उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा, 2019
उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
केन्द्र सरकार ने गन्ने पिराई सीजन 2018-2019 के लिए किसानों के गन्ने की बकाया राशि के भुगतान हेतु चीनी मिलों को 7402 करोड़ रुपये के किफायती ऋण दिए
Posted On:
31 DEC 2019 4:51PM by PIB Delhi
गन्ने पिराई सीजन 2017-18 और 2018-19 के दौरान चीनी का अतिरिक्त उत्पादन हुआ। इससे चीनी की कीमत लगातार कम हो रही है। परिणामस्वरूप चीनी की बिक्री से होने वाली आय प्रभावित हुई है और गन्ने पिराई सीजन 2018-19 के लिए किसानों की बकाया राशि में वृद्धि हुई है। अप्रैल, 2019 तक गन्ना किसानों की बकाया राशि 28,390 करोड़ रुपये हो गई है। चीनी की कीमत को उचित स्तर पर स्थिर करने और चीनी मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार करने के लिए ताकि वे किसानों को बकाया राशि का भुगतान कर सकें, केंद्र सरकार ने 2019 के दौरान निम्न कदम उठाए:-
- किसानों के गन्ने की बकाया राशि की भुगतान करने की सुविधा देने तथा नकदी की हानि को रोकने के लिए सरकार ने 07 जून, 2018 को घरेलू बाजार के लिए चीनी की कीमत (एमएसपी) 29 रुपये प्रति किलो (मिल पर) तय की। इससे कम कीमत पर कोई भी चीनी मिल चीनी नहीं बेच सकता। सरकार ने 14 फरवरी, 2019 को चीनी की कीमत 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो तय कर दी।
- गन्ना पिराई सीजन 2018-19 के लिए गन्ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान हेतु सरकार ने 2 मार्च, 2019 को चीनी मिलों को बैंकों के माध्यम से सस्ता ऋण देने की योजना अधिसूचित की। इसके लिए सरकार 738 करोड़ रुपये का ब्याज छूट देगी, जिसकी दर एक वर्ष के लिए 7% वार्षिक होगी। इस योजना के अंतर्गत 2018-19 के गन्ना पिराई सीजन के लिए गन्ना किसानों के बकाये भुगतान हेतु चीनी मिलों को 7402 करोड़ रुपये के सस्ते ऋण वितरित किए गए।
- चीनी क्षेत्र का समर्थन करने और गन्ना किसानों के हित में, सरकार ने 08 मार्च, 2019 को दो योजनाएं अधिसूचित कीं। इन योजनाओं का उद्देश्य चीनी मिलों और शीरा आधारित डिस्टिलरियों को बैंकों के माध्यम से 15500 करोड़ रुपये का सस्ते ऋण उपलब्ध कराना है ताकि इथेनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाई जा सके। इसके लिए सरकार ब्याज छूट के रूप में पांच वर्षों तक कुल 3355 करोड़ रुपये का वहन करेगी। इसमें ब्याज माफी की एक वर्ष की अवधि शामिल है।
वर्तमान गन्ना पिराई सीजन 2019-20 की शुरुआत पिछले वर्ष के बड़े भंडार के साथ शुरू हुई। इससे चीनी मिलों की नकदी स्थिति प्रभावित हो सकती है। मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने, चीनी की कीमतों को स्थिर करने और चीनी मिलों की नकदी की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने निम्न उपाय किए हैं:-
- चीनी के बफर स्टॉक के निर्माण और रख-रखाव के लिए 31 जुलाई, 2019 को एक योजना को अधिसूचित किया गया। इसमें एक वर्ष की अवधि के लिए (1 अगस्त, 2019 से 31 जुलाई, 2020) 40 एलएमटी चीनी के बफर स्टॉक को बनाए रखने की बात कही गई थी। इस बफर स्टॉक के रख-रखाव के लिए सरकार 1674 करोड़ रुपये का वहन करेगी।
- गन्ने पिराई सीजन 2019-20 के दौरान चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से, सरकार ने 12 सितम्बर, 2019 को एक योजना को अधिसूचित किया। इसके तहत 60 एलएमटी चीनी (अधिकतम स्वीकार्य निर्यात मात्रा, एमएईक्यू) के निर्यात पर होने वाले खर्च में सरकार सहायता प्रदान करेगी। योजना के तहत सरकार मोटेतौर पर चीनी मिलों को 10448 रुपये प्रति मीट्रिक टन का भुगतान करेगी। इस मद में सरकार द्वारा वहन की जाने वाली अनुमानित राशि 6268 करोड़ रुपये है।
- सरकार ने वर्तमान इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2019-20 (दिसंबर, 2019 - नवंबर, 2020) के लिए चीनी और चीनी सिरप से इथेनॉल के उत्पादन की अनुमति दी है। सरकार ने इसके लिए शीरे से उत्पादित इथेनॉल की कीमत (मिल पर) तय की है- सी-भारी शीरा- 43.75 रुपये प्रति लीटर; बी-भारी शीरा 54.27 रुपये प्रति लीटर और गन्ने के रस/चीनी/चीनी सिरप से उत्पादित इथेनॉल के लिए 59.48 रुपये प्रति लीटर।
