प्रधानमंत्री कार्यालय
अहमदाबाद, गुजरात में विभिन्न विकास परियोजनाओं के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
Posted On:
25 AUG 2025 10:35PM by PIB Delhi
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
माहौल का बना रखा है आज आप सभी ने!
गुजरात के राज्यपाल श्रीमान आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे साथी सीआर पाटिल, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, अहमदाबाद की मेयर प्रतिभा जी, अन्य जनप्रतिनिधि गण और अहमदाबाद के मेरे भाइयों और बहनों!
आज आप सभी माहौल बना रखा है। कई बार विचार आता है कि ऐसा कैसा नसीब है कि इन लाखों लोगों का प्रेम और उनके आशीर्वाद, मैं आप सबका जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। देखिए, उधर छोटा नरेन्द्र कोई खड़ा हो गया है।
साथियों,
इस समय देशभर में गणेशोत्सव का एक अद्भुत उत्साह है। गणपति बप्पा के आशीर्वाद से आज गुजरात के विकास से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का भी श्रीगणेश हुआ है। यह मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे विकास के अनेक प्रोजेक्ट आप सभी जनता जनार्दन के चरणों में समर्पित करने का, आपको सौंपने का सौभाग्य मिला है। मैं इन विकास कार्यों के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
मानसून के इस सीजन में गुजरात में भी कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है। देश में भी जिस प्रकार से बादल फटने की एक के बाद एक घटनाएं घट रही हैं और जब टीवी पर विनाश लीला देखते हैं, तो अपने आपको संभालना मुश्किल हो जाता है। मैं सभी प्रभावित परिवारों के प्रति मेरी संवेदना व्यक्त करता हूं। प्रकृति का यह प्रकोप, पूरे मानव जाति के लिए, पूरे विश्व के लिए, पूरे देश के लिए चुनौती बना हुआ है। केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारों के साथ मिलकर, राहत और बचाव के काम में जुटी हुई है।
साथियों,
गुजरात की यह धरती, दो मोहन की धरती है। एक सुदर्शन-चक्रधारी मोहन यानी हमारे द्वारकाधीश श्रीकृष्ण और दूसरे, चरखाधारी मोहन यानी साबरमती के संत, पूज्य बापू। भारत आज इन दोनों के दिखाए रास्ते पर चलकर के निरंतर सशक्त होता जा रहा है। सुदर्शन-चक्रधारी मोहन ने हमें सिखाया है कि देश की, समाज की रक्षा कैसे करते हैं। उन्होंने सुदर्शन चक्र को न्याय और सुरक्षा का कवच बनाया, जो दुश्मन को पाताल में भी खोज कर सजा देता है और यही भाव आज भारत के फैसलों में भी देश अनुभव कर रहा है, देश नहीं दुनिया अनुभव कर रही है। हमारे गुजरात ने और अहमदाबाद ने पुराने कैसे दिन देखे हैं। जब हुल्लड़बाज़, चक्का चलाने वाले पतंग में लड़ाई करके लोगों को मार देते थे। कर्फ्यू में जीवन बिताना पड़ता था, तीज-त्योहार पर अहमदाबाद की धरती रक्तरंजित हो जाती थी। आततायियों, यह हमारा खून बहाते थे और दिल्ली में बैठी कांग्रेस सरकार कुछ नहीं करती थी। लेकिन आज आतंकवादियों और उनके आकाओं को हम छोड़ते नहीं, चाहे वो कहीं भी छिपे हों। दुनिया ने देखा है कि पहलगाम का बदला भारत ने कैसे लिया। 22 मिनट में सब कुछ साफ कर दिया और सैकड़ों किलोमीटर अंदर जाकर, निश्चित किए हुए निशान पर वार करके आतंकवाद की नाभि पर वार किया हमने… ऑपरेशन सिंदूर हमारी सेना के शौर्य और सुदर्शन चक्रधारी मोहन के भारत की इच्छा शक्ति का प्रतीक बन गया है।
