नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2018- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय


पवन ऊर्जा एवं सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमताओं में भारत विश्‍व में चौथे और पांचवे पायदान पर, नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्‍थापित क्षमता के लिहाज से भारत विश्‍व में अब 5वें स्‍थान पर

वर्ष 2017-18 के दौरान देश में अक्षय ऊर्जा से कुल 101.83 अरब यूनिट बिजली का उत्‍पादन हुआ

सरकार ने 2020 तक 60 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 20 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता के लिए बोली का अनुमान लगाया है, उसके बाद परियोजनाओं के निष्‍पादन के लिए दो साल का समय बचेगा

Posted On: 10 DEC 2018 3:00PM by PIB Delhi

जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुसार राष्ट्रीय स्‍तर पर निर्धारित हमारे योगदानों और एक स्‍वच्‍छ ग्रह के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए भारत ने संकल्‍प लिया है कि 2030 तक बिजली उत्‍पादन के लिए हमारी 40% स्थापित क्षमता स्वच्छ स्रोतों पर आधारित होगी। साथ ही यह निर्धारित किया गया था कि 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा से 100 गीगावॉट, पवन ऊर्जा से 60 गीगावॉट, बायो-पावर से 10 गीगावॉट और छोटी पनबिजली परियोजनों से 5 गीगावॉट क्षमता शामिल हैं।

 

पर्याप्त उच्च क्षमता के लक्ष्य से व्‍यापक ऊर्जा सुरक्षा, ऊर्जा की बेहतर पहुंच और रोजगार के अवसरों में वृद्धि सुनिश्चित होगी। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के साथ ही भारत विश्‍व के सबसे बड़े स्‍वच्‍छ ऊर्जा उत्पादकों की जमात में शामिल हो जाएगा, यहां तक कि वह कई विकसित देशों से भी आगे निकल जाएगा। देश में 31.10.2018 तक कुल स्‍थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्‍सेदारी इस प्रकार है:

 

 

            स्रोत

स्‍थापित क्षमता (गीगावॉट)

प्रतिशत

तापीय

221.76 गीगावॉट

(63.84%)

नाभिकीय

6.78 गीगावॉट

(1.95%)

पनबिजली

45.48 गीगावॉट

(13.09%)

नवीकरणीय

73.35 गीगावॉट

(21.12%)

कुल

347.37 गीगावॉट

(100%)

 

·         देश में सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अक्टूबर, 2018 तक कुल करीब 73.35 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्‍थापित हो चुकी है जिसमें पवन ऊर्जा से लगभग 34.98 गीगावॉट, सौर ऊर्जा से 24.33 गीगावॉट, छोटी पनबिजली इकाइयों से 4.5 गीगावॉट और बायो-पावर से 9.54 गीगावॉट क्षमता शामिल हैं। इसके अलावा, 46.75 गीगावॉट क्षमता की परियोजनाएं निर्माणाधीन/बोली के चरण में हैं। सरकार ने 31.03.2020 तक 60 गीगावॉट सौर ऊर्जा और 20 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्ष्‍ामता के लिए बोली लगाए जाने का लक्ष्‍य रखा है। वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान प्रत्‍येक वर्ष 30 गीगावॉट क्ष्‍ामता की सौर ऊर्जा और 10 गीगावॉट क्ष्‍ामता की पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बोली लगाई जाएगी।

 

·         यह देश के नवीकरणीय क्षेत्र ऊर्जा में जोखिम मुक्‍त निवेश करने के लिए डेवलपरों एवं निवेशक समुदाय को प्रोत्‍साहित करने और उनके लिए सरकार की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता एवं नियोजन के प्रति आश्‍वस्‍त किया है। अक्टूबर 2018 के अनुसार परियोजनाओं की स्थिति नीचे दी गई है:

 

क्षेत्र

लक्ष्‍य (गीगावॉट)

स्‍थापित क्षमता (गीगावॉट) 31.10.2018 तक

निर्माणाधीन (गीगावॉट)

निविदा (गीगावॉट)

कुल स्‍थापित/ निर्माणाधीन (गीगावॉट)

सौर ऊर्जा

100

24.33

13.8

22.8

60.93

पवन ऊर्जा

60

34.98

7.02

2.4

44.4

बायो ऊर्जा

10

9.54

0

0

9.54

छोटी पनबिजली

5

4.5

0.73

0

5.23

कुल

175

73.35

21.55

25.2

120.1

 