विभिन्न उपायों के परिणामस्वरूप गन्ने के पिराई सीजन 2018-19 के दौरान गन्ने की 94% बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है। इससे किसानों के अखिल भारतीय गन्ना बकाया राशि राज्य के निर्धारित मूल्य (एसएपी) के आधार पर 28,390 करोड़ रुपये से कम होकर 5134 करोड़ रुपये (18 दिसम्बर, 2019 तक) हो गई है और एफआरपी आधार पर अधिकतम बकाया राशि 25434 करोड़ रुपये से कम होकर 3095 करोड़ रुपये हो गई है।
एक वेब पोर्टल शुरू किया गया है, जिसमें चीनी मिल एसडीएफ के तहत विभिन्न ऋणों का लाभ उठाने के लिए ऋण आवेदनों को ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत केन्द्र प्रायोजित पायलट योजना “चावल में पौष्टिक तत्वों की बढ़ोत्तरी और इसका वितरण” शुरू किया
देश में रक्ताल्पता और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार ने केन्द्र प्रायोजित पायलट योजना शुरू की है। इस योजना का नाम है- “चावल में पौष्टिक तत्वों की बढ़ोत्तरी और इसका वितरण”। इस योजना के तहत चावल में पोषक तत्वयुक्त चावल के छोटे कण (एफआरके) मिलाए जाएंगे। इन सूक्ष्म तत्वों में शामिल है- आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 और इन्हें 100:1 के अनुपात में मिलाया जाएगा। इस पायलट योजना को 2019-20 से प्रारंभ होने वाले कुल तीन वर्षों के लिए मंजूरी दी गई है। इसके लिए 147.61 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। इस पायलट योजना में पूर्वोत्तर, पहाड़ी व द्वीप राज्यों के लिए केन्द्र सरकार 90:10 के अनुपात में खर्च वहन करेगी, जबकि शेष राज्यों के लिए यह अनुपात 75:25 निर्धारित की गई है। यह पायलट योजना प्रत्येक राज्य के एक जिले समेत कुल 15 जिलों पर ध्यान केन्द्रित करेगी। चावल में चावल के पोषक कणों को मिश्रित करने के विकेन्द्रीकृत मॉडल को मंजूरी दे दी गई है। मिश्रित करने की यह प्रक्रिया मिलों द्वारा चावल तैयार करने के दौरान ही की जाएगी। पायलट योजना के कार्यान्वयन की संचालन जिम्मेवारी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों पर है। राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों से अनुरोध किया गया है कि वे जल्द से जल्द चावल में चावल के पोषक कणों को मिश्रित करें तथा पीडीएस के माध्यम से इसे वितरित करें।
लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का कार्यान्वयन
सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए) के सार्वभौमिक कार्यान्वयन के लिए निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप, देश में लगभग 80 करोड़ लोगों को अधिक सब्सिडी वाले खाद्यान्नों तक पहुँच का लाभ प्रदान किया गया है। इसके लिए मोटे अनाज/गेहूं/चावल की कीमतें क्रमश: 1/2/3 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित की गई है। ये कीमतें एनएफएसए के लागू होने के पहले तीन वर्षों के लिए मान्य होंगी। इसमें कई संशोधन किए गए हैं और यह निर्णय लिया गया है कि उक्त कीमतें 30 जून, 2019 तक प्रभावी रहेंगी। इसके बाद, सरकार ने निर्णय लिया कि एनएफएसए के अंतर्गत उक्त कीमतें अगले आदेश तक अपरिवर्तित रहेंगी।
टीपीडीएस संचालन को कम्प्यूटरीकृत करने की योजना के तहत राशनकार्डों/लाभान्वितों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पूरी कर ली गई हैं। खाद्यान्नों के आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के कम्प्यूटरीकरण की प्रक्रिया 28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में पूरी कर ली गई है। देश में 87.6 प्रतिशत राशनकार्डों (लाभार्थी परिवार का कम से कम एक सदस्य) में आधार नंबर जोड़ने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। एनएफएसए के तहत राशनकार्डों को आधार नंबर से जोड़ने का कार्य पूरा करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च, 2020 की समय सीमा निर्धारित की गई है।
देश में कुल 5.35 लाख एफपीएस हैं। इनमें से 4.7 लाख एफपीएस (88 प्रतिशत लगभग) में इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) लगाने का कार्य पूरा हो गया है। वर्तमान में 60 प्रतिशत खाद्यान्न लाभार्थियों के बायोमेट्रिक सत्यापन के पश्चात ईपीओएस उपकरण के माध्यम से वितरित किए जा रहे हैं।
