कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
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सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो जाने का आशय नागरिक के रूप में सेवानिवृत्त होना नहीं है : डॉ. जितेंद्र सिंह का सेवानिवृत्त अधिकारियों से विकासशील भारत में योगदानकर्ता और भागीदार बनने का आग्रह

डिजिटल सुधार, सशक्त सेवानिवृत्त व्यनक्ति और 2047 के लिए विजन: गुवाहाटी के पीआरसी और बैंकर्स कार्यशाला के मुख्य अंश

Posted On: 10 APR 2025 6:12PM by PIB Delhi

गुवाहाटी, 10 अप्रैल: “सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हो जाने का आशय नागरिक के रूप में सेवानिवृत्त होना नहीं है” यह बात केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक संदेश में कही, जो सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच रहे सैकड़ों अधिकारियों के साथ भावनात्‍मक रूप से गहराई से जुड़ गयी। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान और पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच रहे सैकड़ों अधिकारियों को एक संदेश में कही, जो उनके साथ भावनात्‍मक रूप से गहराई से जुड़ गई।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी सेवा से सेवानिवृत्ति को अंत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि राष्ट्र निर्माण में योगदानकर्ता और भागीदार के रूप में एक नई भूमिका में परिवर्तन के रूप में देखा जाना चाहिए। 56वीं सेवानिवृत्ति-पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला और 9वें बैंकर्स जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय समाज द्वारा सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को देखने के तरीके में आमूलचूल परिवर्तन लाने का आह्वान किया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 60 साल की उम्र में कई अधिकारी अपनी ऊर्जा और विशेषज्ञता के शिखर पर होते हैं। उन्होंने कहा, इसलिए हम उन्हें राष्ट्र निर्माण के कार्य में शामिल करना चाहते हैं और उनके अनुभवों का उपयोग करना चाहते हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री कहते हैं, हर नागरिक को विकसित भारत के निर्माण में योगदान देना होगा ।

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) द्वारा असम सरकार के सहयोग से असम प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में पेंशन सुधार, डिजिटल जीवन प्रमाणन, सीजीएचएस सुविधाओं, वित्तीय नियोजन और भविष्य पोर्टल तथा एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल जैसे नवाचारों के बारे में सिलसिलेवार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों का उद्देश्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रक्रियात्मक ज्ञान और व्यक्तिगत सशक्तिकरण दोनों के संदर्भ में सहज बदलाव के लिए तैयार करना था।

इस कार्यशाला का उद्देश्य लोक सेवकों को न केवल कागजी कार्रवाई के मामले में बल्कि उद्देश्य के मामले में भी सेवानिवृत्ति के बाद के बदलाव के लिए तैयार करना था। डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक ऐसे संस्थागत तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया, जो सेवानिवृत्त लोगों को उनके कौशल और रुचि के आधार पर विकासात्मक भूमिकाओं में एकीकृत कर सके। पिछले दशक में पेंशन प्रक्रियाओं को सरल बनाने की दिशा में सरकार द्वारा किए गए अनेक सुधारों को रेखांकित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद किया कि किस प्रकार पहले सेवानिवृत्त अधिकारियों को एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय दौड़ना पड़ता था, अक्सर पहली पेंशन का भुगतान प्राप्त करने में महीनों लग जाते थे। उन्होंने कहा, “वह युग बीत चुका है।” उन्होंने कहा, “आज, डिजिटल पीपीओ, भविष्य जैसे एकीकृत पेंशन पोर्टल और फेस ऑथेंटिकेशन उपकरणों के साथ, हमने प्रक्रियात्मक देरी और उत्पीड़न को समाप्त कर दिया है।”

