वस्त्र मंत्रालय
वस्त्र मंत्रालय की महिला सशक्तिकरण योजनाएं
Posted On:
08 MAR 2019 12:20PM by PIB Delhi
वस्त्र मंत्रालय ने ऐसी अनेक योजनाएं तैयार की हैं जो हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को सशक्त बनाती हैं।
हथकरघा क्षेत्रः
तीसरी हथकरघा गणना (2009-10) के अनुसार, देश भर में लगभग 43.31 लाख हथकरघा बुनकर एवं सहायक कामगार हैं। इनमें से 77 प्रतिशत बुनकर एवं सहायक कामगार महिलाएं हैं जो बुनाई एवं संबंधित कार्यों से जुड़ी हुई हैं और अपने-अपने परिवारों के लिए आय अर्जित कर रही हैं। निम्नलिखित चार योजनाओं के लाभ महिला बुनकरों एवं कामगारों तक पहुंच रहे हैं-
- राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम जिसके निम्नलिखित घटक हैं-
- ब्लॉक स्तर के क्लस्टर
- हथकरघा से जुड़ी विपणन सहायता
- रियायती ऋण/बुनकर मुद्रा योजना
- हथकरघा बुनकर व्यापक कल्याण योजना
- धागा आपूर्ति योजना
- व्यापक हथकरघा क्लस्टर विकास योजना
राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के तहत वर्कशेड के निर्माण के लिए एससी/एसटी/बीपीएल और महिला बुनकरों को 100 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के ब्लॉक स्तर क्लस्टर घटक के तहत पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष (2015-16 से लेकर 2018-19 तक) में ब्लॉक स्तर के 412 क्लस्टरों को मंजूरी दी गई है जिनके तहत 1,71,822 महिला लाभार्थियों को कवर किया गया है।
7 अगस्त, 2018 को जयपुर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाए जाने के दौरान महिला बुनकरों को सात राष्ट्रीय पुरस्कार (कमलादेवी चट्टोपाध्याय पुरस्कार) और नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट (कमलादेवी चट्टोपाध्याय पुरस्कार) प्रदान किए गए।
एनआईओएस और इग्नू पाठ्यक्रमों के तहत नामांकन के लिए एससी/एसटी, बीपीएल और महिला बुनकरों को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
हस्तशिल्प क्षेत्रः
हस्तशिल्प क्षेत्र में, देश भर में लगभग 7 मिलियन शिल्पकार हैं। ‘पहचान पहल’ के तहत आईडी कार्ड जारी करने के लिए लगभग 25 लाख शिल्पकारों की पहचान की गई है और अब तक 19.97 लाख आईडी कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इनमें 56.07 प्रतिशत महिला शिल्पकार हैं।
उपलब्धियों के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण के लिए की गई विभिन्न पहल
अप्रैल 2014 से फरवरी 2019 तक
योजना का नाम
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कार्यक्रमों/परियोजनाओं की संख्या
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मंजूर धनराशि
(लाख रुपये में)
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लाभान्वित/कवर किए गए शिल्पकार
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लाभान्वित महिला शिल्पकार
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टिप्पणी
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आधारभूत (बेस लाइन) सर्वेक्षण और शिल्पकारों का संघटन (एएचवीवाई)
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520
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5912.62
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311983
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109180
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परिचालन वाले मौजूदा 520 क्लस्टरों में से 160 क्लस्टरों (5459 स्वयं सहायता समूह) का संचालन विशेषकर महिला शिल्पकारों द्वारा किया जाता है।
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डिजाइन और प्रौद्योगिकी उन्नयन
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890
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6182.3
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34810
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13924
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पिछले 5 वर्षों के दौरान महिला शिल्पकारों को 4190 टूल किट वितरित की गई हैं।
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मानव संसाधन विकास
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2218
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9896.33
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48281
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14484
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‘गुरु शिष्य परंपरा’ घटक के तहत, पिछले 5 वर्षों के दौरान 505 कार्यक्रमों में से 152 कार्यक्रम महिला मुख्य प्रशिक्षकों (मास्टर ट्रेनर) के लिए मंजूर किए गए।
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विपणन सहायता और सेवाएँ
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1186
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17937.44
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67216
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13440
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अनुसंधान एवं विकास
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726
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2413.62
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18200
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7280
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मेगा क्लस्टर/
आईडीपीएच
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14
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22665.02
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252695
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90770
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शिल्पकारों को प्रत्यक्ष लाभ/कल्याणकारी योजना
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48
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3195.05
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478252
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267821
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कुल
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5602
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68202.38
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1211437
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516899