साथियों,
चरखाधारी मोहन, हमारे पूज्य बापू ने भारत की समृद्धि का रास्ता, स्वदेशी में बताया था। यहां हमारे यहां साबरमती आश्रम है। यह आश्रम, इस बात का साक्षी है कि जिस पार्टी ने उनका नाम लेकर दशकों तक सत्ता सुख भोगते रहे, उसने बापू की आत्मा को कुचल दिया, उसने स्वदेशी के बापू के मंत्र के साथ क्या किया? आज आपने पिछले कई वर्षों से जो दिन रात गांधी के नाम पर अपनी गाड़ी चलाते हैं, एक बार भी उनके मुंह से न स्वच्छता शब्द सुना होगा, न स्वदेशी शब्द सुना होगा। यह देश समझ ही नहीं पा रहा है कि उनकी समझ को क्या हुआ है? साठ-पैंसठ साल देश पर शासन करने वाली कांग्रेस ने भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रखा, ताकि वो सरकार में बैठे-बैठे इंपोर्ट में भी खेल कर सकें, घोटाले कर सकें। लेकिन आज भारत ने आत्मनिर्भरता को विकसित भारत के निर्माण का आधार बना दिया है। अपने किसानों, अपने मछुआरों, अपने पशुपालकों, अपने उद्यमियों के दम पर भारत तेजी से विकास के रास्ते पर चल रहा है, आत्मनिर्भरता के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है और अपने गुजरात में पशुपालक कितनी सारी संख्या में है और हमारे डेयरी सेक्टर की ताकत देखिये। मैं हाल ही में फिजी के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग करके आया हूँ। वह भी अपने डेयरी सेक्टर को, अपनी कोऑपरेटिव मूवमेंट को खूब आदर पूर्वक वर्णन करके कह रहे थे कि हमारे देश में भी ऐसा कुछ हो। साथियों हमारे पशुपालकों ने और पशुपालन में बहनों का सबसे अधिक योगदान है। बहनों ने पशुपालन कर- करके हमारे डेयरी सेक्टर को मजबूत बनाया, आत्मनिर्भर बनाया और आज चारों ओर उसके जयगान गाये जा रहे हैं।
लेकिन साथियों,
आप सभी आज दुनिया में आर्थिक स्वार्थ वाली राजनीति, सब कोई अपना करने में लगा है, उसे हम भली भांति देख रहे हैं। मैं अहमदाबाद की इस धरती से अपने लघु उद्यमियों से कहूंगा, मेरे छोटे-छोटे दुकानदारों भाई-बहनों से कहूंगा, मेरे किसान भाइयों से कहूंगा, मेरे पशुपालकों भाई-बहन से कहूंगा और मैं गांधी की धरती पर से बोल रहा हूं, मेरे देश के लघु उद्यमी हों, किसान हों, पशुपालक हों, हर किसी के लिए, मैं आपको बार-बार वादा करता हूं, मोदी के लिए आपके हित सर्वोपरि हैं। मेरी सरकार, लघु उद्यमियों का, किसानों का, पशुपालकों का कभी भी अहित नहीं होने देगी। दबाव कितना ही क्यों न आए, हम झेलने की अपनी ताकत बढ़ाते जाएंगे।
साथियों,
आज आत्मनिर्भर भारत अभियान को गुजरात से बहुत ऊर्जा मिल रही है और इसके पीछे दो दशकों की कड़ी मेहनत है। आज की इन नौजवान पीढ़ी ने वो दिन नहीं देखे हैं, जब यहां आए दिन कर्फ्यू लगा रहते थे। यहां व्यापार-कारोबार करना मुश्किल कर दिया जाता था, अशांति का माहौल बनाए रखा जाता था। लेकिन आज अहमदाबाद, देश के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक है और यह आप सभी ने करके दिखाया है।
