ग्रामीण विकास मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा – 2019 ग्रामीण विकास मंत्रालय


ग्रामीण विकास मंत्रालय का आदर्श है – आजीविका के अवसरों को बढ़ाने, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और ग्रामीण ढांचागत संरचना का विकास करने के माध्यम से ग्रामीण भारत का दीर्घावधि और समावेशी विकास। मंत्रालय की प्रमुख योजनाएं व कार्यक्रम निम्न 5 प्रमुख विषयों पर आधारित है :

Posted On: 24 DEC 2019 5:58PM by PIB Delhi

   i.     ग्रामीण आवास (प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के माध्यम से)

   ii.     ग्रामीण रोजगार (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से)

  iii.     ग्रामीण कनेक्टिविटी (प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से)

  iv.     ग्रामीण आजीविका (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से)

 v.     ग्रामीण कौशल विकास (दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से)

इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी), श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (एसपीएमआरएम) और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) ग्रामीण विकास मंत्रालय के अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं। मंत्रालय सामाजिक-आर्थिक जनगणना (एसईसीसी, 2011) के आधार पर वंचित मानदंड को ध्यान में रखते हुए गरीब परिवारों का चयन करता है और कार्यक्रमों को लागू करता है। मंत्रालय कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र में आजीविका के अवसरों का निर्माण करने, सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने, आपूर्ति श्रृंखला में आय बढ़ाने, पूरी आपूर्ति श्रृंखला में महिलाओं को प्राथमिकता देने, शौचालय और बिजली की सुविधा के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने तथा सूक्ष्म उद्योग स्थापित करने के लिए महिला समूहों को प्राथमिकता देने आदि के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) का शुभारंभ 25 दिसंबर, 2000 को हुआ था। इसका उद्देश्य आबादी के उन क्षेत्रों को पक्की सड़क से जोड़ना था, जो सड़क-मार्ग से जुड़े हुए नहीं हैं। इसके लिए मैदानी इलाकों में 500 तथा विशिष्ट क्षेत्रों (पूर्वोत्तर, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड, मरूस्थलीय क्षेत्र, जनजातीय क्षेत्र और पिछड़े जिले) में 250 लोगों की आबादी को आधार बनाया गया है। कार्यक्रम में वर्तमान होकर जाने वाले मार्ग (थ्रोरूट) तथा प्रमुख ग्रामीण लिंक (एमआरएल) के उन्नयन का भी प्रावधान है।

पीएमजीएसवाई के पहलों का संक्षिप्त ब्यौरा

   i.     सरकार ने पीएमजीएसवाई के चरण-III को मंजूरी दी है। इसके तहत 1,25,000 किलोमीटर थ्रोरूट और प्रमुख ग्रामीण लिंक सड़कों का सुदृढ़ीकरण किया जाएगा जो आबादी वाले क्षेत्र को ग्रामीण कृषि बाजार (जीआरएएम), उच्च विद्यालय, अस्पताल आदि से जोड़ते हैं।

   ii.     कार्यक्रम के दिशानिर्देश जारी किए गए और सॉफ्टवेयर विकसित किया गया । 2019-20 के दौरान पीएमजीएसवाई-III के लिए लक्षित 13 राज्यों में प्रशिक्षण कार्यशालाएं आयोजित की गईं।

  iii.     वर्तमान वर्ष के दौरान जिन सड़कों का निर्माण हुआ उनकी कुल लंबाई 36,037 किलोमीटर है। आबादी के कुल 5,952 क्षेत्रों को सड़क कनेक्टिविटी की सुविधा दी गई।

  iv.     सड़कों के रख-रखाव के लिए ई-मार्ग सॉफ्टवेयर विकसित किया गया और इसे राज्यों में इसे शुरु किया गया है।

 

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई)

ग्रामीण विकास मंत्रालय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत ग्रामीण गरीब युवाओं के कौशल विकास के लिए दो कल्याणकारी योजनाएं लागू कर रहा है। ये योजनाएं निम्न हैं  :

1)  दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के तहत कौशल विकास को पारिश्रमिक आधारित रोजगार से जोड़ा गया है।

2)  ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) के माध्यम से कौशल विकास। इस योजना के तहत प्रशिक्षु को अपना सूक्ष्म उद्यम शुरु करने के लिए बैंक ऋण प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाया जाता है। इस तरह के कुछ प्रशिक्षु नियमित वेतन वाले नौकरी की तलाश कर सकते हैं।

1.  दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) 

वर्तमान में डीडीयू-जीकेवाई पूरे देश के 27 राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू की गई है। इसके अन्तर्गत 1624 सक्रिय प्रशिक्षण केन्द्र चल रहे हैं और 641 प्रशिक्षण भागीदार हैं। अब तक 1414 चल रही परियोजनाओं के माध्यम से 52 क्षेत्रों के 526 पेशों (ट्रेड) में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। वर्तमान कैंलेडर वर्ष 2019 (1 जनवरी, 2019 से 20 दिसंबर, 2019 तक) में 2.29 लाख उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है और 1.39 लाख उम्मीदवारों को देश भर में रोजगार प्राप्त हुए हैं।

