कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा-2024 : कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय
पांच वर्षों में शीर्ष कंपनियों में 1 करोड़ इंटर्नशिप प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना का शुभारंभ किया गया सुव्यवस्थित अनुपालन के लिए एमसीए21 का संस्करण 2 से संस्करण 3 में सफल माइग्रेशन जन विश्वास पहलों ने शेयर हस्तांतरण और खोए हुए शेयर प्रमाणपत्र प्रक्रियाओं को सरल बनाया, डुप्लिकेट भौतिक सुरक्षा प्रमाणपत्रों के लिए जमानत की आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया है आईईपीएफए ने बहुभाषी आईवीआरएस सुविधा के साथ उन्नत शिकायत निवारण तंत्र की शुरुआत की बेहतर दक्षता के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के तहत एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म का प्रस्ताव दिया गया आईबीसी ने रिकॉर्ड समाधान दरों के साथ पूर्व-प्रवेश चरण में 10.22 लाख करोड़ रुपये के चूक मामलों का समाधान किया भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सितंबर 2024 तक विलय एवं अधिग्रहण मामलों के 99 प्रतिशत मामलों का निपटान किया राष्ट्रव्यापी ई-फॉर्म प्रोसेसिंग के लिए केंद्रीय प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) शुरुआत की गई सीपीएसीई ने कॉरपोरेट निकास प्रक्रिया में लगने वाले समय को घटाकर 90 दिन किया भारतीय लेखांकन मानकों (भारतीय लेखांकन मानक 116 और भारतीय लेखांकन मानक 117) में संशोधन किया गया अपराधमुक्त कॉरपोरेट डिफॉल्ट के लिए फेसलेस अदालती तंत्र की व्यवस्था पेश की गई
Posted On:
29 DEC 2024 3:14PM by PIB Delhi
वर्ष 2024 के दौरान कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय की प्रमुख पहलें और उपलब्धियां इस प्रकार हैं:
प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना - पायलट परियोजना
- बजट 2024 में शीर्ष कंपनियों में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना की घोषणा की गई, जिसका लक्ष्य पांच वर्षों में शीर्ष 500 कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करना है।
- इस योजना के जरिए युवाओं को वास्तविक कारोबारी माहौल, विभिन्न व्यवसायों और रोजगार के अवसरों से परिचित होने का अवसर मिलेगा।
- प्रशिक्षुओं को 5,000 रुपये प्रति माह की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जिसमें से 4500 रुपये केंद्र सरकार द्वारा वितरित किए जाएंगे तथा 500 रुपये प्रति माह कंपनी द्वारा अपने सीएसआर फंड से भुगतान किया जाएगा।
- इसके अतिरिक्त, इंटर्नशिप के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करने पर प्रत्येक प्रशिक्षु को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय (एमसीए) द्वारा आकस्मिक व्यय के लिए 6,000 रुपये का एकमुश्त अनुदान दिया जाएगा।
- पीएम इंटर्नशिप योजना के तहत इंटर्नशिप की अवधि 12 महीने की है।
- वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1.25 लाख इंटर्नशिप अवसर प्रदान करने के लक्ष्य के साथ इस योजना की एक पायलट परियोजना 3 अक्टूबर 2024 को एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए शुरू की गई है, जिसे www.pminternship.mca.gov.in पर देखा जा सकता है।
- साझेदार कंपनियों ने पोर्टल पर लगभग 1.27 लाख इंटर्नशिप अवसर पोस्ट किए हैं।
- लगभग 4.87 लाख युवाओं ने अपना केवाईसी पूरा कर लिया है और पोर्टल पर अपना पंजीकरण करा लिया है।
- 1.27 लाख इंटर्नशिप अवसरों के लिए लगभग 6.21 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। इंटर्नशिप के लिए चयन प्रक्रिया जारी है।
एमसीए वी2 से वी3 में माइग्रेशन : दक्षता और अनुपालन में वृद्धि