·         भारत कुल स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिहाज से विश्‍व में पांचवें स्‍थान पर, पवन ऊर्जा के लिए चौथे स्‍थान पर और सौर ऊर्जा के लिए पांचवें स्‍थान स्थान पर मौजूद है।

 

·         सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) द्वारा मई 2017 में 200 मेगावॉट के लिए और फिर जुलाई 2018 में 600 मेगावॉट के लिए किए गए रिवर्स नीलामी में 2.44 रुपये प्रति यूनिट की शुल्‍क दर पंजीकृत की गई जो भारत में अब तक की सबसे कम शुल्‍क दर है। इसी प्रकार, दिसंबर 2017 में गुजरात सरकार द्वारा 500 मेगावॉट की परियोजना के लिए निविदा में 2.33 रुपये प्रति यूनिट की शुल्‍क दर पंजीकृत की गई थी जो पवन ऊर्जा के लिए अब तक की सबसे कम शुल्‍क दर है।

 

·         नवीकरणीय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 31.03.2014 को 35.51 गीगावॉट से बढ़कर 31.10.2018 को 73.35 गीगावॉट हो गई। (पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान लगभग 106 % की वृद्धि)। पिछले चार साढ़े वर्षों (2014-15 से 2018-19) के दौरान ग्रिड से जुड़ी 37.84 गीगावॉट से अधिक की क्षमता हासिल की गई जिसमें 21.7 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 13.98 गीगावॉट पवन ऊर्जा, 0.7 गीगावॉट छोटी पनबिजली और बायो-पावर से 1.5 गीगावॉट क्षमता शामिल हैं। वर्षवार क्षमता वृद्धि नीचे दी गई है-

 

[क.] ग्रिड से जुड़ी बिजली

 

भारत में पिछले साढ़े चार वर्षों (2014-15 to 2018-19 as on 31.10.2018) के दौरान नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति

क्षेत्र

मेगावॉट में कुल वृद्धि (31.03.2014 के अनुसार)

क्ष्‍ामता में वृद्धि (मेगावॉट में)

मेगावॉट में कुल वृद्धि (31.10.2018 के अनुसार)

2014-15

2015-16

2016-17

2017-18

2018-19

पवन ऊर्जा

21042.57

2311.78

3423.05

5502.37

1865.23

841.35

34986.35

छोटी पनबिजली

3803.74

251.61

218.60

105.9

105.95

21.15

4506.95

बायो पावर

8041.63

355.72

364.09

187.65

552.82

44.00

9545.91

सौर ऊर्जा

2631.90

1112.08

3018.9

5526

9362.64

2661.12

24312.58

कुल

35519.84

4031.19

7024.64

11321.92

11886.64

3567.62

73351.79

 

[ख.] ऑफ-ग्रिड/ कैप्टिव बिजली (मेगावॉट समतुल्‍य में)

 

क्रम संख्‍या

क्षेत्र

 

 

 

 

 

कुल

 

 

 

 

 

 

 

स्‍थापित

 

 

2014-15

2015-16

2016-17

2017-18

2018-19

क्षमता (31.10.2018 के अनुसार)

1.

कचरे से ऊर्जा

12.00

14.13

12.21

5.50

3.13

175.28

2.

बायोमास गैसीफायर

6.76

12.54

4.30

0.92

0.00

163.37

3.

एसपीवी सिस्‍टम्‍स

60.00

87.67

115.50

216.63

96.11

767.51

 

·         वर्ष 2017-18 के दौरान सभी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से देश में कुल 101.83 अरब यूनिट बिजली का उत्‍पादन हुआ जबकि इसके मुकाबले वर्ष 2014-15 में 61.78 अरब यूनिट बिजली का उत्‍पादन (पिछले चार वर्षों में 65% की वृद्धि) हुआ। कुल बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा वर्ष 2014-15 के 5.5% से बढ़कर लगभग 8% तक पहुंच गया है।

 

·         इसके अलावा वर्ष 2018-19 के दौरान अगस्त 2018 तक 62.66 अरब यूनिट ऊर्जा का उत्‍पादन हुआ। वर्षवार नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का विस्‍तृत ब्‍यौरा निम्नलिखित तालिका में दिया गया है: -

 

वर्ष

कुल उत्‍पादन (अरब यूनिट में)

नवीकरणीय ऊर्जा का उत्‍पादन (अरब यूनिट में)

