सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय
व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण के परिणाम: शिक्षा, 2025 (अप्रैल - जून, 2025)
Posted On:
26 AUG 2025 4:00PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 80 वें दौर में सीएमएस एजुकेशन सर्वेक्षण, विशेष रूप से स्कूली शिक्षा में वर्तमान में नामांकित छात्रों के घरेलू खर्च पर केंद्रित था। कंप्यूटर के माध्यम से व्यक्तिगत साक्षात्कार (सीएपीआई) का उपयोग करके पूरे भारत में 52,085 परिवारों और 57,742 छात्रों से आंकड़े एकत्र किए गए थे। सर्वेक्षण की रूपरेखा और कार्यप्रणाली का विस्तृत विवरण पूरी रिपोर्ट में दिया गया है।
मुख्य बातें:
- सरकारी स्कूलों में उल्लेखनीय दाखिले:
देश भर में शिक्षा प्रदान करने में सरकारी स्कूलों की महत्वपूर्ण भूमिका है, देश के कुल छात्रों का 55.9 प्रतिशत हिस्सा सरकारी स्कूलों में है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या शहरी क्षेत्रों (30.1 प्रतिशत) की तुलना में ज़्यादा है, जहां दो-तिहाई (66.0 प्रतिशत) छात्र पढ़ते हैं। देश भर में निजी गैर-सहायता प्राप्त (मान्यता प्राप्त) स्कूलों में पढ़ने वालों का 31.9 प्रतिशत हिस्सा है।
- कुछ ही छात्रों ने सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान करने की सूचना दी :
सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे केवल 26.7 प्रतिशत छात्रों ने पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान करने की सूचना दी, जबकि गैर-सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 95.7 प्रतिशत छात्रों ने पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान किया। विभिन्न प्रकार के गैर-सरकारी स्कूलों में, शहरी क्षेत्रों के निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में 98.0 प्रतिशत छात्रों ने पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान करने की सूचना दी। ग्रामीण क्षेत्रों में, 25.3 प्रतिशत छात्रों ने सरकारी स्कूलों में पाठ्यक्रम शुल्क का भुगतान करने की सूचना दी।

- सरकारी स्कूलों में परिवारों द्वारा प्रति छात्र किया जाने वाला व्यय उल्लेखनीय रूप से कम है:
सरकारी स्कूलों में चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान स्कूली शिक्षा पर परिवारों द्वारा किया गया औसत प्रति छात्र व्यय 2,863 रुपये का अनुमान लगाया गया, जबकि गैर-सरकारी स्कूलों में यह काफी अधिक (25,002 रुपये) था।
- बच्चों की शिक्षा के लिए परिवारों द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा शिक्षा व्यय पाठ्यक्रम शुल्क के रूप में उभर रहा है
सभी प्रकार के स्कूलों में, चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान प्रति छात्र सबसे अधिक औसत व्यय पाठ्यक्रम शुल्क (7,111 रुपये) पर हुआ। इसके बाद अखिल भारतीय स्तर पर पाठ्यपुस्तकों और स्टेशनरी (2,002 रुपये) का स्थान रहा। शहरी परिवार सभी श्रेणियों में काफ़ी ज़्यादा भुगतान कर रहे हैं। उल्लेखनीय रूप से, शहरी क्षेत्रों में पाठ्यक्रम शुल्क पर औसत व्यय 15,143 रुपये अनुमानित था, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 3,979 रुपये अनुमानित था। शहरी क्षेत्रों में उच्च व्यय का यह रुझान परिवहन, वर्दी और पाठ्यपुस्तकों जैसे अन्य प्रकार के शिक्षा सम्बंधी खर्चों के लिए भी स्पष्ट है।
चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान लगभग एक तिहाई छात्र (27.0 प्रतिशत) निजी कोचिंग ले रहे थे या ले चुके थे। यह प्रवृत्ति ग्रामीण क्षेत्रों (25.5 प्रतिशत) की तुलना में शहरी क्षेत्रों (30.7 प्रतिशत) में अधिक आम थी।
- शहरी परिवार ग्रामीण परिवारों की तुलना में निजी कोचिंग पर अधिक खर्च करते हैं
शहरी क्षेत्रों में प्रति छात्र निजी कोचिंग पर औसत वार्षिक घरेलू व्यय (3,988 रुपये) ग्रामीण क्षेत्रों (1,793 रुपये) की तुलना में अधिक था। यह अंतर शिक्षा के स्तर के साथ बढ़ता है। शहरी क्षेत्रों में, उच्चतर माध्यमिक स्तर पर निजी कोचिंग पर औसत व्यय (9,950 रुपये) ग्रामीण क्षेत्रों (4,548 रुपये) की तुलना में काफी अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर, पूर्व-प्राथमिक स्तर के लिए 525 रुपये से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर के लिए 6,384 रुपये तक कोचिंग की लागत प्रत्येक शिक्षा स्तर के साथ बढ़ती है।
