सूचना और प्रसारण मंत्रालय

प्रधानमंत्री ने भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय का किया शुभारम्भ


एनएमआईसी युवा पीढ़ी को बनाएगा संवेदनशील, नई सूचनाएं और प्रेरणा देगाः पीएम

नए भारत के आशावाद का प्रतिनिधित्व करता है भारतीय सिनेमा, जिसमें लाखों समस्याओं के करोड़ों समाधान मौजूद हैः पीएम

भारत की नम्र शक्ति का अहम अंग है भारतीय फिल्म उद्योगः पीएम

हमारी मनोदृष्टि और व्यवहार को आकार देने में भारतीय फिल्म उद्योग की है अहम भूमिकाः पीएम
एक भारत, श्रेष्ठ भारत की वास्तविक झलक है भारतीय सिनेमाः पीएम

फिल्म शूटिंग को मंजूरी, ईज ऑफ फिल्मिंग को प्रोत्साहन के वास्ते सिंगल विंडो मंजूरी पर काम कर रही है सरकारः पीएम

पीएम ने अनसुने नायकों, सामाजिक मुद्दों पर वैज्ञानिक स्वभाव के विकास पर ज्यादा फिल्में बनाने का किया आह्वान

नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स की स्थापना पर जारी है कामः सूचना और प्रसारण मंत्रालय

Posted On: 19 JAN 2019 8:20PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज मुंबई में भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय का शुभारम्भ किया। प्रधानमंत्री ने संग्रहालय का भ्रमण किया। उसके बाद उन्होंने वहां मौजूद फिल्म जगत से जुड़ी हस्तियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यहां पर एक ही जगह पर भारतीय सिनेमा के संपूर्ण इतिहास की झलक दिखाई गई है। उन्होंने एनएमआईसी के शुभारम्भ के लिए फिल्म जगत का आभार प्रकट किया, जिसके दिशा-निर्देशन में भारतीय सिनेमा लगातार नए मुकाम हासिल कर रहा है।

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प्रधानमंत्री ने युवा और बुजुर्गों सभी से कहा कि जोश कैसा है। उन्होंने कहा कि नए भारत के निर्माण के लिए उनका उत्साह बहुत अहम है। एनएमआईसी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें फिल्म उद्योग, उसकी संपन्न परंपरा और फिल्म निर्माण के दौरान लोगों द्वारा किए जाने वाले संघर्ष के तमाम पहलुओं का प्रदर्शन किया गया है। यह युवा पीढ़ी को फिल्मों और फिल्म निर्माण के तमाम पहलुओं को समझाने में योगदान करेगा।

यह संग्रहालय दो इमारतों में बना है। इस पर पीएम ने कहा कि जहां गुलशन महल हमारे इतिहास के बारे में बताता है, वहीं नए संग्रहालय की अति आधुनिक इमारत भविष्य के प्रति हमारे विजन का प्रमाण है।

 

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उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में शहीद हुए लाखों भारतीय जवानों की बहादुरी और बलिदान के बारे में गुलशन महल में उपलब्ध 30 घंटे की फुटेज के बारे में भी बात की। इस फुटेज डिजिटल रूप देने के लिए फिल्म डिवीजन को बधाई देते हुए पीएम ने कहा कि यह युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा के तौर पर काम करेगा।

फिल्म और समाज को एक-दूसरे का आइना बताते हुए प्रधानमंत्री ने फिल्मों के क्रमागत विकास के कुछ पहलुओं के बारे में बात की। उन्होंने मनोज कुमार के अभिनय वाली देशभक्ति से पूर्ण फिल्मों, सिल्वर स्क्रीन पर एंग्री यंग मैन के किरदारों का उदाहरण दिया, जो समाज की उम्मीदों और आकांक्षाओं को सामने रखती थीं। उन्होंने कहा कि जल्द आने वाली फिल्म हीरोज सिर्फ मेट्रोपोलिटन शहरों की फिल्म नहीं है, बल्कि यह छोटे, मझोले शहरों और ग्रामीण इलाकों की भी है।

 

 

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उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि आज की फिल्में नए भारत के लिए आशाएं जगाती हैं, जिनमें लाखों समस्याओं और चुनौतियों के करोड़ों समाधान होते हैं। फिल्म निर्माण में लगने वाली अवधि कम होने पर उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं और कार्यक्रमों को समयबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है और युवा भारत की आकांक्षाओं को पूरा किया जा रहा है।

प्रधानंत्री ने कहा कि भारतीय मनोरंजन उद्योग मानवीय भावनाओं के सभी पहलुओं का प्रतिनिधित्व करती है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई देती है। उन्होंने राजकपूर का उदाहरण दिया, जिनकी फिल्मों को पूरी दुनिया में पसंद किया जाता था। उन्होंने भारत की विनम्र शक्ति के प्रसार में फिल्मों की भूमिका का उल्लेख किया, जिससे ब्रांड इंडिया को मजबूती मिली है।