नवीकरणीय ऊर्जा की % हिस्‍सेदारी

2014-15

1110.18

61.78

5.56

2015-16

1172.98

65.78

5.60

2016-17

1241.38

81.54

6.56

2017-18

1303.37

101.83

7.81

2018-19(अगस्‍त 2018 तक)

590.04

62.66

10.62

 

·         14 जून, 2018 को ऊर्जा मंत्रालय ने 2019-20 से 2021-22 तक के लिए दीर्घकालिक आरपीओ लक्ष्‍य को अधिसूचित किया है। वर्षवार आरपीओ स्तर इस प्रकार हैं:

 

दीर्घावधि आरपीओ लक्ष्‍य

2019-20

2020-21

2021-22

गैर-सौर

10.25%

10.25%

10.50%

सौर

7.25%

8.75%

10.50%

कुल

17.50%

19.00%

21.00%

 

·         रिवर्स ई-नीलामी सहित शुल्‍क दर आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से सौर और पवन ऊर्जा की खरीद के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।

 

·         मार्च 2022 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर एवं पवन ऊर्जा की अंतरराज्‍यीय बिक्री के लिए अंतरराज्‍यीय पारेषण प्रणालियों के शुल्कों और घाटे को माफ करने के लिए आदेश जारी किया गया।

 

·         सौर फोटोवोल्टिक सिस्टम / उपकरण लगाने के लिए मानकों को अधिसूचित किया गया।

 

सौर ऊर्जा

 

·         सरकार ने राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाओं के वर्ष 2021-22 तक 20,000 मेगावॉट के लक्ष्‍य को संशोधित कर वर्ष 2020-22 तक 1,00,000 मेगावॉट कर दिया है।

 

·         वर्ष 2022 तक 100 गीगावॉट के लक्ष्य के मुकाबले अक्टूबर, 2018 तक 24.33 गीगावॉट की कुल स्थापित क्षमता के साथ फिलहाल भारत सबसे अधिक स्थापित सौर क्षमता वाला पांचवा देश है। इसके अलावा 22.8 गीगावॉट क्षमता निर्माणाधीन अथवा निविदा प्रक्रिया में है।

 

·         मंत्रालय 2018-19 और 2019-20 में शेष सौर ऊर्जा क्षमता के लिए बोली आमंत्रित करने की योजना बना रहा है ताकि मार्च 2020 तक पूरी 100 गीगावॉट अतिरिक्‍त क्षमता के लिए बोली की प्रक्रिया पूरी हो जाए इससे परियोजनाओं के निष्पादन के लिए दो साल का समय मिलेगा।

 

·         ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए शुल्‍क दरों का निर्धारण रिवर्स ई-नीलामी सहित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से की गई है। इससे शुल्‍क दरों को काफी कम करने में मदद मिली है। भारत में सौर परियोजनाओं आईएसटीएस आधारित बोली के तहत जुलाई 2018 में तय की गई 2.44 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच की शुल्‍क दर सौर ऊर्जा के लिए अब तक की सबसे कम दर है। सौर ऊर्जा के लिए शुल्‍क दर 2010 में 18 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच थी जो विभिन्‍न कारणों से घटकर 2018 में 2.44 रुपये प्रति केडब्ल्यूएच रह गई। उत्‍पादन का दायरा बढ़ने, भूमि की निश्चित उपलब्‍धता, बिजली निकासी प्रणाली आदि के कारणों से शुल्‍क दरों को घटाने में मदद मिली।

 

·         देश में सौर पार्क स्थापित किए जा रहे हैं। नवंबर, 2018 तक देश के 21 राज्यों में कुल 26,694 मेगावॉट क्षमता के 47 सौर पार्क स्‍थापित करने की मंजूरी दी गई है। विभिन्न सौर पार्कों के लिए 1,00,000 एकड़ भूमि की पहचान की गई, जिसमें से 75,000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। विभिन्न सौर पार्कों के भीतर कुल 4,195 मेगावॉट क्षमता की सौर परियोजनाएं शुरू की गई हैं।

 

·         मंत्रालय फ्लोटिंग सौर ऊर्जा जैसी नई उभरती प्रौद्योगिकी के लिए भी परियोजनाएं ला रहा है।

 

पवन ऊर्जा

 