2.  ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई)

वर्तमान में देश में 585 आरएसईटीआई कार्यरत हैं। वर्तमान में आरएसईटीआई 4 प्रमुख क्षेत्रों – कृषि, प्रसंस्करण, उत्पाद निर्माण औऱ सामान्य उद्यमिता विकास कार्यक्रम – की 61 विधाओं में प्रशिक्षण दे रहे हैं। वर्तमान कैलेंडर वर्ष 2019 (1 जनवरी, 2019 से 20 दिसंबर, 2019) में 2,62,570 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण दिया गया और इनमें से 1,43,702 उम्मीदवारों को देश के विभिन्न हिस्सों में रोजगार मिला है।

 

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम)

1.  दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई - एनआरएलएम) का शुभारंभ 2011 में हुआ था। इसका लक्ष्य 9 करोड़ ग्रामीण गरीब परिवारों को चरणबद्ध तरीके से स्वयं-सहायता समूहों (एसएचजी) के अन्तर्गत लाना है, उन्हें दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करना है ताकि वे अपनी आजीविका में विविधता ला सकें, अपनी आय बढ़ा सके और अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकें।

2.  डीएवाई – एनआरएलएम का लक्षित समूह है – सामाजिक, आर्थिक औऱ जातिगत जनगणना (एसईसीसी, 2011) के आंकड़ों के आधार पर “स्वतः शामिल” सभी परिवार और वे सभी परिवार जिनमें “कम के कम एक अभाव” विद्यामान है। ग्रामीण गरीब परिवारों की सूची को “गरीबों की भागीदारी पहचान” (पीआईपी) के द्वारा मान्यता दी गई है और इस सूची को ग्राम सभा ने भी मान्यता दी है।

 

3.  डीएवाई – एनआरएलएम के प्रमुख घटक हैं  :

(क)    गरीबों के दीर्घावधि संस्थानों को बढ़ावा देना।

(ख)    वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।

(ग)    कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में गरीबों के लिए आजीविका के विभिन्न अवसरों को बढ़ावा देना।

(घ)    कौशल विकास और नौकरियों तक पहुंच को बढ़ावा देना।

(ङ)     सामाजिक समावेश, सामाजिक विकास और मानव विकास को बढ़ावा देना।

 

4.  मिशन की प्रमुख उपलब्धियां निम्न हैं  :

(क)      भौगोलिक कवरेज :  मिशन ने अक्टूबर, 2019 तक गहन रणनीति के अन्तर्गत 29 राज्यों और 5 केन्द्र शासित प्रदेशों के 646 जिलों में स्थित 5894 ब्लॉकों को कवर किया है।

(ख)     सामाजिक समावेश / संस्थान निर्माण  :  6.47 करोड़ से अधिक महिलाओं को अक्टूबर, 2019 तक 5.87 लाख स्वयं-सहायता समूहों (एसएचजी) में शामिल किया गया है। वर्ष 2019-20 के दौरान अक्टूबर, 2019 तक लगभग 67.9 लाख महिलाओं को 6.55 लाख स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया गया है जबकि लक्ष्य 93.66 लाख महिलाओँ को 8.10 लाख स्वयं – सहायता समूहों में शामिल करना निर्धारित किया गया था।

(ग)     सामाजिक पूंजी : सामुदायिक संचालित दृष्टिकोण मिशन की कार्यान्वयन रणनीति के केन्द्र में है। अब तक 2.50 लाख से अधिक समुदाय के संसाधन व्यक्तियों (रिसोर्स पर्सन) को प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें 38,032 कृषि सखी और पशु-सखी शामिल हैं जो अंतिम सिरे तक आजीविका विस्तार सेवाएं प्रदान करते हैं।

(घ)     पूँजीकरण समर्थन  :  वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान अक्टूबर, 2019 तक स्वयं सहायता समूहों तथा इनके परिसंघों को 74.31 करोड़ रु. का पूँजीगत समर्थन दिया गया। मिशन के अंतर्गत कुल मिलाकर 8334.7 करोड़ रु. का पूँजीगत समर्थन दिया गया।

(ङ)      स्वयं सहायता समूह – बैंक अनुबंध – स्वयं सहायता समूहों ने 2013-14 से लेकर अब तक 2.59 लाख करोड़ रुपये बैंक ऋण के रूप में प्राप्त किये हैं। वर्तमान में बकाया बैंक ऋण 88,345 करोड़ रुपये का है जबकि वित्त वर्ष 201-9-20 के लिए लक्ष्य 100,986 करोड़ रुपये का निर्धारित किया गया था।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एमजीएनआरईजीएस)

महात्मा गांधी नरेगा के तहत मंत्रालय ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है। जल से संबंधित योजनाओं के लिए पिछले 6 महीनों के दौरान दो प्रमुख कार्यक्रम – जल शक्ति अभियान (जेएसए) और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) कार्यों को 100 दिनों में पूरा करना – लॉन्च किये गए। जल संरक्षण के लिए ये कार्यक्रम समयबद्ध तरीके से मिशन – मोड में पूरे किये गए ।