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भारतीय सिनेमा के प्रभाव का वर्णन करते हुए पीएम ने वैश्विक नेताओं के साथ संवाद के अपने अनुभवों को भी साझा किया। उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री के साथ गीत इचक दाना पर हुई बात पर चर्चा की, जिन्होंने भाषा नहीं जानने के बावजूद गाने को सुना। वहीं दक्षिण कोरिया में हाथी मेरे साथी गाने पर स्कूली बच्चों के प्रदर्शन का भी प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया। उन्होंने भारतीय टीवी धारावाहिकों पर भी चर्चा की और कहा कि अफगानिस्तान में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसने क्यूंकि सास भी कभी बहू थी का नाम नहीं सुना होगा और उन्होंने वियतनाम के प्रधानमंत्री की पत्नी के टीवी धारावाहिक रामायण के प्रति प्रेम का भी उल्लेख किया। ये सभी पहलू भारत की विनम्र शक्ति के दुनिया भर में प्रसार में अहम भूमिका निभाते हैं।

पीएम ने भारतीय सिनेमा की मौन शक्त की सराहना करते हुए कहा कि यह लोगों के मस्तिष्क में नए विचारों को लाने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाती है। उन्होंने हाल में शौचालय, महिला सशक्तिकरण, खेलों, बीमारियों के प्रति जागरूकता आदि सामाजिक विषयों पर बनी फिल्मों के बारे में भी बात की, जो व्यावसायिक तौर पर भी सफल रहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे विषयों पर बनी फिल्में लोगों के बीच सामाजिक विषयों को ले जाती हैं और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाती हैं। फिल्मों की विविधता को रेखांकिता करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा एक भारत, श्रेष्ठ भारत की वास्तविक झलक है।

 

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पीएम ने कहा कि फिल्म उद्योग की पर्यटन को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ईज ऑफ फिल्मिंग (फिल्म निर्माण को आसान बनाने) के वास्ते विभिन्न विभागों से फिल्मों की शूटिंग को मंजूरी दिलाने के लिए सिंगल विंडो मंजूरी की व्यवस्था पर काम कर रही है। समयबद्ध तरीके से फिल्म पूरी करने की व्यवस्था तैयार करना आसान बनाने के लिए एक वेब पोर्टल का निर्माण किया जा रहा है।

फिल्म पायरेसी की समस्या को स्वीकार करते हुए उन्होंने बताया कि सरकार सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 में संशोधन की प्रक्रिया पर काम कर रही है, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान किया जाएगा।

उन्होंने 1400 से ज्यादा बेकार हो चुके कानूनों पर बात की, जो अब खत्म हो गए हैं। उन्होंने फिल्म उद्योग से पुराने हो चुके कानूनों को खत्म करने के लिए सुझाव देने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि डिजाइन इन इंडिया, मेक इन इंडिया की तरह ही अहम है। उन्होंने नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग एंड कॉमिक्स पर भी बात की। उन्होंने एक अलग यूनिवर्सिटी ऑफ कम्युनिकेशन एंड एंटरटेनमेंट की स्थापना की जरूरत पर भी चर्चा की, जिसमें तकनीक और वित्त पर जोर दिया जाए जिससे रचनात्मकता के लिए नई संभावनाएं मिलें। उन्होंने दावोस सम्मेलन की तरह भारत में वैश्विक फिल्म महोत्सव के आयोजन का विचार करखा, जिसमें भारतीय सिनेमा के लिए व्यवसाय और बाजार के विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने फिल्म निर्माण के पीछे के लगने वाले संघर्ष और कड़ी मेहनत के लिए फिल्म समुदाय की तारीफ की, जिससे युवाओं को प्रेरणा मिलती है और जीवन व चरित्र निर्माण के लिए प्रेरणा मिलती है। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से ऐसी फिल्में बनाने का आह्वान किया, जिनसे वैज्ञानिक स्वभाग और नवाचार की भावना विकसित होगी। उन्होंने फिल्म निर्माताओं से दशरथ मांझी जैसे वास्तविक जीवन के नायकों की अनसुनी कहानियों या 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के भुलाए जा चुके वीर आदिवासियों की कहानियों पर फिल्में बनाने का भी आह्वान किया।

रंगमंच और सिनेमा को एक-दूसरे से जुड़ा बताते हुए उन्होंने भारत की संपन्न रंगमंच की विरासत पर बात की और नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने, आकर्षित करने और प्रेरित करने पर भी जोर दिया।

प्रधानमंत्री ने सबका विकास सुनिश्चित करने के लिए सबके साथ की जरूरत का उल्लेख करते हुए फिल्म समुदाय से राष्ट्र निर्माण में योगदान करने और भारतीय सिनेमा की असाधारण विरासत को दुनिया के सामने ले जाने का आह्वान किया।

