पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिल्ली एनसीआर के लिए हरितकरण रणनीति पर उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की


एनसीआर में जैविक सुरक्षा और सतत वायु गुणवत्ता सुधार के लिए वैज्ञानिक रूप से योजनाबद्ध, प्रौद्योगिकी-सक्षम और सम्मिलन-आधारित ज़िला-वार हरितकरण रणनीति अत्यंत महत्वपूर्ण है: श्री भूपेंद्र यादव

Posted On: 26 NOV 2025 7:57PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री, श्री भूपेंद्र यादव ने आज नई दिल्ली में एक उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की, जिससे दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के हरितकरण हेतु चल रही वृक्षारोपण की तैयारियों की समीक्षा की जा सके। बैठक में सचिव (ईएफसीसी) के साथ मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा हरियाणा, राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र  दिल्ली सरकार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) उपस्थित थे।

बैठक मुख्‍यत: एनसीआर में ग्रीन कवर/ बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक रूप से योजनाबद्ध, समुदायिक-भागीदारी और सम्मिलन-आधारित दृष्टिकोण अपनाने पर केंद्रित थी। इस लक्ष्य को एक व्यापक ज़िला-वार कार्य योजना के माध्यम से प्राप्त किए जाने की परिकल्पना की गई है। इसमें ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र शामिल होंगे, जिनमें वन भूमि के साथ-साथ अन्य सरकारी भूमि भी सम्मिलित होगी, और शहरी क्षेत्रों में नगर निकायों से संबंधित भूमि खंडों की पहचान की जाएगी।

हरित और सार्वजनिक स्थलों का व्यापक मानचित्रण

बैठक के दौरान, मंत्री ने 2026-27 के लिए वृक्षारोपण क्षेत्रों की पहचान की प्रगति की समीक्षा की और एनसीआर राज्यों से विस्तृत ज़िला-वार योजना तैयार करने को कहा, जिसमें अन्‍य बातों के साथ, निम्नलिखित शामिल हों:

  • कुल वन क्षेत्रों, संरक्षित क्षेत्रों, चिड़ियाघरों (वर्तमान और प्रस्तावित), सामुदायिक वनों, राजस्व वनों, नगर वनों/नमो पार्कों (प्रस्तावित और स्वीकृत) की पहचान
  • क्षरित वन भूमि की पहचान और मानचित्रण
  • नदियों, जल निकायों, आर्द्रभूमियों और रामसर स्थलों के जलग्रहण क्षेत्र
  • विभिन्न प्राधिकरणों के अंतर्गत अन्य सार्वजनिक स्थल, जिनमें राजस्व भूमि, पंचायती राज संस्थान और शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) शामिल हैं
  • उपरोक्त क्षेत्रों का मौजूदा वनस्पति की गुणवत्ता और प्रबंधन एजेंसियों के आधार पर वर्गीकरण
  • ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की नर्सरीज़
  • विभिन्न एजेंसियों के पास उपलब्ध संसाधनों का सम्मिलन

श्री यादव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एनसीआर में सभी ईको-क्लब्स की पहचान की जाए और उन्हें जागरूकता पैदा करने तथा वृक्षारोपण और रखरखाव गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए मानचित्रित किया जाए। उन्होंने यह अपेक्षा व्यक्त की कि प्राकृतिक इतिहास संस्थान और इसके क्षेत्रीय केंद्र वृक्षारोपण प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हों। राज्यों से यह भी अनुरोध किया गया कि वे सभी मौजूदा नर्सरियों का मानचित्र तैयार करें, उनकी वर्तमान उत्पादन क्षमता के साथ-साथ भविष्य की वृक्षारोपण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उनके सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता का मूल्यांकन करें। उपरोक्त डेटा के आधार पर, राज्यों ने वृक्षारोपण के लिए उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान करने, किए जाने वाले वृक्षारोपण गतिविधियों के प्रकार और उन गतिविधियों में शामिल हितधारकों की पहचान करने तथा ज़िला-वार विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के लिए विस्तृत स्थानिक विश्लेषण करने पर सहमति जताई।

