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जल शक्ति मंत्रालय
गतिशील भूजल संसाधन आकलन के निष्कर्ष
प्रविष्टि तिथि:
18 DEC 2025 5:45PM by PIB Delhi
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से देश के डॉयनेमिक भूजल संसाधनों का वार्षिक रूप से आकलन किया जा रहा है। वर्ष 2025 के आकलन के अनुसार, देश में कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण 448.52 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है और वार्षिक निष्कर्षण योग्य भूजल संसाधन का आकलन 407.75 बीसीएम किया गया है।
इसके अतिरिक्त वर्ष 2025 के लिए पूरे देश के कुल वार्षिक भूजल निष्कर्षण का आकलन 247.22 बीसीएम के रूप में किया गया है। इसके आधार पर पूरे देश के लिए भूजल निष्कर्षण का चरण (एसओई) 60.63% है । यह वार्षिक निष्कर्षण योग्य भूजल संसाधन की तुलना में सभी उपयोगों (सिंचाई, औद्योगिक और घरेलू उपयोग) के लिए वार्षिक भूजल निष्कर्षण का एक मापक है ।
भूजल निष्कर्षण के चरण के आधार पर इकाइयों के वर्गीकरण के संदर्भ में, देश में कुल 6762 आकलन इकाइयों (ब्लॉक/तालुका/मंडल) में से, 730 (10.80%) इकाइयों को 'अति-दोहित' के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो यह दर्शाता है कि भूजल का निष्कर्षण वार्षिक पुनःपूर्ति योग्य भूजल पुनर्भरण से अधिक है। इसके अतिरिक्त 201 इकाइयों (2.97%) को 'गंभीर', 758 इकाइयों (11.21%) को 'अर्ध-गंभीर' और 4946 इकाइयों (73.14%) को 'सुरक्षित' श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है। इसके अतिरिक्त 127 आकलन इकाइयों (1.88%) को 'लवणीय' के रूप में वर्गीकृत किया गया है । राज्य / संघ राज्य क्षेत्र-वार विवरण अनुलग्नक-I में दिए गए हैं ।
इसके साथ साथ मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और ओडिशा सहित सभी राज्यों के लिए जिले-वार भूजल संसाधन का विवरण 'भारत के गतिशील भूजल संसाधनों का राष्ट्रीय संकलन, 2025' में उपलब्ध है, जिसे निम्नलिखित लिंक पर देखा जा सकता है: https://cgwb.gov.in/cgwbpnm/download/1741#page=171
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा भूजल गुणवत्ता मॉनिटरिंग कार्यक्रम और अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार किए गए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के भाग के रूप में क्षेत्रीय स्तर पर देश के भूजल गुणवत्ता संबंधी आँकड़ें तैयार किए जाते हैं। भूजल गुणवत्ता के आंकड़ों से समग्र रूप से यह संकेत मिलता है कि देश में भूजल सामान्यतः पीने योग्य है। कुछ छीट पुट पाकेटों में स्थानीय रूप से संदूषकों की उपस्थिति पाई गई है।
वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट - 2025 के अनुसार, आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट और भारी धातुओं जैसे प्रमुख संदूषकों का राज्य-वार विवरण निम्नलिखित वेब लिंक पर देखा जा सकता है: https://cgwb.gov.in/cgwbpnm/public/uploads/documents/1764833633531847433file.pdf