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उन्होंने सचिव वी. श्रीनिवास के अधीन पेंशन विभाग की भूमिका की सराहना करते हुए बताया कि कैसे भारतीय डिजिटल पेंशन प्रथाओं का अब मालदीव, मंगोलिया और बांग्लादेश जैसे देश भी अनुकरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी), सीपीजीआरएएमएस और फेस ऑथेंटिकेशन जैसी पहलों की सफलता इस बात के उदाहरण हैं कि प्रौद्योगिकी किस प्रकार शासन में गरिमा और दक्षता ला सकती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रक्रियागत सरलता से आगे बढ़ते हुए, सेवानिवृत्त अधिकारियों की विशेषज्ञता और रुचियों के आधार पर उनकी एक राष्ट्रीय निर्देशिका बनाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बताया, “हम योग्यता, अनुभव और कार्य के पसंदीदा क्षेत्रों जैसे विवरणों को शामिल करने के लिए एक प्रोफ़ॉर्मा तैयार करेंगे, ताकि मंत्रालय परामर्श ले सकें और सेवानिवृत्त अधिकारियों को नीतिगत समितियों या सलाहकार भूमिकाओं में शामिल कर सकें।”

मंत्री महोदय ने उभरती सामाजिक आवश्यकताओं और पेंशन नियमों में सुधारों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया- जैसे कि तलाकशुदा बेटियों को शामिल करना, विधवाओं के लिए प्रक्रिया में तेजी लाना, और लापता कर्मचारियों के परिवारों के लिए सहानुभूतिपूर्ण विचार रखना - जो एक प्रगतिशील और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सेवानिवृत्त अधिकारियों के कौशल, अनुभव और रुचियों के साथ उनका एक राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करने का प्रस्ताव रखा, ताकि सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी विभाग उनकी विशेषज्ञता का लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा, “अनेक नागरिकों ने सेवानिवृत्ति के बाद स्टार्ट-अप शुरू किए हैं या अपने रचनात्मक शौक को आगे बढ़ाया है। मोटे अनाजों पर आधारित पहला सफल स्टार्ट-अप एक सरकारी संस्थान से सेवानिवृत्त एक वैज्ञानिक ने बनाया। आप किसी भी उम्र में नए सिरे से शुरुआत कर सकते हैं।”

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि सेवानिवृत्ति के दौर ने छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाने में मदद की है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, ऐसे भी लोग हैं जो अपने सेवाकाल में कभी भी संगीत या लेखन या किसी अन्य काम को करने का मौका नहीं पा सके। सेवानिवृत्ति आपको स्वतंत्रता देती है। अगर आप आप गाना गाने की इच्‍छा व्‍यक्‍त करें, तो हम ऑल इंडिया रेडियो में ऑडिशन में भी मदद कर सकते हैं। इस बात पर वहां हंसी और तालियाँ गूँज उठीं ।

अपनी बात समाप्‍त करते हुए मंत्री ने सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों से आग्रह किया कि वे खुद को निष्क्रिय पेंशन प्राप्तकर्ता के रूप में न देखें, बल्कि सक्रिय राष्ट्र-निर्माता के रूप में देखें। उन्होंने कहा, “आप नागरिक के रूप में नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। आपका सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है।”

दिन भर चले इस कार्यक्रम को सचिव, डीओपीपीडब्‍ल्‍यू श्री वी. श्रीनिवास, संयुक्त सचिव श्री ध्रुबज्योति सेनगुप्ता ने संबोधित किया तथा एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक श्री शमशेर सिंह, स्वास्थ्य मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री रोली सिंह, बीएसएफ के आईजी श्री संजय गौड़ तथा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक श्री चेतन श्रीवास्तव सहित प्रमुख हितधारकों ने अपने विचार व्यक्त किए।

भारत द्वारा 2047 तक स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखने की परिकल्‍पना किए जाने के साथ, डॉ. जितेन्द्र सिंह की टिप्पणियों ने समय रहते याद दिलाया कि ज्ञान, समर्पण और सार्वजनिक सेवा कभी समाप्त नहीं होते - वे विकसित होते हैं।

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