गृह मंत्रालय

लोकसभा में दादर और नागर हवेली और दमन एवं दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक, 2019 पारित


"न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" - संशोधन के पीछे का मूल कारण

प्रशासनिक सुविधा, तीव्र गति से विकास और केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी रूप से कार्यान्वयन पर फोकस: श्री जी। किशन रेड्डी

Posted On: 27 NOV 2019 6:37PM by PIB Delhi

लोकसभा ने आज दादर और नागर हवेली और दमन एवं दीव (केंद्र शासित प्रदेशों का विलय) विधेयक2019 पारित किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्रीश्री किशन रेड्डी ने लोकसभा को संबोधित किया और कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों, दादर और नागर हवेली और दमन एवं दीव का विलय करने के लिए विधेयक लाया गया है, सरकार की "न्यूनतम सरकारअधिकतम शासन" नीति को ध्यान में रखते हुए। इससे द्वारा प्रशासनिक सुविधातेज गति से विकास और केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सकेगा।

 

श्री रेड्डी ने कहा कि दोनों लोकसभा सीटें बरकरार रहेगी और ग्रुप III और IV के कर्मचारियों की स्थिति में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विलय की जाने वाली इकाई को बॉम्बे हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में रखा जाएगा।

 

इस संशोधन को लाने के पीछे तर्क के बारे में जानकारी देते हुए श्री रेड्डी ने कहा कि दादर और नागर हवेली और दमन एवं दीव केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनिक व्यवस्थाइतिहासभाषा और संस्कृति के संदर्भ में बहुत कुछ साझा करते हैं। विभिन्न विभागों के सचिवपुलिस प्रमुख और दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य वन संरक्षक उभयनिष्ठ हैं और गृह मंत्रालयपर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा तैनात अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी अपने कार्य आवंटन के हिसाब से इन दोनों क्षेत्रों में सेवा देते हैं। इसके अलावापर्यटनउद्योगशिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी समेत विभिन्न क्षेत्रों में नीतियां और विकास योजनाएं भी एक समान हैं।

 

इनके अलावामंत्री ने कहा कि प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश में सचिवालय और समानांतर विभाग हैं जहां बुनियादी ढांचा और जनशक्ति का उपभोग होता है। प्रशासकसचिवों और कुछ विभागों के प्रमुख दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में वैकल्पिक दिनों में काम करते हैं जिससे लोगों के लिए उनकी उपलब्धता और अधीनस्थ कर्मचारियों के कामकाज पर निगरानी रखना प्रभावित होता है। दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में अधीनस्थ कर्मचारी अलग-अलग हैं। इसके अलावाभारत सरकार के विभिन्न विभागों को दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के साथ अलग-अलग समन्वय करना पड़ता हैजिससे कार्यों का दोहराव होता है।

 

दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में दो अलग-अलग संवैधानिक और प्रशासनिक संस्थाओं के होने से बहुत सारी द्वैधताअक्षमता और गैर जरूरी खर्च होता है। इसके अलावाइससे सरकार पर भी अनावश्यक वित्तीय बोझ पड़ता है। इनके अलावाकैडर प्रबंधन और कर्मचारियों के कैरियर प्रगति की विभिन्न चुनौतियां हैं। अधिक अधिकारियों और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता से सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का कार्यान्वयन अधिक कुशलता के साथ करने में मदद मिलेगीश्री रेड्डी ने कहा।

 

यह विधेयकअन्य बातों के साथदोनों केंद्र शासित प्रदेशों के नागरिकों को बेहतर सेवा प्रदान करता है, कार्यकुशलता में सुधार और कागजी कामों में कमीप्रशासनिक खर्च में कमीनीतियों और योजनाओं में एकरूपतायोजनाओं और परियोजनाओं की बेहतर निगरानीऔर विभिन्न कर्मचारियों के कैडरों का बेहतर प्रबंधन।

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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/एके-


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