अगले पाँच वर्षों के लिए ज़िला-स्तरीय सूक्ष्म योजनाओं की तैयारी

केंद्रीय मंत्री ने राज्यों से कहा कि वे एनसीआर क्षेत्र में लागू माननीय न्यायालयों के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए सभी मौजूदा वन और वन्यजीव प्रबंधन योजनाओं का मूल्यांकन करें और अगले पाँच वर्षों के लिए एक सूक्ष्म योजना तैयार करें, जिसमें स्पष्ट रूप से निम्नलिखित की पहचान हो:

  • प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण के लिए लिए जाने वाले क्षेत्र
  • क्रियान्वयन करने वाली एजेंसियाँ
  • सामुदायिक भागीदारी के अवसर
  • वृक्षारोपण हस्तक्षेप की प्रकृति
  • नर्सरियां और गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री के स्रोत, और
  • मौजूदा योजनाओं, जैसे कि ग्रीन इंडिया मिशन, नगर वन योजना, ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी), मुआवजा वृक्षारोपण कोष, राज्य कोष, मनरेगा, नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम/योजनाएँ और अन्य संबंधित योजनाओं के अंतर्गत धन स्रोतों का मानचित्रण।

इसके अलावा, उन्होंने आक्रामक प्रजातियों से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करने और ऐसे क्षेत्रों के पारिस्थितिक पुनर्स्थापन को सूक्ष्म योजनाओं का अभिन्न हिस्सा बनाने पर भी ज़ोर दिया।

मंत्री ने जोर दिया कि सूक्ष्म योजनाओं में उन विभागों और मंत्रालयों को भी इंगित किया जाए जिन्‍हें प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक साथ आने की आवश्यकता है, जिससे सभी हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित हो सके। उन्होंने ज़िलों में चल रहे सभी परियोजनाओं से संबंधित मुकदमों की सूची तैयार करने और शामिल मुद्दों का मूल्यांकन करने पर भी बल दिया, जिससे मुख्य नियामक बाधाओं को संबोधित किया जा सके।

एनसीआर के लिए पाँच वर्षीय हरितकरण योजना की तैयारी

श्री यादव ने मंत्रालय के अधिकारियों से कहा कि वे राज्यों द्वारा तैयार किए गए ज़िला-वार सूक्ष्म योजनाओं को समेकित करके राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए पाँच वर्षीय हरितकरण योजना तैयार करें। इस एकीकृत योजना के आधार पर समन्वित कार्रवाई शुरू की जाएगी, जिससे आवश्यक सुविधा सुनिश्चित की जा सके, जो अन्य लाभों के साथ-साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्‍यूएम) द्वारा मॉनिटर किए जा रहे हरितकरण वृक्षारोपण प्रयासों के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन में भी सहायक होगी।

एफएसआई समर्थन और ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम

मंत्री ने भारतीय वन सर्वेक्षण से राज्यों को क्षरित वन भूमि और आक्रामक प्रजातियों से प्रभावित क्षेत्रों का डेटा प्रदान करने को कहा, जिससे इसे राज्य योजना प्रक्रिया में सम्मिलित किया जा सके। उन्होंने सभी राज्यों से कहा कि वे क्षरित वन भूमि की पहचान करें और उसे ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी) पोर्टल पर उपलब्ध कराएं, जिससे व्यक्तियों, सार्वजनिक और निजी संस्थाओं की पारिस्थितिक पुनर्स्थापन गतिविधियों में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और यह स्वीकृत सूक्ष्म योजनाओं के अनुरूप हो।

श्री यादव ने जोर दिया कि दिल्ली और एनसीआर के लिए वैज्ञानिक रूप से योजनाबद्ध, प्रौद्योगिकी-सक्षम और सम्मिलन-आधारित ज़िला-वार हरितकरण रणनीति एनसीआर की पारिस्थितिक सुरक्षा को मजबूत करने और दीर्घकालिक रूप से वायु गुणवत्ता में सतत् सुधार प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि इस संबंध में अगली बैठक शीघ्र ही आयोजित की जाएगी, जिससे राज्य सरकारों और दिल्ली सरकार द्वारा किए गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा की जा सके।

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