उप राष्ट्रपति सचिवालय

उपराष्ट्रपति ने विश्व के विभिन्न भागों में आतंकवादी हमले जारी रहने पर दुख व्यक्त किया;


भारत दुख की इस घड़ी में श्रीलंका सरकार और उसकी जनता के प्रति एकजुटता व्यक्त करता हैः उपराष्ट्रपति

शिक्षा के वाणिज्यीकरण पर चिंता प्रकट की;

उच्च शिक्षा को किफायती और सुगम में बनाया जाए;

वैश्विक मानदंडो के अनुरूप अच्छी शिक्षा उपलब्ध करना समय की जरूरत;

छात्रों को रोजगार पाने योग्य कौशलों से संपन्न करने के लिए हमारी उच्च शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव और सुधार लाने की जरूरत

बेंगलौर विश्वविद्यालय के 54वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

Posted On: 22 APR 2019 1:36PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने विश्व के विभिन्न भागों में आतंकवादी हमले जारी रहने पर दुख व्यक्त किया है और संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते, अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के सभी स्वरूपों को अपराध करार देने तथा आतंकवादियों, उन्हें आर्थिक सहायता देने वालों तथा धन, हथियारों तक उनकी पहुंच संभव बनाने वाले तथा उन्हें सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने वालों को नकारने के लिए भारत द्वारा प्रस्तुत योजना से संबंधित विचार-विमर्श संपन्न करने का आह्वान किया।

श्री नायडू ने विश्व समुदाय से अनुरोध किया कि वह धरती से आतंकवाद की बुराई का खात्मा करने के लिए सम्मिलित कार्रवाई शुरू करे।

बेंगलुरु में आज बैंगलोर विश्वविद्यालय के 54वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अब समय आ गया है कि राष्ट्रीय नीति के तौर पर आतंकवाद भड़काने और उसको  प्रोत्साहन देने को वाले देशों को अलग-थलग करते हुए विश्व समुदाय आतंकवाद की अमानवीय बुराई से निपटने के लिए सम्मिलित कार्रवाई करे। उन्होंने कहा कि केवल भर्त्सना करना और मुआवजा देना ही पर्याप्त नहीं होगा। उऩ्होंने कहा कि हमें आतंकवाद के मूल कारण तक पहुंच कर इस पर काबू पाना होगा और इसके सभी स्वरूपों को जड़ से उखाड़ फैंकना होगा।

दुनिया भर में हजारों मासूमों के मारे जाने की ओर संकेत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शांति के बिना प्रगति बेमानी होगी। श्रीलंका में हुए बर्बर आतंकवादी हमलों में अनेक मासूम लोगों के मारे जाने पर दुख प्रकट करते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत दुख की इस घड़ी में श्रीलंका सरकार और वहीं की जनता के साथ है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा को जाति, नस्ल, धर्म और लिंग की बाधाओं से ऊपर उठना चाहिए। उऩ्होंने कहा कि जहां तक उच्च शिक्षा का संबंध है, सामाजिक एकता और लड़के-लड़कियों में समानता का सिद्धांत सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वैश्विक मानदंडो के अनुरूप अच्छी शिक्षा उपलब्ध करना समय की जरूरत है।

     

उपस्थित जन समुदाय को भारत की गौरवशाली धरोहर की याद दिलाते हुए श्री नायडू ने कहा कि भारत अतीत के गौरव को फिर से बहाल करें और ऑन लाइन पाठ्यक्रमों के विस्तार, मैसिव ओपन ऑन लाइन कोर्सिस (एमओओसी) और दूरस्थ शिक्षा के जरिये उच्च शिक्षा के डिजिटीकरण जैसी पहलों के माध्यम से ज्ञान के सृजन और प्रसार का कार्य बड़े पैमाने पर करें।

उपराषट्रपति ने उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाओं से विविध विशेषज्ञता और विषयों के एकीकरण की सुविधा से युक्त इंटरैक्टिव शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रोत्साहन देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उच्च  शिक्षा प्रणाली युवाओं को इतना समर्थ बनाए कि वे मौजूदा तकनीकी-पूंजीवादी विश्व व्यवस्था और उसकी ज्ञान पर आधारित अर्थव्यवस्था को सेवाएं प्रदान कर सकें।    

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ज्ञान पर आधारित विकास की अवधारणा भारत को अपने जबर्दस्त जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने में समर्थ बनाएगी। उऩ्होंने जोर देकर कहा कि स्किल, रिस्किल एंड अनस्किल' की तीन-आयामी कार्य नीति साथ ही साथ लर्न, रीलर्न और अनलर्न को शामिल करके कौशल आधारित शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए।.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि न सिर्फ हमारी संस्थाओं को वैश्विक ज्ञान के केन्द्र बनाने बल्कि छात्रों को रोजगार पाने योग्य कौशलों से संपन्न करने के लिए भी हमारी उच्च शिक्षा में आमूल-चूल बदलाव  और सुधार किये जाने की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति ने भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन अनुपात मात्र 27 प्रतिशत, जबकि अमरीका और चीन में क्रमशः 85.8प्रतिशत और 43.4 प्रतिशत होने पर बात पर चिंता प्रकट करते हुए सकल नामांकन अनुपात को बढ़ाने के उपायों का आह्वान किया।

इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल और बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, श्री वजुभाई वाला, बैंगलोर विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रो के.आर. वेणुगोपाल, बैंगलोर विश्वविद्यालय के पंजीयक, प्रो.बी.के. रवि, बैंगलोर विश्वविद्यालय के पंजीयक (मूल्यांकन) प्रो. सी. शिवराजू, मानद डिग्री से सम्मानित होने वाले विशिष्ट जन, सिंडीकेट के सदस्य, अकादमिक परिषद, आमंत्रित गणमान्य व्यक्ति, संकाय और स्टाफ के सदस्य, छात्र और उनके माता-पिता उपस्थित थे।

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरके/एम-1012
 

 



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