भूजल मॉनिटरिंग, जलभृत मैपिंग और पुनर्भरण के साथ-साथ सामुदायिक जागरूकता सृजन की दिशा में केंद्र सरकार के प्रयास मुख्य रूप से भूजल प्रबंधन और विनियमन (जीडब्ल्यूएम और आर) स्कीम, जल शक्ति अभियान (जेएसए), जल संचय जन भागीदारी (जेएसजेबी), अटल भूजल योजना आदि योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से किए जाते हैं । जीडब्ल्यूएम और आर केंद्रीय क्षेत्र की एक स्कीम है जिसके तहत राज्यों को निधि का वितरण नहीं किया जाता है, बल्कि भूजल मॉनिटरिंग, मानचित्रण और विनियमन के उद्देश्य से सीजीडब्ल्यूबी को निधि का पूर्ण आवंटन किया जाता है और उनके द्वारा ही व्यय किया जाता है ।
इसके अतिरिक्त चालू केंद्रीय और राज्य योजनाओं के साथ अभिसरण के माध्यम से जेएसए और जेएसजेबी द्वारा कृत्रिम पुनर्भरण/वर्षा जल संचयन संबंधित निर्माण / पुनरुद्धार कार्यों को बड़े पैमाने किया जाता है और इस उद्देश्य के लिए अलग से किसी प्रकार की निधि आवंटित नहीं की जाती है। जेएसए डैशबोर्ड पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 से अब तक केवल मनरेगा के माध्यम से लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए का व्यय किया गया है ।
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) द्वारा जलभृतों के सीमांकन और विशिष्टीकरण तथा भूजल प्रबंधन के लिए योजनाएं तैयार करने के उद्देश्य से पूरे देश में नैक्यूम अध्ययन किए गए हैं । नैक्यूम अध्ययन की शुरुआत 'भूजल प्रबंधन और विनियमन' योजना के एक भाग के रूप में की गई था और देश के लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के कुल मैपिंग योग्य क्षेत्र का मानचित्रण किया गया है। नैक्यूम अध्ययन के तहत कवरेज क्षेत्र का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-II में प्रस्तुत किया गया है ।
इसके अतिरिक्त सभी 14 प्रमुख जलभृतों और 42 मुख्य जलभृतों को शामिल करते हुए देश भर के पूरे लक्षित क्षेत्र के लिए भूजल प्रबंधन अध्ययन/योजनाएं तैयार की गई हैं । देश के 654 जिलों के लिए जिला-वार जलभृत मानचित्र और प्रबंधन योजनाएं, जिनमें भूजल संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए आपूर्ति पक्ष और मांग पक्ष दोनों प्रकार के उपाय शामिल हैं, उपयुक्त क्षेत्रीय उपायों को कार्यान्वयन हेतु संबंधित राज्य/जिला प्रशासन के साथ साझा किया गया है।
इसके अलावा, सीजीडब्ल्यूबी द्वारा 'भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान - 2020' तैयार किया गया है और इसे राज्यों / संघ राज्य क्षेत्रों के साथ साझा किया गया है । यह देश में अनुमानित लागत के साथ लगभग 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं के निर्माण के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है, जिससे लगभग 185 बीसीएम (बिलियन क्यूबिक मीटर) जल के उपयोग की क्षमता निर्मित होंगी।
जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्तमान में भूजल निष्कर्षण दिशानिर्देशों का आकलन करने के लिए हितधारकों के साथ परामर्श किया जा रहा है ।
'जल' एक राज्य का विषय है। भूजल संसाधनों का सतत विकास और प्रबंधन तथा संदूषण के मुद्दों का समाधान करना मुख्यतः राज्य सरकारों का दायित्व है । केंद्र सरकार द्वारा अपनी विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के माध्यम से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान कर राज्य सरकारों के प्रयासों को समर्थन प्रदान किया जाता है। भूजल संरक्षण और पुनर्भरण में सुधार, अत्यधिक दोहन को विनियमित करने, संदूषण और लवणीय जल के अंतःप्रवेश को नियंत्रित करने और देश में संसाधन की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा इस दिशा में उठाए गए प्रमुख कदम और उनके प्रभाव निम्नलिखित हैं:
- देश के जल/भूजल संसाधनों के संवर्धन के लिए केंद्र सरकार द्वारा मुख्यतः फ्लैग्शिप कार्यक्रम 'जल शक्ति अभियान' के माध्यम से प्रयास किए जाते हैं। जल शक्ति अभियान समयबद्ध एवं मिशन मोड कार्यक्रम है, जो जल शक्ति मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के सभी सम्मिलित प्रयासों और निधियों का अभिसरण कर जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण के कार्य किए जाते हैं ताकि वास्तविक रूप से इसका सफल कार्यान्वयन किया जा सके ।
वर्तमान में, देश में जल शक्ति अभियान 2025 का कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत अति-दोहित और गंभीर श्रेणी वाले जिलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जल शक्ति अभियान के अंतर्गत पिछले 4 वर्षों में देश भर में लगभग 1.21 करोड़ जल संरक्षण और कृत्रिम पुनर्भरण कार्यों को पूरा किया गया है। उक्त कार्यों से भूजल संसाधनों की स्थायित्वता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- जल शक्ति अभियान की गति में और अधिक तेजी लाने के लिए, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा 'जल संचय जन भागीदारी : भारत में जल स्थिरता के लिए एक समुदाय-संचालित मार्ग' की शुरुआत की गई है। इसका विजन देश में वर्षा जल संचयन को एक जन आंदोलन बनाना है। सामुदायिक स्वामित्व और दायित्व को बढ़ावा देकर, इस पहल का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट जल चुनौतियों के अनुरूप लागत प्रभावी और स्थानीय समाधान विकसित करना है।
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा देश में भूजल निष्कर्षण के विनियमन और नियंत्रण के उद्देश्य से केंद्रीय भूमि जल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) का गठन किया गया है और विनियमन के उद्देश्य से अखिल भारतीय प्रयोज्यता के साथ दिनांक 24.09.2020 को दिशानिर्देश अधिसूचित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त, वैध अनापत्ति प्रमाण पत्र के बिना भारी जुर्माना और पर्यावरण क्षतिपूर्ति शुल्क (ईसी) निष्कर्षण जैसे कड़े उपायों को दिशा-निर्देशों द्वारा अनिवार्य किया गया है ताकि अति-दोहित क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर नए उद्योगों पर रोक लगाई जा सके, अवैध उत्खनन के लिए बोरवेल को सील किया जा सके आदि ।
- जल शक्ति मंत्रालय द्वारा अटल भूजल योजना के माध्यम से सामुदायिक नेतृत्व वाले भागीदारी भूजल प्रबंधन की प्रभावकारिता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया गया है। इस योजना को 7 राज्यों अर्थात् गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के जल की कमी वाले 80 जिलों में लागू किया गया था। इस योजना के तहत 83,000 से अधिक वर्षा जल संचयन और चेक डैम, तालाबों, शाफ्ट आदि जैसी पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण/पुनरुद्धार किया गया और 9 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को कुशल सिंचाई प्रथाओं के तहत लाया गया।
- मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत भारत सरकार द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 जल निकायों का विकास और पुनरुद्धार करना था। इसके परिणाम स्वरूप देश भर में लगभग 69,000 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुनरुद्धार किया गया है, इससे जल भंडारण क्षमता बढ़ी है और भूजल पुनर्भरण में सुधार हुआ है।
- केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड द्वारा देश भर में व्यापक जलभृत मानचित्रण कार्यकलापों के संचालन के अतिरिक्त, भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान-2020 भी तैयार किया है, यह एक वृहद स्तर की योजना है जो कृत्रिम पुनर्भरण और वर्षा जल संचयन संरचनाओं के निर्माण के लिए तकनीकी मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने के लिए देश की विभिन्न भू-भाग स्थितियों के लिए विभिन्न संरचनाओं को दर्शाती है।
- भूजल गुणवत्ता पहलू के संबंध में, सीजीडब्ल्यूबी नियमित रूप से अपने एसओपी के माध्यम से पूरे देश में भूजल गुणवत्ता के नमूनों की मॉनीटरिंग करता है और हितधारकों द्वारा त्वरित कार्रवाई के लिए अपने निष्कर्षों के आधार पर वार्षिक रिपोर्ट, अर्ध-वार्षिक बुलेटिन और पाक्षिक अलर्ट जारी करता है। सीजीडब्ल्यूबी द्वारा आर्सेनिक और फ्लोराइड सुरक्षित कूपों के निर्माण की तकनीक भी विकसित की गई है और प्रतिकृति और उन्नयन के लिए राज्यों को मार्गदर्शन प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त , सरकार द्वारा देश के सभी ग्रामीण परिवारों को सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराने के लिए राज्यों के साथ भागीदारी में जल जीवन मिशन (जेजेएम) का कार्यान्वयन भी किया जा रहा है।
- जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (एनआईएच), सीजीडब्ल्यूबी, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) आदि जैसे विभिन्न संगठनों द्वारा जल में लवणता के अन्तः प्रवेश और लवनीय जल के अतिक्रमण से प्रभावित देश के विभिन्न भागों में स्वतंत्र अध्ययन किए गए हैं और तटबंधों, समुद्री दीवारों के निर्माण, खाड़ियों में इनलेट नियंत्रण तंत्र आदि जैसी कई सिफारिशें की गई हैं।
पिछले पांच वर्षों में भूजल स्तर पर विभिन्न जल संरक्षण उपायों के निष्कर्षों का आकलन करने के लिए, देश में मानसून पश्चात 2024 के राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार जल स्तर के आंकड़ों की तुलना पिछले 5 वर्षों के औसत (2019-23 से मानसून पश्चात के जल स्तर के आंकड़े) से की गई है, जिसका विवरण अनुलग्नक-III में दिया गया है। इस तरह के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि पूरे देश में, विश्लेषण किए गए कूपों में से लगभग 54.4% कूपों में पिछले 5 वर्षों के औसत स्तर की तुलना में वर्ष 2024 में जल स्तर में वृद्धि हुई है ।