वर्ष 2019 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की उपलब्धियां

क्रमांक

थीम / गतिविधि

उपलब्धियां (1 जनवरी, 2019 से 17 दिसंबर, 2019 तक)

1

व्यक्ति – दिवसों का निर्माण

249.65 करोड़

2

राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी धनराशि

65,961 करोड़ रुपये

3

महिलाओं की भागीदारी

56 प्रतिशत

4

कार्य – समाप्ति की दर

74.96 लाख कार्य पूरे हुए

5

जॉब कार्ड सत्यापन

53.18 लाख जॉब कार्ड सत्यापित किए गए

6

सिक्योर (SECURE) रोजगार के ग्रामीण दरों का उपयोग करते हुए अनुमान आकलन के लिए सॉफ्टवेयर

प्रशासनिक अनुमोदन और तकनीकी मंजूरी के लिए एक पारदर्शी प्रणाली बनाने में सिक्योर ने बहुत सहायता की है। अब क्षेत्र स्तर पर कार्य करने वाले पूरी कार्यप्रक्रिया की निगरानी कर सकते हैं और अवरोधों को दूर कर सकते हैं। सिक्योर को 24 राज्यों तथा 3 केन्द्र शासित प्रदेशों के 595 जिलों में लागू किया गया है।

 

वर्ष 2019 के दौरान प्रमुख पहलें

·         जल संरक्षण से संबंधित कार्यों के लिए जलशक्ति अभियान के तहत विशेष योजनाएं शुरु की गई। जल की कमी झेल रहे 1220 ब्लॉकों को लक्षित किया गया। यह परियोजना दो चरणों में पूरी हुई। पहले चरण की अवधि 1 जुलाई से 15 सितंबर, 2019 तक थी और दूसरे चरण की अवधि 1 अक्टूबर से 30 नवंबर, 2019 तक थी। कुल 3158.91 करोड़ रु. की लागत से 3.12 लाख कार्य पूरे किए गए।

·         एनआरएम कार्यों को 100 दिनों के अंदर पूरा करने के कार्यक्रमों की शुरुआत हुई। सभी ग्रामीण ब्लॉकों में जल सम्बन्धी कार्यों को 5 जुलाई, 2019 से 15 अक्टूबर, 2019 के पूरा करने के लिए विशेष दृष्टिकोण अपनाया गया। कुल 12.47 लाख कार्य पूरे किए गए।

·         मंत्रालय ने ग्राम पंचायतों के लिए समग्र योजना की शुरुआत की है। यह योजना जीआईएस का उपयोग करते हुए जल विभाजक विकास पर आधारित है। तीन वर्षों की योजना के लिए 12,365 ग्राम-पंचायतों को चिन्हित किया गया है। 

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई - जी)

सरकार द्वारा 2022 तक “सभी के लिए आवास” को प्राथमिकता देने के संदर्भ में पहले के ग्रामीण आवास कार्यक्रमों की पुर्नसंरचना करके प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई - जी) तैयार की गई है और इस योजना का शुभारंभ 1 अप्रैल, 2016 को किया गया था। पीएमएवाई – जी का लक्ष्य है – सभी बेघरों, कच्चे घर व टूटे-फूटे घरों में रहने वालों लोगों को 2022 तक पक्का आवास देना जिसमें सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद हों। “सभी के लिए आवास” का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 2021-22 तक विभिन्न चरणों में 2.95 करोड़ आवास बनाए जाएंगे। पहले चरण के तहत 3 वर्षों में (2016-17 से 2018-19 तक) 1 करोड़ घर बनाए जाएंगे जबकि दूसरे चरण के अन्तर्गत 3 वर्षों में (2019-20 से 20121-22) 1.95 करोड़ आवासों का निर्माण किया जाएगा। पीएमएवाई – जी के तहत लाभार्थी को स्थानीय सामग्री, डिजाइन और प्रशिक्षित राजमिस्त्री से आवास निर्माण का अवसर दिया जाता है। मकानों को घर बनाने के लिए सम्मिलन के जरिए निवास-स्थान दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव दिया गया है।

योजना के तहत प्रमुख विशेषताएं / पहल

   I.     इकाई सहायता – मैदानी क्षेत्रों के लिए 1,20,000 रु. और पर्वतीय क्षेत्रों / दुर्गम क्षेत्रों / आईएपी जिलों के लिए 1,30,000 रु.

