स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने श्योपुर और सिंगरौली में नए सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन किया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत मध्य प्रदेश में चार नए चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए

8 लाख वय वंदना पीवीसी कार्डों का वितरण शुरू किया

नागरिक सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए स्मार्ट चैटबॉट ‘आयुष्मान सखी’ की शुरुआत

स्वास्थ्य यकृत मिशन ने 1 करोड़ स्क्रीनिंग का लक्ष्य हासिल किया

‘आशा संवाद’: आशा कार्यकर्ताओं के साथ सीधे संवाद के लिए नया मंच शुरू किया गया

पोस्टर और नए मातृ एवं शिशु संरक्षण कार्ड के साथ मातृ पोषण पर जागरूकता अभियान शुरू किया गया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का फोकस एक समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली विकसित करना है: श्री जगत प्रकाश नड्डा

“मध्य प्रदेश 17 सरकारी और 13 निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में एक शानदार प्रदर्शनकर्ता राज्य के रूप में उभर रहा है”

“हर साल, हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के तहत लगभग 2 करोड़ बच्चों और 2.5 करोड़ गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जाती है”

“आशा कार्यकर्ताओं के अथक प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया है कि स्वास्थ्य सेवा वास्तव में समाज अंतिम व्यक्ति तक पहुंच जाए”

“संस्थागत प्रसव बढ़कर 89% हो गए हैं, जो सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है”

“ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के विद्यार्थियों को चिकित्सा क्षेत्रों में करियर बनाने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से नीट परीक्षा 13 भाषाओं में शुरू की गई”

श्योपुर और सिंगरौली में दो चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन जनजातीय लोगों के प्रति सरकार की वचनबद्धता को दर्शाता है: डॉ. मोहन यादव

Posted On: 25 AUG 2025 7:00PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज श्योपुर और सिंगरौली में नए सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन किया। उन्होंने मध्य प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामुदायिक पहुंच को विस्तार देने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित स्वास्थ्य कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का भी शुभारंभ किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ला, मध्य प्रदेश में बैतूल के विधायक श्री हेमंत खंडेलवाल और मध्य प्रदेश के लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

इस अवसर पर, श्री जे पी नड्डा ने गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के सरकार के दृष्टिकोण का उल्लेख किया। उन्होंने इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया कि देश भर के नागरिक आधुनिक सुविधाओं और निवारक स्वास्थ्य कार्यक्रमों से लाभान्वित हों।

कार्यक्रम के भाग के रूप में निम्नलिखित पहल शुरू की गईं:

  • श्योपुर और सिंगरौली में नए सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन: ये कॉलेज वंचित क्षेत्रों में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के अवसरों का महत्वपूर्ण विस्तार करेंगे।
  • 8 लाख वय वंदना पीवीसी कार्ड का वितरण: इसका उद्देश्य लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को सुगम बनाना है।
  • 'आयुष्मान सखी' स्मार्ट चैटबॉट का शुभारंभ: यह एक संवादात्मक प्लेटफॉर्म है, जिसे नागरिकों को स्वास्थ्य योजनाओं के अंतर्गत सूचना और सहायता तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।
  • स्वस्थ यकृत मिशन (स्वस्थ लिवर मिशन) के अंतर्गत मील का पत्थर: इस मिशन के अंतर्गत 1 करोड़ स्क्रीनिंग करने की उपलब्धि की औपचारिक घोषणा की गई।
  • 'आशा संवाद' पहल: आशा कार्यकर्ताओं और मंत्रालय के बीच सीधे संपर्क को सक्षम करने वाले एक नए मंच का उद्घाटन किया गया।
  • मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संवर्धन: मातृ पोषण पर संचार सामग्री का विमोचन और साथ ही नए मातृ एवं शिशु संरक्षण (एमसीपी) कार्ड की शुरुआत हुई।

इस अवसर पर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत चार नए चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना के लिए समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिससे मध्य प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा व सेवा वितरण के अवसरों का और विस्तार होगा।