राशनकार्डों की अंतर-राज्य पोर्टेबेलिटी सुविधा 12 राज्यों में शुरू की गई है। इसके अंतर्गत राशन कार्डधारक किसी भी राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश के किसी भी एफपीएस से खाद्यान्न प्राप्त कर सकता है। ये बारह राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, गुजरात, झारखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश। यह सुविधा उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के कुछ जिलों/एफपीएस क्षेत्रों में आंशिक रूप से संचालित है।
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के तहत राशन कार्ड धारकों की अंतर-राज्य पोर्टेबिलिटी 8 राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक और केरल (प्रत्येक दो निकटवर्ती राज्यों के कलस्टरों) में लागू है। इस सुविधा से अन्य राज्यों में प्रवासी लाभार्थियों को बायोमेट्रिक सत्यापन के पश्चात ईपीओएस सक्षम एफपीएस से खाद्यान्न प्राप्त करने की सुविधा मिली है।
टीपीडीएस संचालन का शुरू से अंतिम सिरे तक कम्प्यूटरीकरण
टीपीडीएस में आधुनिकीकरण और पारदर्शिता लाने के लिए विभाग 884 करोड़ की लागत से टीपीडीएस परिचालनों में शुरू से अंतिम सिरे तक कम्प्यूटरीकरण की योजना लागू कर रहा है। इसके लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ लागत को साझा किया जाएगा। इस योजना में राशन कार्डों और लाभार्थियों के विवरणों के डिजिटलीकरण, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के कम्प्यूटरीकरण, पारदर्शिता पोर्टलों की स्थापना और शिकायत निवारण तंत्र की व्यवस्था की गई है।
जाली/अयोग्य लाभार्थियों की पहचान करके उन्हें बाहर करने, खाद्यान्न सब्सिडी का निर्धारण कर लक्ष्य तय करने तथा राशन कार्डों में आधार नंबर जोड़ने का कार्य राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 86 प्रतिशत राशन कार्डों को आधार नंबर से जोड़ दिया गया है।
इस योजना के तहत खाद्यान्न वितरण के लिए उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) में इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरण लगाए जा रहे हैं। इसमें विक्रय के कारोबार के सत्यापन और इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकार्ड रखने की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में देश भर में कुल 5.34 लाख एफपीएस में से 4.6 लाख एफपीएस के पास ईपीओएस उपकरण की सुविधा है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस)
वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान एक केन्द्रीय योजना लागू की जा रही है, जो राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के कार्यान्वयन के लिए, राष्ट्रीय स्तर पर आंकड़ों के भंडारण के लिए तथा पीडीएस संचालन की केन्द्रीय निगरानी प्रणाली के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क (पीडीएसएन) की स्थापना करेगी।
- राशन कार्डों की राज्य के अंदर पोर्टेबिलिटी : एक राज्य के अंदर जिन उचित मूल्य की दुकानों में ईपीओएस की सुविधा है, वैसे किसी दुकान से लाभार्थी खाद्यान्न प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, गुजरात, झारखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा के कुछ एफपीएस क्षेत्रों/जिलों में।
- राशन कार्डों की अंतर-राज्य/राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी : वर्तमान में 8 राज्यों में यह सुविधा दी गई है। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान तथा कर्नाटक और केरल (दो पड़ोसी राज्यों के चार समूहों में)।
किसानों को सहायता
खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) 2018-19 के दौरान 443.99 लाख मीट्रिक टन धान (चावल के संदर्भ में) की रिकॉर्ड खरीद की गई। खरीफ मौसम 2017-18 के दौरान 381.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी। रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2019-20 के दौरान 341.33 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई। आरएमएस 2019-20 के दौरान पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुए बेमौसम वर्षा से प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार ने खरीद नियमों में कुछ छूटें दी थीं।