  II.     इकाई सहायता के अलावा, स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा (एमजीएनआरईजीए) के माध्यम से लाभार्थी को निम्न सहायता दी जाएगी ।

(क) शौचालय निर्माण के लिए 12,000 रु. की सहायता राशि

(ख) आवास निर्माण के लिए 90-95 कार्य दिवसों अकुशल पारिश्रमिक

III. पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए : -  

लाभार्थियों की पहचान

() सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी, 2011) के आंकड़ों के जरिए आवास-वंचित मानदंडों के आधार पर लाभार्थियों की पहचान तथा ग्राम सभा द्वारा इनका उचित सत्यापन।

(ख) एसईसीसी-2011 के आंकड़ों के आधार पर कुल 4.04 करोड़ योग्य परिवारों में से 2.50 करोड़ परिवारों को ग्राम सभा के सत्यापन के बाद पीएमएवाई  - जी के तहत सहायता के लिए योग्य पाया गया।  (17 दिसंबर, 2019 तक)

व्यापक ई एवं एम प्रशासनिक समाधान का उपयोग

(क) प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)  :   पीएमएवाई – जी के तहत लाभार्थियों को आवास सॉफ्ट – पीएफएमएस प्लेटफॉर्म के जरिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से सहायता राशि हस्तांतरित की जाती है। इससे लाभार्थी के बैंक खाते  / डाकघर खाते में कोष हस्तांतरण आदेश (एफटीओ) के जरिए सहायता राशि का सीधा हस्तांतरण होता है। वर्ष 2019-20 के दौरान (17 दिसंबर, 2019 तक) कुल 29,000.76 करोड़ रु. के लिए कुल 9.01 लाख एफटीओ जारी किये गए और इससे 79.78 लाख लाभार्थियों को सहायता राशि प्राप्त हुई।

(ख)  मोबाइल एप के उपयोग से आवास निर्माण की साक्ष्य आधारित निगरानी  :  निर्माण के विभिन्न चरणों के आवास के चित्रों को सहायता राशि की मंजूरी और जारी करने के लिए अनिवार्य बना दिया गया है। आवास के इन चित्रों में भौगोलिक-टैगिंग और समय विवरण को भी जरूरी निर्धारित किया गया है। मोबाइल एप आवास एप को निर्माण के विभिन्न चरणों में आवास के चित्रों को खींचने के ले विकसित किया गया है और इससे सत्यापन के समय की भी बचत होती है। 17 दिसंबर, 2019 तक आवासों के 10.33 करोड़ चित्र खींचे गए और जांच के बाद 5.32 करोड़ चित्रों को मंजूरी दी गई।

IV अन्य योजनाओं के साथ वास्तविक समय पर सम्मिलन

        i.     नरेगा सॉफ्ट के साथ वास्तविक समय पर वेबलिंक विकसित किया गया है। इससे पीएमएवाई – जी के तहत मंजूर किए गए प्रत्येक आवास के लिए नरेगा कार्य का स्वतः निर्माण होता है। एमजीएनआरईजीए के समन्वय के तहत पीएमएवाई-जी आवास निर्माण के लिए लाभार्थी 90/95 दिनों के अकुशल पारिश्रमिक का दावा कर सकता है।

       ii.     पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा लागू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है। संशोधित दिशानिर्देश के तहत पीएमएवाई-जी लाभार्थी को एलपीजी कनेक्शन पाने के योग्य माना जाता है। वास्तविक समय पर समन्वय के लिए पीएमएवाई – जी के लाभार्थी, जिनके आवास का निर्माण पूरा हो गया है या पूरा होने के करीब है, के आंकड़ों को वेब सेवाओं के जरिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ साझा किया जाता है ताकि पीएमएवाई – जी के सभी लाभार्थियों को एलपीजी कनेक्शन की सुविधा दी जा सके।

V  अन्य पहल

(क) सामाजिक लेखा-परीक्षण दिशानिर्देश जारी करना  :  राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडी और पीआर) के सहयोग से पीएमएवाई – जी के लिए सामाजिक लेखा-परीक्षण दिशानिर्देश तैयार किये गये हैं। केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने 13 नवम्बर, 2019 को उक्त दिशानिर्देश जारी किये। इन दिशानिर्देशों के अनुरूप राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों ने पंचायतों में योजना के सामाजिक लेखा-परीक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

(ख) पीएमएवाई – जी के अनिच्छुक लाभार्थी के संदर्भमें मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी  :  सभी राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों के परामर्श से एसओपी को तैयार किया गया है और ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इसे 13 दिसंबर, 2019 को जारी किया। एसओपी में उन सभी स्थितियों को शामिल किया गया है जब पीएमएवाई – जी के तहत लाभार्थी अपने आवास के निर्माण में सक्षम नहीं होता है जैसे स्थायी रूप से प्रवास, लाभार्थी का पता नहीं लगाया जा सका, लाभार्थी आरक्षित जंगल में निवास करता है, आदि। दिशानिर्देश में इन स्थितियों में राज्य, जिला तथा ब्लॉक एजेंसियों द्वारा लिये जाने वाले निर्णयों का भी उल्लेख है।

