जल शक्ति मंत्रालय
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केंद्रीय मंत्री श्री सी आर पाटिल ने नई दिल्ली में 'बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 : एकीकृत बांध सुरक्षा प्रबंधन की दिशा' पर आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन किया

श्री सी आर पाटिल ने बांध सुरक्षा प्रबंधन में एनडीएसए की भूमिका की सराहना की

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अधिनियम ने बांध सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित सुरक्षा ढांचा और संस्थागत व्यवस्था तैयार की है

एनडीएसए की तीन साल की यात्रा प्रमुख विमोचनों और कार्यान्वयन चुनौतियों पर चर्चाओं के लिए जाना जाता है

Posted On: 07 APR 2025 9:43PM by PIB Delhi

आज नई दिल्ली में स्थित स्कोप कन्वेंशन सेंटर में केंद्रीय मंत्री श्री सी आर पाटिल ने जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी की उपस्थिति में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) डीओडब्ल्यूआर, आरडी एंड जीआर, भारत सरकार की ओर से आयोजित 'बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 : एकीकृत बांध सुरक्षा प्रबंधन की दिशा' पर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में बांध सुरक्षा में सुधार की दिशा में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया। साथ ही सभी हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से एकीकृत बांध सुरक्षा प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया गया।

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श्री सी.आर.पाटिल ने बांध सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन के प्रयासों को रेखांकित किया। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अधिनियम ने बांध सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित सुरक्षा ढांचा और संस्थागत व्यवस्था बनाई है। बांध सुरक्षा प्रबंधन में एनडीएसए की भूमिका की सराहना करते हुए एचएमओजेएस ने हितधारकों को बांध सुरक्षा को न केवल अनुपालन के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया बल्कि मानव सुरक्षा, पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देखने के लिए भी प्रोत्साहित किया। एचएमओजेएस ने इस बात पर जोर दिया कि प्रत्येक निर्दिष्ट बांध मालिक को अनिवार्य रूप से पर्याप्त धनराशि निर्धारित करनी चाहिए और सुरक्षित जल भविष्य के लिए वैश्विक स्तर की सर्वोत्तम कार्यप्रणाली और उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बांध पुराने होते जा रहे हैं। ऐसे में बांध सुरक्षा के लिए निवारक उपाय करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

जल शक्ति राज्य मंत्री डॉ. राज भूषण चौधरी ने राज्यों से जोखिम आधारित प्राथमिकता उपकरण अपनाने और स्टार्टअप एवं निजी क्षेत्र के नवाचार को बांध सुरक्षा प्रक्रियाओं में एकीकृत करने का आग्रह किया। देश के सभी निर्दिष्ट बांधों के डेटा के भंडार के रूप में बांध स्वास्थ्य और पुनर्वास निगरानी एप्लिकेशन, यानी धर्म पोर्टल के महत्व पर भी जोर दिया गया।



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संगोष्ठी के दौरान प्रमुख विमोचन :

निर्दिष्ट बांधों का राष्ट्रीय रजिस्टर-2025 जारी किया गया, जिसमें देश के सभी 6628 निर्दिष्ट बांधों का व्यापक डेटाबेस उपलब्ध कराया गया।

बिना गेट वाले बांधों के लिए संचालन एवं रखरखाव नियमावली तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए , जिसका उद्देश्य बांधों के सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार करना है।

बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के तहत प्रकाशित विनियमों पर एक संग्रह जारी किया गया

पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन के अवसरों का पता लगाने के लिए बांधों को स्थायी और विख्यात पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति शुरू की गई।


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जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के कार्यान्वयन में अन्य सभी हितधारकों के साथ मिलकर एनडीएसए द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बांध सुरक्षा प्रबंधन में भारत अग्रणी देशों में से एक है। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि बांध सुरक्षा प्रयासों में किसी भी प्रकार की लापरवाही पूरी प्रक्रिया को पटरी से उतार सकती है। उन्होंने बांध सुरक्षा से संबंधित प्रत्येक पहलू का समग्र रूप से ध्यान रखते हुए एकीकृत बांध सुरक्षा प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया। इसके साथ ही उन्होंने बांधों की सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक विभिन्न उपायों के जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन के लिए योजनाएं बनाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। उन्होंने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बांधों की सुरक्षा लगातार कठिन होती जा रही है।


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एनडीएसए के अध्यक्ष श्री अनिल जैन ने प्राधिकरण की तीन वर्ष की यात्रा के दौरान उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बांध केवल इंजीनियरिंग के चमत्कार ही नहीं हैं बल्कि सिंचाई, बिजली उत्पादन और बाढ़ सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण जीवनरेखा हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बांध सुरक्षा सुनिश्चित करना एक सामूहिक राष्ट्रीय जिम्मेदारी की तरह है।

एनएचपीसी के सीएमडी श्री आर. के. चौधरी ने बांध सुरक्षा अनुपालन और जोखिम शमन रणनीतियों पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने बांधों की आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए एनएचपीसी द्वारा अपनाई गई संरचनात्मक स्वास्थ्य निगरानी और अनुकूलीय प्रबंधन रणनीतियों में सर्वोत्तम कार्यप्रणाली पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने एनएचपीसी के सभी बांधों के लिए अपनाई जा रही सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एनएचपीसी अपने बांध सुरक्षा और बांध प्रबंधन आंकड़ों को एनएचपीसी के इन-हाउस पोर्टल के माध्यम से बनाए रखती है, जिसे 'सहज सेवा' कहा जाता है।


महाराष्ट्र के सीएडी एवं डब्ल्यूएम सचिव डॉ. संजय बेलसारे ने जमीनी स्तर पर हुई प्रगति विशेष रूप से निरीक्षण प्रोटोकॉल और क्षमता निर्माण को बढ़ाने में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला साथ ही उन्होंने धन की कमी और मानव शक्ति की कमी जैसी चुनौतियों की ओर भी इशारा किया।

एनडीएसए के तकनीकी सत्रों में बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के विकास और प्रमुख नियामक प्रावधानों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें बांधों की दीर्घकालिक सुरक्षा और रखरखाव सुनिश्चित करने में एक संरचित कानूनी ढांचे के महत्व पर जोर दिया गया। इसके अलावा अधिनियम के कार्यान्वयन में एनडीएसए की भूमिका और आगे की चुनौतियों पर चर्चा की गई। बांध मालिकों और राज्य एजेंसियों के बीच क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर विशेष रूप से निगरानी, निरीक्षण और आपातकालीन कार्रवाई योजना बनाने पर प्रकाश डाला गया।


महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और मेघालय के राज्य प्रतिनिधियों ने अधिनियम के कार्यान्वयन में अपने अनुभव और चुनौतियों को साझा किया। उन्होंने धन की कमी, प्रशिक्षित जनशक्ति जैसे प्रमुख मुद्दों के बारे में भी बात की।

इस कार्यक्रम में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही राज्यों और सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों के प्रमुख हितधारक भी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में बांध सुरक्षा प्रबंधन से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले 18 राज्यों के 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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