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इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण और युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर (सेवानिवृत्त) ने भारतीय सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख किया। उन्होंने ऑस्कर में भारतीय फिल्मों को नामांकित कराने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने, फिल्म फैसिलिटेशन ऑफिस जैसे कदमों का उल्लेख किया। फिल्म फैसिलिटेशन ऑफिस के माध्यम से फिल्म संबंधी स्वीकृतियों के लिए सिंगल विंडो मंजूरी मिलती है। इसके साथ ही उन्होंने फिल्मों की टिकटों पर जीएसटी दरों में कमी का उल्लेख भी किया। केंद्रीय मंत्री ने ऐलान किया कि नेशनल सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स की स्थापना काम जारी है।

 

अपने उद्घाटन भाषण में संग्रहालय परामर्श समिति, एनएमआईसी के प्रमुख श्री श्याम बेनेगल ने कहा कि भारतीय सिनेमा, सिनेमा जितनी ही प्राचीन है। उन्होंने कहा कि सिनेमा की खोज के तीन साल के बाद ही पहली भारतीय फिल्म बन गई थी। भारतीय सिनेमा ऐसा अकेला सिनेमा है, जिसका अपना रूप है, जो दुनिया के दूसरे हिस्सों के सिनेमा से अलग है। यह सिनेमा हमारे अनुकूल है, क्योंकि इसमें दुख, हास्य, नाटक, नृत्य सभी कुछ है। एनएमआईसी परियोजना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार है कि भारतीय सिनेमा को राष्ट्रीय संपदा के तौर पर मान्यता मिली है।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री सी. विद्यासागर राव, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री रामदास अठावले भी उपस्थित रहे। इसके अलावा सीबीएफसी चेयरमैन श्री प्रसून जोशी, श्रीमती आशा भोंसले, श्री ए. आर. रहमान, श्रीमती आशा पारेख, श्री रणधीर कपूर, श्री किरण शांतानम, श्री आमिर खान, श्री शाजी एन. करुण, श्री रमेश सिप्पी, श्री करण जौहर, श्री बोनी कपूर, श्री कुणाल कोहली, श्री आर माधवन, कंगना रणौत जैसी सिनेमा जगत की हस्तियों के अलावा सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सचिव श्री अमित खरे सहित आईएंडबी मंत्रालय और फिल्म इकाई के कई अधिकारी भी मौजूद रहे।

 

पृष्ठभूमि

यह संग्रहालय दो इमारतों-नई संग्रहालय इमारत और 19वीं सदी के ऐतिहासिक स्थल गुलशन महल में बना है। 

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क. नए संग्रहालय में चार प्रदर्शनी कक्ष हैं, जो इस प्रकार हैं-

1.   गांधी एवं सिनेमाः इसमें न सिर्फ महात्मा गांधी पर बनी फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, बल्कि उनका सिनेमा पर पड़े गहरे असर का वर्णन है।

2.   बच्चों का फिल्म स्टूडियाः यहां आगंतुकों विशेष रूप से बच्चों को फिल्म निर्माण के पीछे के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और कला के बारे में जानने का अवसर मिलता है। यह सिनेमा के निर्माण के लिए जरूरी कैमरा, लाइट, शूटिंग आदि का अनुभव करने और अभिनय का अनुभव लेने का मौका मिलता है। यहां पर इसे संवादात्मक रूप में प्रदर्शित किया गया है। यहां क्रोमा स्टूडियो, इमर्सिव एक्सपीरिएंस जोनस स्टॉप-मोशन एनीमेशन स्टूडियो, वर्चुअल मेकओवर स्टूडियो आदि काफी कुछ देखने के लिए है।

3.   प्रौद्योगिकी, रचनात्मकता और भारतीय सिनेमाः यहां भारतीय फिल्म निर्माताओं द्वारा वर्षों का किए जा रहे तकनीक के रचनात्मक इस्तेमाल का प्रदर्शन किया गया है।

4.   भारत भर में सिनेमाः यहां तेजी से बदलती सिनेमाई संस्कृति का प्रदर्शन किया गया है।

 

ख. गुलशन महल एनएमआईसी परियोजना के एक भाग के तौर पर खोला गया एएसआई ग्रेड-2 का धरोहर स्थल है। यहां पर भारतीय सिनेमा के सौ साल का सफर दिखाया गया है। यह 9 भागों-सिनेमा की उत्पत्ति, सिनेमा का भारत में आना, भारतीय मूक फिल्म, ध्वनि का आना, स्टूडियो का दौर, द्वितीय विश्व युद्ध का असर, रचनात्मक प्रतिध्वनि, नई लहर और क्षेत्रीय सिनेमा में बंटा हुआ है।

 

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हिंदी इकाई, पसूका, नई दिल्ली
 



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