साथियों,
गुजरात में शांति और सुरक्षा का जो यह वातावरण बना है, इसके सुखद परिणाम हम चारों तरफ देख रहे हैं। आज हर प्रकार की इंडस्ट्री का विस्तार गुजरात की धरती पर हो रहा है। पूरा गुजरात यह देखकर गर्व करता है कि कैसे हमारा राज्य मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। आप लोगों को पता होगा, आप में से जो बुजुर्ग भाई-बहन होंगे, जब गुजरात को अलग करने का आंदोलन चल रहा था, महागुजरात आंदोलन। तब अनेक लोगों ने हमें कहा था कि आप लोगों को गुजरात अलग करके क्या करना है, भूखे मर जाओगे, ऐसा बोलते थे, आप लोगों के पास है क्या, न कोई खनिज है, न बारहमासी नदियाँ हैं, दस में से सात साल अकाल पड़ा रहता है, न खदान-खनिज है, न कोई ऐसा उद्योग-व्यवसाय है, खेती नहीं है, उसमें भी एक ओर रण और दूसरी ओर पाकिस्तान है, करेंगे क्या आप ऐसा कहते थे, नमक के अलावा आप लोगों के पास है क्या ऐसा कहते थे, मजाक उड़ाते थे, परंतु गुजरात के सिर पर जब जिम्मेदारी आई कि अब हमें हमारे पैर पर खड़ा होना है, तब गुजरात के लोगों ने पीछे कदम नहीं किये और आज आप लोगों के पास क्या है ऐसा कहने वालों को हमारे पास डायमंड नहीं है भाई, एक भी डायमंड की खदान नहीं है, पर दुनिया के दस में से नौ डायमंड हमारी गुजरात की धरती से आगे बढ़ते हैं।
साथियों,
कुछ महीने पहले मैं दाहोद में आया था। वहां की रेल फैक्ट्री में ताकतवर इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन बन रहे हैं। आज गुजरात में बने मेट्रो कोच दूसरे देशों को एक्सपोर्ट हो रहे हैं। इसके अलावा, मोटरसाइकिल हो, कार हो, गुजरात में बहुत बड़ी संख्या में उसका प्रोडक्शन हो रहा है, मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है। देश और दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां फैक्ट्रियां लगा रही हैं। गुजरात में हवाई जहाज के अलग-अलग पार्ट्स बनाने और उनके एक्सपोर्ट का काम पहले से ही चल रहा था। अब वडोदरा में ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट भी बनाने का काम शुरू हुआ है। हमारे गुजरात में विमान बन रहे हैं, इसलिए आनंद होता है की नहीं? अब इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग का भी गुजरात बहुत बड़ा सेंटर बन रहा है। मैं कल 26 तारीख को हंसलपुर जा रहा हूं। वहां इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग को लेकर बहुत बड़ी शुरुआत हो रही है। आज जितने भी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बन रहे हैं, वो सेमीकंडक्टर के बिना नहीं बन सकते। गुजरात अब सेमीकंडक्टर सेक्टर में भी बड़ा नाम करने जा रहा है। टेक्सटाइल हो, जेम्स एंड ज्वेलरी हो, गुजरात की पहचान बन चुकी है। दवाएं हों, वैक्सीन हों, ऐसे फार्मा उत्पादन के मामले में भी देश का करीब-करीब एक तिहाई एक्सपोर्ट, गुजरात से होता है।
साथियों,
