श्रम और रोजगार मंत्रालय
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श्रम एवं रोजगार सचिव ने दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में जी-20 रोजगार कार्य समूह की प्रथम बैठक 2025 में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया

युवाओं को उपयुक्त कार्य के लिए प्रोत्साहित करने, समावेशी श्रम बाजारों, युवाओं और महिलाओं के लिए बेहतर रोजगार, पुनर्वास/दिव्यांगजनों के लिए उपयुक्त रोजगार पर चर्चा हुई

Posted On: 19 FEB 2025 6:10PM by PIB Delhi

सुश्री सुमिता डावरा, सचिव, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में 18-21 फरवरी 2025 को पोर्ट एलिजाबेथ, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित जी-20 रोजगार कार्य समूह (ईडब्ल्यूजी) की प्रथम बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस प्रतिनिधिमंडल में दक्षिण अफ्रीका के डरबन में भारत की महावाणिज्यदूत डॉ. थेल्मा जॉन डेविड और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से उप निदेशक श्री पीयूष कुमार पाठक शामिल हुए।

 

बैठक में प्राथमिकता वाले दो मुद्दों अर्थात् (i) समावेशी विकास और युवा रोजगार, (ii) समावेशी कार्य के भविष्य के लिए सामाजिक सुरक्षा और डिजिटलीकरण पर चर्चा हुई ।

जी-20 रोजगार कार्य समूह की प्रथम बैठक में जी-20 के सदस्य देश सम्मिलित हुए और उन्होंने रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और कौशल विकास के संबंध में अपने-अपने नीतिगत दृष्टिकोणों पर बल दिया। संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड और नॉर्वे सहित आमंत्रित सदस्य देशों ने भी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में विचार व्यक्त किए । अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने भी रोजगार के वैश्विक रुझानों और श्रम बाजार सुधारों से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं पर प्रस्तुति दी।

इस विमर्श के दौरान श्रम एवं रोजगार सचिव ने रोजगार के अवसरों के सृजन, श्रम बाजार में लचीलेपन और व्यापक सामाजिक सुरक्षा के उद्देश्य से भारत के प्रमुख सुधारों पर प्रकाश डाला। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत, कृषि, एमएसएमई, विनिर्माण, चिकित्सा शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास सहित महत्वपूर्ण  क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से अपने आर्थिक परिदृश्य को मजबूती प्रदान करना जारी रखे हुए है। वेयरहाउसिंग और एयर कार्गो सुविधाओं को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने सहित वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और निर्यात-संचालित रोजगार पर ध्यान केंद्रित किए जाने पर बल दिया गया।

इस हस्तक्षेप में भारत की बेरोजगारी दर में 2017-18 में 6 प्रतिशत से 2023-24 में 3.2 प्रतिशत गिरावट के साथ ही साथ श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) और श्रमिक जनसंख्या अनुपात में उल्लेखनीय वृद्धि का उल्लेख करते हुए भारत के सकारात्मक रोजगार रुझानों पर भी बल दिया गया। श्रम बाजार के आधुनिकीकरण विशेष रूप से चार श्रम संहिताओं और अन्य सुधारों पर प्रकाश डाला गया, जिनका उद्देश्य गिग और प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों सहित कामगारों के श्रम कल्याण में सुधार लाना, सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना - रोजगार को औपचारिक बनाना और महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाना शामिल है।

आईएलओ की विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2024-26 के अनुसार, सामाजिक सुरक्षा विस्तार में भारत के प्रयासों को मान्यता दी गई, जिसमें कवरेज 2021 में 24.4 प्रतिशत से दोगुना होकर 2024 में 48.8 प्रतिशत हो गया। ‘इन-काइंड’ लाभों सहित और सरकार के लाभों को शामिल करने के लिए आईएलओ के साथ चल रहे कार्य से, देश का संभावित कवरेज और अधिक बढ़ जाएगा।

सचिव ने 300 मिलियन से अधिक असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करने वाले ई-श्रम पोर्टल की सफलता तथा ईएसआईसी और ईपीएफओ योजनाओं के आधुनिकीकरण पर जोर दिया। औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना को भी रेखांकित किया गया।

महिलाओं के समावेशन के संबंध में सचिव ने 2047 तक 70 प्रतिशत महिला कार्यबल भागीदारी हासिल करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए विस्तारित मातृत्व अवकाश, क्रेच सुविधाएं और समान वेतन प्रावधान जैसी प्रगतिशील नीतियों का हवाला दिया। भारत में आईटी, आरएंडडी और इंजीनियरिंग जैसे उच्च विकास वाले क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण वाहक के रूप में देखा गया।

भारत के हस्तक्षेप के दौरान कौशल विकास के माध्यम से युवा सशक्तिकरण पर जोर दिया गया, जिसमें स्नातकों की रोजगार क्षमता पर मुख्य रूप से ध्यान केद्रित किया गया, जो पिछले दशक में 34 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गई है। प्रमुख जी-20 देशों के साथ कुशल श्रम गतिशीलता को सुगम बनाने वाले द्विपक्षीय समझौतों सहित आईएलओ और ओईसीडी के साथ कौशल मानचित्रण में भारत की वैश्विक भागीदारी को रेखांकित किया गया।

सचिव ने आर्थिक समावेशन को बढ़ावा देने और युवाओं को सशक्त बनाने  को राष्ट्रीय और वैश्विक विकास के प्रमुख चालकों के रूप में मान्यता देते हुए इनके लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहरायी।

 

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