ये पहल मध्य प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का विस्तार, निवारक स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था को सशक्त करने, अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सामर्थ्यवान बनाने और मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिणामों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

श्री नड्डा ने कहा कि मध्य प्रदेश 17 सरकारी और 13 चिकित्सा महाविद्यालयों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले राज्य के रूप में उभर रहा है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का फोकस एक “समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली” विकसित करना है, जो न केवल स्वास्थ्य देखभाल में उपचारात्मक पहलू पर ध्यान केंद्रित करती है, बल्कि निवारक देखभाल, उपशामक स्वास्थ्य सेवा, पुनर्वास कार्यक्रम, वृद्धावस्था संरक्षण और संवर्धनात्मक स्वास्थ्य देखभाल पर भी जोर देती है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में सरकार ने एक सशक्त स्वास्थ्य प्रणाली बनाई है। उन्होंने बताया कि हर साल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के तहत लगभग 2 करोड़ बच्चों और 2.5 करोड़ गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जाती है। श्री नड्डा ने समर्पित आशा कार्यकर्ताओं को नमन किया और कहा, उनके अथक प्रयासों से यह सुनिश्चित हुआ है कि स्वास्थ्य सेवा सचमुच समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि जिस क्षण से एक महिला गर्भधारण करती है, तभी से उसे सरकारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अंतर्गत पांच प्रसवपूर्व जांच की सुविधा मिलती है - जो भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती और सुदृढ़ता का स्पष्ट प्रतिबिंब है। उन्होंने बताया कि आज संस्थागत प्रसव 89% तक बढ़ गया है, जो सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

श्री नड्डा ने देश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में हुई तीव्र गिरावट का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) 1 लाख जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 1 लाख पर 93 हो गया है, जबकि 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) में 42% की गिरावट आई है - जो वैश्विक औसत गिरावट 14% से कहीं बेहतर है। इसी प्रकार, नवजात शिशु मृत्यु दर में 39% की कमी आई है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसमें 11% की गिरावट आई है।

राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग कार्यक्रम के अंतर्गत, स्क्रीनिंग के प्रयास अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गए हैं:

  • उच्च रक्तचाप: 39 करोड़ से अधिक जांच की गई, जिनमें से 5.2 करोड़ का निदान किया गया।
  • मधुमेह: 39 करोड़ जांच हुई , जिनमें से 3.5 करोड़ का निदान हुआ।
  • मुख कैंसर: 33 करोड़ जांच की गई, जिनमें से 1.52 करोड़ का निदान किया गया।
  • गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर: 10.3 करोड़ जांच हुई , जिनमें से 90,000 का निदान किया गया।
  • स्तन कैंसर: 17 करोड़ जांच की गई, जिनमें से 42 लाख का निदान किया गया।

श्री नड्डा ने कहा कि ये आंकड़े उस पैमाने व गंभीरता को दर्शाते हैं, जिसके साथ केंद्र सरकार गैर-संचारी रोगों और कैंसर का पता लगाने की चुनौती का समाधान कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आयुष्मान भारत योजना 50 करोड़ लाभार्थियों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम बनकर उभरी है। समय के साथ, 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को, चाहे उनकी आर्थिक या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, सुरक्षा प्रदान करने के लिए वय वंदना जैसी योजनाएं भी इसमें शामिल की गई हैं।

श्री नड्डा ने चिकित्सा शिक्षा में हुई महत्वपूर्ण प्रगति के बारे में कहा, "2014 में देश के भीतर 387 मेडिकल कॉलेज थे और आज यह संख्या बढ़कर 780 हो गई है, जो स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।"  इसी तरह, स्नातक (यूजी) मेडिकल सीटों की संख्या 56,000 से बढ़कर 1,70,000 हो गई है। उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में 75,000 यूजी तथा पीजी सीटें और जोड़ना है। उन्होंने कहा, "इसके अतिरिक्त, स्वास्थ्य देखभाल पर जेब से होने वाला खर्च, जो पहले 62% था, वह अब घटकर 39% हो गया है।"