आज भारत, सौर, पवन और परमाणु ऊर्जा के मामले में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इसमें गुजरात की भागीदारी सबसे अधिक है। अभी मैं एयरपोर्ट से आ रहा था, भव्य रोड शो किया, वाह! कमाल किया आप ने, पर रोड शो भव्य था ही पर लोग छत पर खड़े थे, बालकनी में खड़े थे, स्वाभाविक रूप से मैं उन्हें आदरपूर्वक नमन करता था, परंतु मेरी नज़र चारों ओर घूम रही थी, और मैंने देखा कि लगभग अधिकतर घरों की छत पर रूफ टोप सोलर पावर के प्लांट दिखाई दे रहे थे। गुजरात, ग्रीन एनर्जी और पेट्रो-केमिकल्स का भी एक बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। गुजरात देश की पेट्रोकेमिकल ज़रूरतों को पूरा करने में भी बड़ी भूमिका निभा रहा है। जो हमारा प्लास्टिक उद्योग है, सिंथेटिक फाइबर है, फर्टिलाइजर है, दवाएं हैं, paint industry हैं, कॉस्मेटिक्स हैं, इनका सबसे बड़ा आधार पेट्रोकेमिकल सेक्टर ही है। गुजरात में पुराने उद्योगों का विस्तार हो रहा है। मुझे याद है हम लोग काफी समय सिर पर हाथ रखकर रोते ही रहते थे। आज से 30 वर्ष पहले के दिन जो लोग याद करते हैं, किसके लिए रोना था, मिल्स बंद हो गई, मिल्स बंद हो गई, मिल्स बंद हो गई, हर रोज यही चलता था। कोई भी नेता आए, तो अखबार वाले यही पूछते थे, बोलो मिल्स बंद हो गई क्या करोगे? तब कांग्रेस का था, पर एक ही विषय आज गुजरात में वे बिगुल (मिल्स के सायरन) भले बंद हुए, पर कोने कोने में विकास के परचम लहरा दिए है। नए उद्योगों की नींव रखी जा रही है और यह सारे प्रयास आत्मनिर्भर भारत को मजबूत कर रहे हैं। इससे गुजरात के युवाओं के लिए रोजगार के लगातार अवसर बन रहे हैं।
साथियों,
उद्योग हो, खेती-किसानी हो या फिर टूरिज्म हो, इनके लिए बेहतरीन कनेक्टिविटी बहुत ज़रूरी है। बीते 20-25 साल में गुजरात की कनेक्टिविटी का कायाकल्प हो चुका है। आज भी यहां रोड और रेल से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। सर्कुलर रोड यानी सरदार पटेल रिंग रोड, अब और चौड़ी हो रही है। अब यह छह लेन की चौड़ी सड़क बन रही है। इससे शहर के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में ट्रैफिक जाम की समस्या कम होगी। इसी तरह, विरमगाम–खुदड़–रामपुरा रोड, उसको चौड़ा होने से यहां के किसानों को, उद्योगों को सुविधा मिलेगी। यह जो नए अंडरपास हैं, रेलवे ओवरब्रिज हैं, यह शहर की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएंगे।
साथियों,
एक समय था, जब लाल रंग की पुरानी बसें ही चला करती थीं। लाल बस, कहा जाओगे तो लाल बस में, लेकिन आज यहां BRTS जनमार्ग और AC-इलेक्ट्रिक बसें, नई सुविधाएं दे रही हैं। मेट्रो रेल का भी तेजी से विस्तार हो रहा है और इससे अहमदाबादियों के लिए Ease of Travel सुनिश्चित हुई है।
साथियों,
गुजरात के हर शहर के आसपास, एक बड़ा औद्योगिक गलियारा है। लेकिन 10 साल पहले तक, पोर्ट और ऐसे इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स के बीच में बेहतर रेल कनेक्टिविटी की कमी खलती थी। आपने 2014 में मुझे दिल्ली भेजा, तो मैंने गुजरात की इस समस्या को भी दूर करने का काम शुरू किया। 11 सालों में करीब तीन हजार किलोमीटर लंबे नए रेल ट्रैक गुजरात में बिछाए गए हैं। गुजरात में रेलवे के पूरे नेटवर्क का शत-प्रतिशत बिजलीकरण हो चुका है। आज भी जो रेलवे प्रोजेक्ट गुजरात को मिले हैं, इससे किसानों, उद्योगों और श्रद्धालुओं, सभी को लाभ होगा।
