विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सीएसआईआर और फ्रांस के राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र (सीएनआरएस) ने वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा व सहयोग देने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए
Posted On:
17 DEC 2019 3:45PM by PIB Delhi
भारत की वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और फ्रांस के राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र (सीएनआरएस) ने आज नई दिल्ली में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये। इसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा एवं सहयोग देने के लिए इन दोनों संगठनों के बीच सहयोग की एक रूपरेखा स्थापित करना है। सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी.मंडे की अगुवाई वाली टीम ने फ्रांस के सीएनआरएस के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसका नेतृत्व इसके प्रेसीडेंट एवं सीईओ प्रो. एंटोनी पेटिट ने किया।
विज्ञान को प्रौद्योगिकी में तब्दील करने के लिए लाभप्रद एवं सामंजस्यपूर्ण सहयोग की संभावनाओं के मद्देनजर सीएसआईआर और सीएनआरएस आपसी सहयोग बढ़ाने की गुंजाइश की तलाश कर सकते है, ताकि संयुक्त नवाचार को बढ़ावा मिल सके और भारत अथवा/तथा फ्रांस एवं अन्य देशों के लिए मान्य प्रौद्योगिकियों का हस्तांतरण किया जा सके। इस सहयोग में अच्छी प्रथाओं या तौर-तरीकों को साझा करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देना और उद्योग जगत तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग बढ़ाना शामिल हो सकते हैं। आपसी हित के व्यापक अनुसंधान क्षेत्रों में पौधों सहित जैव-प्रौ़द्योगिकी एवं समुद्री जैव–प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन संबंधी अध्ययन, इंजीनियरिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, ऊर्जा विज्ञान व प्रौद्योगिकी और जल अनुसंधान शामिल हैं।
सीएसआई के महानिदेशक डॉ. शेखर सी.मंडे ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत और फ्रांस स्वाभाविक साझेदार हैं और सीएसआईआर एवं सीएनआरएस के बीच वर्ष 1975 से ही आपसी सहभागिता बनी हुई है। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं सीएसआईआर-आईआईसीटी और सीएसआईआर-एनएलसी वर्तमान में सीएनआरएस के साथ मिलकर संयुक्त कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रही है, जिन्होंने अनेक संयुक्त प्रकाशन, पीएचडी एवं पेटेंट सृजित किये है।
सीएनआरएस के प्रमुख प्रो. ए.पेटिट ने कहा कि सीएसआईआर एक मूल्यवान एवं विश्वासी साझेदार है। उन्होंने यह उम्मीद जताई कि एमओयू से आपसी सहयोग में और अधिक वृद्धि होगी तथा यह स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान करेगा और इसके साथ ही जलवायु से जुड़ी विभिन्न चिंताओं का निराकरण करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/जीआरएस - 4826
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