विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक – 2019 लोकसभा में पेश

Posted On: 08 JUL 2019 4:02PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ‘’डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक2019’’ आज लोकसभा में पेश किया। विधेयक प्रस्‍तुत करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह विधेयक गुमशुदा व्‍यक्तियों, पीडि़तों, दोषियों, विचाराधीन कैदियों और अज्ञात मृत व्‍यक्तियों की पहचान के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग एवं अनुप्रयोग के विनियमन से संबंधित है।

डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक 2019 का प्राथमिक उद्देश्‍य देश की न्‍याय प्रणाली को सहायता और मजबूती प्रदान करने के लिए डीएनए आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग का विस्‍तार करना है। अपराधों की गुत्थियां सुलझाने और अज्ञात मृत व्‍यक्तियों की पहचान के लिए डीएनए आधारित प्रौद्योगिकियों का उपयोग को दुनिया में स्‍वीकार किया गया है। डीएनए प्रयोगशालाओं के लिए अनिवार्य प्रत्‍यायन और विनियमन का प्रावधान करते हुए यह विधेयक यह सुनि‍श्चित करने का प्रयास करता है कि देश में इस प्रौद्योगिकी के प्रस्‍तावित विस्‍तृत उपयोग के साथ इस बात का भरोसा भी है  कि  डीएनए परीक्षण के नतीजे विश्‍वसनीय हैं और इतना ही नहीं, हमारे नागरिकों के निजता के अधिकार के संदर्भ में इन आंकड़ों का दुरूपयोग या कुप्रयोग भी नहीं होता है।  

प्रस्तावित कानून डीएनए प्रमाण के अनुप्रयोग को सक्षम बनाकर आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्त करेगा, जिसको अपराध जांच में सर्वोच्‍च मानक समझा जाता है। विधेयक में परिकल्पित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय डीएनए डेटा बैंकों की स्थापना, फोरेंसिक जांच में सहायक होगी।

प्रस्तावित विधेयक देश भर में डीएनए परीक्षण में शामिल सभी प्रयोगशालाओं में यूनिफॉर्म कोड ऑफ प्रैक्टिस के विकास को गति प्रदान करेगा। यह डीएनए नियामक बोर्ड के उचित सहयोग से देश में डीएनए परीक्षण गतिविधियों को वैज्ञानिक रूप से अ़द्यतन करने और उन्‍हें सुव्यवस्थित करने में मदद करेगा, जिसे इसी उद्देश्य से गठित किया जाएगा। अपेक्षा की जाती है कि वैज्ञानिक रूप से संचालित इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से मौजूदा न्याय प्रणाली और सशक्त बनेगी।

 

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरके-1945

 


(Release ID: 1577818)