षों के दौरान लगभग 2.35 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश सृजित होगा।
अभिरुचि पत्र (ईओआई) पेश करने का पांचवां चक्र या दौर 30 नवम्बर, 2019 को पूरा हो गया था और वर्तमान में ईओआई का छठा चक्र या दौर 31 मार्च, 2020 तक खुला हुआ है।
ओएएलपी-IV के तहत ठेके पर दिए गए ब्लॉकों का विवरण जानने के लिए अंग्रेजी का अनुलग्नक यहां क्लिक करें-
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/वाईबी-5107
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