खाद्यान्नों का प्रवाह
एचएलसी की अनुशंसाओं के तहत एफसीआई ने कॉनकॉर के माध्यम से अगस्त, 2016 में छत्तीसगढ़ (रायपुर) से महाराष्ट्र (तुर्भे) तक कंटेनरों के परिवहन के जरिये खाद्यान्न की आपूर्त की। इस योजना के तहत कंटेनरों द्वारा खाद्यान्न भेजने की सुविधा को पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश से पश्चिम बंगाल, झारखंड, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक और गुजरात के लिए विस्तार दिया गया। पारंपरिक रेल रैकों की तुलना में यह किफायती सिद्ध हुआ। वर्ष 2019-20 के दौरान अक्टूबर, 2019 तक 182 कंटेनरों से खाद्यान्न भेजे गए और इससे माल भाड़े में 424 लाख रुपये का लाभ हुआ।
राष्ट्रीय चीनी संस्थान
- ‘चीनी उद्योग अपशिष्ट एवं फिल्टर केक से जैव-मिथेन/जैव-सीएनजी उत्पादन’ के लिए पेटेंट आवेदन दाखिल किया गया।
- तकनीकों के व्यवसायिकरण के लिए संस्थान ने राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के साथ समझौते पत्र पर हस्ताक्षर किए।
- मिस्र के चीनी उद्योग से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा द्विपक्षीय हितों के क्षेत्रों में सहयोग आधारित अनुसंधान के लिए संस्थान ने यूनिवर्सिटी ऑफ एस्सीयुत, मिस्र के चीनी एवं एकीकृत उद्योग प्रौद्योगिकी विभाग के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- थाइलैंड शुगरकेन बोर्ड और चीन के चीनी उद्योग के प्रतिनिधि मंडलों ने संस्थान का भ्रमण किया और उनके देशों में चीनी उद्योग के विकास के लिए संस्थान की विशेषज्ञता के उपयोग करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया।
- परिसर में छात्रों के प्रभावी प्रशिक्षण के लिए संस्थान ने ‘मिनी शुगर रिफाइनरी’ और ‘अनाज आधारित इथेनॉल इकाई’ की स्थापना की है।
केन्द्रीय भंडारण निगम
- केन्द्रीय भंडारण निगम के द्वारा देश के सभी 380 सामान्य भंडारों में भंडार प्रबंधन की प्रणाली (डब्ल्यूएमएस) लागू की गई है (30 अगस्त, 2019 से प्रभावी)। डब्ल्यूएमएस के तहत वास्तविक समय एमआईएस प्रणाली के जरिये भंडार संचालन के डिजिटलीकरण की व्यवस्था है। इससे समय पर और प्रभावी निर्णय लेने में सुविधा होगी। इससे पारदर्शिता और सेवा प्रदान करने के संदर्भ में ग्राहकों की मांग को पूरा करने की प्रक्रिया बेहतर होगी। इससे एकीकृत सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ेगी और एक ही कार्य के लिए किए जाने वाले विभिन्न प्रयासों की संख्या में कमी आएगी।
- चेन्नई में 3 जुलाई, 2019 को आयोजित दक्षिण-पूर्व सीईओ सम्मेलन के दौरान केन्द्रीय भंडारण निगम को कार्गो और लॉजिस्टिक क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ‘कंटेनर फ्रेट स्टेशन ऑपरेटर ऑफ द इयर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- आंध्र प्रदेश के 23 केन्द्रीय भंडारों को ‘मार्केट यार्ड’ के रूप में घोषित किया गया है, जो मंडी यार्ड के रूप में कार्य करेंगे और इन्हें बाद में ई-नाम सुविधा से जोड़ दिया जाएगा।
- सीडब्ल्यूसी ने झारखंड के चाईबासा में 6000 मीट्रिक टन की क्षमता वाले एक नए भंडार की शुरूआत की है।
- सीडब्ल्यूसी को कंटेनर फ्रेट स्टेशन (सीएफएस), इंपेक्स का रणनीतिक एलायंस प्रबंधन संचालन (एसएएमओ) का 10 वर्षों का कॉन्ट्रेक्ट मिला है, जिसे पांच वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस सुविधा से प्रतिवर्ष 2.03 करोड़ रूपये की निश्चित आय प्राप्त होगी।
- सीडब्ल्यूसी ने नवंबर, 2019 में कनीय अधीक्षक के पद पर 155 उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी किए हैं।
सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कंपनी लिमिटेड
सीआरडब्ल्यूसी ने 21 अक्टूबर, 2019 को डेटिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत भारतीय रेल के साथ किए गए अनुबंध की तर्ज पर सीआरडब्ल्यूसी फ्रेट रेल लाइन के किनारे भंडार/साइलो/बहुमॉडल लॉजिस्टिक पार्क (एमएमएलपी) आदि विकसित करेगा। इससे रेल ट्रैफिक व्यवस्था भी बेहतर होगी।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/जेके/डीएस–5093
(Release ID: 1598333)
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