- पारिवारिक वित्तपोषण स्कूल शिक्षा के वित्तपोषण का मुख्य स्रोत है
देश में स्कूली शिक्षा पर खर्च करने वाले छात्रों में से 95 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि उनके वित्तपोषण का पहला प्रमुख स्रोत परिवार के अन्य सदस्य थे। यह प्रवृत्ति ग्रामीण (95.3 प्रतिशत) और शहरी (94.4 प्रतिशत), दोनों क्षेत्रों में समान रूप से देखी गई। भारत में, 1.2 प्रतिशत छात्रों ने बताया कि सरकारी छात्रवृत्तियां स्कूली शिक्षा के लिए उनके वित्तपोषण का पहला प्रमुख स्रोत थीं।
वित्तपोषण का स्रोत (पहला प्रमुख स्रोत)
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ग्रामीण
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शहरी
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ग्रामीण+शहरी
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घर के अन्य सदस्यों द्वारा वित्त पोषित
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95.3
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94.4
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95.0
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पूर्ववर्ती घरेलू सदस्य द्वारा वित्त पोषित
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2.5
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2.2
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2.4
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सरकार से छात्रवृत्ति
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1.4
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0.9
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1.2
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अन्य
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0.8
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2.5
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1.4
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महत्वपूर्ण तथ्य:
एनएसएस द्वारा किया गया सबसे हालिया व्यापक शिक्षा सर्वेक्षण का यह 75वां दौर (जुलाई 2017-जून 2018) था। हालांकि, इसके निष्कर्षों की सीएमएस: ई के निष्कर्षों से सीधी तुलना नहीं की जा सकती। एनएसएस के 75वें दौर में, आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं किया गया था, और स्कूली शिक्षा पर होने वाले व्यय में निजी कोचिंग शामिल थी। सीएमएस: ई ने आंगनवाड़ियों को पूर्व-प्राथमिक श्रेणी में वर्गीकृत किया और स्कूली शिक्षा और निजी कोचिंग पर होने वाले खर्च को अलग-अलग एकत्रित और प्रस्तुत किया।
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सीएमएस:ई का प्राथमिक उद्देश्य चालू शैक्षणिक वर्ष के दौरान स्कूली शिक्षा और निजी कोचिंग पर औसत व्यय का राष्ट्रीय स्तर पर अनुमान लगाना था। उपलब्ध नमूना अवलोकनों के आधार पर राज्य-स्तरीय अनुमान भी तैयार किए गए हैं और इस रिपोर्ट में प्रस्तुत किए गए हैं। इसलिए, उपयोगकर्ताओं को उप-राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण परिणामों की व्याख्या सम्बंधित डोमेन में इससे जुड़े नमूना आकार और सापेक्ष मानक त्रुटि (आरएसई) पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए करनी चाहिए।
यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि सर्वेक्षण-आधारित अनुमानित योगों का उपयोग केवल दरों और अनुपातों की गणना के लिए किया गया था। इस योग का उद्देश्य निश्चित जनसंख्या-स्तरीय गणना के रूप में कार्य करने के लिए नहीं हैं। इसलिए, इन योगों का उपयोग अनुमानों की निरपेक्ष रूप से या बहिर्वेशन के लिए सीधे व्याख्या करने से भ्रामक निष्कर्ष निकल सकते हैं और इसकी अनुशंसा नहीं की जाती है। डेटा के उपयोगकर्ताओं से अनुरोध है कि वे इन सांख्यिकीय सीमाओं को ध्यान में रखते हुए निष्कर्षों की व्याख्या करें।
व्यापक मॉड्यूलर सर्वेक्षण: शिक्षा की रिपोर्ट मंत्रालय की वेबसाइट ( http://www.mospi.gov.in ) पर उपलब्ध है।
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(Release ID: 2161003)