(ग) आवास दिवस उत्सव  :  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पीएमएवाई – जी के कार्यान्वयन के लिए फ्रेमवर्क (एफएफआई) जारी किया औऱ 20 नवबंर, 2016 को आगरा, उ.प्र. में योजना का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया। प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को पूरे देश में आवास दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी सभी राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों में आवास दिवस / आवास शपथ को पूरे उत्साह के साथ आयोजन किया गया। इस अवसर पर पीएमएवाई – जी के लाभार्थियों की सक्रिय भागीदारी से विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जिनमें प्रमुख हैं  :

   i.     पीएमएवाई – जी  के बारे में लाभार्थियों को जानकारी देना  :   जैसे किस्तों की संख्या जिनमें लाभार्थी को सहायता राशि दी जाती है; क्षेत्र में उपलब्ध आवास के विभिन्न डिजाईन;  राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जागरूकता औऱ प्रशिक्षित राजमिस्त्री की उपलब्धता आदि।

   ii.     स्थानीय बैंकों के साथ लाभार्थियों की बातचीत का आयोजन। इससे पीएमएवाई – जी के लाभार्थियों को बैंक ऋण प्राप्त करने में सुविधा हुई।

  iii.     राज्य के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में भूमि पूजन, गृह प्रवेश आदि का आयोजन।

(घ) वित्तीय सुलह मॉड्यूल और एडमिन मॉड्यूल  :  आवास सॉफ्ट के जरिए प्रशासनिक कोष प्रवाह की निगरानी के लिए प्रशासनिक कोष प्रबंधन प्रणाली अर्थात् एडमिन मॉड्यूल विकसित किया गया है। इस मॉड्यूल द्वारा गतिविधि आधारित निगरानी भी की जा सकती है।

इसके अलावा आवास-सॉफ्ट की वित्तीय प्रगति रिपोर्ट की विसंगतियों को दूर करने तथा लेखा अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय सुलह मॉड्यूल को विकसित किया गया है।

इन मॉड्यूलों के उपयोग को 1 सितंबर, 2019 से अनिवार्य बना दिया गया है।

(ङ) आवास गुणवत्ता समीक्षा एप  :  आवास सॉफ्ट में पीएमएवाई – जी के आवासों के विभिन्न चरणों में भौगोलिक – टैगिंग वाले फोटो खींचे जाते हैं। इसमें आवास के पूर्ण- निर्माण का भी फोटो शामिल है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एनआईसी के सहयोग से आवास गुणवत्ता समीक्षा एप भी विकसित किया है। इसके तहत आवास की भौगोलिक-टैगिंग वाली तस्वीरों के माध्यम से आवास की गुणवत्ता की समीक्षा की जाती है।

 (च) राष्ट्रीय पुरस्कार :  ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रत्येक वर्ष विभिन्न योजनाओं के संदर्भ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों / जिलों / ब्लॉकों को पुरस्कार देता है। ग्रामीण विकास मंत्री  मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में ट्रॉफी औऱ प्रमाणपत्र प्रदान करते हैं । इन योजनाओं में पीएमएवाई – जी  भी शामिल है। पीएमएवाई – जी कार्यान्वयन में सर्वश्रेष्ठ योगदान के लिए राज्य / जिला / ब्लॉक और पंचायत के अधिकारियों / कर्मचारियों को व्यक्तिगत पुरस्कार और प्रमाणपत्र भी दिये जाते हैं। इस वर्ष भी राष्ट्रीय पुरस्कार वितरण समारोह 19 दिसंबर, 2019 को आयोजित किया गया। इस समारोह में पीएमएवाई – जी के संदर्भ में विभिन्न श्रेणियों में 4 विजेताओं को पुरस्कार दिये गए।

(छ) अच्छी गुणवत्ता की निर्माण सामग्री की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भवन निर्माण सामग्री निर्माताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ कार्यशालाः पीएमएवाई – जी के अन्तर्गत भवन-निर्माण की विशाल संख्या के लिए बड़ी मात्रा में निर्माण सामग्री की आवश्यकता होती है। निर्माण सामग्री की आपूर्ति में कमी भी हो सकती है और इसके कारण सामग्री की कीमतें बढ़ सकती हैं और निम्न कोटि की सामग्री की आपूर्ति भी की जा सकती है। अच्छी गुणवत्ता की निर्माण सामग्री की निरंतर उपलब्धता के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा माँग और आपूर्ति-दोनों पक्षों से संपर्क किया जा रहा है। इसी पृष्ठभूमि में 17 जुलाई, 2019 को पीएमएवाई – जी के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भवन निर्माण सामग्री के निर्माताओं और आपूर्तिकर्त्ताओं के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

(ज) स्थायी प्रतीक्षा सूची को अद्यतन करना  :  राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेश से यह अनुरोध प्राप्त हुआ है कि एसईसीसी-2011 के तहत मानदंडों की अर्हता को पूरा करने वाले योग्य परिवारों को योग्य लाभार्थियों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए। इस संदर्भ में एक प्रावधान पीएमएवाई – जी के कार्यान्वयन फ्रेमवर्क में पहले से ही शामिल है, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मोबाइल एप आवास + और आवास सॉफ्ट में एक मॉड्यूल विकसित किया है जिसमें ऐसे लाभार्थियों के ब्यौरे को दर्ज किया जा सकता है। इस कार्य को पूरा करने की अंतिम तारीख 7 मार्च, 2019 थी। मंत्रालय ने आवास + के जरिए संग्रह किये गए आंकड़ों के विश्लेषण के लिए विशेषज्ञों की समिति का गठन किया है ताकि स्थायी प्रतीक्षा सूची के सर्वाधिक जरूरतमंद परिवारों की पहचान की जा सके और उन परिवारों को पीएमएवाई – जी के अंतर्गत सहायता प्रदान की जा सके।