इसके अतिरिक्त, पालघर जिले (महाराष्ट्र), नबरंगपुर जिले (ओडिशा) और राजस्थान के पाली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र (पाली और जोधपुर जिलों को शामिल करते हुए) के लिए इसी तरह का विश्लेषण अनुलग्नक-IV में प्रस्तुत किया गया है, जो इंगित करता है कि महाराष्ट्र के पालघर जिले में ओडिशा के नबरंगपुर जिले में पिछले 5 वर्षों की औसत की तुलना में वर्ष 2024 में विश्लेषण किए गए 80% कूपों के जलस्तर में वृद्धि देखी गई है। पाली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जोधपुर और पाली जिलों में क्रमशः 68.9 प्रतिशत और 81.25 प्रतिशत कूपों में वृद्धि के रुझान देखे गए है ।
यह सूचना जल शक्ति राज्यमंत्री श्री राज भूषण चौधरी द्वारा लोकसभा में लिखित प्रश्न के उत्तर में प्रदान की गई है।
***
एनडी
अनुलग्नक-I
भारत के राज्य-वार भूजल संसाधन, 2025
|
क्र. सं.
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
कुल वार्षिक भूजल पुनर्भरण (बीसीएम में)
|
वार्षिक निष्कर्षणीय भूजल संसाधन (बीसीएम में)
|
सभी प्रकार के उपयोगों के लिए वार्षिक भूजल निष्कर्षण (बीसीएम में)
|
भूजल निष्कर्षण का स्तर (%)
|
|
| |
| |
|
1
|
आंध्र प्रदेश
|
26.34
|
25.02
|
7.88
|
31.51
|
|
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
3.69
|
3.29
|
0.01
|
0.41
|
|
|
3
|
असम
|
26.36
|
20.29
|
2.93
|
14.45
|
|
|
4
|
बिहार
|
34.51
|
31.32
|
14.47
|
46.20
|
|
|
5
|
छत्तीसगढ
|
14.30
|
13.07
|
6.30
|
48.18
|
|
|
6
|
गोवा
|
0.38
|
0.31
|
0.07
|
23.30
|
|
|
7
|
गुजरात
|
27.58
|
25.61
|
14.33
|
55.95
|
|
|
8
|
हरियाणा
|
10.27
|
9.30
|
12.72
|
136.75
|
|
|
9
|
हिमाचल प्रदेश
|
1.12
|
1.01
|
0.39
|
38.50
|
|
|
10
|
झारखंड
|
6.15
|
5.63
|
1.85
|
32.89
|
|
|
11
|
कर्नाटक
|
19.27
|
17.41
|
11.58
|
66.49
|
|
|
12
|
केरल
|
5.45
|
4.93
|
2.46
|
49.95
|
|
|
13
|
मध्य प्रदेश
|
36.07
|
34.15
|
20.26
|
59.32
|
|
|
14
|
महाराष्ट्र
|
33.89
|
31.99
|
16.57
|
51.79
|
|
|
15
|
मणिपुर
|
0.44
|
0.40
|
0.04
|
9.09
|
|
|
16
|
मेघालय
|
1.84
|
1.54
|
0.08
|
5.24
|
|
|
17
|
मिजोरम
|
0.21
|
0.19
|
0.01
|
4.03
|
|
|
18
|
नगालैंड
|
0.55
|
0.50
|
0.02
|
4.72
|
|
|
19
|
ओडिशा
|
17.44
|
16.02
|
7.81
|
48.75
|
|
|
20
|
पंजाब
|
18.60
|
16.80
|
26.27
|
156.36
|
|
|
21
|
राजस्थान
|
12.87
|
11.62
|
17.10
|
147.11
|
|
|
22
|
सिक्किम
|
0.24
|
0.22
|
0.01
|
5.87
|
|
|
23
|
तमिलनाडु
|
22.61
|
20.46
|
15.04
|
73.50
|
|
|
24
|
तेलंगाना
|
21.93
|
19.84
|
9.26
|
46.69
|
|
|
25
|
त्रिपुरा
|
1.53
|
1.24
|
0.12
|
10.06
|
|
|
26
|
उत्तर प्रदेश
|
73.39
|
66.97
|
46.89
|
70.00
|
|
|
27
|
उत्तराखंड
|
2.13
|
1.95
|
1.05
|
53.92
|
|
|
28
|
पश्चिम बंगाल
|
25.85
|
23.50
|
10.62
|
45.19
|
|
|
29
|
अंडमान और निकोबार
|
0.38
|
0.35
|
0.01
|
2.27
|
|
|
30
|
चंडीगढ़
|
0.05
|
0.05
|
0.03
|
67.00
|
|
|
31
|
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
|
0.13
|
0.12
|
0.05
|
40.45
|
|
|
32
|
दिल्ली
|
0.38
|
0.35
|
0.32
|
92.10
|
|
|
33
|
जम्मू और कश्मीर
|
2.30
|
2.07
|
0.51
|
24.73
|
|
|
34
|
लद्दाख
|
0.07
|
0.06
|
0.02
|
30.93
|
|
|
35
|
लक्षद्वीप
|
0.01
|
0.01
|
0.00
|
57.79
|
|
|
36
|
पुदुचेरी
|
0.19
|
0.17
|
0.13
|
75.98
|
|
| |
कुल योग
|
448.52
|
407.75
|
247.22
|
60.63
|
|
|