- आईईपीएफए ने सफलतापूर्वक एमसीए 21 संस्करण 2 से संस्करण 3 में माइग्रेशन किया, जिससे अनुपालन प्रक्रिया को कारगर बनाने में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
- अनुपालन प्रपत्रों की संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई है, जिससे कम्पनियों के लिए प्रस्तुतीकरण आवश्यकताएं सरल हो गई हैं।
- इसके अतिरिक्त, धन हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया है, तथा सभी कंपनी प्रपत्रों को अब एक स्ट्रेट थ्रू प्रोसेस (एसटीपी) के साथ एकीकृत कर दिया गया है, जिससे मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता समाप्त हो गई है।
- इस बदलाव को और अधिक सरल बनाने हेतु नोडल अधिकारियों के लिए एक समर्पित डैशबोर्ड लागू किया गया है, जिससे उन्हें दावों के लिए सत्यापन रिपोर्ट को आसानी से ट्रैक करने और दाखिल करने में सहायता मिलेगी।
जन विश्वास के तहत प्रमुख पहल
(1)-शेयर हस्तांतरण हेतु कानूनी उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की मान्यता
- कानूनी उत्तराधिकार प्रमाणपत्र को शेयरों के हस्तांतरण को पंजीकृत करने के लिए एक वैध साधन के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता दी गई है। यह महत्वपूर्ण कदम, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 124(6) के तहत कंपनियों द्वारा आईईपीएफ को हस्तांतरित शेयरों पर लागू होता है, मौद्रिक सीमा की आवश्यकता को समाप्त करता है।
- यह सुधार उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, प्रशासन पत्र या वसीयतनामे का प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता को हटाकर व्यक्तियों पर बोझ को काफी हद तक कम करता है। नतीजतन, लाभार्थी समय और लागत दोनों बचा सकते हैं, जो पहले सिविल कोर्ट प्रक्रियाओं से जुड़े थे। यह पहल न केवल शेयरों के लिए हस्तांतरण प्रक्रिया को सरल बनाती है, बल्कि ये विरासत से संबंधित जटिलताओं का सामना करने वाले परिवारों के लिए पहुंच और दक्षता को बेहतर करती है।
(2) खोए हुए शेयर प्रमाणपत्रों के लिए प्रक्रियाओं का सरलीकरण
- दावेदारों के लिए एक प्रगतिशील कदम के तहत, 5 लाख रुपये तक के मूल्य की प्रतिभूतियों के लिए भौतिक शेयर प्रमाणपत्रों के नुकसान के लिए एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। यह परिवर्तन उन व्यक्तियों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाता है, जिन्होंने अपने शेयर प्रमाणपत्र खो दिए हैं और इससे उन्हें नौकरशाही से संबंधित बाधाओं का कम सामना करना पड़ेगा।
(3) डुप्लिकेट भौतिक सुरक्षा प्रमाणपत्रों के लिए जमानत आवश्यकताओं का उन्मूलन
- एक महत्वपूर्ण सुधार में, सभी मूल्यों के लिए डुप्लिकेट भौतिक सुरक्षा प्रमाणपत्रों के लिए आवेदन करते समय जमानत की आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया गया है। इस महत्वपूर्ण परिवर्तन का उद्देश्य उन दावेदारों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाना है, जिन्हें खोए या क्षतिग्रस्त प्रमाणपत्रों को बदलने की आवश्यकता हो सकती है, इस प्रकार अनावश्यक बाधाओं को दूर करना और पहुंच को बढ़ाना है।
उन्नत शिकायत निवारण तंत्र
- आईईपीएफए ने हितधारकों के लिए एक अधिक प्रभावी और उपयोगकर्ता-अनुकूल अनुभव प्रदान करने हेतु अपनी शिकायत निवारण प्रणाली को उन्नत किया है।
- प्राधिकरण ने छह भाषाओं में उपलब्ध इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (आईवीआरएस) सुविधाओं से लैस एक सहज कॉल सेंटर समाधान शुरू किया है, जिससे विविध दर्शकों के लिए पहुंच सुनिश्चित होगी।