(झ)  राजमिस्त्री प्रशिक्षण :  पीएमएवाई – जी आवासों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने तथा आजीविका के अक्सर प्रदान करने के संदर्भ में ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक प्रमुख पहल है – ग्रामीण राजमिस्त्रियों का कौशल विकास । प्रशिक्षण, मूल्यांक और प्रमाणन की एक औपचारिक व्यवस्था के तहत यह कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने भारत राष्ट्रीय निर्माण कौशल विकास परिषद् (सीएसडीसीआई) के परामर्श से ग्रामीण राजमिस्त्री योग्यता पैक (क्यूपी) विकसित किया है और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा इसे मंजूरी मिली है। 1 दिसंबर, 2019 तक कुल 90,469 उम्मीदवारों ने राजमिस्त्री प्रशिक्षण के लिए नामांकन कराया। इनमें से 79,680 उम्मीदवारों का मूल्यांकन हुआ और 54,990 उम्मीदवारों को ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत प्रमाणपत्र दिये गए।

(ञ) आवास डिजाइन के प्रारूप  :  यूएनडीपी और आईआईटी, दिल्ली के सहयोग से ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 18 राज्यों – पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड, सिक्किम, मणिपुर, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, मेघालय, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मिजोरम और राजस्थान में अध्ययन किया है। स्थानीय निर्माण सामग्री व तकनीक, आपदा/खतरों के प्रति संवेदनशीलता, आवासों के डिजाइन एवं सामुदायिक कौशल से जुड़े आजीविका के आयाम आदि के आधार पर राज्यों को विभिन्न आवासीय क्षेत्रों (जोन) में बाँटा गया है। राज्य के आवासीय क्षेत्र की पहचान करने में सामाजिक-सांस्कृतिक अभ्यासों का भी ध्यान रखा गया है। इन राज्यों के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त विभिन्न आवास डिजाइनों की पहचान की गई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आवासीय डिजाइन के 106 प्रारूपों का संग्रह पहल नामक पुस्तिका में किया है। इस पुस्तिका का लक्ष्य है – सरकार के नीति निर्माताओं, पीएमएवाई – जी के इंजीनियरों, पंचायतों, राजमिस्त्रियों और संभावित लाभार्थी परिवारों को डिजाइन, सामग्री और पीएमएवाई – जी के कार्यान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी आदि से संबंधित विभिन्न विकल्प प्रस्तुत करना।

गुजरात, अरूणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और तमिलनाडु राज्यों ने आवास डिजाइन के प्रारूप विकसित किये हैं। राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को स्वयं द्वारा विकसित आवासीय डिजाइन प्रारूपों या पहल पुस्तिका के डिजाइनों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

त्रिपुरा, सिक्किम औऱ महाराष्ट्र राज्यों में आवासीय डिजाइन के प्रारूपों के आधार पर मॉडल आवासों का निर्माण किया गया है।

(ट)  सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करना” :   सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा करने के लिए उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी, उत्तर-पूर्वी औऱ दक्षिणी राज्यों में क्षेत्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गई। कार्यशाला का उद्देश्य था  :

   i.     सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाना इन कार्यशालाओं में सभी प्रतिभागी राज्यों ने सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा किया ताकि योजना के कार्यान्वयन को बेहतर बनाया जा सके।

   ii.     मुद्दों और चुनौतियों का समाधान  :  ग्रामीण विकास मंत्रालय के विभिन्न प्रभागों के अधिकारी तथा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी), आंतरिक वित्त प्रभाग (आईएफडी), लोक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), निर्माण कौशल विकास परिषद (सीएसडीसी) मुख्यलेखा नियंत्रक (सीसीए) जैसे केन्द्र सरकार के विभागों के अधिकारी भी पूरे भारत के विभिन्न स्थानों में आयोजित इन कार्यशालाओं में शामिल हुए। इसका उद्देश्य प्रतिभागी राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाई गई विभिन्न समस्याओं का तत्काल समाधान करना था।

  iii.     क्षेत्रीय कार्यशालाएं निम्न स्थानों पर आयोजित हुईं :

क्रमांक

क्षेत्र

भाग लेने वाले राज्य

आयोजन की तारीख और स्थान

1

उत्तर

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश

29-30 जुलाई, 2019 उत्तराखंड

2

पूर्व

बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़

8-9 अगस्त, 2019 मध्य प्रदेश

3

पश्चिम

महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, गोवा, दमन और दीव तथा दादर व नागर हवेली

