आयुष

परम्परागत औषधियों के उपयोग हेतु मानकीकृत शब्दावली एवं बेंचमार्क दस्तावेज़ों का विकास करने के लिये आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन की बैठकें आयोजित करेगा

Posted On: 25 NOV 2019 5:45PM by PIB Delhi

नवम्बर के अंतिम सप्ताह एवं दिसंबर 2019 के प्रथम सप्ताह के दौरान आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन की दो महत्वपूर्ण बैठकों की मेज़बानी – पहली, आयुर्वेद के स्नात्कोत्तर शिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, जामनगर, गुजरात में तथा दूसरी मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, नई दिल्ली में- कर रहा है।

दिनांक 26 नवम्बर से 29 नवम्बर 2019 के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ मशविरा बैठक (आईईसीएम) का आयोजन,परम्परागत औषधियों के अभ्यासकर्ताओं, शोधकर्ताओं, स्वास्थ्य नीति निर्माताओं, नियामकों एवं प्रशासकों के साथ-साथ आयुर्वेद, यूनानी एवं पंचकर्म के 51 चयनित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों (सभी छह विश्व स्वास्थ्य संगठन क्षेत्रों से), की मेज़बानी करेगा ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यबल की 2 से 4 दिसंबर 2019 के बीच आयोजित होने वाली बैठक परम्परागत औषधियों पर शोध के 42 चयनित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों (सभी विश्व स्वास्थ्य संगठन क्षेत्रों से) एवं विभिन्न भाषाओं (संस्कृत, अरबी, फारसी, उर्दू एवं तमिल) के विशिष्ट ज्ञान एवं परम्परागत औषधियों, भाषाओं एवं पटकथा के क्षेत्र में श्रेष्ठ अनुभव वाले विशेषज्ञों समेत अन्य संबंधित अकादमिक विशेषज्ञों की मेज़बानी करेगी ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन परम्परागत एवं पूरक चिकित्सा की गुणवत्ता, सुरक्षा एवं प्रभावशीलता की बेहतरी हेतु वैश्विक रणनीति के अंतर्गत आयुर्वेद, पंचकर्म एवं यूनानी पद्धतियों से उपचार के लिये बेंचमार्क दस्तावेज़ तथा आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी पद्धतियों में अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली का दस्तावेज़ तैयार कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के बीच परम्परागत एवं पूरक चिकित्सा के क्षेत्र में 2014 से 2023 की समयावधि के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की रणनीति के अंतर्गत सहयोग पर हस्ताक्षरित परियोजना सहयोग समझौते (पीसीए) में इस बेंचमार्क दस्तावेज़ का विकास किया जाना सम्मिलित किया गया है । 

उपचार हेतु निर्धारित बेंचमार्क पर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की मशविरा बैठक इस विषय पर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में सितम्बर 2018 में आयोजित कार्यबल की बैठक का ही विस्तार है ।

यह संभावना है कि उपचार के लिये बेंचमार्क दस्तावेज़ आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियों द्वारा मानक उपचार के अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क के रूप में स्थापित हों। वह आयुर्वेद, पंचकर्म एवं यूनानी चिकित्सा पद्धतियों से उपचार हेतु सुरक्षा ज़रूरतों का ख़ाका खींच पाएं एवं उपचार संबंधी अन्य जानकारियों एवं सूक्ष्म अंतरों को दूर करने के अलावा आयुर्वेद तथा यूनानी पद्धतियों से उपचार करने वाले चिकित्सकों के चुनाव संबंधी मानदंड निर्धारित कर पाएं । यह दस्तावेज़ नियमन संबंधी मानक स्थापित करने/उनको सुदृढ़ बनाने में राष्ट्रीय प्राधिकरणों के लिये एक संदर्भ का कार्य करेंगे एवं आयुर्वेद, पंचकर्म एवं यूनानी पद्धतियों से चिकित्सा तथा रोगियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे ।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यबल की बैठक का उद्देश्य आयुर्वेद, यूनानी एवं सिद्ध चिकित्सा पद्धतियों हेतु नौ चयनित विशेषज्ञों द्वारा तैयार मानक शब्दावली के प्रारूप की समीक्षा करना, उस पर टिप्पणी करना एवं उसका संशोधन करना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यबल की बैठक प्रत्येक दस्तावेज़ की संरचना एवं विषय-वस्तु के बारे में अंतर्राष्ट्रीय आमराय बनाने में, साथ ही कुछ अवसरों पर इन प्रणालियों में उपयोग किये जाने वाले शब्दों की परिभाषा तथा अर्थ पर आमराय बनाने में मदद करेगा। आशा है कि यह दस्तावेज़ः प्रणालियों में इस्तेमाल पदों की सूची, उनकी परिभाषाओं (संक्षिप्त एवं विस्तृत, जैसी आवश्यकता हो) के साथ-साथ उपयोग किये जाने वाले पदों के प्रसंगाधीन अर्थ, परिभाषाओं के संदर्भ में उनके शास्त्रीय इस्तेमाल, संबंधित अंग्रेज़ी शब्दावली, पर्यायवाची एवं यहां तक कि मेडिकल नज़रिये से शब्दों के अर्थ की परिभाषाएं तैयार करेगा ।यह दस्तावेज़ आधारभूत सिद्धांतों, मूलभूत परिकल्पनाओं, मानवीय संरचना एवं फंक्शन, उपचार, पैथोलॉजी, शरीर संबंधी तौर तरीक़े एवं शारीरिक गठन, भेषज शास्त्र, औषध शास्त्र, भोजन की तैयारी एवं दवाएं, चिकित्सा-विधान एवं स्वास्थ्य उन्नयन संबंधी उपायों एवं रोकथाम संबंधी उपायों तथा विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों की मिली जुली शब्दावली को कवर करेगा ।

तीस अलग-अलग देशों से जापान, न्यूज़ीलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भारत, मॉरीशस, घाना, दक्षिण अफ्रीका, तंज़ानिया, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, इटली, स्विट्ज़रलैंड, स्पेन, जर्मनी, लाट्विया, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, रूस, हंगरी, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा एवं अंर्जेंटीना समेत 93 अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ (विश्व स्वास्थ्य संगठन के सभी छह क्षेत्रों से) आमंत्रित किये जा रहे हैं ।

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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एबी-

 



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