विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
मीडिया में बदलाव लाने हेतु विज्ञान संचार पर विचार-विमर्श के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मीडिया संगोष्ठी
Posted On:
04 NOV 2019 8:56PM by PIB Delhi
विज्ञान और प्रौद्योगिकी सामग्री तथा इसके विस्तार के लिए एक आदर्श दृष्टिकोण को आदर्श रूप प्रदान करने के लिए भारत और विदेशों से विविध दृष्टिकोण सामने लाने के लिए कोलकाता में आयोजित होने वाले भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव 2019 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मीडिया संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा।
यह संगोष्ठी समग्रता के युग, विज्ञान की कहानी कहने की कला, अनुसंधान पत्रों और लेाकप्रिय सामग्री, सोशल मीडिया इन्फ्युएंसर, मीडिया में विज्ञान विषय का सर्जन करने के बारे में विज्ञान संचार जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए देश और विदेश के विज्ञान और पर्यावरण पत्रकारों को एक मंच पर लाएगी। 6 से 7 नवम्बर, 2019 को आयोजित होने वाली इस मीडिया संगोष्ठी का उद्घाटन प्रसार भारतीय के अध्यक्ष श्री ए. सूर्य प्रकाश करेंगे। इस अवसर पर विज्ञान भारती के अध्यक्ष डॉ. विजय पी. भाटकर की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी। विभिन्न सत्रों में आयोजित होने वाली इस संगोष्ठी में विज्ञान मीडिया क्षेत्र की जानी-मानी हस्तियां अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत करेंगी।
भारत और कुछ अन्य देशों के लगभग 200 विज्ञान पत्रकार और संचारक प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे और बताएंगे कि विज्ञान सामग्री का परम्परागत के साथ-साथ डिजिटल मीडिया में बेहतर रूप से किस प्रकार प्रचार किया जाए, ताकि एक वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने के लिए युवा पीढ़ी को प्रोत्साहन और मार्ग दर्शन मिल सके। ऐसे युग में जहां मीडिया शब्द का लगातार विस्तार हो रहा है, प्रति वर्ष तकनीकी से युक्त नई शैलियों के साथ यह विश्लेषण करना महत्वपूर्ण हो जाता है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जन-जन तक किस प्रकार ले जाया जा सकता है, जिससे अधिक वैज्ञानिक स्वभाव और मानसिकता विकास की दिशा में युवा पीढ़ी को मार्ग-दर्शन मिले।
समावेशी युग में विज्ञान संचार
हम आज ऐसे युग में रहते हैं, जब समाचार पत्रों को उपग्रह टेलीविजन और अन्य टेलीविजन द्वारा और उन्हें सोशल मीडिया और पीटूपी मोबाइल मेसेंजर द्वारा पीछे छोड़ दिया गया है। प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन और इंटरनेट के एक साथ आने से इस बारे में बड़ा बदलावा आया है कि आज उपभोक्ता सामग्री का किस तरह से उपयोग कर रहे हैं। इस सत्र में इस बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा कि इन परिवर्तनों ने किस प्रकार लेखन या फिल्मों का तरीका बदल दिया है।
विज्ञान की कहानी सुनाने की कला
कहानी सुनाने की कला किसी लेख या फिल्म को बना भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है। कोई लेख लिखने या फिल्म में कोई संदेश देने का वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करता है कि भाषा, साहित्य, छायांकन, ग्राफिक्स या इंफोग्राफिक्स के माध्यम से कहानी को पाठकों या दर्शकों के समक्ष किस प्रकार प्रस्तुत किया गया है। प्रौद्योगिकी के पास अनेक औजार हैं, जो किसी लेख या फिल्म या रेडियो कार्यक्रम को अधिक प्रभावी बना सकते हैं। इस सत्र में विज्ञान की कहानी सुनाने के सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
विज्ञान अनुसंधान : अनुसंधान पत्र बनाम लोकप्रिय सामग्री
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अनुसंधान शब्द का अर्थ अक्सर प्रकाशित लेखों और प्राप्त पुरस्कारों की संख्या की सफलता से मापा जाता है। लेकिन आम जनता के लिए लोकप्रिय प्रकाशनों में विज्ञान को सरल और प्रसारित किये जाने की जरूरत है। इस सत्र में इन दोनों के मध्य अंतर पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। हालांकि इन दोनों के बारे में अक्सर गलतफहमी होती है। इससे प्रोफाइल और उम्मीद बेमेल हो जाती है।
इन्फ्युएंसर– पहुंच का सबसे नया किनारा
सोशल मीडिया के आगमन से पारम्परिक मीडिया ने अपनी चमक खो दी है। बड़े मीडिया घराने भी अब किसी विशेष पहुंच को हासिल करने का एकाधिकार नहीं रखते हैं। अब उद्यमी ब्लॉगर्स की पूरी जमात है, जिसने बड़ी संख्या में दर्शकों को सुरक्षित करने में सफलता अर्जित कर ली है। इससे वे अपने अधिकार द्वारा इन्फ्युएंसर बन गए हैं। इन्फ्युएंसर के बारे में आयोजित सत्र में इस बारे में विचार-विमर्श किया जाएगा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी का किस प्रकार लाभ उठाया जा सकता है।
मीडिया में व्यवहार्यता विज्ञान अवसर का सृजन करना
अधिकांश पत्रकार अपने करियर में राजनीति, व्यापार या खेलों की कवरेज का विकल्प क्यों चुनते हैं? ऐसा क्यों हो रहा है कि बहुत कम पत्रकार ही आज भारत में प्रतिबद्धरूप से विज्ञान पत्रकार बनने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं? क्या यह मीडिया घरानों के लिए केवल व्यापार, व्यवहार्यता का मुद्दा है या विज्ञान लेखन या फिल्म निर्माण के भविष्य को एक मजबूत प्रस्ताव के रूप में ठीक से प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस सत्र में इन प्रश्नों पर ध्यान केन्दित करने के लिए विचार-विमर्श किया जाएगा।
क्षेत्रीय मीडिया में विज्ञान – नई सीमाएं
इंटरनेट पर बताया गया है कि अगला मोर्चा निश्चित रूप से क्षेत्रीय भाषाओं का होगा। इसे क्षेत्रीय भाषाओं के पोर्टल, ओटीटी प्लेटफॉर्म और भारत के छोटे-छोटे शहरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट की लगातार बढ़ती पहुंच से इस बात को और गति मिल रही है। यह हमें कहां ले जा रहा है और हम इसका किस तरह से पूरा लाभ उठाने के लिए तैयार हैं, इस बारे में क्षेत्रीय मीडिया सत्र के दौरान विचार-विमर्श किया जाएगा।
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आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/आईपीएस/वाईबी-4023
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