स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
भारत ने जीएफटीएएम को छठवें पुनःपूर्ति चक्र के लिए 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान की घोषणा की
एचआईवी/एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिए भारत ने मजबूत राजनीतिक नेतृत्व और प्रतिबद्धता दिखाई हैः डॉ. हर्षवर्धन
Posted On:
03 SEP 2019 4:01PM by PIB Delhi
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी और गतिशील नेतृत्व के तहत भारत ने एड्स, टीबी और मलेरिया की विश्व निधि में छठवें पुनःपूर्ति चक्र (2020-22) के लिए 22 मिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान की घोषणा की है। यह पांचवें चक्र भारत द्वारा किए गए योगदान की तुलना में 10 प्रतिशत का इजाफा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत विश्व निधि के साथ अपनी दीर्घकालिक साझेदारी पर दृढ़ हैं और एड्स, टीबी तथा मलेरिया के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। विश्व निधि के प्रति भारत की प्रतिबद्धता से देश के मजबूत राजनीतिक नेतृत्व का परिचय मिलता है। भारत इन तीनों रोगों से लड़ने के लिए पूरे विश्व के साथ मजबूती के साथ खड़ा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत विश्व निधि में पुनःपूर्ति के मद्देनजर उसे लागू करने वाला पहला देश है। वह जी-20, ब्रिक्स और अन्य देशों में पहला ऐसा देश बन गया है, जिसने छठवें पुनःपूर्ति सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि हम टीबी, एचआईवी और मलेरिया के उन्मूलन के प्रयासों के लिए पूरी वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।
भारत और विश्व निधि के बीच साझेदारी
भारत 2002 से प्राप्तकर्ता और दानकर्ता के रूप में विश्व निधि के साथ अपनी साझेदारी कायम रखे है। विश्व निधि में दो अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश है और उसने एचआईवी/एड्स, टीबी और मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान किया है। मौजूदा वित्तपोषण चक्र (2018-21) में विश्व निधि ने भारत को 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आवंटन किया है। दानदाता के रूप में भारत ने 2019 तक 46.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान किया, जिसमें पांचवीं पुनःपूर्ति के लिए 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल हैं।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एकेपी/एमएस–2790
(Release ID: 1584005)
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