·         पवन ऊर्जा की स्‍थापित क्षमता के लिहाज से भारत फिलहाल चौथा सबसे बड़ा देश है। वर्ष 2022 तक 60 गीगावॉट के लक्ष्‍य में से अक्‍टूबर 2018 तक कुल 34.98 गीगावॉट क्षमता हासिल हो चुकी है। जबकि करीब 9.4 गीगावॉट क्षमता निर्माणाधीन अथवा निविदा प्रक्रिया में है।

 

·         मंत्रालय ने वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 के दौरान हर साल 10 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता के लिए बोली आमंत्रित करने की योजना बनाई है ताकि मार्च 2020 तक पूरी 60 गीगावॉट अतिरिक्‍त क्षमता के लिए बोली की प्रक्रिया पूरी हो जाए। इससे परियोजनाओं के निष्‍पादन के लिए दो साल का समय मिलेगा।

 

·         नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (एनआईडब्लूईई) द्वारा किए गए हालिया मूल्यांकन से पता चलता है कि देश में जमीन में 100 मीटर ऊपर कुल 302 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता मौजूद है।

 

·         वर्ष 2017 तक क्षमता वृद्धि फीड-इन-टैरिफ (एफआईटी) ढांचे के माध्यम की जाती थी। लेकिन उसके बाद टै‍रिफ रिजीम यानी शुल्‍क दर आधारित व्‍यवस्‍था के तहत फीड-इन-टैरिफ (एफआईटी) की जगह बोली प्रक्रिया को लागू किया गया।

 

·         सरकार ने 8 दिसंबर, 2017 को अधिसूचित प्रस्‍ताव के तहत 'ग्रिड से जुड़ी पवन ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली खरीद के लिए शुल्‍क दर आधारित प्रतिस्‍पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश' जारी किए। इसका उद्देश्‍य एक पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिये पवन ऊर्जा की खरीद के लिए एक ढांचा प्रदान करना था। इसके परिणामस्‍वरूप पवन ऊर्जा के लिए अब तक की सबसे कम शुल्‍क दर की खोज हुई।

 

·         मई 2018 में राष्‍ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति जारी की गई। इस नीति का मुख्‍य उद्देश्‍य बड़े ग्रिड से जुड़े पवन - सौर पीवी हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचा प्रदान करना है ताकि पवन एवं सौर संसाधनों, पारेषण बुनियादी ढांचा और भूमि का कुशल एवं इष्टतम उपयोग सुनिश्चित हो सके। इस पवन - सौर पीवी हाइब्रिड प्रणाली से नवीकरणीय बिजली उत्पादन में अंतर को कम करने और बेहतर ग्रिड स्‍थायित्‍व हासि करने में मदद मिलेगी।

 

·         एसईसीआई द्वारा 1,200 मेगावॉट की पहली नई पवन-सौर हाइब्रिड परियोजना स्‍थापित करने के लिए बोली आमंत्रित की गई।

 

·         भारतीय तटवर्ती क्षेत्रों में भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएं विकसित करने के उद्देश्य से अक्टूबर 2015 में राष्ट्रीय तटवर्ती पवन ऊर्जा नीति को अधिसूचित किया गया।

 

·         एनआईडब्ल्यूई द्वारा किए गए शुरुआती अध्ययन से गुजरात और तमिलनाडु के तटवर्ती क्षेत्रों में अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता के संकेत मिले हैं।

 

·         पवन ऊर्जा संसाधनों के मूल्यांकन के लिए गुजरात तट से खंभात की खाड़ी के बीच नवंबर 2017 में मोनोपाइल प्‍लेटफॉर्म पर एलआईडीएआर किया गया।

 

·         गुजरात तट पर खंभाट की खाड़ी क्षेत्र में 1 गीगावॉट अपतटीय विंडफार्म की स्थापना के लिए एनआईडब्ल्यूई ने अभिरुचि पत्र (ईओआई) जारी किया। इसमें 35 कंपनियों (राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों) ने रुचि दिखाई।

 

·         वर्ष 2022 तक 5 गीगावॉट और वर्ष 2030 तक 30 गीगावॉट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

 

·         पवन ऊर्जा उद्योग के विस्तार के परिणामस्वरूप एक दमदार माहौल, परियोजना परिचालन क्षमता और विनिर्माण आधार तैयार हुए हैं। पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए टरबाइन के विनिर्माण के लिए देश में अब अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। देश में इस क्षेत्र के सभी प्रमुख वैश्विक कंपनियों की मौजूदगी है। भारत में 12 अलग-अलग कंपनियों द्वारा 24 से अधिक प्रकार के विंड टरबाइन उत्‍पादन किया जा रहा है। विंड टरबाइन और उसके कलपुर्जों का निर्यात अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, ब्राजील एवं अन्य एशियाई देशों को किया जा रहा है। पवन ऊर्जा क्षेत्र में दमदार घरेलू विनिर्माण के साथ करीब 70 से 80 प्रतिशत स्वदेशीकरण को हासिल किया जा चुका है।