साथियों,
हमारी सरकार, शहर में रहने वाले गरीबों को सम्मान का जीवन देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण, हमारा रामापीर नो टेकऱो, हमारा रामापीर का टीला है, एयरपोर्ट से आते जाते रामापीर का टीला। पूज्य बापू, गरीब की गरिमा पर बहुत बल देते थे। आज साबरमती आश्रम के प्रवेश द्वार पर बने गरीबों के नए घर, इसका एक साक्षात उदाहरण बने हैं। गरीबों को 1500 पक्के घर मिलना यानी असंख्य नए सपनों की नींव पड़ना है। इस बार नवरात्रि पर, दिवाली पर इन घरों में रहने वालों के चेहरे की खुशी और ज्यादा होगी। इसके साथ पूज्य बापू को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में बापू के साबरमती आश्रम का नवीनीकरण भी हो रहा है। हमारे दो महापुरुष, सरदार साहब का भव्य स्टैच्यू, हमने काम पूरा किया। मैं उसी समय साबरमती आश्रम का काम करना चाहता था, लेकिन केंद्र सरकार उस समय हमारे अनुकूल नहीं थी, शायद वह गांधी जी के भी अनुकूल नहीं थी और उसके कारण, मैं उस काम को कभी आगे नहीं बढ़ा पाया। लेकिन जब से आपने मुझे वहां भेजा है, तो जैसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार वल्लभभाई पटेल का वह भव्य स्मारक देश और दुनिया के लिए प्रेरणा का केंद्र बना है, जब साबरमती आश्रम के नवीनीकरण का काम पूरा होगा, मेरे शब्द लिखकर के रखना दोस्तों, दुनिया के लिए शांति की सबसे बड़ी प्रेरणा भूमि, यह हमारा साबरमती आश्रम बनने वाला है।
साथियों,
हमारे श्रमिक परिवारों को बेहतर जीवन मिले, यह हमारा मिशन रहा है। इसलिए कई साल पहले, हमने गुजरात में झुग्गी वालों के लिए पक्की गेटेड सोसायटीज़ बनाने का बीड़ा उठाया था। बीते सालों में गुजरात में, झुग्गियों की जगह मकान बनाने के ऐसे अनेक प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं और ये अभियान लगातार जारी है।
साथियों,
जिसको किसी ने नहीं पूछा, मोदी उसको पूजता है। मैंने इस बार लाल किले से कहा था, पिछड़ों को प्राथमिकता, शहरी गरीबों का जीवन आसान बनाना भी हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है। रेहड़ी-फुटपाथ पर काम करने वाले साथियों को भी पहले किसी ने नहीं पूछा। हमारी सरकार ने इनके लिए पीएम स्वनिधि योजना शुरू की। आज इस स्कीम की वजह से देश के लगभग सत्तर लाख रेहड़ी-पटरी और ठेले वाले भाई-बहनों को बैंकों से लोन मिल रही, संभव हुआ है सब, गुजरात के भी लाखों साथियों को इसका फायदा हुआ है।
साथियों,
बीते 11 साल में, 25 करोड़ लोग गरीबी को परास्त करके गरीबी से बाहर निकले हैं, दुनिया के लिए भी अजूबा है इतना बड़ा आंकड़ा, 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर आना, विश्व के सभी अर्थव्यक्ता आज इसकी चर्चा कर रहे हैं।
साथियों,
यह गरीब जब गरीबी से बाहर निकलता है न, तब वह नियो मिडिल क्लास के रूप में एक नई ताकत बनकर के उभर आता है। आज यह नियो मिडिल क्लास और हमारा पुराना मिडिल क्लास, दोनों देश की बहुत बड़ी ताकत बनते जा रहे हैं। हमारा निरंतर प्रयास है कि नियो मिडिल क्लास और मिडिल क्लास, दोनों को सशक्त करना। हमारे अहमदाबाद के भाइयों, उनके लिए तो खुशखबरी है, जिस दिन बजट में 12 लाख की इनकम पर इनकम टैक्स माफ किया तब विपक्ष को तो समझ ही नहीं आया की यह कैसे होता है।
