उप राष्ट्रपति सचिवालय

भारत में वैज्ञानिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति


उपराष्ट्रपति ने ध्रुव कार्यक्रम को संस्थागत स्वरूप देने का आह्वान किया

रंगमंच और कला हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा होने चाहिए: उपराष्ट्रपति

ध्रुव, प्रधानमंत्री नवोन्मेष शिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में भाग लिया  

Posted On: 23 OCT 2019 7:29PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि भारत को एक वैज्ञानिक पुनर्जागरण और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी सभ्यता को विकसित करने के लिए विज्ञान और संस्कृति दोनों आवश्यक रहे हैं।

प्रतिभाशाली बच्चों के कौशल और ज्ञान को समृद्ध करने वाले डीएचआरयूवी (ध्रुव), प्रधानमंत्री नवोन्मेष शिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने ध्रुव पहल की सराहना की और कहा कि यह युवाओं में उत्कृष्टता और नवाचार की आग पैदा करेगा।

डीएचआरयूवी कार्यक्रम को संस्थागत स्वरूप प्रदान करने का आह्वान करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह देश भर में एक आंदोलन बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान संग्रहालय, विज्ञान प्रयोगशाला, नृत्य और संगीत पाठ्यक्रम जैसे स्थायी मंच बनाने की भी आवश्यकता है। रंगमंच और कला हमारे स्कूल के पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि मंत्रालय भविष्य में यह काम करेगा।

उत्कृष्टता की भावना के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में सही स्थिति बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, श्री नायडू ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि ध्रुव कार्यक्रम विज्ञान और प्रदर्शन कला दोनों पर केंद्रित है।"

यह कहते हुए कि शिक्षा समग्र होनी चाहिए और बच्चों को प्रतिस्पर्धा के संकीर्ण दायरे से निकालकर सहयोग की असीम दुनिया तक ले जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। श्री नायडू ने कहा कि आज हम जिस दुनिया में रहते हैं वह गरीबी से जलवायु परिवर्तन तक की चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, " इन विकट बाधाओं को पार करने के लिए हमारे युवाओं के सामूहिक तालमेल और रचनात्मक ऊर्जा की जरूरत है।"

ध्रुव के 60 छात्रों के पहले बैच का उल्लेख करते हुए- जिनमें से 30 विज्ञान में असाधारण रूप से प्रतिभाशाली हैं और 30 अन्य उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कलाकार हैं - उपराष्ट्रपति ने कहा कि अपने अनुभवी परामर्शदाताओं के मार्गदर्शन में विज्ञान, गणित और कला से ध्रुव तारा के सहयोगी प्रयास राष्ट्र-निर्माण की दिशा में योगदान देंगे। उन्होंने कहा, ध्रुव तारा आकाश में सबसे चमकीले सितारों में से एक है। खुले समुद्र में यात्रियों के लिए एक मार्गदर्शक प्रकाश स्तंभ के रूप में कार्य करता है।

ध्रुव कार्यक्रम के अंतर्गत, भारत के स्कूलों के विज्ञान और कला के प्रतिभाशाली छात्रों को एक जगह पर लाया जाता है और उनके ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए विशेषज्ञ उन्‍हें सलाह देते हैं। अटल नवाचार मिशन, नीति आयोग, एनसीईआरटी, संगीत नाटक अकादमी, स्पिक-मैके और सेंटर फॉर कल्चरल रिसोर्स एंड ट्रेनिंग, दिल्ली छात्रों के नवीन और रचनात्मक कौशल को प्रखर करेंगे।

श्री नायडू ने ध्रुव की यात्रा पर ध्रुव छात्रों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को देखा और उनके द्वारा शुरु की गई अभिनव वैज्ञानिक परियोजनाओं पर एक लघु फिल्म देखी। इससे पहले, उन्होंने ध्रुव पहल के विज्ञान के छात्रों द्वारा विकसित प्रोटोटाइप प्रदर्शित करने वाली एक गैलरी देखी।

इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल निशंक, सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, प्रो. के. विजय राघवन, उपराष्ट्रपति के सचिव, श्री आई.वी. सुब्बा राव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव, श्री अमित खरे और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

 

उपराष्ट्रपति के भाषण का मूलपाठ देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

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