पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान का शुभारंभ


Posted On: 08 MAR 2019 5:54PM by PIB Delhi

भारत दुनिया के प्रथम राष्ट्रों में से है जिसने एक विस्तृत कूलिंग एक्शन प्लान विकसित किया है जो कि अलग अलग क्षेत्रों में कूलिंग की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से बनाया गया है. इसके जरिए हम कूलिंग की मांग को कम करने के तरीकों को सूचीबद्ध करता है. कूलिंग की जरूरत हर क्षेत्र में है और ये आर्थिक विकास का एक बेहद अहम हिस्सा है. इसकी जरूरत आवासीय और व्यापारिक इमारतों के साथ ही कोल्ड चेन, रेफ्रीजरेशन, परिवहन और व्यापारिक प्रतिष्ठानों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में होती है. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने दिल्ली में आज इंडिया एक्शन कूलिंग प्लान का शुभारंभ किया. पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान का मूल उद्देश्य पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक फायदों को सुरक्षित रखने के लिए दोनों के बीच तालमेल बनाना है. आईसीएपी का व्यापक लक्ष्य है पर्यावरण और समाजिक आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी को सतत कूलिंग और गर्मी से आराम देने की व्यवस्था करना. डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उत्सर्जन घटाने में भी मदद करेगा.

 

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान (आईसीएपी) अलग अलग सेक्टरों में कूलिंग को लेकर एक व्यापक दृष्टिकोण के तहत बनाया गया है, जिससे हम 20 साल की समयावधि में कूलिंग की मांग को घटाने, रेफ्रिजरेंट ट्रांजिशन, ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कर सकें.

इंडिया कूलिंग एक्शन का लक्ष्य है 1) 2037-38 तक सभी सेक्टरों में कूलिंग की मांग को 20% से 25% तक घटाना. 2)2037-38 तक रेफ्रिजरेटर की मांग को 25% से 30% तक घटाना 3)2037-38 तक कूलिंग एनर्जी की मांग को 25% से 40% तक घटाना4) कूलिंग और उससे जुड़े क्षेत्रों को राष्ट्रीय विज्ञान और तकनीक प्रोग्राम के तहत अनुसंधान के लिए प्रमुख क्षेत्र के रूप में पहचान दिलाना 5) स्किल इंडिया मिशन के साथ तालमेल कर 2022-23 तक इस क्षेत्र में 100,000 सर्विसिंग टेक्निशियन को ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट देना. इन कदमों से पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा.

इन कदमों से समाज को पर्यावरण से जुड़े फायदों के अलावा दूसरे निम्नलिखित फायदे भी हैं: 1) सभी को गर्मी से राहत- हाउसिंग बोर्ड के ईडब्ल्यूएस और एलआईजी घरों में कूलिंग का प्रावधान. 2) सतत कूलिंग- कूलिंग से जुड़े लो जीएचजी उत्सर्जन 3) किसानों की आय दोगुनी- बेहतर कोल्ड चेन की सुविधा- किसानों को अपने उत्पाद की अच्छी कीमत मिलेगी और उत्पाद खराब भी नहीं होगा 4) बेहतर जीवन और पर्यावरण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दक्ष कामगार मौजूद होंगे. 5) मेक इन इंडिया- एयर कंडीशनर और उससे जुड़े कूलिंग सामानों का लिए घरेलू स्तर पर उत्पादन. 6) कूलिंग तकनीक के लिए खोज और विकास का उचित प्रबंध- कूलिंग सेक्टर में नई तकनीक को बढ़ावा मिलेगा.    

कूलिंग मानव स्वास्थ्य और उत्पादकता से भी सीधे जुड़ा हुआ है. सतत विकास के लक्ष्यों से कूलिंग के सीधे संबंध को स्वीकारा जा चुका है. अलग अलग सेक्टर में कूलिंग की प्रकृति और वित्तिय विकास में इसके योगदान ने कूलिंग को विकास की जरूरत बना दिया है. आईसीएपी का विकास में कई क्षेत्रों का मिलाजुला प्रयास होगा जिसमें अलग अलग सरकारी मंत्रालय/ विभाग/ संस्थान, उद्योग जगत और औद्योगिक संघो, थिंक टैंक, अकादमिक और अनुसंधान और विकास संस्थान शामिल हैं.

 

***

आर.के.मीणा/एएम/पीकेटी

 



(Release ID: 1568403) Visitor Counter : 873


Read this release in: English , Urdu