साथियों,
तैयारी कीजिए हमारी सरकार जीएसटी में भी रिफॉर्म कर रही है और इस दिवाली से पहले बड़ी भेंट-सौगात आप के लिए तैयार हो रही है और GST रिफॉर्म के कारण हमारे लघु उद्यमियों को मदद मिलेगी और बहुत सी चीजों पर टैक्स भी कम हो जाएगा। इस बार की दिवाली पर व्यापारी वर्ग हो या फिर हमारे बाकी परिवारजन, सबको खुशियों का डबल बोनस मिलने वाला है।
साथियों,
अभी मैं पीएम सूर्य घर की बात कर रहा था, अब पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से हम बिजली बिल ज़ीरो कर रहे हैं। गुजरात में अभी तक इस स्कीम से करीब छह लाख परिवार जुड़ चुके हैं। इन परिवारों को सरकार की तरफ से अकेले गुजरात में ही तीन हज़ार करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। इससे अब उनको हर महीने बिजली बिल में बड़ी बचत हो रही है।
साथियों,
अहमदाबाद शहर, आज सपनों और संकल्पों का शहर बन रहा है। लेकिन एक समय था, जब लोग अहमदाबाद को गर्दाबाद कहकर मजाक उड़ाते थे। चारों तरफ उड़ती धूल-मिट्टी, कूड़े-कचरे के ढेर, यही शहर का दुर्भाग्य बन गया था। मुझे खुशी है कि आज स्वच्छता के मामले में अहमदाबाद, देश में नाम कमा रहा है। यह हर अहमदाबादी के सहयोग से संभव हो पाया है।
लेकिन साथियों,
यह स्वच्छता, यह स्वच्छता का अभियान एक दिवस का नहीं है, यह पीढ़ी दर पीढ़ी, रोज–रोज करने का काम है। स्वच्छता को स्वभाव बनाइए, तभी इच्छित परिणाम पा सकेंगे।
साथियों,
हमारी यह साबरमती नदी, कैसे हाल थे? एक सूखा नाला हुआ करता था, सर्कस होते थे इसमें, बच्चे क्रिकेट खेलते थे। अहमदाबाद के लोगों ने संकल्प लिया कि इस स्थिति को बदलेंगे। अब यहां की साबरमती रिवरफ्रंट इस शहर का गौरव बढ़ा रहा है।
साथियों,
कांकरिया झील का पानी भी खरपतवार की वजह से हरा और बदबूदार रहता था। आसपास टहलना भी मुश्किल होता था और असामाजिक तत्वों की ये पसंदीदा जगह हुआ करती थी, वहां से कोई निकलने का हिम्मत नहीं करता था। आज यह घूमने फिरने की सबसे बेहतरीन जगह बन चुकी है। तालाब में बोटिंग हो या किड्स सिटी में बच्चों के लिए मस्ती और ज्ञान का संगम, यह सब अहमदाबाद की बदलती तस्वीर है। कांकरिया कार्निवल वो तो अहमदाबाद का बड़ा गहना बन गया है, उसने अहमदाबाद को नई पहचान दी है।
साथियों,
अहमदाबाद आज टूरिज्म का एक आकर्षक केंद्र बनकर उभर रहा है। अहमदाबाद, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी है। पुराने दरवाज़े हों, साबरमती आश्रम हो या यहां की धरोहरें, आज हमारा यह शहर पूरी दुनिया के मानचित्र पर चमक रहा है। अब टूरिज्म के नए और आधुनिक तौर-तरीकों का भी यहां तेजी से विकास हो रहा है और हम जब टूरिज्म की बात करते हैं, तब गुजरात के दसाडा दफ्तर में इसका नाम ही नहीं था। टूरिज्म की बात आए तो गुजरात के लोग बोलते है, चलो जरा आबू चलते हैं और दक्षिण गुजरात वाले दीव दमन जाते थे, इस दो छोर पर हमारी दुनिया थी। और धार्मिक रूप से जाने वाले लोग सोमनाथ जाते या द्वारका जाते, या अंबाजी