उप राष्ट्रपति सचिवालय

“कार्यक्रम संबंधी विषयवस्तु” में “विधायी भावना” का निरूपण समय की मांगः उपराष्ट्रपति


“क्रियान्वयन” और “नवाचार” पर सारा ध्यान केन्द्रित

“स्वराज्य” को हर भारतीय के लिए अर्थपूर्ण होना चाहिए और इसके लिए “सुराज्य” अनिवार्य है

12वें लोक सेवा दिवस के दो दिवसीय आयोजन का उद्घाटन किया

Posted On: 20 APR 2018 1:49PM by PIB Delhi

उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि “कार्यक्रम संबंधी विषयवस्तु” में “विधायी भावना” का निरूपण समय की मांग है। उन्होंने कहा कि आम नागरिक को यह महसूस होना चाहिए कि आम प्रशासन में “सुराज्य” की भावना मौजूद है। वे आज यहां 12वें लोक सेवा दिवस के दो दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक स्वच्छ, कुशल, जनमित्र और सक्रिय प्रशासनिक नेतृत्व समय की मांग है। उन्होंने कहा कि “स्वराज्य” को हर भारतीय के लिए अर्थपूर्ण होना चाहिए और इसके लिए “सुराज्य” अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी कुशलता और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की ईमानदारी से समीक्षा करनी चाहिए।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि “क्रियान्वयन” और “नवाचार” पर सारा ध्यान केन्द्रित है और यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि “सब चलता है” वाले रवैये से काम नहीं चलेगा। हम सबको मिलकर भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में विकसित करना है, जिस पर हम गर्व कर सकें।

उपराष्ट्रपति महोदय ने लोक सेवा अधिकारियों का आह्वान किया कि वे बदलाव की धुरी बनें और प्रेरक नेतृत्व प्रदान करें। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तथा मीडिया की आज जिम्मेदारी है कि जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, असमानता, भेदभाव और हिंसा का समूल नाश करने में अपनी भूमिका निभाएं।

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वीके/एएम/एकेपी/एमएस – 8251

 



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