 

बायो पावर

 

·         नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय देश में बायोमास पावर और बैगेज कोजेनेरेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। इसका उद्देश्‍य देश में उपलब्‍ध बायोमास संसाधनों जैसे- बैगेज, चाबल भूसी, पुआल, कपास के डंठल, नारियल शेल आदि- का उपयोग बिजली उत्‍पादन में करना है।

 

·         शहरी, औद्योगिक एवं कृषि अपशिष्ट / अवशेष जैसे- नगर निगम के ठोस कचरे, सब्जी एवं अन्य बाजार अपशिष्ट, कचरागृह अपशिष्ट, कृषि अवशेष, औद्योगिक अपशिष्ट एवं प्रदूषणक- से बिजली उत्पादन के लिए भी अपशिष्ट ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं।

 

·         वर्ष 2022 तक देश में 10 गीगावॉट बायो-पावर क्षमता हासिल करने का लक्ष्‍य रखा गया है जिसमें से अक्टूबर 2018 तक ग्रिड से जुड़ी कुल 9.54 गीगावॉट की क्षमता स्थापित की जा चुकी है। इसमें बैगेज कोजेनेरेशन से 8.73 गीगावॉट, गैर-बैगेज कोजेनेरेशन से 0.68 गीगावॉट और अपशिष्‍ट से 0.13 गीगावॉट ऊर्जा उत्‍पादन शामिल हैं।

 

छोटी पनबिजली परियोजनाएं

 

·         वर्ष 2022 तक 5 गीगावॉट छोटी पनबिजली क्षमता हासिल करने का लक्ष्‍य रखा गया है। जबकि अक्टूबर 2018 तक देश में ग्रिड से जुड़ी कुल 4.5 गीगावॉट क्षमता की छोटी पनबिजली परियोजनाएं स्‍थापित की गई हैं। इसके अलावा 0.73 गीगावॉट क्षमता की कुल 126 परियोजनाएं निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।

 

ऊर्जा भंडारण

 

·         भारत की ऊर्जा बुनियादी ढांचा रणनीति  के लिए ऊर्जा भंडारण काफी महत्‍वपूर्ण है। साथ ही इससे नवीकरणनीय ऊर्जा एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर भारत के निरंतर जोर को भी समर्थन मिलेगा। एक सक्षम नीति एवं नियामक ढांचा तैयार करते हुए ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में अग्रणी स्थिति हासिल करने के उद्देश्य से एक व्यापक राष्ट्रीय ऊर्जा भंडारण मिशन (एनईएसएम) तैयार किया गया है। एनईएसएम देश में ऊर्जा भंडारण के प्रसार के लिए मांग निर्माण, स्वदेशी विनिर्माण, नवाचार एवं आवश्यक नीतिगत समर्थन पर केंद्रित है।

 

ऑफ-ग्रिड नवीकरणीय

 

·         मंत्रालय खाना पकाने, प्रकाश की व्यवस्था, मोटिव पावर, जगह को गर्म रखने, गर्म पानी आदि के लिए बिजली की मांग को पूरा करने के लिए ऑफ-ग्रिड एवं विकेंद्रीकृत नवीकरणीय कार्यक्रम लागू कर रहा है। साथ ही मंत्रालय देश में सोलर लालटेन, सोलर स्‍ट्रीट लाइट,  सोलर होम लाइट, सोलर पंप आदि विकेन्द्रीकृत सौर अनुप्रयोगों की तैनाती पर भी जोर दे रहा है। अक्टूबर 2018 के अनुसार, देश में 40 लाख से अधिक लालटेन एवं लैम्‍प, 16.72 लाख होम लाइट, 6.40 लाख स्ट्रीट लाइट, 1.96 लाख सोलर पंप और 187.99 एमडब्ल्यूपी स्टैंड अलोन स्थापित किए जा चुके हैं।

 

अनुसंधान एवं विकास

 