श्री नड्डा ने चिकित्सा शिक्षा तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाने और भारत के वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व को सशक्त करने के लिए उठाए गए परिवर्तनकारी कदमों पर भी बल दिया। उन्होंने बताया कि 13 भाषाओं में नीट परीक्षा शुरू की गई है, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों के विद्यार्थी भी चिकित्सा क्षेत्र में अपना करियर बना पा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अतीत में, भारत को तपेदिक, टिटनेस तथा पोलियो जैसे टीकों को विकसित करने या उन तक पहुंचने में 20-28 साल लगे थे और जापानी इंसेफेलाइटिस के टीके को लगभग 100 साल लग गए थे। हालांकि, कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने केवल 9 महीनों में दो स्वदेशी टीके विकसित किए - जो एक उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि वैक्सीन मैत्री पहल के माध्यम से ये टीके 100 से अधिक देशों तक पहुंचाए गए, जिनमें से 48 देशों को ये निःशुल्क प्रदान किये गए, जो वैश्विक स्वास्थ्य एवं मानवीय मूल्यों के प्रति भारत की वचनबद्धता को दर्शाता है।

डॉ. मोहन यादव ने पिछले दशक में स्वास्थ्य क्षेत्र में हुई उल्लेखनीय प्रगति का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "2003 से पहले राज्य में केवल 5 मेडिकल कॉलेज थे।" आज यह संख्या बढ़कर 17 सरकारी मेडिकल कॉलेज तथा 13 निजी मेडिकल कॉलेज तक हो गई है। श्री यादव ने कहा है कि हाल ही में राज्य में एम्स भोपाल की भी स्थापना की गई है। अब, हाल ही में 2 और मेडिकल कॉलेजों के लिए अनुमोदन पत्रों के साथ, सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों की कुल संख्या 19 तक पहुंच गई है। उन्होंने विश्वास और आशा व्यक्त करते हुए कहा है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़कर 26 हो जाएगी।

डॉ. मोहन यादव ने कहा कि श्योपुर और सिंगरौली में दो चिकित्सा महाविद्यालयों का उद्घाटन जनजातीय आबादी के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई योजना की भी प्रशंसा की, जो वंचितों को 5 लाख रुपये की वित्तीय मदद देती है। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के लिए 1 रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि उपलब्ध कराना पीपीपी मॉडल कॉलेजों और अस्पतालों की सहायता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पृष्ठभूमि:

हमारे सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है।

आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग और समुदाय के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं। मध्य प्रदेश में आशा कार्यकर्ताओं और आशा सहायिकाओं की कुल संख्या लगभग 70,000 है।

देश में दीर्घकालिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए स्वास्थ्य संदेश को सीधे तौर पर पहुंचाना, प्रदान किए गए प्रशिक्षण को उन्मुख करना, दूसरों को प्रोत्साहित करने हेतु अच्छे कार्य को प्रेरक तरीके से प्रदर्शित करना और कार्यक्रमों से संबंधित कठिनाइयों को हल करने के साथ-साथ लोगों के प्रश्नों का त्वरित एवं उचित उत्तर प्रदान करने में बेहतर संचार माध्यम की आवश्यकता होती है। यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसके लिए एक साथ 72,000 से अधिक लोगों से जुड़ने हेतु एक मंच की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु आशा संवाद यूट्यूब चैनल बनाया गया है। इस चैनल के माध्यम से, प्रत्येक बृहस्पतिवार को 20 मिनट के लिए स्वास्थ्य विभाग सभी आशा कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संपर्क और संवाद स्थापित होता है।

मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने केंद्र सरकार के मोटापा-रोधी अभियान और फिट इंडिया मूवमेंट के अनुरूप, “स्वस्थ यकृत मिशन” (स्वस्थ लिवर मिशन) के माध्यम से एक करोड़ से अधिक नागरिकों की जांच की है, जो एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह स्वस्थ मध्य प्रदेश और फिट भारत के विजन की दिशा में एक सुनहरा कदम है। इस मिशन ने देश में निवारक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया है। यह लाखों लोगों को समय पर जांच, उपचार और एक स्वस्थ भविष्य प्रदान करने का संकल्प है।

मध्य प्रदेश में मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए मातृ एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड को संशोधित किया गया है। वर्तमान कार्ड में केवल एएनएम (सहायक नर्स मिडवाइव्स) और सीएचओ (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी) ही गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों को प्रदान की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित डेटा रिकॉर्ड कर सकते थे। संशोधित एमसीपी कार्ड में, एएनएम तथा सीएचओ के साथ-साथ डॉक्टर अब प्रबंधन व सोनोग्राफी विवरण के साथ-साथ पीएमएसएमए (प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान) और स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत प्रदान की गई सेवाओं का भी रिकॉर्ड कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, संशोधित कार्ड घरेलू दौरे के दौरान नवजात शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी और बाल विकास के व्यवस्थित दस्तावेजीकरण को सक्षम बनाता है।यह कार्ड अब मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करता है, जिनमें सोनोग्राफी परीक्षण, हीमोग्लोबिन, एचआईवी, सिफलिस, सिकल सेल, रक्तचाप, मूत्र परीक्षण, एनीमिया प्रबंधन के लिए आयरन सुक्रोज और एफसीएम इंजेक्शन का प्रावधान तथा अन्य आवश्यक जांच शामिल हैं।

गर्भावस्था से लेकर प्रसव के छह महीने बाद तक आयरन-फोलिक एसिड (आईएफए) तथा कैल्शियम की गोलियों का नियमित व समय पर सेवन मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण से, आईएफए और कैल्शियम सेवन, आहार विविधता, स्वास्थ्य जांच तथा समुदाय में पतियों/सासों के सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सात पोस्टर तैयार किए गए हैं। ये पोस्टर इस प्रकार हैं:

  • गर्भावस्था के दौरान आयरन के सेवन का महत्व
  • आयरन सेवन और आहार विविधता में पति की भागीदारी
  • स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए आहार विविधता और आईएफए एवं कैल्शियम सेवन का महत्व
  • गर्भावस्था के दौरान आईएफए, कैल्शियम और स्वास्थ्य जांच में पतियों की भूमिका
  • आईएफए और कैल्शियम सेवन की सही विधि
  • आयरन के सेवन, पोषण और देखभाल में सास का सहयोग
  • गर्भधारण से पहले पोषण संबंधी तैयारी

इन पोस्टरों को तैयार करने के लिए सामुदायिक स्तर पर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं, उनके परिवार के सदस्यों तथा अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ विस्तृत चर्चा की गई है। जिला एवं राज्य स्तरीय अधिकारियों के इनपुट और अनुभव भी इसमें शामिल किए गए हैं। इन पोस्टरों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, आंगनवाड़ी केंद्रों और अस्पतालों के प्रतीक्षालय में प्रदर्शित किया जा सकता है।

मध्य प्रदेश के श्योपुर और सिंगरौली में मेडिकल कॉलेज

श्योपुर और सिंगरौली दोनों सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों को शैक्षणिक वर्ष 2019-20 में ‘जिला/रेफरल अस्पतालों से जुड़े नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना’ के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के चरण-III के तहत 325 करोड़ रुपये प्रत्येक की स्वीकृत लागत के साथ स्वीकृति दी गई थी। 195 करोड़ रुपये की केन्द्रीय सहायता में से प्रत्येक कॉलेज के लिए 113.4 करोड़ रुपये की राशि राज्य को जारी कर दी गई है।

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एमजी/केसी/एनके



(Release ID: 2160794)


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