Posted On:
17 SEP 2019 6:45PM by PIB Delhi
रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री सदानंद गौड़ा ने आज नई दिल्ली में ‘फार्मा मेड एचडीएचडी 2019 : भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग के प्रति धारणा में बदलाव लाना’ विषय पर वार्षिक स्वास्थ्य सम्मेलन का उद्घाटन किया।
श्री गौड़ा ने इस तरह के सम्मेलन के जरिए स्वास्थ्य सेवा उद्योग के सभी हितधारकों को एक प्लेटफॉर्म पर एकजुट करने के लिए पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल को बधाई देते हुए कहा कि इस सेक्टर द्वारा वर्ष 2020 तक भारत में 40 मिलियन रोजगार सृजित किए जाने की आशा है।
भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग को भी रोजगार एवं राजस्व दोनों ही दृष्टि से देश के सबसे बड़े आर्थिक सेक्टरों में शुमार किया जाता रहा है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016 से वर्ष 2022 तक की अवधि के दौरान भारतीय स्वास्थ्य सेवा सेक्टर का आकार 22 प्रतिशत की सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) की दर से तीन गुना बढ़कर 372 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाने की उम्मीद है। वर्ष 2016 में इस सेक्टर का आकार 110 अरब अमेरिकी डॉलर था।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता एवं पहुंच की दृष्टि से भारत को 195 देशों में 145वीं रैंकिंग प्राप्त है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने की असीम संभावनाएं हैं। अत: देश में स्वास्थ्य सेवा उद्योग के विकास की व्यापक गुंजाइश है।
भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग दुनिया का एक सर्वाधिक सुविज्ञ एवं प्रोफेशनल उद्योग है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि निम्नलिखित तथ्यों से इसकी पुष्टि होती है:
भारत की भी गिनती फार्मास्यूटिकल्स या दवाओं के सबसे बड़े निर्यातकों में की जाती है।
भारत के प्रतिभाशाली डॉक्टरों एवं विशेषज्ञों तथा सुसज्जित नैदानिक एवं नर्सिंग सेवाओं की बदौलत भारतीय स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की व्यवस्था को भी दुनिया की सर्वाधिक दक्ष एवं किफायती स्वास्थ्य सेवा प्रदाता प्रणालियों में शुमार किया जाता है, जैसा कि देश के अस्पतालों में देखा जाता है।
वैसे तो हम चिकित्सा उपकरणों के आयात पर निर्भर हैं, लेकिन भारतीय चिकित्सा उपकरण निर्माता इस क्षेत्र में अग्रणी बन गए हैं और वे उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण या डिवाइस बना रहे हैं।
अमेरिका को छोड़ भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां अमेरिका-एफडीए के मानकों पर खरे उतरने वाले सर्वाधिक फार्मा प्लांट (एपीआई सहित 262 से भी अधिक संयंत्र) हैं। भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन–जीएमपी स्वीकृत लगभग 1400 फार्मा प्लांट या दवा संयंत्र और यूरोपीय गुणवत्तापूर्ण दवा निदेशालय (ईडीक्यूएम) द्वारा स्वीकृत 253 संयंत्र (अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त) हैं। किसी भी अन्य देश में इस तरह की विशाल एवं विशिष्ट अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाएं नहीं हैं।
भारतीय फार्मास्यूटिकल या दवा उद्योग विभिन्न टीकों (वैक्सीन) की वैश्विक मांग के 50 प्रतिशत से भी अधिक, अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की मांग के 40 प्रतिशत और ब्रिटेन में सभी दवाओं की मांग के 25 प्रतिशत की आपूर्ति करता है।
जेनेरिक दवाओं के वैश्विक निर्यात में भारत का योगदान 20 प्रतिशत है। भारत से फार्मास्यूटिकल या दवा निर्यात वर्ष 2017-18 में 17.27 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ और इसके वर्ष 2020 तक बढ़कर 20 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच जाने की आशा है। वर्ष 2018-19 में इस निर्यात का आंकड़ा 19 अरब अमेरिकी डॉलर के पार चले जाने की उम्मीद है।
निकट भविष्य में भारतीय फार्मास्यूटिकल सेक्टर के 15 प्रतिशत की सीएजीआर की दर से बढ़ने की आशा है। वैश्विक बायोटेक और फार्मास्यूटिकल कार्यबल या श्रमबल में भारत का दूसरा सर्वाधिक योगदान है। वर्ष 2017 में फार्मास्यूटिकल सेक्टर का मूल्य 33 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया था।
भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियों को वर्ष 2017 के दौरान जेनेरिक दवाओं के लिए अमेरिका में रिकॉर्ड 300 मंजूरियां प्राप्त हुई थीं, जहां जेनेरिक बाजार के वर्ष 2021 तक बढ़कर 88 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाने की आशा है।
वर्ष 2024-25 तक भारत के जैव प्रौद्योगिकी (बायोटेक) उद्योग का आकार बढ़कर 100 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान लगाया गया है।
उद्योग जगत के अनुमानों के अनुसार भारत के चिकित्सा उपकरण बाजार का आकार वर्ष 2025 तक बढ़कर 50 अरब अमेरिकी डॉलर हो जाएगा। मौजूदा समय में भारत को भी दुनिया के शीर्ष 20 चिकित्सा उपकरण बाजारों में शुमार किया जाता है। इतना ही नहीं, जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत ही एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/वीके – 3084