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अन्य प्रमुख पहलः
- 65 क्लस्टरों की पहचान की गई है तथा आवश्यकता आधारित विभिन्न उपायों के जरिए समग्र विकास के लिए उनके परामर्शदाता (मेंटर) नामित किए गए हैं और इनमें से 24 क्लस्टरों (854 स्वयं सहायता समूह या एसएचजी) का संचालन विशेषकर महिला शिल्पकारों द्वारा किया जाता है।
- वर्ष 2016 से ही पांच राष्ट्रीय पुरस्कारों और पांच नेशनल मेरिट सर्टिफिकेट को विशेषकर महिला शिल्पकारों के लिए आरक्षित रखा गया है। अब तक प्रतिभाशाली शिल्पकारों को 117 शिल्प गुरु पुरस्कार (13 महिला शिल्प गुरु) और 1193 राष्ट्रीय पुरस्कार (189 महिला पुरस्कार विजेता) प्रदान किए गए हैं।
- विशिष्ट कौशल सीखने के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) एवं राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के साथ सहमति-पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इसके साथ ही विभिन्न पाठ्यक्रमों को विशेषकर शिल्पकारों एवं उनके बच्चों के लिए तैयार किया जाता है जिनके तहत महिलाओं एवं एससी/एसटी/बीपीएल शिल्पकारों को कुल शुल्क के 75 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति (वापस लौटाना) की जा रही है।
- अत्यंत गरीबी में जीवन गुजार रहे उन पुरस्कार विजेता शिल्पकारों को प्रति माह 3500 रुपये की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है जिनकी उम्र 60 वर्ष से कम है और जिनकी वार्षिक आमदनी 50,000 रुपये से कम है। 75 महिला पुरस्कार विजेता शिल्पकार वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही हैं।
- वस्त्र मंत्रालय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला शिल्पकारों के लिए विशेष विपणन (मार्केटिंग) कार्यक्रम आयोजित करता रहा हैः
वर्ष
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आयोजन का नाम
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आयोजनों की संख्या
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स्वीकृत धनराशि (लाख रुपये में)
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लाभान्वित महिला शिल्पकार
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2017-18
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महिला शिल्पकारों के लिए विशेष विपणन आयोजन या कार्यक्रम
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10
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14
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400
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2018-19
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महिला शिल्पकारों के लिए विशेष विपणन आयोजन या कार्यक्रम (7-13 मार्च, 2019)
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11
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14
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550
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रेशम क्षेत्र:
भारत में रेशम उद्योग का विकास महिलाओं की भागीदारी के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है और रेशम उत्पादन को महिलाओं के, महिलाओं के लिए एवं महिलाओं द्वारा अपनाए जाने वाले एक पेशे के रूप में माना जाता रहा है। वस्त्र मंत्रालय ने विभिन्न गतिविधियों के जरिए रेशम उद्योग के माध्यम से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं-
- ‘सिल्क समग्र’ के तहत महिला सशक्तिकरणः रेशम उत्पादन को मुख्य रूप से एक घरेलू गतिविधि के रूप में जाना जाता है जिसे विशेषकर महिलाओं द्वारा अपनाया जाता रहा है। लगभग 55 प्रतिशत महिलाए रेशम उत्पादन संबंधी मूल्य श्रृंखला (वैल्यू चेन) से जुड़ी हुई हैं। ‘सिल्क समग्र’ के तहत भारत सरकार ने 38500 एमटी कच्चे रेशम का उत्पादन करने और वर्ष 2013-14 के 78.50 लाख रोजगारों के मुकाबले 100 लाख उत्पादक रोजगारों (21.50 लाख अतिरिक्त रोजगार) को सृजित करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही रेशम उत्पादन में महिलाओं के लिए रोजगार 43.20 लाख से बढ़कर वर्ष 2020 में 55 लाख के स्तर पर पहुंच जाने की आशा है।
- ‘एक्ट ईस्ट’ से जुड़ी पहलः भारत के प्रधानमंत्री की ‘एक्ट ईस्ट’ पहल की तर्ज पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में आजीविका के अवसर सृजित करने के लिए वस्त्र मंत्रालय वर्ष 2014-15 से ही अपनी पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना (एनईआरटीपीएस) के तहत 32 परियोजनाएं कार्यान्वित कर रहा है। इसमें केन्द्र सरकार का योगदान 849 करोड़ रुपये का है। ‘खेत से कपड़े तक’ की रेशम उत्पादन संबंधी मूल्य श्रृंखला के विभिन्न खंडों (सेगमेंट) के जरिए ये परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इससे प्रत्यक्ष तौर पर 60,000 लाभार्थी लाभान्वित हो रहे हैं जिसके तहत लगभग 45,000 महिला लाभार्थियों को कवर किया गया है।
विद्युतकरघा क्षेत्रः
स्टैंड-अप इंडिया योजना एक ऐसे व्यक्ति द्वारा स्थापित नई विद्युतकरघा (पावरलूम) इकाइयों के लिए उपलब्ध है जो एससी/एसटी/महिला उद्यमी श्रेणी में आता/आती है। इसके तहत मशीनरी से जुड़ी लागत पर 25 प्रतिशत मार्जिन मनी (अधिकतम 25 लाख रुपये) की वित्तीय सहायता स्वीकार्य है, बशर्त कि उधार लेने वाला व्यक्ति अपने योगदान के रूप में परियोजना लागत के 10 प्रतिशत की व्यवस्था करे। इस योजना के तहत ऋण राशि के 1 प्रतिशत तक ऋण गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति करने की भी अनुमति है।
पावरटेक्स इंडिया स्कीम के तहत स्टैंड-अप इंडिया योजना के लिए ऑनलाइन सिस्टम के जरिए अब तक प्रस्तुत किए गए 276 आवेदनों में से 250 आवेदन महिला उद्यमियों से संबंधित हैं। 1 अप्रैल, 2017 से लेकर अब तक अनुमानित निवेश लगभग 200 करोड़ रुपये है।
एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस):
वस्त्र क्षेत्र में कौशल से जुड़ी खाई को पाटने के लिए वस्त्र मंत्रालय ने आईएसडीएस की शुरुआत की। इस योजना के तहत वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2018-19 तक 6,41,983 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया जो इस योजना के तहत कुल प्रशिक्षित लोगों में से 72 प्रतिशत के आंकड़े को दर्शाता है। इनमें 6,17,915 का आकलन किया गया है और 5,32,6660 को अपने-अपने क्षेत्रों में संलग्न कर दिया गया है।
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आर.के.मीणा/अर्चना/आरआरएस/सीएल
(Release ID: 1568318)
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