- इसके अतिरिक्त, कॉल सेंटर एक सुविधाजनक पांच अंकों वाले संक्षिप्त कोड - 14453 के माध्यम से संचालित होता है, जो उपयोगकर्ताओं के लिए सहायता प्राप्त करने और उनकी चिंताओं को संबोधित करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है। ये दावेदारों के लिए संचार और सहायता में सुधार करने के लिए आईईपीएफए की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और सुनिश्चित करता है कि उनकी शिकायतों को त्वरित और कुशलतापूर्वक संबोधित किया जाए।
पहुंच में सुधार, अंतःक्रियाशीलता में वृद्धि, वित्तीय समावेशन और हितधारकों के साथ जुड़ाव लाने के लिए, आईईपीएफए ने सफलतापूर्वक आयोजित किया:
- मुंबई और अहमदाबाद में निवेशक सुनवाई पहलें;
- निवेशक पंचायत: दावेदारों और आईईपीएफए के बीच की खाई को पाटा;
- निवेशक दीदी: वित्तीय साक्षरता के जरिए महिलाओं का सशक्तिकरण;
- निवेशक सारथी: वित्तीय समावेशन को अपनाया।
आईबीसी के अंतर्गत एक एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म की स्थापना:
- सरकार दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 के अंतर्गत एक एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म स्थापित करने पर विचार कर रही है।
- यह आईबीसी के अंतर्गत प्रक्रियाओं के लिए एक एकीकृत मामला प्रबंधन प्रणाली, न्याय निर्णयन प्राधिकरण के पास आवेदन दाखिल करने के लिए स्वचालित प्रक्रिया, नोटिसों की डिलीवरी, हितधारकों के साथ दिवालियापन पेशेवरों की बातचीत को सक्षम करना, कॉरपोरेट देनदार के रिकॉर्डों का संग्रहण और हितधारकों की प्रभावी भागीदारी को प्रोत्साहित करने आदि की व्यवस्था प्रदान कर सकता है।
- एकीकृत प्रौद्योगिकी प्लेटफार्म से बेहतर पारदर्शिता आएगी, देरी कम होगी, प्रभावी निर्णय लेने में मदद मिलेगी और प्राधिकारियों द्वारा प्रक्रियाओं की बेहतर निगरानी की जा सकेगी।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की उपलब्धियां/प्रदर्शन:
- आईबीसी ने दिवालियापन समाधानों में पारदर्शिता और निष्पक्षता का एक नया युग प्रारंभ किया है।
- यह स्पष्ट और पूर्वानुमानित समाधान प्रक्रिया के साथ सभी हितधारकों के लिए न्यायसंगत व्यवहार सुनिश्चित करता है।
- मार्च 2024 तक, सीआईआरपीएस की शुरुआत के लिए 28,818 आवेदन, जिनमें 10.22 लाख करोड़ रुपये की अंतर्निहित चूक थी, को उनके प्रवेश से पहले ही हल कर दिया गया। इसका श्रेय, जो कि संहिता द्वारा हुआ है, लेनदार और देनदार संबंधों में व्यवहारगत परिवर्तन को जाता है।
- सितंबर 2024 तक 1068 सीआईआरपीएस समाधान योजनाओं में परिणत हो चुके हैं, जिससे कॉरपोरेट देनदार (सीडी) के उचित मूल्य का औसतन 86.13 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। उक्त समाधान योजनाओं के तहत लेनदारों ने 3.55 लाख करोड़ रुपये वसूले हैं।
- जून 2024 तक, आईबीसी ने दिवालियापन प्रक्रिया के माध्यम से 3,409 सीडीएस को सफलतापूर्वक निपटाया, जिसमें 1068 योजनाओं के माध्यम से और शेष अपील, समीक्षा, निपटान या निकासी के माध्यम से समाधान प्राप्त हुए। इन सीडीएस के समाधान से परिसमापन मूल्य के मुकाबले 161 प्रतिशत से अधिक की प्राप्ति दर हुई है। समाधान प्रक्रियाओं में होने वाला औसत व्यय उल्लेखनीय रूप से कम है, जो परिसमापन मूल्य का केवल 1.37 प्रतिशत और समाधान मूल्य का 0.83 प्रतिशत है।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की उपलब्धियां:
- अपनी स्थापना के बाद से, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को 1289 एंटीट्रस्ट मामले (धारा 3 और 4) प्राप्त हुए हैं और सितंबर, 2024 तक 1157 (लगभग 90 प्रतिशत) मामलों का निपटारा किया गया है।
- इसके अलावा, जनवरी 2024 से सितंबर 2024 तक आयोग को 30 नए मामले प्राप्त हुए और 30 मामलों का निपटारा किया गया (पिछले वर्ष के आगे बढ़ाए गए मामलों सहित)।
- आयोग ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे वित्तीय बाजार, विद्युत एवं विद्युत उत्पादन, फार्मास्यूटिकल्स एवं स्वास्थ्य सेवा तथा डिजिटल बाजार से संबंधित विलय एवं अधिग्रहण पर विचार किया तथा उन्हें मंजूरी दी।
