वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
भारत को राष्ट्रवाद की भावना के साथ वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा: श्री पीयूष गोयल
Posted On:
07 APR 2025 10:56PM by PIB Delhi
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत वर्तमान वैश्विक स्थिति को अवसर में बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि देश ने कोविड-19 महामारी के दौरान और 1990 के दशक के अंत में इसी तरह से उस समय भी सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वाई2के बग जैसी आपदाओं को अवसरों में बदला था।
मुंबई में फिक्की के स्थापना दिवस के अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री गोयल ने उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए देशों और उद्योगों के बीच एकता और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी इसमें एक साथ हैं। सभी समर्पित भाव वाले देशों और व्यवसायों को सामूहिक रूप से इन चुनौतियों का समाधान करना चाहिए और उन्हें अवसरों में बदलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग की सामूहिक चेतना देश को आत्मनिर्भरता और सतत विकास की ओर ले जाने में सहायता कर सकती है। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे का समर्थन करने की आवश्यकता है। हमें राष्ट्रवादी दृष्टिकोण रखने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों को सहयोग और साझा उद्देश्य की भावना से काम करना चाहिए।
1931 में फिक्की के लिए दिए गए महात्मा गांधी के संबोधन का उल्लेख करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय उद्योग को अपने कार्य के केंद्र में राष्ट्रवाद को रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने विकसित भारत समावेशी विकास और आर्थिक प्रगति का लाभ पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के अपने दृष्टिकोण के माध्यम से इस भावना को सही मायने में साकार करते हैं।
श्री गोयल ने भारतीय व्यवसायों से एक-दूसरे का समर्थन करने, गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने और अल्पकालिक लाभ के नुकसान से बचने का आग्रह किया। उन्होंने धोखाधड़ी के साथ किए जाने वाले मूल्य निर्धारण और सस्ते आयात पर अत्यधिक निर्भरता के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि आज कम लागत वाले सामान आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन लंबे समय में वे व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह दुनिया के कई हिस्सों में स्पष्ट है जहां एक ही संकुचित दृष्टिकोण पर अत्यधिक निर्भरता के कारण आपूर्ति श्रृंखलाएं ध्वस्त हो गई हैं।
उन्होंने बताया कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ उदार और विविधतापूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाएं वैश्विक प्राथमिकताएं बन गई हैं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक विकसित देश यह पहचान रहे हैं कि यह सिर्फ़ भू-राजनीति के लिए ही नहीं, बल्कि विशेष रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में राष्ट्रीय उदारता और आत्मनिर्भरता के संदर्भ में है।
श्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश, 1.4 बिलियन का मजबूत उपभोक्ता आधार और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था एक अद्वितीय अवसर प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि आज 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से, भारत अगले 25 वर्षों में 30-35 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ने के लिए तैयार है। हमारे पास जीवन का एक अवसर है।
उद्योग जगत के हितधारकों से इस अवसर का लाभ उठाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि समाधान का हिस्सा बनते हुए इतिहास के इस क्षण में सहभागी बनें। अगर हम सभी दृढ़ संकल्प के साथ एकजुट हो जाएं, तो भारत अजेय हो जाएगा।
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