नागरिक उड्डयन मंत्रालय

‘उड़ान 4.0’ के तहत बोली लगाने के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर में 11 और लद्दाख में 2 हवाई अड्डे


‘उड़ान 4.0’ के तहत प्राथमिकता वाले सेक्‍टरों के लिए अतिरिक्‍त वीजीएफ की पेशकश

Posted On: 05 DEC 2019 6:25PM by PIB Delhi

 नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 03 दिसम्‍बर, 2019 को ‘उड़ान 4.0’ के तहत बोली प्रक्रिया का शुभारंभ करने की घोषणा की, जिसमें पूर्वोत्‍तर क्षेत्र, पहाड़ी राज्‍यों, जम्‍मू–कश्‍मीर, लद्दाख और द्वीपों पर फोकस किया गया है। ‘उड़ान 4.0’ के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जम्‍मू-कश्‍मीर में बिना हवाई सेवाओं वाले 11 एयरपोर्ट और लद्दाख क्षेत्र में बेहद कम हवाई सेवाओं वाले दो एयरपोर्ट के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य हवाई कनेक्टिविटी को मजबूत करना और पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देना है। ‘उड़ान 4.0’ के तहत नागरिक उड्डयन मंत्रालय एयरलाइनों को लगभग 25 प्रतिशत का अतिरिक्‍त वीजीएफ (वायबिलिटी गैप फंडिंग या कम पड़ रही राशि का इंतजाम) भी उपलब्‍ध करा रहा है।

जम्‍मू-कश्‍मीर एवं लद्दाख में ‘उड़ान 4.0’ के तहत बोली के लिए उपलब्‍ध हवाई अड्डों का उल्‍लेख नीचे किया गया है :-

·         लद्दाख में बोली के लिए उपलब्‍ध हवाई अड्डे – कारगिल और थोइसे

·         जम्‍मू-कश्‍मीर में बोली के लिए उपलब्‍ध हवाई अड्डे - अखनूरचांबचुशालफुकचेगुरेक्सझांगरमिरान साहिबपंजगामपुंछराजौरी और उधमपुर।

 

एयरलाइनों को अन्‍य प्रोत्‍साहन :

·         आरसीएस (क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना) उड़ानों के लिए आरसीएस हवाई अड्डों पर चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों द्वारा लिये जाने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर केवल 2 प्रतिशत की दर से ही उत्‍पाद शुल्‍क लगेगा। अधिसूचना की तारीख से लेकर तीन वर्षों तक यह सुविधा रहेगी। जीएसटी को अपनाने पर वही दरें लागू होंगीजो जीएसटी के तहत निर्धारित की जाएंगी और मान्‍य छूट/रियायतें दी जाएंगीताकि कराधान का यह घटा हुआ स्‍तर आगे भी जारी रह सके।

·         लागू नियमों और प्रचलित हवाई सेवा समझौतों के अनुसार चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों को घरेलू एवं अंतर्राष्‍ट्रीय एयरलाइनों के साथ कोड-शेयरिंग समझौता करने की आजादी होगी। किसी भी तरह के संशय को दूर करने के लिए योजना के तहत रियायतें और वीजीएफ केवल चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटर को ही आरसीएस रूट के लिए उपलब्‍ध रहेंगे और इन्‍हें उसी के अनुसार जारी रखा जाएगाजिसे योजना के तहत उल्लिखित व्‍यवस्‍था के अनुसार अंतिम रूप दिया जाएगा।  

·         अधिसूचना की तारीख से लेकर 10 वर्षों की अवधि तक राज्‍य के अंदर अवस्थित आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर एटीएफ पर देय वैट को घटाकर एक प्रतिशत या उससे भी कम के स्‍तर पर ला दिया जाएगा। जीएसटी को अपनाने पर वही दरें लागू होंगीजो जीएसटी के तहत निर्धारित की जाएंगी और मान्‍य छूट/रियायतें दी जाएंगीताकि कराधान का यह घटा हुआ स्‍तर आगे भी जारी रह सके।

·         सर्वोत्‍तम प्रयासों के आधार पर ईंधन देने संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की व्‍यवस्‍था के लिए तेल विपणन कंपनियों के साथ सामंजस्‍य स्‍थापित किया जाएगा।

·         आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों के विकास के लिए आवश्‍यकता पड़ने पर न्‍यूनतम भूमि नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराया जाएगा। इसके अलावा आवश्‍यकता पड़ने पर अंदरूनी इलाकों के लिए मल्‍टी-मोडल कनेक्टिविटी (सड़करेलमेट्रोजलमार्ग इत्‍यादि) सुलभ कराई जाएगी।

·         समुचित ढंग से प्रशिक्षित कर्मियों और मान्‍य मानकों एवं दिशा-निर्देशों के अनुसार संबंधित एजेंसियों से प्राप्‍त उपयुक्‍त उपकरणों के जरिये आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवाएं नि:शुल्‍क मुहैया कराई जाएंगी।

·         आरसीएस रियायत वाले हवाई अड्डों पर अत्‍यधिक रियायती दरों पर बिजलीजल एवं अन्‍य उपयोगी सेवाएं या तो प्रत्‍यक्ष रूप से अथवा समुचित साधनों के जरिये मुहैया कराई जाएंगी।

·         वीजीएफ सीमा में संशोधन – प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (केन्‍द्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्‍मू-कश्‍मीरहिमाचल प्रदेशउत्‍तराखंडपूर्वोत्‍तर राज्‍यकेन्‍द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार) में आरसीएस उड़ानों के परिचालन के लिए श्रेणी 2/3 विमानों (20 से अधिक सीटों वाले) के लिए वीजीएफ को बढ़ा दिया गया है।

 

एयरपोर्ट/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपैड ऑपरेटरों द्वारा पेशकश की गई रियायतों का उल्‍लेख नी‍चे दिया गया है :-

 

·         एयरपोर्ट/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपैड ऑपरेटर (चाहे वे एएआईराज्‍य सरकारोंनिजी निकायों अथवा भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के स्‍वामित्‍व में हों) आरसीएस उड़ानों के लिए भविष्‍य में कोई लैंडिंग चार्ज एवं पार्किंग चार्ज या इस तरह का कोई अन्‍य प्रभार नहीं लेंगे।

·         चुनिंदा एयरलाइन ऑपरेटरों को सभी हवाई अड्डों/वाटर एयरोड्रोम/हेलीपैड पर अपनी आरसीएस उड़ानों के लिए ग्राउंड हैंडलिंग संबंधी कार्यकलाप करने की अनुमति होगी।

·         एएआई अपनी पहल के तहत आरसीएस उड़ानों पर किसी भी तरह का टर्मिनल नैविगेशन लैंडिंग चार्ज नहीं लगाएगा।

 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय का उद्देश्‍य अगले पांच वर्षों में 1,000 रूटों या मार्गों और 100 से भी अधिक हवाई अड्डों को परिचालन में लाना है। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विभिन्‍न रूटों को परिचालन में लाने पर फोकस करने से ही यह संभव हो पाएगा। भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (एएआई) भविष्‍य में बगैर किसी विशेष सुविधा वाले हवाई अड्डों के विकास पर फोकस करेगा और वीजीएफ देने के लिए इस तरह के हवाई अड्डों को आपस में कनेक्‍ट करने वाले रूटों को प्राथमिकता दी जाएगी। केवल कम दूरी वाले ऐसे मार्गों को विकसित करने के लिए संबंधित बाजार को प्रोत्‍साहन दिया जाएगाजो निकटवर्ती हवाई अड्डों को कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे।

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