*विभिन्न स्तरों पर राउंड ऑफ करने के कारण संख्याओं में मामूली असंगति हो सकती है।
|
|
अनुलग्नक-II
नैक्यूम अध्ययनों के अंतर्गत शामिल राज्य-वार क्षेत्र
|
क्र. सं.
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
कुल क्षेत्रफल
(वर्ग किमी.)
|
शामिल करने के लिए लक्षित क्षेत्र
(वर्ग किमी.)
|
मार्च 2023 तक कवरेज
(वर्ग किमी.)
|
|
1
|
अंडमान एवं निकोबार संघ राज्य क्षेत्र
|
8,249
|
1,774
|
1,774
|
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
1,63,900
|
1,41,784
|
1,41,784
|
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
83,743
|
4,703
|
4,703
|
|
4
|
असम
|
78,438
|
61,826
|
61,826
|
|
5
|
बिहार
|
94,163
|
90,567
|
90,567
|
|
6
|
चंडीगढ़ संघ राज्य क्षेत्र
|
115
|
115
|
115
|
|
7
|
छत्तीसगढ
|
1,36,034
|
96,000
|
96,000
|
|
8
|
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव संघ राज्य क्षेत्र
|
602
|
602
|
602
|
|
9
|
दिल्ली
|
1,483
|
1,483
|
1,483
|
|
10
|
गोवा
|
3,702
|
3,702
|
3,702
|
|
11
|
गुजरात
|
1,96,024
|
1,60,978
|
1,60,978
|
|
12
|
हरियाणा
|
44,212
|
44,179
|
44,179
|
|
13
|
हिमाचल प्रदेश
|
55,673
|
8,020
|
8,020
|
|
14
|
जम्मू एवं कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र
|
1,67,396
|
9,506
|
9,506
|
|
15
|
झारखंड
|
79,714
|
76,705
|
76,705
|
|
16
|
कर्नाटक
|
1,91,808
|
1,91,719
|
1,91,719
|
|
17
|
केरल
|
38,863
|
28,088
|
28,088
|
|
18
|
लक्षद्वीप संघ राज्य क्षेत्र
|
32
|
32
|
32
|
|
19
|
लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र
|
54,840
|
963
|
963
|
|
20
|
मध्य प्रदेश
|
3,08,000
|
2,69,349
|
2,69,349
|
|
21
|
महाराष्ट्र
|
3,07,713
|
2,59,914
|
2,59,914
|
|
22
|
मणिपुर
|
22,327
|
2,559
|
2,559
|
|
23
|
मेघालय
|
22,429
|
10,645
|
10,645
|
|
24
|
मिजोरम
|
21,081
|
700
|
700
|
|
25
|
नागालैंड
|
16,579
|
910
|
910
|
|
26
|
ओडिशा
|
1,55,707
|
1,19,636
|
1,19,636
|
|
27
|
पुड्डुचेरी संघ राज्य क्षेत्र
|
479
|
454
|
454
|
|
28
|
पंजाब
|
50,368
|
50,368
|
50,368
|
|
29
|
राजस्थान
|
3,42,239
|
3,34,152
|
3,34,152
|
|
30
|
सिक्किम
|
7,096
|
1,496
|
1,496
|
|
31
|
तमिलनाडु
|
1,30,058
|
1,05,829
|
1,05,829
|
|
32
|
तेलंगाना
|
1,11,940
|
1,04,824
|
1,04,824
|
|
33
|
त्रिपुरा
|
10,492
|
6,757
|
6,757
|
|
34
|
उत्तर प्रदेश
|
2,46,387
|
2,40,649
|
2,40,649
|
|
35
|
उत्तराखंड
|
53,484
|
11,430
|
11,430
|
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
88,752
|
71,947
|
71,947
|
|
|
कुल
|
3294105
|
2514437
|
2514437
|
अनुलग्नक-III
राज्य-वार जलस्तर में औसत के साथ (मानसून के बाद वर्ष 2019 से 2023 तक) और मानसून के बाद वर्ष 2024 तक (असीमित जलभृत) वृद्धि-गिरावट (मीटर में)
|
क्र. सं.
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
विश्लेषण किए गए कुओं की संख्या
|
विभिन्न उतार-चढ़ाव श्रेणियों में कुओं की संख्या (मीटर में)
|
कुओं की कुल संख्या
|
|
वृद्धि
|
गिरावट
|
|
0 से 2 (मी.)
|
%
|
2 से 4 (मी.)
|
%
|
> 4 (मी.)
|
%
|
0 से 2 (मी.)
|
%
|
2 से 4 (मी.)
|
%
|
> 4 (मी.)