·         नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रौद्योगिकी के विकास एवं नवोन्‍मेषी कार्यक्रम के लिए अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) पर जोर देने का निर्णय लिया है। यह नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में गुणवत्‍ता एवं विश्‍वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए वाणिजियक अनुप्रयोगों, परीक्षण एवं मानकीकरण के लिए एकीकृत अनुसंधान एवं विकास और अनुप्रयोग केंद्रित नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। तकनीकी विकास एवं नवाचार नीति (टीडीआईपी) को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी विकास एवं प्रदर्शन, परीक्षण एवं मानकीकरण के सत्‍यापन पर आधारित है जो स्‍टार्टअप से जुड़े नवाचार को बढ़ावा देती है।

 

मानव संसाधन विकास

 

·         मंत्रालय के एचआरडी कार्यक्रम के एक हिस्‍से के तहत एक दमदार आरई शिक्षण और प्रशिक्षण प्रणाली विकसित की गई है। सात प्रकार के पेशों यानी इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, इलेक्ट्रिशियन, मैकेनिक, वेल्‍डर, कारपेंटर, फिटर एवं प्‍लंबर के लिए 2 वर्ष के सर्टिफिकेट कार्यक्रम के नियमित पाठ्यक्रम में एसपीवी लाइटिंग प्रणाली, सौर तापीय प्रणाली, एसएचपी को शामिल किया गया है। एनसीवीटी के कोर्स मॉड्यूल और मॉड्यूलर नियोजित कौशल कार्यक्रम (एमईएस) तैयार किए गए हैं। साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में विभिन्‍न रोजगार भूमिकाओं के लिए सेक्‍टर स्किल काउंसिल के माध्‍यम से ग्रीन जॉब्‍स एनओएस/क्‍यूपी तैयार किए गए हैं। इसके अलावा इन रोजगारों के लिए एमएनआरई अथवा एमएसडीई की मदद से राष्‍ट्रीय कौशल विकास नीति 2015 के अनुरूप नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

 

दूसरा ग्‍लोबल री-इन्‍वेस्‍ट रीन्‍यूएबल एनर्जी इन्‍वेस्‍टर्स मीट एवं एक्‍सपो (दूसरा री-इन्‍वेस्‍ट)

 

·         नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 3 से 5 अक्टूबर 2018 के दौरान ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्‍सपो मार्ट में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की पहली सभा, हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) की दूसरी ऊर्जा मंत्रीस्तरीय बैठक और दूसरे आरई-इन्‍वेस्‍ट मीट एंड एक्‍सपो की मेजबानी की।

 

·         इस तीन दिवसीय आयोजन में 77 से अधिक देशों के 20,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें से 40 मंत्री स्तर के प्रतिनिधि थे।

 

·         इस बैठक ने विशेषज्ञों को संबंधित क्षेत्र के दायरे में ऊर्जा जरूरतों पर चर्चा करने, सहयोग में बाधाओं की पहचान करने और संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) और आईएसए के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के जरिये संबंधों को भी मजबूत किया।

 

अंतरराष्‍ट्रीय सौर गठबंधना (आईएसए)

 

·         अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) 6 दिसंबर, 2017 को भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतरराष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन बना। आईएसए सभी को स्वच्छ एवं किफायती ऊर्जा प्रदान करने के लिए भारत के दृष्टिकोण का हिस्सा है। अब तक 71 देशों ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से 48 देशों ने इसे मंजूरी दे दी है।

 

·         आईएसए की पहली सभा भारत में 3 अक्टूबर, 2018 को आयोजित की गई थी। इसमें भारत और फ्रांस सहित 37 आईएसए सदस्य देशों ने भाग लिया। इसके अलावा, 25 देशों ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन मंजूरी देना अभी बाकी है। साथ ही, 13 संभावित सदस्य देश आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। जबकि अंतर-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र के इतर के 3 साझेदार देश इस सभा में बतौर पर्यवेक्षक उपस्थित हुए।

 

·         पहली सभा में आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन के लिए भारत के उस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार कर लिया गया जिसके तहत संयुक्‍त राष्‍ट्र के सभी सदस्‍य देशों को आईएस की सदस्‍यता देने के लिए मार्ग प्रशस्‍त करने की बात कही गई है।

 

·         आईएसए के साथ मुख्यालय समझौते के तहत भारत को आईएसए की न्यायिक हस्‍ती के तौर पर मान्यता दी गई है।

 

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आरके मीणा/अर्चना/संजित

 



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