जाते। यह चार–पाँच जगह ही जाते थे। आज गुजरात टूरिज्म के लिए एक महत्व का डेस्टिनेशन बन गया है। कच्छ के रन में, सफेद रन देखने के लिए दुनिया पागल हो रही है। स्टैचू ऑफ यूनिटी देखने का मन होता है, बेट द्वारका का ब्रिज देखने लोग आते है, गाड़ी से उतरकर पैदल चलते हैं। एक बार निर्णय कर ले दोस्तों, परिणाम मिलकर रहता है। आज अहमदाबाद concerts इकोनॉमी का बड़ा केंद्र बन रहा है। कुछ महीने पहले जो कोल्ड प्ले कॉन्सर्ट यहां हुआ, उसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई है। एक लाख की सीटिंग कैपेसिटी के साथ अहमदाबाद का स्टेडियम भी सबके आकर्षण का केंद्र है। यह दिखाता है कि अहमदाबाद बड़े-बड़े कॉन्सर्टस भी करा सकता है और बड़े-बड़े स्पोर्ट्स इवेंट्स के लिए भी तैयार है।
साथियों,
शुरुआत में मैंने आपसे त्योहारों का जिक्र किया था। यह त्योहारों का मौसम है। अब नवरात्रि, विजयदशमी, धनतेरस, दीपावली, यह सभी त्योहार आ रहे हैं। यह हमारी संस्कृति के उत्सव तो हैं ही, यह आत्मनिर्भरता के भी उत्सव होने चाहिए और इसलिए मैं आपसे एक बार फिर अपना आग्रह दोहराना चाहता हूं और आज पूज्य बापू की धरती से देशवासियों से भी मैं बार-बार आग्रह कर रहा हूं, हमें जीवन के अंदर एक मंत्र बनाना है, हम जो भी खरीदेंगे, वह मेड इन इंडिया होगा, स्वदेशी होगा। घर की साज-सज्जा के लिए जो भी सामान हो, मेड इन इंडिया हो। यार-दोस्तों को गिफ्ट के लिए कुछ देना है, उपहार वहीं जो भारत में बना हो, भारत के लोगों द्वारा बनाया गया हो। और मैं विशेष रूप से दुकानदार भाई-बहनों को कहना चाहता हूं, व्यापारियों से कहना चाहता हूं, इस देश को आगे बढ़ाने में आप बहुत बड़ा योगदान कर सकते हैं। आप तय कर लीजिए, विदेशी माल नहीं बेचेंगे और बड़े गर्व के साथ बोर्ड लगाइए कि मेरे यहां स्वदेशी बिकता है। हमारे इन छोटे-छोटे प्रयासों से यह उत्सव भारत की समृद्धि के महोत्सव बनेंगे।
साथियों,
कई बार, शुरुआत में लोगों ने हो सकता है निराशा ज्यादा देखी हो इसलिए मुझे याद है, जब मैंने पहली बार रिवर फ्रंट की बात रखी, तब सब लोगों ने उसको मजाक माना था। रिवर फ्रंट हो बन गया की नहीं? बन गया कि नहीं? स्टैचू ऑफ यूनिटी के लिए मैंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। तो सभी ने मेरे बाल नोंच लिए थे। सब कहते थे कि ये तो चुनाव आया, इसलिए मोदी साहब लेकर आये हैं। स्टैचू ऑफ यूनिटी बना की नहीं बना भाई? दुनिया देख के आश्चर्यचकित होती है कि नहीं? कच्छ का रणोत्सव, लोग कहते थे की साहब ये कच्छ में कौन जाएगा? रन में कोई जाता है क्या? आज लाइन लगती है। बुकिंग, लोग 6-6 महीने पहले बुकिंग करते है। हुआ कि नहीं हुआ? गुजरात के अंदर विमान का कारखाना लगता है, किसी ने कल्पना की थी? मुझे याद है जब मैंने गिफ़्ट सिटी की कल्पना की थी। तब लगभग सबने उसका मजाक बनाया था। ऐसा सब कहाँ से होगा, ये सब ऐसे बिल्डिंग में कैसे होगा? ये सब कैसे होगा यहाँ? आज गिफ़्ट सिटी देश की सबसे बड़ी गौरवगाथा लिख रही है। और यह सब बातें मैं आप को इसलिए याद करा रहा हूँ, आप बारीकी से देखिए इस देश के सामर्थ्य की जिसकी आप पूजा करेंगे तो आप के