- अपनी स्थापना के बाद से, आयोग को 1191 विलय एवं अधिग्रहण से संबंधित मामले (धारा 5 और 6) प्राप्त हुए हैं और 1179 (लगभग 99 प्रतिशत) का निपटारा किया गया है। इसके अलावा, जनवरी 2024 से सितंबर 2024 तक, आयोग को 91 नए मामले प्राप्त हुए और 101 मामलों का निपटारा किया गया (पिछले वर्ष के आगे बढ़ाए गए मामलों सहित)। मीडिया स्कैनिंग में देखे गए दो सौ इक्यानवे (291) लेन-देन पत्रों में से सत्रह (17) पत्र संबंधित पक्षों को जारी किए गए।
सीसीआई ने “ब्रिक्स देशों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के मुद्दों” पर एक अध्ययन शुरू किया।
- अध्ययन रिपोर्ट ब्रिक्स देशों के प्रतिस्पर्धा प्राधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार की जा रही है।
अनुपालन और फाइलिंग दरों में सुधार:
- पिछले दो वर्षों में मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 148 के अनुपालन में उल्लेखनीय सुधार किया है।
- यह प्रगति ई-फॉर्म सीआरए-2 (लागत लेखा परीक्षक की नियुक्ति की सूचना) और ई-फॉर्म सीआरए-4 (लागत लेखा परीक्षा रिपोर्ट दाखिल करना) की फाइलिंग में पर्याप्त वृद्धि से स्पष्ट है। विशेष रूप से, वित्त वर्ष 2023-24 में 2021-22 की तुलना में ई-फॉर्म सीआरए-2 फाइलिंग में 35 प्रतिशत और ई-फॉर्म सीआरए-4 फाइलिंग में 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सक्रिय सलाहकार पहल:
- वित्तीय वर्ष 2023-24 से मंत्रालय ने कम्पनियों को नियमित रूप से परामर्श जारी किया है, जिसमें लागत लेखापरीक्षा रिपोर्ट दाखिल करने के लिए निर्धारित समयसीमा का पालन करने के महत्व पर बल दिया गया है।
- इस पहल से पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 के दौरान लागत लेखापरीक्षा रिपोर्ट समय पर प्रस्तुत करने में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
लागत लेखापरीक्षा के मौजूदा ढांचे और उसके नियमों की जांच:
- लागत रिकॉर्ड और लागत लेखा परीक्षा के मौजूदा ढांचे की समीक्षा करने और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लागत लेखा परीक्षा रिपोर्ट की उपयोगिता में सुधार करने के लिए, एमसीए द्वारा अक्टूबर, 2023 में एक समिति का गठन किया गया।
- समिति की रिपोर्ट एमसीए की वेबसाइट पर डाल दी गई है तथा हितधारकों से टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।
- हितधारकों की टिप्पणियों के आधार पर समिति की सिफारिशों की जांच की जाएगी तथा लागत रिकॉर्ड और लेखापरीक्षा को नियंत्रित करने वाले ढांचे में संशोधन किया जाएगा।
वर्ष 2024 में नव स्थापित कार्यालय अर्थात केंद्रीय प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी)।
- केंद्रीय प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) को 2024 में शुभारंभ किया गया। सीपीसी की स्थापना ऐसे ई-फॉर्मों की प्रोसेसिंग और निपटान के कार्य का निर्वहन करने के लिए की गई थी, जो कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत निर्धारित किया जा सकता है।
- सीपीसी ई-फार्मों के प्रोसेसिंग और निपटान तथा कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत वैधानिक अनुपालन संबंधी सभी संबंधित मामलों के कार्यात्मक अधिकार क्षेत्र का भी प्रयोग करेगा, जिसका पूरे भारत में अधिकार क्षेत्र होगा और केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी भी अन्य ई-फार्मों के मामले में भी करेगा जो, कंपनी (कार्यालयों का पंजीकरण और शुल्क) नियम, 2014 में निर्धारित शुल्क के साथ, दाखिल किया जाएगा।
क्षेत्रीय निदेशकों को सशक्त बनाना
