स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी.नड्डा ने नई दिल्ली में सिविल सेवा दिवस समारोह में "आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और आयुष्मान आरोग्य मंदिर द्वारा स्वस्थ भारत को बढ़ावा देने" संबंधी सत्र की अध्यक्षता की

आयुष्मान भारत के दो स्तंभ – आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबीपीएमजेएवाई) सुविचारित प्रक्रिया के परिणाम हैं, जो 2015 में आरंभ होकर 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति अपनाने के साथ पूर्ण हुई: श्री जे.पी. नड्डा

"राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ऐसी पहली नीति है, जो स्वास्थ्य सेवा के सभी पहलुओं को समग्रता से कवर करती है"

समय से प्रभावी निर्णय लेना सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासकों का क्षमतावर्धन, आशा और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कार्यकुशलता बढ़ाने, डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेप के हब-एंड-स्पोक प्रारूप को सुदृढ़ करने और स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी और आकलन की आवश्यकता रेखांकित की

आयुष्मान भारत में सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल का दर्शन निहित है और यह सबको स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का पथ प्रशस्त करता है: डॉ. वी.के. पॉल

"एबीपीएमजेएवाई की मदद से देश में अस्पताल में भर्ती होने की दर में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 2013-14 में मरीजों द्वारा इलाज में स्वयं का खर्च 64 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 39.4 प्रतिशत रह गया है"

Posted On: 21 APR 2025 6:42PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने सिविल सेवा दिवस समारोह के दौरान आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और आयुष्मान आरोग्य मंदिर द्वारा स्वस्थ भारत को बढ़ावा देने संबंधी विशेष सत्र की अध्यक्षता की। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

श्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार की प्राथमिकता देश के हर गरीब व्यक्ति को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है और आयुष्मान भारत पहल के दो स्तंभ - आयुष्मान आरोग्य मंदिर और एबी पीएमजेएवाई (प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना) इसी सुविचारित प्रक्रिया का परिणाम हैं। उन्होंने कहा, "2015 में परामर्श शुरू हुआ, 2016 में क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किए गए और 2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति तैयार की गई जो स्वास्थ्य सेवा के सभी पहलुओं को समग्रता से कवर करने वाली पहली विशिष्ट नीति है।"

श्री नड्डा ने उल्लेख किया कि स्वास्थ्य सेवा पर सरकार का व्यय 2014 में 29 प्रतिशत से बढ़कर आज 48 प्रतिशत पहुंच गया है, जिससे लोगों के इलाज पर स्वयं द्वारा किये जाने वाले खर्च में कमी आई है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर में संक्रामक और गैर-संक्रामक रोगों की जांच और वहां प्रदान की जा रही सेवाओं के पैकेज का विस्तार करने से निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की बढ़ती चिंताएं दूर करने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक 2022 और राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (एनक्यूएएस) के तहत स्व-मूल्यांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने समय से प्रभावी निर्णय लेने के लिए स्वास्थ्य प्रशासकों के क्षमतावर्धन, कार्यक्रम कार्यान्वयन योजनाओं पर काम करने, आशा कार्यकर्ताओं और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कार्यकुशलता बढ़ाने, डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेप के हब-एंड-स्पोक मॉडल को सुदृढ़ करने और संस्थागत बनाने तथा स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी और आकलन की आवश्यकता बताई।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए कम धन उपलब्ध कराने की बात जल्द ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने हिस्से का धन उपलब्ध करा रही है, हालांकि राज्यों में इसका अभाव है।

श्री नड्डा ने युवा अधिकारियों से स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यक्रमों के जमीनी स्तर पर प्राप्त लाभों का प्रभाव सर्वेक्षण करने को कहा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में स्वास्थ्य सेवा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और सरकार सभी के लिए सस्ती, सुलभ, समान और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आज अंतर्निहित प्रेरणा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के लक्ष्य को प्राप्त करना अर्थात यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक नागरिक को वित्तीय कठिनाई के बिना गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त हो बनी हुई है। उन्होंने कहा कि आज स्वास्थ्य कवरेज में न केवल रोग निदान बल्कि प्रोत्साहन, निवारक, उपशामक, पुनर्वास और चिकित्सा शामिल है। आयुष्मान भारत पहल के दो स्तंभ - आयुष्मान आरोग्य मंदिर और एबी पीएमजेएवाई सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के दर्शन को आत्मसात करते हुए इस दिशा में अग्रसर है।

डॉ. पॉल ने कहा कि यूएचसी के लिए आवश्यक सेवा का 90 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के माध्यम से प्रदान किए जा सकते हैं और सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के तहत अनुमानित 75 प्रतिशत स्वास्थ्य लाभ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली द्वारा पहुंचाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदृढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा वाले देशों में जीवन प्रत्याशा काफी अधिक होती है, स्वास्थ्य परिणाम बेहतर होते हैं, दवाओं का उपयोग कम होता है और कुल मिलाकर चिकित्सा लागत भी कम होती है। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में इसे प्रमुखता से महत्व दिया गया है और दो-तिहाई वित्तीय संसाधन प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए रखा गया है।

डॉ. पॉल ने कहा कि एबी पीएमजेएवाई के कारण देश में अस्पताल में भर्ती होने की दर में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि मरीज के स्वयं द्वारा इलाज पर खर्च 2013-14 में 64 प्रतिशत से घटकर 2021-22 में 39.4 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े दर्शाते हैं कि आयुष्मान भारत के दो स्तंभ इन उद्देश्यों की पूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समन्वित रूप से काम करने का आग्रह किया।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि 'स्वस्थ भारत' के बिना विकसित भारत का स्वप्न पूरा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी पहल आरंभ होने के साथ पिछले दशक में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा, "आयुष्मान भारत आयुष्मान आरोग्य मंदिर के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने से लेकर द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा के लिए रेफरल और अनुसंधान तक देखभाल की निरंतरता प्रदान करने पर आधारित है। एबी पीएमजेएवाई दूसरे स्तंभ के अंतर्गत आता है। संदर्भ लिंकेज की सक्षमता के लिए, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) है जो तीसरे स्तंभ के अंतर्गत आता है और पीएम एबीएचआईएम (प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन) बुनियादी ढांचे की कमी दूर करने के लिए अंतिम स्तंभ के अंतर्गत शामिल है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण दृष्टिकोण का उल्लेख किया जो तीन व्यापक स्तंभों के अंतर्गत संचालित होते हैं। इनमें प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल, किशोर स्वास्थ्य और पोषण, संचारी रोग और गैर-संचारी रोग शामिल हैं।

उन्होंने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में कमी आने की भारत की सफलता का उल्लेख किया, जो वैश्विक गिरावट के दोगुने से अधिक है। उन्होंने कहा की इसी प्रकार शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) में भी भारत में आई गिरावट वैश्विक स्तर से कहीं अधिक है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के पांचवे दौर (एनएफएचएस-5) के अनुसार 31 राज्यों ने प्रजनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर को हासिल कर लिया है। श्रीमती श्रीवास्तव ने बताया कि ये सफलताएं हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप-केंद्रों को सुदृढ़ कर और उन्हें आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के रूप में विकसित करके बहुत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली विकसित करने के परिणाम हैं।

इस अवसर पर राजस्थान सरकार की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण विभाग प्रमुख सचिव श्रीमती गायत्री ए. राठौड़, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव श्रीमती एल.एस. चांगसन, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मिशन निदेशक श्रीमती आराधना पटनायक, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सौरभ जैन तथा केन्द्र सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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