19-20 सितंबर, 2019 दमन और दीव

4

पूर्वोत्तर

अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, असम, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम औऱ त्रिपुरा।

23-24 अक्टूबर, 2019 मिजोरम

5

दक्षिण

आंध्र प्रदेश , तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तथा लक्षद्वीप

11-12 नवंबर, 2019 केरल

 

(VI)  उपलब्धियां

पीएमएवाई – जी में प्रगति

मानदंड

उपलब्धिय (लाख में)

 

चरण- 1

(2016-19)

चरण- 2

(2019)

संचयी

कुल लक्ष्य

99.99

60.00

159.99

लक्ष्य आवंटित

99.99

51.05

151.04

पंजीयन

113.72

40.02

153.74

भ-टैगिंग

108.34

37.11

145.46

मंजूरी

97.90

39.79

137.69

पहली किस्त की संख्या जो जारी हुई

96.72

34.76

131.48

दूसरी किस्त की संख्या जो जारी हुई

91.69

13.58

105.28

तीसरी किस्त की संख्या जो जारी हुई

87.03

4.46

91.50

पूरी हुई

85.89

3.06

88.95

(आवास सॉफ्ट एमआईएस से उद्गघृत, 16 दिसंबर, 2019 तक)

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन (एसपीएमआरएम)

1.  पृष्ठभूमिः

             i.     श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन एसपीएमआरएम देश के 29 राज्यों और 6 केन्द्र शासित प्रदेशों में स्थित 300 क्लस्टरों के व्यापक विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित करता है। ये क्लस्टर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है और इनमें थीम आधारित आजीविका गतिविधियों, आबादी बढ़ाने और गैर-कृषि रोजगार आदि के माध्यम से आर्थिक विकास करने की क्षमता है। मिशन को लागू करने का उद्देश्य है – कौशल विकास, आर्थिक गतिविधियों को मजबूत करने और समयबद्ध व न्यायपूर्ण तरीके से प्राथमिक ढांचागत सुविधाओं के माध्यम से इन क्लस्टरों का रूपांतरण। प्रत्येक क्लस्टर के लिए एकीकृत क्लस्टर कार्ययोजना(आईसीएपी) तैयार की गई है और इसमें इन सभी घटकों को शामिल किया गया है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन एसपीएमआरएम की उपलब्धियां

·         संयुक्त सचिव (पीपीईएम) के मार्गदर्शन में उच्चाधिकार प्राप्त समिति की 9 बैठकों का आयोजन हुआ।

·         ईसी के समक्ष 17 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों के 56 एकीकृत क्लस्टर कार्ययोजना (आईसीएपी) प्रस्ताव रखे गए और मंत्रालय ने इन कार्ययोजनाओं को मंजूरी दी।

·         राज्यों / केन्द्रशासित प्रदेशों के 113 डीपीआर मंत्रालय में जमा किये गए।

·         एक राज्य के द्वारा 1 क्लस्टर का प्रस्ताव रखा गया और मंत्रालय ने इसे मंजूरी दी।

·         सीजीएफ की पहली किस्त के रूप में राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को 197.91 करोड़ रु. की धनराशि जारी की गई।

·         सीजीएफ की दूसरी किस्त के रूप में राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को 87.51 करोड़ रु. की धनराशि जारी की गई।

·         रूर्बम क्लस्टरों के स्थान आधारित योजना बनाने के लिए दिशानिर्देशों को अंतिम रूप दिया गया और 24 फरवरी, 2019 को इस फ्रेमवर्क पर विचार-विमर्श के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।

·         मिशन के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यों को दिखाने के लिए जून में नई दिल्ली में अनुभवों को साझा करने हेतु एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस कार्यशाला में 275 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के 80 से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल थे।

·         7 क्लस्टरों ने स्थान आधारित योजना के मसौदे संबंधी प्रक्रिया की शुरुआत की है और एक प्राथमिक स्थान आधारित योजना तैयार की गई है। 5 राज्यों के द्वारा तैयार की गई स्थान आधारित योजना की समीक्षा के लिए एक कार्यशाला आयोजित की गई और इसे अंतिम रूप देने के लिए 30-31 अक्टूबर,  2019 को डेटा डिजाइन मानकों के लिए बैठक हुई।

·         योजना की निगरानी के डिजिटलीकरण के लिए रूर्बन सॉफ्ट एमआईएस पोर्टल विकसित किया गया। राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को मंजूर किये गए क्लस्टर, आईसीएपी, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), मासिक प्रगति रिपोर्ट (एमपीआर) सम्बन्धी आंकड़ों को पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज करने का अनुरोध किया गया। 17 दिसंबर, 2019 तक 268 आईसीएपी, 283 क्लस्टर और 82 डीपीआर के डेटा रूर्बन सॉफ्ट में दर्ज किये गए।

·         विक्रेताओं (वेंडर) को भुगतान के लिए एमआईएस पोर्टल के साथ पीएफएमएस का एकीकरण किया जा रहा है। इससे कोष प्रवाह व्यवस्था सरल हो जाएगी।

सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 11 अक्टूबर, 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) का शुभारंभ किया था। ग्रामीण विकास के क्षेत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण योजना है जिसका लक्ष्य पूरे देश में आदर्श ग्रामों का निर्माण करना है। एसएजीवाई-I (2014-19) के दिशानिर्देशों के अनुसार संसद सदस्य अपनी इच्छा से 2016 तक एक ग्राम पंचायत का चयन करें और इसे एक माडल गांव बनाएं और 2019 तक 2 ग्राम पंचायतों का चयन करें और इन्हें मॉडल गांव के रूप में परिणत करें। 2019 से एसएजीवाई-II (2014-19) के अंतर्गत प्रत्येक संसद सदस्य अपने कार्यकाल के दौरान 2024 तक 5 मॉडल गांव (प्रत्येक वर्ष एक) विकसित कर सकते हैं। 16 दिसंबर, 2019 तक संसद सदस्यों ने पूरे देश में सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत 1733 ग्राम पंचायतों का चयन किया। ये आदर्श गांव, ग्राम समुदायके अंतर्गत स्वास्थ्य, स्वच्छता, हरित क्षेत्र और आपसी समन्वय के एक आदर्श केन्द्र के रूप में विकसित किये गए है। आदर्श ग्राम स्थानीय विकास और प्रशासन के केन्द्र के रूप में निकटवर्ती ग्राम पंचायतों को प्रेरित करते हैं।

संसद सदस्यों के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायतों ने पर्यावरण निर्माण, सामाजिक समन्वय, संसाधनों को मापना और सहभागिता के आधार पर विकास योजना निर्माण आदि के क्षेत्र में संरचनात्मक प्रक्रिया को अपनाया। ग्राम पंचायतों ने ग्राम विकास योजनाओं (वीडीपी) को अंतिम रूप दिया। इन योजनाओं में संसाधनों के समन्वय के जरिए गांव के समग्र विकास के लिए समयबद्ध परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई। संसद सदस्यों द्वारा अब तक एसएजीवाई-I  के तहत 1493 और एसएजीवाई-II के तहत 240 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है। ग्राम पंचायतों द्वारा 1330 वीडीपी तैयार किए गए हैं जिनमें 70,237 गतिविधियां शामिल हैं। इन गतिविधियों में से 43, 615 (62 प्रतिशत) गतिविधियाँ एसएजीवाई-I के अंतर्गत पूरी हो चुकी हैं।

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी)

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एनएसएपी) के तहत राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश ऐसे व्यक्तियों की पहचान करते हैं जिसके पास आजीविका का अपना कोई साधन नहीं है या परिवार के सदस्यों या किसी अन्य स्रोत से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिलती है। एनएसएपी का उद्देश्य ऐसे व्यक्तियों को प्राथमिक स्तर की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है। कार्यक्रम के तहत 2.84 लाभार्थियों को वित्तीय सहायता की जा रही है। राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को 3633.30 करोड़ रु. (40 प्रतिशत)  की धनराशि जारी की गई है। वर्तमान में एनएसएपी के तहत 5 उप-योजनाओं को घटकों के रुप में शामिल किया गया है जो इस प्रकार है  :  आईजीएनओएपीएस, आईजीएनडब्ल्यूपीएस, आईजीएनडीपीएस, एनएफबीएस और अन्नपूर्णा।

2019 में एनएसएपी के अन्तर्गत उपल्बधियां

·         30 नवबंर, 2019 तक एनएसएपी योजना के तहत योग्य लाभार्थियों की वित्तीय सहायता के लिए राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों को 6000 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई।

·         वर्ष 2019 के दौरान एनएसएपी योजना के अंतर्गत 2.84 करोड़ लाभार्थियों को लाभ प्राप्त हुए।

·         एनएसएपी योजना के तहत राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा कुल 13 करोड़ डिजिटल लेन-देन किये गए।

·         एनएसएपी योजनाओं के सभी लाभार्थियों से संबंधित सभी आंकड़ों का एनएसएपी पोर्टल पर डिजिटलीकरण किया गया है।

·         बायोमैट्रिक आधार सत्यापन और ई-प्रमाण (वार्षिक जीवन-प्रमाण प्रणाली)  की शुरुआत की गई है।

·         सामाजिक लेखा एक विचार है जो अच्छे प्रशासन के संदर्भ में प्रासंगिक और लोकप्रिय हुआ है। किसी योजना के कार्यान्वयन में लोगों की भागीदारी और उनके सशक्तिकरण के लिए यह एक प्रमुख प्रक्रिया है।  सामाजिक लेखा के संचालन के लिए दिशानिर्देश और एसओपी जारी किये गए हैं।

·         सामाजिक लेखा पर पायलट परियोजना 5 राज्यों में सफलतापूर्वक पूरी की गई और अब इसे 10 राज्यों में लागू किया गया है।

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/जेके


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