- कंपनियां और (समझौते, व्यवस्थाएं समामेलन) नियम, 2016 [सीएए नियम] के नियम 25ए को 9 सितंबर 2024 को संशोधित किया गया (17.9.2024 से प्रभावी), जिससे क्षेत्रीय निदेशकों (आरडी) को एनसीएलटी के बजाय समयबद्ध तरीके से भारत के बाहर निगमित होल्डिंग कंपनी और भारत में निगमित पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के बीच विलय के लिए अर्जियों को मंजूरी देने का अधिकार मिल गया है।
- मंत्रालय ने 24 जनवरी, 2024 को कंपनी (अनुज्ञेय क्षेत्राधिकार में इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग) नियम, 2024 भी जारी किया है, ताकि भारतीय कंपनियों को जीआईएफटी आईएफएससी इंटरनेशनल स्टॉक एक्सचेंजों पर अपने इक्विटी शेयरों को सूचीबद्ध करने की अनुमति मिल सके। आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा ‘‘अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर भारत में निगमित कंपनियों के इक्विटी शेयरों की प्रत्यक्ष लिस्टिंग योजना’’ भी जारी की गई है।
भारतीय लेखांकन मानक 116 में परिवर्तन लाने तथा भारतीय लेखांकन मानक 117 को लागू करने के लिए कंपनी (भारतीय लेखांकन मानक) नियम, 2015 में संशोधन किया गया है, जो इस प्रकार है:
- भारतीय लेखांकन मानक 116: भारतीय लेखांकन मानक 116 में संशोधन जीएसआर 554(ई) के जरिए दिनांक 09.09.2024 को किया गया, जिसमें लीजबैक लेनदेन के उपचार शामिल हैं। बिक्री और लीजबैक लेनदेन से उत्पन्न होने वाली उपयोग के अधिकार वाली परिसंपत्तियों और लीज देनदारियों हेतु भारतीय लेखांकन मानक 116 में एक नया पैराग्राफ, 102ए, जोड़ा गया है।
- भारतीय लेखांकन मानक 117: अधिसूचना संख्या जीएसआर 492 (ई) के जरिए 12 अगस्त 2024 को बीमा अनुबंधों के संबंध में भारतीय लेखांकन मानक (भारतीय लेखांकन मानक) 117 को पेश किया गया।
त्वरित कॉरपोरेट निकास प्रक्रिया केंद्र की स्थापना (सीपीएसीई)
- बजट और घोषणा (2022-23) को पूरा करते हुए, कंपनियों के स्वैच्छिक बंद होने के लिए दायर आवेदनों के शीघ्र प्रोसेसिंग के लिए त्वरित कॉरपोरेट निकास हेतु एक केंद्र की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य ऐसी बंदी के लिए लगने वाली अवधि को लगभग 2 वर्ष से घटाकर 6 महीने से भी कम करना है।
- 1 मई, 2021 को सी-पीएसीई की शुरुआत के बाद से, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कंपनियों के बंद होने के लिए औसत दिनों की संख्या घटकर लगभग 90 दिन रह गई है। अब यह केंद्रीकृत हो गया है और एलएलपी के स्वैच्छिक बंद होने के लिए दायर आवेदन भी सी-पीएसीई के पास हैं, ताकि उनका शीघ्र निपटान सुनिश्चित किया जा सके।
- एलएलपी के बंद करने के आवेदनों पर कार्रवाई करने के लिए सीपीएसीई को 5 अगस्त, 2024 को अधिसूचित किया गया था, जो 27 अगस्त, 2024 से प्रभावी हो गया। 27 अगस्त, 2024 को शुरुआत से और 7 दिसंबर, 2024 तक सीपीएसीई द्वारा एलएलपी बंद करने के 4640 आवेदनों का निपटारा किया गया है।
कंपनी अधिनियम, 2013 और एलएलपी अधिनियम 2008 में संशोधन
- कंपनी अधिनियम, 2013 और एलएलपी अधिनियम 2008 में क्रमिक संशोधनों के जरिए, 63 प्रावधानों को अपराध मुक्त कर दिया गया है, जिससे ऐसे प्रावधानों के अंतर्गत चूक को आंतरिक न्यायनिर्णयन तंत्र के अंतर्गत लाया गया है। वर्तमान में, रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) चूक के मामलों में निर्णय कर रहे हैं, जिसमें कॉरपोरेट्स के प्रतिनिधियों को ‘व्यक्तिगत रूप से’ सुनवाई में उपस्थित होना पड़ता है। न्यायनिर्णयन तंत्र को इलेक्ट्रॉनिक और फेसलेस बनाया गया है, ताकि आरओसी स्तर पर न्यायनिर्णयन प्रक्रिया के दौरान व्यक्तिगत रूप से बातचीत को समाप्त किया जा सके।
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एमजी/केसी/आईएम/वीके
(Release ID: 2088758)
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