|
%
|
वृद्धि
|
%
|
गिरावट
|
%
|
|
1
|
अंडमान और निकोबार
|
101
|
70
|
69.3
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
31
|
30.7
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
70
|
69.3
|
31
|
30.7
|
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
603
|
288
|
47.8
|
49
|
8.1
|
22
|
3.6
|
200
|
33.2
|
29
|
4.8
|
13
|
2.2
|
359
|
59.5
|
242
|
40.1
|
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
20
|
12
|
60.0
|
2
|
10.0
|
0
|
0.0
|
6
|
30.0
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
14
|
70.0
|
6
|
30.0
|
|
4
|
असम
|
201
|
124
|
61.7
|
5
|
2.5
|
1
|
0.5
|
61
|
30.3
|
8
|
4.0
|
2
|
1.0
|
130
|
64.7
|
71
|
35.3
|
|
5
|
बिहार
|
556
|
125
|
22.5
|
16
|
2.9
|
3
|
0.5
|
347
|
62.4
|
53
|
9.5
|
8
|
1.4
|
144
|
25.9
|
408
|
73.4
|
|
6
|
चंडीगढ़
|
7
|
6
|
85.7
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
1
|
14.3
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
6
|
85.7
|
1
|
14.3
|
|
7
|
छत्तीसगढ
|
761
|
427
|
56.1
|
75
|
9.9
|
15
|
2.0
|
206
|
27.1
|
30
|
3.9
|
7
|
0.9
|
517
|
67.9
|
243
|
31.9
|
|
8
|
दिल्ली
|
68
|
27
|
39.7
|
14
|
20.6
|
9
|
13.2
|
14
|
20.6
|
3
|
4.4
|
1
|
1.5
|
50
|
73.5
|
18
|
26.5
|
|
9
|
गोवा
|
73
|
49
|
67.1
|
5
|
6.8
|
0
|
0.0
|
19
|
26.0
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
54
|
74.0
|
19
|
26.0
|
|
10
|
गुजरात
|
598
|
308
|
51.5
|
117
|
19.6
|
55
|
9.2
|
92
|
15.4
|
16
|
2.7
|
10
|
1.7
|
480
|
80.3
|
118
|
19.7
|
|
11
|
हरियाणा
|
163
|
61
|
37.4
|
11
|
6.7
|
7
|
4.3
|
57
|
35.0
|
19
|
11.7
|
8
|
4.9
|
79
|
48.5
|
84
|
51.5
|
|
12
|
हिमाचल प्रदेश
|
92
|
23
|
25.0
|
1
|
1.1
|
2
|
2.2
|
57
|
62.0
|
5
|
5.4
|
4
|
4.3
|
26
|
28.3
|
66
|
71.7
|
|
13
|
जम्मू और कश्मीर
|
196
|
56
|
28.6
|
1
|
0.5
|
1
|
0.5
|
124
|
63.3
|
9
|
4.6
|
4
|
2.0
|
58
|
29.6
|
137
|
69.9
|
|
14
|
झारखंड
|
290
|
144
|
49.7
|
18
|
6.2
|
6
|
2.1
|
100
|
34.5
|
19
|
6.6
|
2
|
0.7
|
168
|
57.9
|
121
|
41.7
|
|
15
|
कर्नाटक
|
1072
|
615
|
57.4
|
76
|
7.1
|
28
|
2.6
|
300
|
28.0
|
42
|
3.9
|
8
|
0.7
|
719
|
67.1
|
350
|
32.6
|
|
16
|
केरल
|
1346
|
567
|
42.1
|
68
|
5.1
|
18
|
1.3
|
583
|
43.3
|
90
|
6.7
|
19
|
1.4
|
653
|
48.5
|
692
|
51.4
|
|
17
|
मध्य प्रदेश
|
1044
|
454
|
43.5
|
77
|
7.4
|
34
|
3.3
|
376
|
36.0
|
62
|
5.9
|
34
|
3.3
|
565
|
54.1
|
472
|
45.2
|
|
18
|
महाराष्ट्र
|
1597
|
812
|
50.8
|
154
|
9.6
|
42
|
2.6
|
481
|
30.1
|
81
|
5.1
|
20
|
1.3
|
1008
|
63.1
|
582
|
36.4
|
|
19
|
मेघालय
|
38
|
9
|
23.7
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
29
|
76.3
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
9
|
23.7
|
29
|
76.3
|
|
20
|
नागालैंड
|
11
|
3
|
27.3
|
1
|
9.1
|
0
|
0.0
|
3
|
27.3
|
1
|
9.1
|
3
|
27.3
|
4
|
36.4
|
7
|
63.6
|
|
21
|
ओडिशा
|
1249
|
277
|
22.2
|
11
|
0.9
|
3
|
0.2
|
826
|
66.1