संकल्प को देशवासी कभी असफल नहीं होने देंगे। देशवासी खून पसीना एक कर देंगे, इतने सारे आतंकवादी हमले हुए, दुश्मनों का कुछ नहीं होगा ऐसा मानते थे। सर्जिकल स्ट्राइक किया, उनके लॉन्चिंग पैड उड़ा दिए। एयर स्ट्राइक किया, उनके ट्रेनिंग सेंटर उड़ा दिए। ऑपरेशन सिंदूर किया, उनकी नाभि पर जा कर वार किया। चंद्रयान, शिव शक्ति पॉइंट, जहां कोई नहीं गया, वहां भारत का तिरंगा झंडा पहुँच गया। इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर शुभांशु शुक्ला जा कर आए। और अब गगनयान की तैयारी चल रही है। अपना खुद का स्पेस स्टेशन बने उस दिशा में काम चल रहा है। साथियों एक एक घटना बताती है कि अगर संकल्प करते हैं, संकल्प के प्रति श्रद्धा हो, समर्पण हो, जनता जनार्दन, जो ईश्वर का रूप है, उनके आशीर्वाद भी मिलते हैं, उनका साथ भी मिलता है। और उसी विश्वास से मैं कहता हूँ, यह देश आत्मनिर्भर बनकर रहेगा। इस देश का प्रत्येक नागरिक वोकल फोर लोकल का वाहक बनेगा। इस देश का प्रत्येक नागरिक स्वदेशी के मंत्र को जियेगा और बाद में हमें कभी भी आश्रित बनने का अवसर नहीं आएगा।
दोस्तों,
जब कोविड की स्थिति थी, कहीं वैक्सीन बनी थी, तब हमारे देश में आते आते चालीस-चालीस साल निकल जाते थे, लोग कहते थे, कोविड में होगा क्या अरे इस देश ने निश्चित किया और वैक्सीन खुद की बना ली और देश के 140 करोड़ तक वैक्सीन पहुँचा दी। इस देश का सामर्थ्य है, उस सामर्थ्य के विश्वास से, गुजरात के मेरे साथियों को कहता हूँ कि आपने मुझे जो शिक्षा दी है, आपने मुझे जो सिखाया है, आपने मुझ में जो जोश भरा है, जो ऊर्जा भरी है, 2047 देश जब आजादी के 100 साल बनाएगा, तब यह देश विकसित भारत बन गया होगा।
इसलिए साथियों,
विकसित भारत बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण राजमार्ग स्वदेशी है, महत्वपूर्ण राजमार्ग आत्मनिर्भर भारत है और जो लोग चीजें बनाते हैं, मैन्युफैक्चरिंग करते हैं, प्रोडक्शन करते हैं, उनको मेरी विनती है कि आप उत्तरोत्तर आप अपनी क्वालिटी अधिक सुधारें, उसकी कीमत और घटाएं, आप देखना हिंदुस्तान का आदमी कभी बाहर से कुछ नहीं लेगा। यह भाव हम जगाए और दुनिया के सामने यह उदाहरण बनाए और विश्व के अनेक देश हैं साथियों कि जब संकट आते हैं, तब सीना निकालकर खड़े हो जाते हैं, वह परिणाम लाकर रहते हैं। हमारे लिए अवसर बना है, संकल्प को पूरा करने का सामर्थ्य लेकर निकलना है। मुझे पूरा विश्वास है, गुजरात ने जैसे हमेशा मेरा साथ दिया है, देश भी मेरा साथ देगा और देश विकसित भारत बनकर रहेगा। आप सबको विकास की इन अनमोल सौगात के लिए खूब-खूब शुभकामनाएं! गुजरात खूब प्रगति करें, नवीन शिखर पर पहुंचे, गुजरात की ताकत है, वह करके रहेगा। आप सब का खूब-खूब आभार! मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए, भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!
धन्यवाद!
डिस्क्लेमर: प्रधानमंत्री के भाषण का कुछ अंश कहीं-कहीं पर गुजराती भाषा में भी है, जिसका यहाँ हिंदी में भावानुवाद किया गया है।
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MJPS/ST/AV
(Release ID: 2160767)