|
110
|
8.8
|
16
|
1.3
|
291
|
23.3
|
952
|
76.2
|
|
22
|
पुदुचेरी
|
6
|
3
|
50.0
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
3
|
50.0
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
3
|
50.0
|
3
|
50.0
|
|
23
|
पंजाब
|
174
|
43
|
24.7
|
9
|
5.2
|
4
|
2.3
|
74
|
42.5
|
30
|
17.2
|
13
|
7.5
|
56
|
32.2
|
117
|
67.2
|
|
24
|
राजस्थान
|
824
|
263
|
31.9
|
120
|
14.6
|
132
|
16.0
|
163
|
19.8
|
61
|
7.4
|
85
|
10.3
|
515
|
62.5
|
309
|
37.5
|
|
25
|
तमिलनाडु
|
566
|
238
|
42.0
|
55
|
9.7
|
28
|
4.9
|
194
|
34.3
|
34
|
6.0
|
13
|
2.3
|
321
|
56.7
|
241
|
42.6
|
|
26
|
तेलंगाना
|
248
|
93
|
37.5
|
32
|
12.9
|
15
|
6.0
|
83
|
33.5
|
18
|
7.3
|
7
|
2.8
|
140
|
56.5
|
108
|
43.5
|
|
27
|
दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव
|
11
|
5
|
45.5
|
3
|
27.3
|
0
|
0.0
|
2
|
18.2
|
1
|
9.1
|
0
|
0.0
|
8
|
72.7
|
3
|
27.3
|
|
28
|
त्रिपुरा
|
78
|
56
|
71.8
|
4
|
5.1
|
0
|
0.0
|
17
|
21.8
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
60
|
76.9
|
17
|
21.8
|
|
29
|
उत्तर प्रदेश
|
421
|
151
|
35.9
|
13
|
3.1
|
8
|
1.9
|
212
|
50.4
|
30
|
7.1
|
7
|
1.7
|
172
|
40.9
|
249
|
59.1
|
|
30
|
उत्तराखंड
|
155
|
51
|
32.9
|
6
|
3.9
|
12
|
7.7
|
64
|
41.3
|
9
|
5.8
|
12
|
7.7
|
69
|
44.5
|
85
|
54.8
|
|
31
|
पश्चिम बंगाल
|
636
|
409
|
64.3
|
16
|
2.5
|
4
|
0.6
|
185
|
29.1
|
10
|
1.6
|
8
|
1.3
|
429
|
67.5
|
203
|
31.9
|
| |
कुल
|
13205
|
5769
|
43.7
|
959
|
7.3
|
449
|
3.4
|
4910
|
37.2
|
770
|
5.8
|
304
|
2.3
|
7177
|
54.4
|
5984
|
45.3
|
नोट: 44 (0.3%) साइटों में वृद्धि या गिरावट नहीं देखी गई।
अनुलग्नक-IV
निर्दिष्ट जिलों के लिए भूजल स्तर औसत के साथ (मानसून के बाद वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक) और मानसून के बाद वर्ष 2024 तक (असीमित जलभृत) में वृद्धि-गिरावट (मीटर में)
|
क्र. सं.
|
राज्य
|
जिले का नाम
|
विश्लेषण
किया गए
कुओं की संख्या
|
जल स्तर में वृद्धि-गिरावट (मीटर में) दर्शाते हुए
निम्नलिखित सीमा में कुओं की संख्या/प्रतिशत
|
कुओं की कुल
संख्या
|
|
वृद्धि
|
गिरावट
|
|
1 से 2 मी.
|
2 से 4 मी.
|
> 4 मी.
|
0 से 2 मी.
|
2 से 4 मी.
|
> 4 मी.
|
| |
|
|
|
सं.
|
%
|
सं.
|
%
|
सं.
|
%
|
सं.
|
%
|
सं.
|
%
|
सं.
|
%
|
वृद्धि
|
%
|
गिरावट
|
%
|
|
1
|
राजस्थान
|
जोधपुर
|
45
|
13
|
28.9
|
6
|
13.3
|
12
|
26.7
|
10
|
22.2
|
1
|
2.2
|
3
|
6.7
|
31
|
68.9
|
14
|
31.1
|
| |
|
पाली
|
16
|
6
|
37.5
|
4
|
25
|
3
|
18.8
|
2
|
12.5
|
0
|
0
|
1
|
6.3
|
13
|
81.2
|
3
|
18.7
|
| |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
2
|
ओडिशा
|
नबरंगपुर
|
20
|
3
|
15.0
|
2
|
10.0
|
0
|
0.0
|
14
|
70.0
|
1
|
5.0
|
0
|
0.0
|
5
|
25
|
15
|
75
|
| |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
3
|
महाराष्ट्र
|
पालघर
|
30
|
24
|
80
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
6
|
20.0
|
0
|
0.0
|
0
|
0.0
|
24
|
80
|
6
|
20
|
*****
(रिलीज़ आईडी: 2206075)
|